साथियो, मंडयाली मंझा 'आजा रे समया बिच मार्क्सवादा री प्रासांगिकता' विषया पर एक मंडयाली लेख लिखणे री कोशीश करी करहां। दरअसल थोडे दिन पैहले हे दो साथी मनन विज होर नमिता मिल्हे। तिन्हें मुंजो रेडिकल वॉयस यू टयूब चैनला पर साथी सुखविंदरा रे विडियो देखणे कठे बोल्या। तिन्हा रा विडियो देखी के बौहत ज्ञान हुआ होर मना बिच ये विचार आया भई आसौ मंडयाली बिच बी मार्क्सवाद समझणे होर समझाणे री कोशीश करनी चहिए। साथी सुखविंदरा होरी रा एकी सेमिनारा बिच पंजाबी भाषा मंझ दितिरे भाषणा री ट्रांसस्क्रिप्टा जो एस लेखा रे माध्यमा ले मंडयाली भाषा बिच लिखणे री कोशीश कितिरी। अब बौहत भूमिका बनाणे रे बजाय सीधे लेखा पर आई जाहें...
अझी तका रे इतिहासा बिच दुनिया मंझा जे सभी ले महान विचारक हुआ तेसरा नांवं कार्ल मार्क्स हा। पिछले महीने 5 मई 2018 जो तिन्हा रा 200वां जन्मदिन सारे संसारा बिच मनाया गया। मार्क्स एक एहड़ा शख्स था जेसरे दितिरे विचार होर सिद्धांता रे बारे बिच थोडे-2 समया बाद मतलब हर 5-7 या दस साल बाद ये ऐलान कितया जाहां भई मार्क्सवाद फेल हुई चुकीरा होर ये एक मरी गईरी विचारधारा ही। जधी ले मार्क्सवाद संसारा बिच आया तधी ले हे सारे संसारा बिच ये हाकम जमाता री नफरता रे भोंडे प्रचार होर तिन्हा रे सैद्धांतिक हमले रा सभी थे ज्यादा निशाना रैहा। एतारी वजह ये ही भई जेहड़ा संसारा बिच सरमायेदारी प्रबंध चलीरा से लूट होर जबरदस्ती रा प्रबंध हा जे जंगा जो जन्म देंदा रैहां। आसे सीरीया होर ईराका बिच देखया भई क्या हुई करहां। जबकि मार्क्सवाद एस लूट, अन्याय, जबरदस्ती होर बर्बरता ले अग्गे लेई जाणे वाली विचारधारा रा सिद्धांत हा। मनुष्य होर मेहनती लोका जो जे मुक्त करवाई सकहां से मार्क्सवाद हे हा। इधी कठे जिन्हा रे हित एस सिस्टमा जो बचाई रखणे बिच हे स्यों एस विचारधारा पर चहुं बखा ले हमले करहाएं। आजकल दुनिया बिच पॉलिटिकल इकॉनॉमी जो लेई के बहसा चली करहाईं। एहड़ी फिल्मा बणी करहाईं जेता बिच मार्क्सवादा रे फलसफे रा खंडन कितया जाहां। पॉलिटिकल इकॉनॉमी बिच सीधे नांवं लेई के हमला करहाएं भई मार्क्सा रे सिद्धांत इन्हा-इन्हा चीजा रा जबाब नीं देंदे। किन्सा री थ्युरी ज्यादा बेहतर ही। हर क्षेत्रा बिच मार्क्सवादा पर हमला हुई करहां। फेरी भी एस विचारधारा बिच बौहत सारे उतार-चढाव होर प्रयोग हुए। आसे जाणहाएं रूसा बिच 20वीं सदी बिच इंकलाब हुआ 1917 बिच। रूसा ले ये लैहर फैली होर चीना बिच इंकलाब हुआ 1949 बिच। 20वीं सदी रे आधे बिच पौंहचदे-2 दुनिया री लगभग आधी धरती पर लाल झंडा लैहराई करहां था। दुनिया रे 14 देशा बिच समाजवाद था। ऐते बाद समाजवादी प्रयोगा जो धाक्का लगया। पर आसे हार शब्दा रा इस्तेमाल नीं करदे इधी कठे आसे एहड़ा नीं बोलदे भई समाजवाद हारी गया। संसारा बिच वर्किंग क्लास (मजदूर जमात) होर सरमायेदारी जमात ही। इन्हा बिच लड़ाई चलदी रैहाईं जिहां बॉक्सिंगा रा मुकाबला हुआंं। जे पैहले राऊंडा बिच हरी जाहां ता एता रा मतलब ए नीं हा भई अंतिम राऊंडा बिच बी तेस हे हरना। ये पैहले राऊंडा री लड़ाई थी। 1848 बिच कम्यूनिस्ट मैनिफैस्टो लिखया गया। इथी ले ये पैहला राऊंड शुरू हुआ होर 1976 बिच चीना रे इंकलाबा जो पछाड़ लगणे तक जारी रैहा। ऐता बिच मजदूरे हराये भी होर आपु हारे भी। हुण सारे संसारा बिच दूजे राऊंडा री लडाई री तैयारी चली री।
आसे जाणहाएं 1848 बिच कम्युनिस्ट मैनिफैस्टो लिखया गया। 1867 बिच मार्क्सा री रचना 'सरमाया' (कैपिटल) रा पैहला वोल्यूम सामहणे आया। 1871 बिच पेरिस कम्यून कुचली दितया गया। एते बाद मार्क्सा रा एक भाषण हा फ्रांसा बिच घरेलू जंग। एते आसे बोली सकाहें भई मार्क्सवादा रा उदय हुआ। 1871 या 1867 ले बाद संसार बौहत बधली गइरा। ये गल्ल आसौ आम सुनणे जो मिली जाहीं भई आजारे बधली गइरे संसारा बिच मार्क्सवाद लागू नीं हुई सकदा। दूजा एतराज ये उठाया जाहां भई मार्क्सवाद किताबी गल्ल ही ये प्रैक्टिकली लागू नीं हुई सकदा। जेबे प्रैक्टिकली लागू हुया रूसा बिच होर पूर्वी युरोपा रे देशा बिच ता स्यों प्रयोग टिके नी। इधी कठे दूजा एतराज ये कितया जाहां भई मार्क्से जे सोचया था से जेबे अमला बिच आया ता से टिकया नीं इधी कठे मार्क्सवाद रा मतलब नीं बणदा। ये एक फेल हुई चुकीरी विचारधारा ही। तरीजा ये बोल्या जाहां भई हुण इतनी सारी अॉटोमेशन हुई गइरी। परिवर्तना री गल्ल किती जाहीं। मजदूरा री जगह रोबोटे लेई कराहें। एभे आर्टिफिशियल इंटैलीजैंसा री गल्ल हुई कराहीं। मार्क्सवाद जेहडी जमाता पर निर्भर रैहां से थी प्रोतितारिया (मजदूर जमात) मुख्य तौरा पर इंडस्ट्रीयल प्रोलितारया (औद्योगिक मजदूर)। पर अब प्रोलितारया (मजदूर जमात) ही नीं रैही इधी कठे आसारा समाज सरमायेदारी ले अगले युगा बिच प्रवेश करी गईरा जेता जो उतर औद्योगिक समाज बोल्हाएं पोस्ट इंडस्ट्रीय सोसायटी। 1991 बिच सोवियत संघ टूटणे बाद इन्हारा हल्ला ज्यादा पया। उतर मार्क्सवाद, उतर औद्योगिक समाज होर उतर आधुनिकतावादा री गल्ल हुंदी लगी। आसे ये चर्चा करना चाहें भई क्या दुनिया वाकयी इतनी बधली गईरी। क्या मार्क्से जेहडे सरमायदारी समाजा रा विश्लेषण आपणी रचना बिच कितीरा क्या वाकयी हुण लागू नीं हुंदा। इधी कठे आसा जो ये जानणे कठे भई मार्क्सवाद आज प्रासांगिक हया की नीं हा, कितना कर प्रासांगिक हा। आसौ ये जानणा पौणा भई मार्क्सवाद हया क्या हा।
मार्क्सवाद क्या हा...जे मार्क्से काम कितया से हे मार्क्सवाद नीं हा। एंगेल्सा री भी सहायक भूमिका थी। मार्क्सा रा लीडिंग रोल था। एंगेल्से लिखिरा भई मार्क्से दो महान खोजा किती। एक ता ही इतिहासा री वैज्ञानिक समझ, भई मनुष्य रे इतिहासा जो वैज्ञानिक ढंगा के किंहा समझियें ऐता जो आसे ऐतिहासिक पदार्थवाद बोल्हाएं। दूजी खोज ही सरमायेदारी जमाता रा सरमाया किथी ले बधहां। ऐता रा स्त्रोत क्या हा (सरप्लस वैल्यू रा सिद्धांत)। एंगेल्स बोल्हाएं भई मार्क्से एक भी खोज किती हुंदी ता भी बौहत बड़ी थी पर मार्क्सा रे हिस्से दो बडी खोजा आई। मार्क्सा ले बाद दुनिया बधली। दुनिया साम्राज्यवादा बिच दाखिल हुई ता लेनिने मार्क्सवाद अग्गे बधाया। लेनिने रूसा री धरती पर मार्क्सवाद लागू कितया होर मार्क्सवादा पर दुनिया भरा बिच जे हमले हुई कराहें थे जिन्हा बिच बर्नस्टीन, काऊत्सकी, प्लेखानोव, मेन्शिविक बगैरा शामिल थे तिन्हारा जबाब देंदे हुए मार्क्सवादा जो अमला बिच लागू करदे हुए मार्क्सवादा बिच पार्टी रा सिद्धांत होर साम्राज्यवादा रा सिद्धांत दितया।
1956 बिच सोवियत यूनियना बिच सरमायेदारी री बहाली हुई ता नौंवां सवाल खड़ा हुआ भई सरमायेदारी री बहाली किंहा हुई। लेनिन भी मौता ले पैहले सोची कराहें थे। तिन्हें एक लेख लिखया सरमायेदारी री तानाशाही तहत अर्थनिती होर राजनीति। ऐता बिच तिन्हें विचार कितया भई इन्हां-2 स्त्रोता ले सरमायेदारी री बहाली रे खतरे हुई सकाहें होर नौंवीं सरमायेदारी जमात पैदा हुआईं। स्टालिने आपणे तरीके के दूजे विश्वयुद्धा बाद एक किताब लिखी सोवियत यूनियना बिच समाजवादी आर्थिक समस्याएं। जेता बिच स्यों काफी करीब पहुंची गईरे थे भई समाजवादी समाजा रे खात्मे जो समझी सके। फेरी माओए ऐता बिच अग्गे बधाया भई समाजवादी समाज क्या हुआं। ऐतारे बुनियादी विरोध क्या हुआएं। किथी-2 ले सरमायेदारी री बहाली रे खतरे हे और एतारा हल क्या है। ऐता जो आसे महान इंकलाबी सभ्याचारा रा सिद्धांत बोल्हाएं। मार्क्स, लेनिन होर माओ रे विचारा रा कुल योग हे आजकला रे युगा रा मार्क्सवाद हा। हले तका रा मार्क्सवाद ये हा।
मार्क्सा रा योगदान... जेहड़ा एंगेल्से लिखिरा भई मार्क्सा री दो महान खोजा थी। पैहली ही इतिहासा री वैज्ञानिक समझ। मनुष्या रे समाजा रे विकासा रे नियम क्या हे। जेहडे न्युटने ब्राह्मांडा रे होर कुदरता रे नियम तोपे। जिंहा तिन्हे गुरूत्वाकर्षणा रा नियम तोपेया। होर बोल्या भई ब्रह्मांड कुछ नियमा बिच बझीरा। क्या समाज बी केसी नियमा बिच चलहां। स्यों नियम क्या हे। ऐता जो आसे बोल्हाएं ऐतिहासिक पदार्थवाद। ये मार्क्सा री सभी ते बडी खोज ही। मनुष्या रा समाज कोई अफरा तफरी नी ही बल्कि ये नियमा रे तहत चलहां। ये नियम क्या हे। मनुष्य, पशु जगता ले इहां जुदा होर बखरा हा भई मनुष्य पैदावार कराहें। स्यों आपणी जिंदगी री जरूरता कठे पैदावार कराहें। पशु नीं करदे। पशु जो कुदरता ले जे चीजा मिलाहीं तिन्हा जो इस्तेमाल करी लैहां। मनुष्य कुदरता ले मिलणे वाली चीजा जो तिहाएं नी इस्तेमाल करदा बल्कि मनुष्य तिन्हा जो नौंवें सांचे बिच ढाली के आपणे इस्तेमाला लायक बनाहें। ऐता जो आसे बोल्हाएं पैदावार। पैदावार मनुष्य कल्हा नी करी सकदा। पैदावार एकी समूहा री जरूरत हुआईं। मनुष्य पैदावारा बिच लगी गया इधी कठे पशु जगता ले अलग हुई गया नहीं ता मनुष्य बी पशु हे रैही जाणा था। क्योंकि मनुष्य पैदावार करदा लगया इधी कठे एसरा बौद्धिक होर शारीरिक विकास हुआ। संगीता रा ओरिजन भी पैदावारा बिच हा। भाषा री जड़ भी। मनुष्य जे पैदावार नीं करदे ता भाषा री बी जरूरत नीं पौणी थी। आसारी भाषा तितनी हे हुंदी जितनी पंछियां होर पशुआं री हुणी थी। जेबे पैदावारा बिच मनुष्य लगाहें ता पैदावारा रे दौरान मनुष्य रे आपणे संबंध बणहाएं। सारे के सारे पैदावारा रे साधन जेहडी धरती अगर सभी री सांझी हो होर सारे पैदावार करदे हो ता तिन्हा रे संबंध भाईचारे वाले बणने बराबरी वाले संबंध बणने। जे पैदावारा रे साधना बिच मालिक कोई होर हे होर आसे तिथी मेहनत कराहें ता आसौ आसारी मेहनता रा पूरा मूल्य नीं मिलदा। जेबे आसारी लूट हुआईं ता आसारे संबंध कुछ होर बणहाएं।
पैदावारा री ताकता...ऐता बिच आवाहें इंस्ट्रुमेंट यानी औजार। मनुष्या रा सभी ले ताकतवर इंस्ट्रुमेंट (औजार) हा तेसरा हाथ। बाकि जितने भी इंस्ट्रुमेंट हे स्यों हाथा रा विस्तार हे। जिहां-2 पैदावार बधहाईं तिहां-2 मनुष्य आपणे औजारा जो विकसित करदा रैहां। औजारा जो विकसित करदे-2 मनुष्या रा हुनर होर दीमाग बी बधदा जाहां। मार्क्स एता जो बोल्हाएं पैदावारा री ताकत या पैदावारी ताकता। पैदावारी ताकता बिच आवांहे साईंस, टैक्नोलोजी होर मनुष्य रा तजुर्बा होर हुनर। मनुष्य पैहले हा साईंस होर टैक्नोलोजी बादा बिच। मनुष्य हे उपकरणा जो चलाहें। पैदावारी ताकता रा विकास हमेशा हुंदा रैंहा। हमेशा आसारे टूल विकसित हुंदे रैंहाएं। पर पुराणे पैदावारा रे संबंध पैदावारा री ताकता रे विकासा बिच रूकावट बणहाएं। पैदावारी संबंध होर पैदावारी ताकता रा विरोध समाजा बिच जमाता रे संघर्षा रे रूपा बिच प्रकट हुआं। मार्क्से लिखया भई मनुष्य समाजा रा इतिहास जमाती संघर्षा रा इतिहास हा। हालांकि बादा बिच एंगेल्से ये ठीक कितया भई नीं मनुष्या रा पूरा इतिहास नीं बल्कि जधी ले आसारा समाज जमाता बिच बंढीरा तधी ले अझी तका रा इतिहास जमाती संघर्षा रा इतिहास हा। पैहले लोक समझायें थे भई समाजा बिच बदलाव इधी कठे हुआएं भई मनुष्या रे विचार बधली जाहें। दूजी गल्ल समाजा बिच राजनैतिक बदलाव हे सभी थे बडे बदलाव हुआएं। एंगेल्स बोल्हाएं भई केसिए ये सवाल नीं पूछया भई मनुष्या रे मना बिच बधली री विचार आवांहे किथी ले हे। इन्हा राजनैतिक बदलावा पीछे केहडी ताकता हुआईं जे राजनैतिक बदलाव आवाहें। ये मार्क्सा री सभी थे बडी खोज ही। मार्क्स लिखाहें भई हर बडी हडताला बाद एक नौंवीं मशीन सामहणे आई जाहीं। जेबे समाज जमाता बिच बंढया ता समाजा री ड्राइविंग फोरस यानि तेता जो अग्गे धकेलणे वाली शक्ति ले जमाती संघर्ष बणी गया।
दूजी खोज क्या ही...फैक्टरी मालिका जो मजदूर आपणे काम करने री सामर्थ्या बेचहां (आपणे काम करने री शक्ति या ताकत)। मजदूर मालिका जो पैदा करूआं देहां 500 रूपये। मालिक देहां तेजो 250 रूपये। 250 रूपये जे मालिका बाले चली गया से हे सरप्लस या मालिका रा मुनाफा बणहां। मजदूरा के करार कितया जाहां भई तेस 10 घंटे काम करना। जे तनखाह मजदूरा जो मिली एकी दिना बिच से 5 घंटे काम करी के पूरी करी लैहां पर 5 घंटे रा काम मालिका री झोली बिच चली जाहां। जेस बी मालिका बाले ज्यादा मजदूर हुआएं से ज्यादा अमीर हुआं। क्योंकि मुनाफे रा स्त्रोत ही मनुष्या री लेबर होर तेसरा काम हा। कामा बाजही मुनाफी नीं हुई सकदा। अंबानी, वर्धमान होर बडे सरमायेदारा बाले हजारों-लाखों मजदूर हे। इन्हा मजदूरा री अनपेड लेबर हे तिन्हा रे सरमाये रा स्त्रोत हा।
जर्मन विचारधारा मार्क्स-एंगेल्से ने मिली के लिखी। आसे संसारा जो किंहा देखिएं, समझियें, संसारा जो देखणे रा दृष्टिकोण, देखणे रा ढंग। जेबे संसारा रे दृष्टिकोणा रा मसला हल हुई गया। ता एते बाद सरमायेदारी समाजा जो समझणे होर ऐता री गति रे नियमा जो समझणे कठे अग्गे बधे।
मार्क्से सरमायेदारी समाजा री गति रे तीन नियम खोजे।
पैहला नियमा हा...मूल्य रा नियम जेतौ लेबर थ्युरी आफ वैल्यू बोल्हाएं। जे चीजा रा मूल्य हुआं से तिन्हा बिच समायी रा श्रम हुआं। समाजा बिच चीजा रा बंटवारा बराबरी री चीजा बिच हुआं। सरमायेदार जितनी चीजा री कीमत हुआंई तेता ले ऊपर बेची के अमीर नीं हुंदा तेता जो मूल्या पर बेची के हे अमीर हुआं। समाजा बिच जे बंटवारा हुआं अलग-2 चीजा रा से बराबरा (इक्वीलेंट) री चीजा बिच हुआं। दूजा नियम.....जे दूजा नियम खोजया मार्क्से से हा पूंजी संग्रह रा नियम। सरमाये रे संग्रह रा नियम। सरमायेदार जितना बी मुनाफा हासिल करहां तेतारा एक छोटा हिस्सा आपणे होर आपणे परिवारा पर खर्च करहां। बाकि बडा हिस्सा फेरी भी से सरमाये बिच लगाहां। नौंवीं बेहतर मशीना लैहां, नौंवा कारखाना लगाहां। जेता जो बोल्हाएं सरमाये रा एकत्रीकरण (अकुमुलेशन आफ कैपिटल)। सरमाये रा एकत्रीकरण दो तरहा रा हुआं। मंडी बिच मुकाबला हुआं। बडे मालिक छोटे मालिका जो उजाडी देहें। स्यों कई तरहा के उजाडाहें। स्यों आपणा माल सस्ता करी देहें। छोडा उजडी जाहां। छोटेयां रे कारखाने बडे हथियाई लैहाएं। जिंहा बडी जमीना रा मालिक छोटे जमीन मालिका री जमीन हथियाई लैहाएं। बडे मॉला वाला छोटी दुकाना वाले जो टिकणा नीं देंदा। बडी फैक्टरी वाला छोटी फैक्टरी वाले जो टिकणे नीं देंदा। फेरी बडेयां बिच मुकाबला हुआं। बडे बडेयां जो उजाडी जाहें। बडे होर बडे हुंदे जाहें। होर बडे हुंदे जाहें। सरमाया लगातार संग्रह हुए बगैर जिंदा नीं रैही सकदा। समाज इहां बंढ़ी जाहां कि एकी पासे ता मुट्ठी भर लोक हुआएं जिन्हा बाले बौहत धन हुआं। जेहडे बीचा वाले हुआएं स्यों उज्जडदे जाहें। एक पासे ता स्यों हुआएं जो अरबा-खरबा रे मालिक हुआएं। एक पासे स्यों लोक हुआएं जो सिर्फ आपणे काम करने री शक्ति बेची सकाहें। एता जो आसे बोल्हाएं भई समाजा रा ध्रुवीकरण एस ढंगा के हुंदा जाहां। दो ध्रुवा बिच समाज बंढदा जाहां। छोटे बडेयां अग्गे टिकी नीं सकदे। सरमायेदार सरमाये रा केन्द्रीयकरण होर संकेन्द्रीकरण कराहें। केन्द्रीयकरणा बिच स्यों होरियां रा सरमाया हडपी लैहाएं होर संकेन्द्रीकरणा बिच स्यों आपणे हे कारखाने बिच नौंवा निवेश (इन्वेस्टमेंट) कराहें। केन्द्रीयकरण हे संकेन्द्रीकरणा रा आधार तैयार करहां। सरमाये रा केन्द्रीयकरण होर सरमाये रा संकेन्द्रीकरण मिली के बणहां सरमाये रा संग्रह।
मार्क्सा रा अगला काम ये था भई मजदूर जमाते सरमायेदारी जमाता तो उल्टुऊंआ होर हटाऊंआ केहडा जे समाज बनाणा। तेता री सत्ता होर पॉवरा री नेचर होर स्वरूप केहडा हुणा। मार्क्से बौहत पैहले 1848 रे आसपास एक शब्द दितया था से था प्रोलीतारया री तानाशाही (मजदूरा री तानाशाही)। एते लोक डरहाएं बौहत हे आजकाले। प्रोलीतारया री तानाशाही ले बौहत डरहाएं। बुद्धिजीवी बौहत डरहाएं। स्यों बोल्हाएं सोवियत यूनियना बिच सरमायेदारी री बहाली हुई गइरी क्योंकि तिथी डेमोक्रेसी नीं थी। पर आसे पूछाहें क्या डेमोक्रेसी जमाता ले ऊपर हुआईं। लेनिने बोल्या था भई राज करने रा एक रूप हुआईं डेमोक्रेसी। हर युगा बिच हाकम जमाता बाले डेमोक्रेसी हुआईं लोका ले नीं हुंदी। समाजवादा बिच आम मेहनती लोका बाले डेमोक्रेसी हुआईं ज्यों लुटेरे हुंआएं तिन्हा बाले नीं हुंदी डेमोक्रेसी।
1871 बिच पेरिस कम्यून हुआ। 71 दिना तक मजदूरे पेरिस शैहरा रा कब्जा करी रखया। तेते बाद मार्क्से एस सवाला रा ठोस रूपा के जबाब दितेया। मार्क्सा रा एक भाषण हा अंतर्राष्ट्रीय मजदूर सभा बिच। ऐता बिच दो महत्वपुर्ण गल्ला ही। पैहली, मजदूर जमात बणी बणाई राज्य मशीनरी रा इस्तेमाल नीं करी सकदी। इन्हां जो पुराणी राज मशीनरी हटाणी पौणी होर आपणी स्टेट पॉवर बनाणी पौणी। ये गल्ल लोका जो बौहत डराहीं। जो लोक मार्क्सा जो बदलणा चाहें, सुधारना चाहें, मार्क्सवादा रा इंकलाबी तत्व मारना चाहें स्यों ऐता री चर्चा कधी नीं करदे भई मार्क्से सिविल वार इन फ्रांसा बिच क्या लिखिरा। दूजी गल्ल, पैरिसा बिच मजदूरे सरमायेदार हरायी ता दिती। पर तिन्हा री कोई पार्टी नी थी। मजदूर हुकूमत करदे लगे। फैक्टरियां, कारखानेयां बिच होर तरह-2 रे काम करने वाले राज करदे लगे। स्यों कोई भी फैसला मजदूरा री असैंबली बिच लैहाएं थे। राज चलाणे वाले अधिकारियां री तनख्वाह कुशल मजदूरा बराबर थी। बडे बधिया काम किते तिन्हें। पर गल्त काम क्या हुआ तिन्हाले भई जे फौज निहत्थी कितिरी थी तिन्हे से जाणे दिती। फौज बर्सायी चली गई। जर्मना रे राजे पेरिसा पर धावा बोल्या होर पेरिसा खूना बिच डुबोई दितेया गया। मार्क्से बोल्या था भई ये सभीथे बडी गल्ती थी तिन्हारी। तिन्हें फौज निर हथियार नीं किती। पेरिस कम्यून पूरे देशा बिच नीं फैलाया। केन्द्रीय बैंक जब्त नीं कितया। बणी बणाई राज मशीनरी रा इस्तेमाल करने री सोचदे रैहे। पर पेरिसा बिच पेरिसा रे मजदूरे हुकुमत किती। मार्क्से बोल्या भई इहां मजदूरा हुकुमत करनी। देखा ये हा मॉडल।
लेनिने 1916 रे बिच एक कताब लिखी से थी राज होर इंकलाब। ये लिखी हे कराहें थे तितने जो फरवरी रा इंकलाब हुई गया। लेनिने तेतारे आखिरा बिच लिखया भई इंकलाबा रे बारे बिच लिखणे ले इंकलाबा बिच हिस्सा लैणा ज्यादा मजेदार हा। इधी कठे तिन्हे अग्गे लिखणा बंद करी दितेया। आखीरी चैप्टरा लिखया हे नीं तेतारा। तेता बिच लेनिने लिखया भई पेरिस कम्यून हे मजदूरा री सत्ता रा मॉडल हा। फेरी तिन्हे पेरिस कम्यून मॉडल लागू कितया रूसा बिच। कम्यूनिस्ट इंटरनैश्नला बिच लेनिने भाषण दितया भई आसे पेरिस कम्यून मॉडल लागू कितया। मजदूर जमाता जो हुकुमत दिती। तेते आसे एस नतीजे पर पौंहचे भई मजदूर जमात हुकुमत नीं करी सकदी। की नीं करी सकदी। तिन्हें दसया भई पार्टी जे ही मजदूर जमाता री तेता जो पासे हटाई देयो। कम्यूनिस्ट पार्टी मजदूर जमाता री पार्टी हुआंई। तेता बिच अलग-2 जमाता रे लोक भरती हुआएं जो मजदूर जमाता रे हिता रे प्राय हुआंए। पार्टी मजदूर जमाता री लडाई लडाहीं। एस प्रोग्रामा जो मनी के केसी भी जमाता रा बंदा पार्टी बिच आई सकहां। लेनिने बोल्या भई एक बुद्धिजीवी पर 8 मजदूर पार्टी बिच हुणे चहिए। फेरी जेबे रूसी इंकलाब नेडे आई गया ता तिन्हे बोल्या भई अब एक बुद्धिजीवी पर 800 मजदूर भरती करने पौणे। हजारों मजदूर हुणे चहिए। रूसा री पार्टी बिच इंडस्ट्रियल (औद्योगिक) मजदूर वर्ग भारी संख्या बिच भर्ती हुआ था। मजदूर जे सभी ले ज्यादा जागरूक, सभी ले चतन्न होर सभी ले पढ़ी रा लिखिरा हा से ता पार्टी रा मेंबर हा। से ता तुसे पासे करी दिती भई तिन्हा ता हुकुमत करनी नीं ही। हुकुमत मजदूर जमाता करनी। बाकि जे मजदूर जमात ही से पिछडी री ही आपणे विचारा संस्कारा बिच। तिन्हा जो सत्ता सौंपी दिती ता तिन्हा ता सरमायेदारी री बहाली करी देणी। फेरी लेनिने मार्क्सा रे दूजे नतीजे जो बदलया जे तिन्हें सिविल वार इन फ्रांसा रे भाषणा बिच दितया था भई मजदूर जमाते हुकुमत नी करनी बल्कि मजदूर जमाता री पार्टी हुकुमत करनी। बड़ा हल्ला पौंहां भई मजदूरा री हुकुमत पार्टी री हुकुमता बिच बधली गई। पार्टी री हुकुमत सेंट्रल कमेटी री हुकुमता बिच बधली गई। सेंट्रल कमेटी री हुकमत सेक्रेटरी री हुकुमत बिच बधली गई। एहडाए हुआं। लेनिना पर दोष लगाहें भई तिन्हें कौक्स बनाई रखीरा होर कुछ लोक हे सारे फैसले लैहाएं। कम्यूनिस्ट पार्टी सेंट्रल कमेटी हे सारे फैसले लैहाईं क्योंकि एता रे बगैर इंकलाब नीं हुई सकदा। दूजी गल्ल, समाजवादा बिच करोडों जागरूक मजदूर हुआएं। तिन्हा बिच लाखों मजदूर पार्टी बिच हे। तिन्हा मजदूर जमाता जो संस्थाबद्ध अगुवाई देणी। संस्थाबद्ध अगुवाई रा क्या मतलब हा। जे अगर तिथी सोवियता रे चुनाव हो ता पार्टी रा नुमाइंदा भी चुनावा बिच खड़ा हुणा। पैहले पार्टी रा नुमाइंदा नी खड़ा हुआं था। समाजवादी व्यवस्था बिच जेबे पार्टी रा नुमाइंदा खड़ा हुंघा ता निश्चित रूपा के वोट ता पार्टी जो हे मिलहणे होर ता केसी जो वोट पौंणा नी हा कोई।
मार्क्से प्रोलितारिया (मजदूर जमात) री सत्ता रे सवाला पर जेबे चिंतन कितया तेता बिच तिन्हें दो गल्ला कीती। एक गल्ला जो आसे आज बी मनाहें। पैहली गल्ल जे तिन्हें बोली भई मजदूर जमात बणी बणाई राज मशीनरी रा इस्तेमाल नीं करी सकदी। ये गल्ल आज बी सच्च ही। दूजी गल्ल से लेनिने बदली। माओए भी लेनिना री गल्ल सही मन्नी। 1946 बिच जेबे तिथी इंकलाब हुआ शंघाई बिच शंघाई कम्यून बणेया पेरिस कम्यूना री तरजा पर। शंघाई कम्यूना रे अगुवा थे चांग चुंग च्याओ। स्यों माओ रे पक्के सपोर्टर थे। तिन्हें बोल्या भई पेरिस कम्यून लागू करना इथी। माओए नांह किती। तिन्हें बोल्या भई हल्ले से वक्त नी आईरा जेबे मजदूर जमात हुकुमत चलाणे लगी जाओ। हल्ले पार्टी जो हे गाईड करना पौणा होर पार्टी जो हे संस्थागत अगुवाई देणी पौणी। मोटे तौरा पर बोलिएं मार्क्सा री दो खोजा, सरमायेदारी समाजा री गति रे नियम तोपे, समाजवादी समाजा रा चिंतन, प्रोलितारिया री तानाशाही। मार्क्से लिखया सरमायेदारी ले साम्यवादा तका रा बिचला समय आवाहां जेता जो आसे बोल्हाएं समाजवाद। कम्यूनिस्ट समाजा रा पैहला चरण। एता बिच मजदूर जमाता री तानाशाही हुआईं। ये ता हा संक्षेपा बिच मार्क्सवाद पर मार्क्सा री मौता बाद क्या हुआ। 14 मार्च 1883 बिच मार्क्सा री मौत हुई गई। एते बाद फ्रैडरिक एंगेल्सा रे हिस्से जे सभी थे बडा काम आया से था मार्क्सा रा अधूरा काम पूरा करना। मार्क्सवादा पर तरह-2 रे हमले हुंदे रैहाएं थे। जर्मनी रा एक प्रोफेसर था डयुरिंग। तिन्हें मार्क्सा पर हमला बोल्या। तेता रा जबाब देणे कठे एक बौहत बडी कताब लिखणी पई गई एंगेल्सा जो तेता पर। एंगेल्से सभी ते बड़ा काम कितया कैपिटला रे अगले दो वोल्यूम छापी दिते दूजा होर तरीजा वोल्यूम। फेरी तीन वोल्यूम कैपिटला रे होर छपे स्यों होरी नांवां ले छपे तेता जो बोल्हाएं थ्युरी आफ सरप्लस वैल्यू। स्यों कौत्सकीए छापे।
मार्क्सा री मौता बाद आसे ये नीं बोल्दे भई मार्क्से जिथी सरमायेदारी छाडी थी तिथी हे सरमायेदारी खड़ही गई। मार्क्सा बाद दुनिया बिच बड़े बदलाव आईरे। पर ये बदलाव तिंहा हे आईरे जिंहा मार्क्से भविष्यवाणी किती थी। जे मार्क्से सोचया था तेहड़ा हे हुआ। मार्क्से कम्युनिस्ट मैनिफैस्टो बिच 1848 मंझ लिखया भई दुनिया दिनों दिन दो बड़े धड़ेयां बिच बंढदी जाई करहाईं। एक पासे बुर्जुआजी दूजे पासे प्रोलितारया। बुर्जुआजी जो संसार मंडी री जरूरत ही होर से जगहा-2 दौडदी फिरदी रैहाईं। जेता जो आसे बोल्हाएं वैश्वीकरण। मार्क्से जो सोचया दुनिया जो लैई के से सच्ची साबित हुई। आज दुनिया तेहडी हे बणी गई जेहडी मार्क्से कैपिटला बिच लिखीरी। मार्क्स जेस सरमाये (कैपिटला) री गल्ल कैपिटला बिच करहाएं आज दुनिया तेहडी हुई गईरी। मार्क्सा रे जमाने बिच ये दुनिया एहडी नीं थी। दुनिया बिच सभी थे बड़ा बदलाव ये आया भई जेहडी सरमायेदारी मार्क्सा रे वक्ता बिच थी आजाद मुकाबले री सरमायेदारी। तेता बिच एक नौंवीं सरमायेदारी पैदा हुई। से एक नौवें पड़ावा बिच दाखिल हुई। जेतौ लेनिने बोल्या सर्वोच्च पड़ाव या साम्राज्यवादा रा पड़ाव।
लेनिने लिखया सरमायेदारी प्रबंधा बिच 19वीं सदी री आखरा ले 20वीं सदी रे शुरू बिच कुछ नौंवें बदलाव आए। स्यों ये पांज नौंवे बदलाव थे। पैहला, इजारेदारी री होड़। इजारेदारी रा मतलब पैदावारा रे हिस्से पर कुछ मुट्ठी भर सरमायेदारा रा कब्जा हुणा। बौहत सारे सरमायेदारा उजड़ी के बाहर निकली जाणा मुकाबले ते। दूजा, वित सरमाये री होड़। पैहले बैंका रा काम लेण देण होर मिडिएटरा रा हुआं था। हुण एस युगा बिच बैंक खुद सरमायेदार बणी जाहें। खुद कारखाने लगांदे लगी जाहें या कारखाने वाले आपणे बैंक खोलही देहें या कारखानेदार होर बैंकर मिली के ज्वाइंट बोर्ड आफ डायरेक्टर बनाई देहें होरी घुलीमिली जाहीं। बैंका रा सरमाया होर सरमायेदारा रा सरमाया घुलीमिली जाहां। तरीजा, एक्सपोर्ट आफ कैपिटल। पैहले भी हुआं था। साम्राज्यवादी देश दो तरहा के एक्सपोर्ट करहाएं। एक ता चीजा बणाई के बाहर भेजहांए। पैहले चीजा रा निर्यात यानी आपणे देशा ले बाहर भेजणा मुख्य चीज थी। पर एसते उल्टा क्या हुई गया होर सरमाया ही बाहर भेजणा एभे मुख्य हुई गया। सरमाये रा निर्यात मुख्य हुई गया। चौथा, अंतरराष्ट्रीय ईजारेदारियां बणी गई। तेता ले तिन्हा री होड़ शुरू हुई गई। पांजवां, सारी दुनिया बिच 7 साम्राज्यी देश थे। बाकि दुनिया किहां बंढीरी थी। लेनिने बोल्या रसूखा रे क्षेत्रा ( स्फीयर आफ इनफलुएंस)। स्यों देश तिन्हारी बस्तियां नी थी जे तिन्हा पर कब्जा हो तिन्हारा। पर स्यों देश केसी नी केसी तरहा के साम्राज्यवादी देशा रे प्रभाव क्षेत्रा बिच थे। बाकी देश अर्धबस्तियां होर बस्तियां बिच बंढीरे थे। इन्हा के संसारा री बांट पूरी हुई जाहीं। आजा री दुनिया बिच आसे बोल्हाएं ये पांजवां फीचर साम्राज्यवादा रा ये आधा सच हा आधा सच्च नीं हा। आज दुनिया बस्तियां होर अर्धबस्तियां बिच नी बंढीरी पर प्रभाव क्षेत्रा बिच बंढीरी।
साम्राज्यवाद मार्क्सा री मौता बाद सरमाये री संरचना बिच होर कार्यप्रणाली बिच एक नौंवां बदलाव था। जेता जो लेनिने बोल्या ये नौंवें पड़ावा बिच दाखिल हुई गईरा जे कि उच्चतम (हाइएस्ट) हा। सरमायेदारी एते अग्गे नीं जाई सकदी। हुण बोल्हाएं भई कारपोरेट युग आई गईरा। कारपोरेट क्या हा इजारेदारी हे हई। क्या एभे कोई सुपर इजारीदारी आई गईरी। लेनिने बोल्या इजारीदारी हुंदी रैहणी। इजारेदारी बिच होड़ चलणी होर एसा होड़ा स्यों जंगा बाले लेई जाणे। जेबे तका साम्राज्यवाद रैहणा तेबे तका जंगा लगीरी रैहणी। क्योंकि जेबे ते साम्राज्यवाद आइरा तधी ले क्या जंगा ठैहरी री कधी। आजकाले सीरिया री रूस होर अमेरिका री जंग ही ये सारा संसार जाणहां। साऊथ चीन समुद्रा बिच क्या हुई करहां। थोडे ध्याडे पैहले चीने क्रुज मिजाइला भेजी ता अमेरिका, जापान बड़े चिंतित हुए तेता के। सारी दुनिया बिच साम्राज्या रा आपसी टकराव तीखा हुई करहां। काऊत्सकी बोल्हां था भई अलग-2 इजारेदारियां मिल्ही जाणा होर तिन्हां मिलुआं संसार लूटणा। साम्राज्यवादा बिच आपसी कोई टकराव नी हुणा होर शांति रा युग आई जाणा। ये काऊत्सकी रा सिद्धांत हा लेनिना रा नी हा। लेनिने साम्राज्यवादा रे ज्यों 5 फीचर दसे होर आसे आज बी मन्हाएं ये दुनिया बिच बड़ा बदलाव आया। फेरी जेहडे दो बड़े बदलाव आए स्यों दूजी संसार जंगा बाद आए। पैहला, जेहडी सरमायेदारी मार्क्सा रे वक्ता बिच सिर्फ इंगलैंडा बिच थी से तिथी ले फैलही होर सारे संसारा बिच सरमायेदारी प्रबंध अस्तित्वा बिच आई गया। आज दुनिया बिच शायद हे कोई देश हुंगा जिथी जागीरदारी प्रबंध हो। नेपाला बिच 2008 बिच खत्म हुई गया। लैटिन अमेरिका, एशिया होर अफ्रीका जेहडे बी जागीरदारी रे गढ़ थे होर मार्क्सा रे वक्ता बिच यूरोपा बिच बी जागीरदारी थी जर्मनी बी जागीरदारी देश था। हुण दुनिया बिच किथी बी जागीरदारी नीं रैही गई। सारे संसारा बिच सरमायेदारी प्रबंध आई गइरे। ये बौहत बड़ा बदलाव आया। दूजा बड़ा बदलाव ये आया भई बस्तीवादी प्रबंधा रा खात्मा हुई गया। आज दुनिया बस्तियां, अर्धबस्तियां बिच नीं बंढ़ीरी। मार्क्सा रे वक्ता बिच थी। मार्क्सा रे वक्ता बिच भारत अंग्रेजा रा गुलाम था बस्ती थी अंग्रेजा री। दुनिया रे लगभग सारे थर्ड वर्ल्डा रे देश इंगलैड, स्पेन होर बाकि साम्राज्यवादियां रे गुलाम थे। चीना बिच तीन देशा तेता जो गुलाम बनाणे कठे लडी करहाएं थे। इधी कठे तेता जो अर्धगुलाम या अर्धबस्ती बोलहाएं। दुनिया बिच बस्तीवादी प्रबंध खत्म हुई गइरा। ऐतारा मतलब ये नीं हा भई साम्राज्यवादी लूट होर जोर जबरदस्ती खत्म हुई गई। ऐता रा रूप बधली गइरा। ये दुनिया बिच दो बड़े बदलाव मार्क्सा बाद आए।
मार्क्से 1848 बिच बोलिरा दुनिया भरा रे मजदूरो एक हुई जाओ। कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो री आखरी लाइन ही ए। पर तेबे दुनिया भरा बिच मजदूर नीं थे। मार्क्से सरमाये रा रूख दसया था भई दुनिया किथी जो चलीरी। आज सारी दुनिया बिच मजदूर हे। आजा रा जे संसार हा से मजदूरा रा संसार हा। एतारे आंकडे आज मौजूद हे। दुनिया री 2017 बिच कुल वर्क फोर्स (बच्चेयां होर बुजुर्गा जो छाडी के) यानि काम करने लायक लोक ज्यों कामा पर लगीरे स्यों थे 350 करोड़। इतने लोक काम करहाएं आजकाले। तिन्हा बिच 189 करोड़ लोक तनख्वाह होर ध्याड़ी पर काम करहाएं। जे 50 प्रतिशता ले ज्यादा हा। मार्क्सा रे वक्ता बिच कितने प्रतिशत हुंदी। सन 1991 बिच वेतन, दिहाड़ी पर काम करने वाले लोक थे कुल वर्क फोर्सा रा 44 प्रतिशत। होर 2017 बिच हुई गए बधी के 54 प्रतिशत। मतलब 10 प्रतिशता री ग्रोथ ही। दुनिया बिच कई लोक आपणे हे पैदावारा रे साधना पर काम कराहें। मतलब छोटी जमीना वाला किसान या एहडा जेह काम करने वाला जे छोटी-मोटी दुकान या वर्कशाप चलाहां जेता जो आसे सेल्फ इंप्लायमेंट बोल्हाएं। पर हुण हर क्षेत्रा बिच बड़ा सरमाया घुसी करहां। एता के स्वरोजगारा बिच लगीरे लोक उजड़ी करहाएं। स्यों प्रोलितारिया बणी जाई करहाएं एता के दुनिया बिच प्रोलितारिया री संख्या बधदी जाई करहाईं। आज सारे संसारा बिच सरमायेदारी प्रबंध हा। क्या मार्क्सा रे सरमायेदारी री गति रे तीन नियम आज बी लागू हुआएं दुनिया बिच। क्या आज बी चीजा रा बंटवारा हुआं। क्या चीजा बिना श्रमा के पैदा हुई करहाईं। क्या यों आपणे आप हे बणी जाई करहाईं क्या ओटोमोशन हुई गइरी। आजकाले आर्टिफिशियल इंटैलीजेंसा री गल्ल बौहत हुई करहाईं। अलीबाबा एक कंपनी ही चाइना री से आपणा माल बेचहाईं नैटा पर अमेजना बगैरा साहीं। अलीबाबा रे डायरेक्टरे (मालिके) एक इंटरव्यु बिच बोल्या भई आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस आई करहाईं पर घबराणे री जरूरत नीं ही मशीना कधी बी मनुष्या रा स्थान नीं लैई सकदी। माहणु रे बटण दाबणे पर हे मशीना चलणा। मशीन कल्पना नीं करी सकदी। मशीन मशीन ही होर मशीना बाले दिल नीं हुंदा दमाग नीं हुंदा। मशीना ता माहणु रे इशारे पराले चलहाईं। जिंहां पैहले हाथा के चारा काटहाएं थे। मशीना आई गई ता तेज हुई गई स्पीड़। मोटर आई गई ता मोटरे आसारा काम आसान करी दितया। कंप्युटरे आसारा दमागी काम आसान करी दितया। एभे आसौ बौहत सारी जानकारी दमागा बिच रखणे री जरूरत नीं ही आसे पैन ड्राइवा बिच रखी लैहें भई जेबे मरजी काढ़ी के देखी सकाहें। बस इतना कर काम हा। एता ले डरने री जरूरत नीं ही भई मशीना होर रोबोटा माहणु री जगहा लेई लैणी। ये सारी मशीना सारे रोबोटा रे आउणे रे बावजूद दुनिया बिच मजदूरा री संख्या बधीरी होर बौहत ज्यादा बधीरी। आज 189 करोड़ मजदूर हे। इन्हा बिच कुछ काढ़ी देयो ज्यों ज्यादा तनख्वाह लैणे वाले एग्जिक्युटिव बगैरा हे तेबे बी मजदूरा री संख्या बौहत बड़ी बणहाईं।
मार्क्से सरमाये री गति रे ज्यों तीन नियम दिते तेता बिच दूजा नियमा हा लॉ आफ अकुमुलेशन अॉफ कैपिटल जेतौ आसे बोल्हाएं सरमाये रा संग्रह। आज दुनिया बिच सरमाये रा संग्रह नीं हुई करदा। क्या दुनिया बिच आज गरीबा होर अमीरा री खाई चौड़ी नीं हुई करदी। कोई बौहत मुर्ख हे ये गल्ल करी सकहां भई कुछ मुट्ठी भर सरमायेदारा बाले सरमाये रा संग्रह नीं हुई करदा। तरीजा नियम तिन्हें दसया था मुनाफे री दरा रा पौणा (डिगणा)। ये जे आजकाले दुनिया बिच संकट हा चलीरा 2007 ले तेतारी बजह कुछ होर ही या मुनाफे री दरा रा डिगणे रे करूआं ये संकट हा। ऐता पर आसा एक-2 करूआं गल्ल करनी। आज संसारा री आधी ले ज्यादा आबादी शैहरा बिच रैही करहाईं। 2016 बिच दुनिया रे 54 प्रतिशत लोक शैहरा बिच रैही करहाएं थे। लैटिन अमेरिका रे देशा बिच जिन्हां जो जागीरू देश मनया जाहां था ज्यों कधी पिछड़ी रे थे। इन्हां लैटिन अमेरिका रे देशा बिच शैहरी आबादी यूरोपा रे बौहत सारे देशा ले ज्यादा ही। मतलब ओईसी रे देशा (ये 22-23 विकसित देशा रा समुह हा) बिच शैहरी आबादी ही 75 प्रतिशता रे आसपास पर लैटिन अमेरिका रे देशा बिच 80 ले 90 प्रतिशता तक ही। दक्षिण एशिया बिच घट ही। 33 प्रतिशत आबादी इथी शैहरा बिच रैहाईं। पर बौहत तेजी के अरबेनाइज यानि शैहरीकरण हुई करहां इथी बी। यूरोपा, अमेरिका, कनाडा बिच जितना शैहरीकरण हुणा था से हुई गइरा। हुण जेहडा शैहरीकरण हुई करहां से इथी हे हुई करहां। एशिया होर अफ्रीका रे देशा बिच हे हुई करहां ज्यादातर। संसारा री कुल काम शक्ति किथी-2 लगीरी। मजदूरी बिच लगीरी 23 प्रतिशत। 51 प्रतिशत हे सेवा क्षेत्रा बिच। सेवा रा मतलब हा व्यापार, बीमा, ट्रांसपोर्ट, एजुकेशन, हैल्थ, बैंकिंग। ये सारा एतारे बिच आई जाहां। एता बिच कुछ पैदा नीं हुंदा पर स्यों सेवा देहांए। टीचर कुछ पैदा नीं करदा मुर्त वस्तु रे रूपा बिच पर से सेवा देहां। ये भी एक पैदावार ही अलग तरह री। ऐता जो बोल्हाएं ये एहडी पैदावार ही जेता जो छूही के नीं देखी सकदे। मार्क्से एता रे बारे बिच लिखिरा। बादा बिच बौहत सारे अर्थशास्त्रियें विकसित कितेया मार्क्सा रा ये आइडिया भई इंटैंजिबल प्रोडक्शन (अमुर्त पैदावार) भी प्रोडक्शन हे हुआंई जेता जो छुही के नीं देखी सकदे। खेती बिच लगीरे 26.8 प्रतिशत लोक। यानि 27 प्रतिशत लोक खेती बिच रैही गइरे। संसारा बिच एेड़ा बड़ा परिवर्तन आया भई खेती ले निकली के लोक उद्योग होर सेवा क्षेत्रा बिच चली गए। जेहडे खेती बिच लगीरे 27 प्रतिशत लोक हे एता बिच आधे खेत मजदूर हे। कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो 1848 बिच जेबे मार्क्स अझी मार्क्सवादी बी नीं बणीरे थे। मार्क्सवाद अझी अस्तित्वा बिच नीं था आइरा तेबे मार्क्से जे भविष्यवाणी किती थी भई संसार दिनों दिन दे ध्रुवा बिच बंढ़ही करहां। एक पासे बुर्जुआजी होर एक पासे प्रोलितारिया। आज संसार तेहड़ा हे बणी गईरा।
भारत बौहत पिछड़ा देश मनया जाहां। हया बी हा ये पिछड़ा बौहती तरहा के। इथी खेती बिच लगीरे 42.7 प्रतिशत लोक हे। ये हा 2016 रा आंकड़ा। 42 प्रतिशत लोक खेती बिच रैही गइरे। इन्हा बिच आधे ले ज्यादा लोक खेत मजदूर हे। भारत एहड़ा देशा हा जिथी खेत मजदूरा री संख्या किसाना ले ज्यादा हुई गइरी। हुई बी 2011 बिच गइरी। एभे ता होर बी ज्यादा बधी गइरी। 2011-12 बिच भारता री कुल आबादी थी 120 करोड़। ऐता बिच कुल काम करने वाले थे 46 करोड़ 70 लाख लोक। क्योंकि सारे काम नीं करदे। इन्हा मंझ खेती बिच लगीरे थे 22 करोड़ 83 लाख, उद्योगा बिच लगीरे थे 11 करोड़ 70 लाख, सेवा बिच लगीरे थे 12 करोड़ 78 लाख। अगर उद्योग होर सेवा जो जोडी देहाएं ता स्यों 23 करोड़ बणी जाहें। यों खेती ले ज्यादा बधी जाहें। भारता जो बोल्हाएं भई ये खेती प्रधान देशा हा पर किहां खेती प्रधान देश हा। भारता री कुल जीडीपी यानि कुल घरेलू पैदावारा बिच खेती रा रोल 13 प्रतिशत हा। भारता बिच साला बिच जितनी पैदावार हुआईं तेता बिच खेती रा रोल 13 प्रतिशत हा। पैहली गल्ल, कुल पैदावारा बिच खेती रा रोल बौहत छोटा हा। दूजी गल्ल, कुल श्रमिक कुल काम करने वाले बी खेती बिच घट हे जबकि सेवा क्षेत्र होर उद्योग क्षेत्रा बिच ज्यादा हे फेरी आसे भारता जो खेती प्रधान देश किहां बोलियें। बोल्हाएं किसान अन्नदाता हा पर हुण ता मजदूर अन्नदाता हुई गइरा। भारता री खेती मजदूरा पर निर्भर हुई गइरी। छोटे किसान हये हल्ले बी पर स्यों ता जेहड़ा पैदा करहाएं तेता के ता तिन्हारे आपणे घरा री जरूरता हे पूरी हुआईं तेबे स्यों ता अन्नदाता नीं हुए। अन्नदाता ता से हुआं जे होरियां कठे पैदा करहां। से पैदा करहां खेत मजदूर। ता इहां दुनिया बधलीरी होर तिहां हे बधलीरी जिहां मार्क्से बोल्या था। फिक्की (एफआईसीसीआई) फेडरेशन अॉफ इंडियन चैंबरस अॉफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीए एक रिपोर्ट जारी कितिरी। तेता ले यों आंकडे लितिरे।
मार्क्से लिखिरा सरमायेदारी री गति रा दूजा नियम। दूजा नियम क्या हा। सरमाया कुछ हाथा बिच केन्द्रित हुंदा जाहां, कुछ लोका बाले हे केन्द्रित हुंदा जाहां। एतारे आंकड़े क्या हे। अॉक्सफॉमे एक रिपोर्ट जारी कितिरी। हर साल स्यों रिपोर्ट जारी करहाएं। दुनिया री बौहत बड़ी गैर सरकारी संस्था ही साम्राज्या रे फंडा पर चलणे वाली। एता रा काम हा आपणे मालिका जो चेतावनी देणा भई खतरा बौहत बधया करहां। यों बोल्हाएं दुनिया बिच सिर्फ आठ लोका बाले इतनी दौलत ही जितनी कि हेठले 360 करोड़ लोका बाले ही। ये हा गैरबराबरी रा आंकड़ा। मार्क्सा रे वक्ता बिच यों गल्ला सोची बी नी जाई सकदी थी। सोचया हुंघा भई एहड़ा हुणा पर आज हुई गइरा। 2017 बिच जितनी कुल नौंवीं दौलत पैदा हुई तेता रा 73 प्रतिशत सिर्फ 1 प्रतिशत अमीरा बाले चली गया। दुनिया बिच सभी थे अमीर 10 प्रतिशत राष्ट्रीय आमदनी रा कितना हिस्सा कंट्रोल कराहें। यूरोपा बिच 37 प्रतिशत तिन्हा बाले हा, चीना बिच 41 प्रतिशत, अमेरिका-कनाडा बिच 47 प्रतिशत होर भारता बिच 55 प्रतिशत दौलत उपरले 10 प्रतिशत अमीरा बाले ही। मार्क्से जे सरमाये री गति रा दूजा नियम दसया था भई दौलत कुछ लोका रे हाथा बिच केन्द्रित हुंदी जाणी से सच साबित हुइ गइरा।
सरमायेदारी री गति रे नियमा बिच तरीजा नियम जे मार्क्से दसया से था मुनाफे री दरा रा पौणा। मालिक, आपणी मुद्रा लेई के मंडी बिच जाहां होर दो चीजा खरीदहां। एक से कच्चा माल खरीदहां दूजा से मजदूर खरीदहां। फेरी से पैदावार शुरू करहां। मन्नी लौ तिन्ने 100 रूपये कच्चे माला पर खर्चे 50 रूपये दिते मजदूरा जो। एता बिच 150 रूपये लागत हुई गई। हुण अगर 150 हे पैदावारा ले पैदा हुआ ता मालिका रा दमाग थोडी नी हिलिरा जे से पैदावार करो। जे 150 ले बधुआं तेजो मिलघा तेबे हे तेस पैदावार करनी। मन्नी लौ, बधीरा 50 रूपये हा। अगर 50 री 150 ले प्रतिशत निकालो तो से आवाहीं करीब 33 प्रतिशत। हुण अगर कच्चे माला बिच लागत बधी जाओ होर 100 रे बजाय 150 हुई जाओ मजदूरा जो देणे वाला 50 हे रैही जाओ ता मुनाफे री दर थाल्हे आउणी। मुनाफे री दर 22 या 23 प्रतिशत रैही जाणी। सरमायेदार सरमाया नौंवीं टैक्नोलोजी पर खर्चहां। नौंवीं टैक्नोलोजी पर की खर्चा करहां ताकि थोडे मजदूरा ले ज्यादा काम लैई सके। एक मजदूर जितना पैदा करहां तेसते टैक्नोलोजी के दुगणा पैदा करवाहां। सरमायेदारा री मुनाफे री लालसा कधी नी खत्म हुई सकदी। जे अगर एस री लालसा खत्म हुई जाओ होर मन्नी लौ कोई मालिक मजदूरा रे प्रति उदार हुई जाओ होर मजदूरा रे भले रे बारे बिच सोचो ता तेस उजडी जाणा। क्योंकि तेसरी लागत बधी जाणी जेता के से मार्केटा ले बाहर खदेडी दितया जाणा। इधी कठे कोई बी मालिक मजदूरा रे प्रति उदार नीं हुई सकदा। ज्यों मालिक नौंवीं टैक्नोलोजी बिच खर्चा नीं करी सकदे तिन्हा जो उन्नत टैक्नोलोजी वाले बाहर काढ़ी देहाएं। ज्यादा ले ज्यादा मजदूरा जो लूटणे री लालसा होर मंडी बिच मुकाबला ये मालिका जो मजबूर करहां भई स्यों पैहला हिस्सा जे हा सरमाये रा तेता पर बौहता ले बौहत खर्चा करदा जाए। ये खर्चा बौहता ले बौहत करने थे एतारी मुनाफे री दर पौंदी जाहीं। मार्क्से लिखिरा मुनाफे री दर डिगणे जो चार-पांज फैक्टर रोकाहें पर ये अंतिम रूपा बिच रोकी नी सकदे होर मुनाफे री दर पौणी हे पौणी।
आजकाले 2007 ले दुनिया बिच नौंवां संकट चलीरा। 2008 बिच होर फैल्ही गया, 2011-12 बिच होर खराब हुई गए हालात पर 2016-17 बिच थोड़ा संभलिरा। 2017 बिच संसारा री वृद्धि दर 3 प्रतिशता रे आसपास रैही। आईएमएफ होर वर्ल्ड बैंका जो लगया भई थोडी जान आई अर्थव्यवस्था बिच होर थोड़े उभरे संकटा ले। ये संकट जे 2008-9 ले चलया एता पर बौहत सारे अर्थशास्त्रिये अध्ययन कितना भई एतारी वजह क्या ही। तिन्हें मुनाफे री दर स्टडी किती। अनवर शेख अमेरिका रे, इंगलैंडा रे अर्थशास्त्री माइकल रॉबर्टस। दुनिया बिच बौहत सारे नौंवें-2 मार्क्सिस्ट अर्थशास्त्री बौहत बधिया काम करी करहाएं। स्यों बौहत कुछ कम्यूनिस्टा जो सिखाई बी करहाएं। बौहत कुछ नौंवां काम हुई करहां। आरचेती, मोसलो, एरिक गासमैन बगैरा बौहत ज्यादा काम हुई करहां। खासकर मार्क्सिस्ट पॉलीटिकल इकॉनॉमी रे क्षेत्रा बिच बौहत काम हुई करहां। इन्हें इम्पिरिकली साबित कितिरा भई मुनाफे री दर किहां पौंदी गइरी। संकटा पर मार्क्सा रे सिद्धांता जो बौहत सारे लोक ठीक ढंगा के नीं समझदे। कुछ लोक बोल्हाएं भई लोका री परचेसिंग कैपेस्टी घट हुआईं यानी खरीद शक्ति घट हुआईं जबकि पैदावार बधी जाहीं इधी कठे संकट हुआं। हुण एता ले ये निकलहां भई खरीद शक्ति बधाई देयो। खरीद शक्ति बधाणे ले बी कुछ नीं हुंदा। भारता रे लोका री खरीद शक्ति अमेरिका रे लोका री खरीद शक्ति ले 100 गुणा घट ही तेबे तिथी ता संकट नीं हुणा चहिए था। पर तिथी बी संकट हा। जितना होरी जगहा हा। दूजी गल्ल, लोका री खरीद शक्ति घटाहीं की ही एतारा जबाब नीं देंदे। ये सिद्धांत चलदा रैहा पूरी दुनिया री कम्यूनिस्ट लैहरा बिच। स्टालिने बी एता री गल्ल कितीरी भई पैदावारा रा सामाजिकरण हुई जाहां होरा पैदावारा रे साधना पर कब्जा निजी हाथा बिच हुआं। पैदावारा री हथियाई मुट्ठी भर सरमायेदारा बाले हुआंई संकटा रा ये कारण हा। मार्क्से ये नीं बोलिरा था। मार्क्सा रे सिद्धांता जो बौहत लोक नीं समझे। लेनिने भी बौहत चर्चा नीं कितिरी एतारी। मुनाफे री दर पौणे रे रूझाना रे बारे बिच मार्क्से लिखया था कैपिटला रे तरीजे वोल्यूमा बिच भई मुनाफे री दर किहां पौहाईं। मुनाफे री दर पौणे ले किहां संकटा जो जन्म देहाईं। जेबे उन्नत टैक्नोलोजी पर खर्चा बधाया जाहां। उन्नत टैक्नोलोजी पर खर्चा बधाणा ता मजदूर काढ़े जाणे। काढ़ी दितिरे मजदूरा केसी होरी सैक्टरा बिच जाणा। जेबी केसी होरी सैक्टरा बिच जांघा ता घट तनख्वाह बिच काम करघा होर खराब स्थिति बिच काम करघा। जेबे तका होरी सैक्टरा बिच काम नीं मिलघा तो से बेरोजगार रैंहघा रिजर्व आर्मी बणुआं। संकटा री मूल वजह ये ही। एता के क्या हुणा जिहां-2 कुछ लोक टैक्नोलोजी पर खर्च करदे जांघे तिन्हा हे बचणा ज्यों नी करघे तिन्हा उजडना होर तिन्हा रा ध्रुवीकरण हुई जाणा। संकटा रे पीछे मूल कारण ये हा। आज भी बौहत सारे लोके ये साबित कितिरा भई किंहा ये सही हा।
मार्क्से लिखया था भई हर 10 साला बाद सरमायेदारी बिच संकट आवाहां। संकट केभे टले। दूजे विश्व युद्धा ले बाद जेबे भयंकर तबाही हुई यूरोपा री। तेते कुछ समय तका अमेरिका होर यूरोपा रे बिच जीडीपी री वृद्धि दर बौहत तेजी री रैही। तेजा जो एसटीआर (साइंटिफिक एंड टेक्नोलोजिकल रेवोलूशना) रा युग बोल्हाएं। एता बिच इंडस्ट्रियल प्रोडक्शना री ग्रोथ रेट 15 प्रतिशता तक बी रैही। पर ये चलया कितना। 25 साल हे चलया। 1948 ते लेई के 1973 तका। 73 ले मंदी शुरू हुई गई। तेते बाद आजा रा जे वैश्वीकरणा रा दौर हा आधुनिक दौरा रा। एता बिच एमएनसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां आऊणी शुरू हुआईं। इन्हां जो टीएनसी (ट्रांस नेशनल कोरपोरेशन) बी बोल्हाएं। 1973 ले ये जे नौंवां दौर शुरू हुआ एता बिच सरमायेदारी विकसित देशा ले पिछड़े देशा बखौ बधलणी शुरू हुई। पर एता रे बाबजूद विकसित सरमायेदारी संसार संकटा ले कधी उभरी नी सकया। 2007 रा संकट जे अमेरिका ले शुरू हुआ तिने सारा संसार आपणी चपेटा बिच लैई लितया। पर ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, अफ्रीका) देशा बिच ये संकट नीं था। यों पांज देश मिली के संसार अर्थव्यवस्था रा बड़ा हिस्सा बणी जाहां। अमेरिका ले बी बड़ा बणी जाहां। अमेरिका री जीडीपी संसार जीडीपी रा 23 प्रतिशत हा। जबकि यों पांजहों मिली के तेते बधी जाहें। जे बड़े हिस्से री ग्रोथ रेट 7-8 प्रतिशत हो ता संकटा जो कुछ हदा तका टाली सकहां। पर 2011-12 आऊंदे-2 यों बी संकटा बिच आई गए। केसी वक्त संसार अर्थव्यवस्था रा इंजिन अमेरिका जो मनयां जाहां था। पर एभे अमेरिका री हालत लगातार थाल्हे जाई करहाईं। एता री इकॉनॉमी रा बड़ा बुरा हाल हा। चीन एस वक्त संसारा री अर्थव्यवस्था रा इंजिन बणीरा। पर 2011-12 ले ये बी संकटा बिच फसदा जाई करहां। पर तेहड़ा संकट नीं आया जेहड़ा सोची रा था। तेता जो आसे स्लंप बोल्हाएं। स्लंप क्या हुआं। ये भयंकर तबाही मचाहां, कारखाने बंद हुई जाहें, बेरोजगारी फैल्हाईं अशांती हुआईं बड़े पैमाने पर। एते क्या हुआं बौहत सारे कारखानेदार उज्जड़ी जाहें बौहत सारे कारोबारी उज्जड़ी जाहें। पैदावार करने वाले हे घटी जाहें। पर एता के पैदावार भी नौंवें सिरे ले शुरू हुई जाहीं। संकट सरमाये कठे संकट बी हा होर संकटमोचक बी हा सौगी-सौगी। कुल प्रोडक्टिव कैपेसिटी घटहाईं ता पैदावार भी के शुरू हुई जाहीं। जेतौ बोल्हाएं मुनाफा भी के बहाल हुई जाहां। स्लंप नी आया कि नी आया। एता री एक वजह ये ही भई संसारा री अर्थव्यवस्था पर कर्जा बधी गईरा बौहत।
2016 बिच वर्ल्ड जीडीपी यानि कुल संसारा री अर्थव्यवस्था पर 225 प्रतिशत कर्जा हा। अगर तुसा बाले 100 रूपये हे ता तुसा जो 225 रूपये री देणदारी ही। ये हालत ही एस वक्त। सारा संसार भीख मांगी के खाई करहां। जधी कर्जा मिलणा बंद हुई जाणा भलाका पई जाणा यानि धमाका ही हुणा। ये सारा कर्जा सारी संसार अर्थव्यवस्था पर 2007 बिच 116 ट्रिलियन डॉलर था। 1000 बिलियना रा एक ट्रिलियन हुआं। 2016 बिच ये कर्जा बधी के 164 ट्रिलियन डॉलर हुई गइरा। एता बिच सभी थे बड़ा रोल हा चीना रा। चीना पर 2007 बिच 5 ट्रिलियन डॉलर कर्जा था जे बधी के हुण 26 ट्रिलियन डॉलर हुई गइरा। पिछले 9 साला बिच चीना रा कर्जा 43 प्रतिशत बधया। संसारा रा इंजन चीन बणीरा ता से कर्जे करूआं हे बणीरा। मतलब कर्जे रे विस्तारे सरमायेदारी समाजा रे सिस्टमा जो एक बड़े एक्सप्लोजन (धमाके) ले बचाइरा 1973 ले। जेबे संकट आउणा कर्जा लेइ लौ। कार लैणी लौ। पैसे आउंदे रैहणे 0 प्रतिशत इंट्रस्ट रेटा पर लेई लौ। अमेरिका बिच जे सब प्राइम संकट हुआ। स्यों पैहले ता तिन्हा जो कर्जा देहाएं थे जो हटाई बी सको। मतलब तनख्वाह या जमीन बगैरा रे बदले कर्जा मिल्हां था। पर बादा बिच सड़का रे भिखारियां जो बी कर्जा देणा शुरू करी दितया। बैंका रे बाले इतना पैसा हुई गया पर लैणे वाला कोई नीं था। सब प्राइम मतलब लो क्वालिटी लोन यानि कोई बी बंदा पकड़ी लौ होर तेजो मकान देई दो कर्जे पर। ये मन्नी के भई एक दो किस्ता ता देंघा। स्यों एक दो किस्ता बैंका री हुई जाणी। अगर किस्त नीं आउंघी ता तेसरा मकान वापिस लेई लैणा। अमेरिका बिच हालत इतनी खराब हुई गई थी 2007 बिच। फेरी जेबे कर्जा नई हटदा लगया तो फेरी बैंक दिवालिए हुंदे लगे। एस वक्ता सारे संसारा री अर्थव्यवस्था कर्जे बिच डुबीरी। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक ज्यों इन्हारी नितियां घडाहें। जेनेवा बिच एक बैंक हा तेता री बडी घट चर्चा हुआईं तेता जो बोल्हाएं बैंक अॉफ इंटरनेशनल सेटलमेंट। इन्हें एक बारी दुनिया भरा रे 600 अर्थशास्त्रियां री राय लिती आर्थिक संकटा रे बारे बिच ता तिन्हें बोल्या भई बौहत बुरी हालत ही होर धमाका हुणा दुनिया बिच। भलाका पई जाणा। एहडी विस्फोटक स्थिति बणीरी। फेरी बोल्हाएं भई मार्क्सवाद प्रासांगिक नी रैहा। मार्क्सवाद होर क्या हा। मार्क्सवाद क्या हा। ये कोई जानवर हा। ये हे ता मार्क्सवाद हा। मार्क्से एहड़ा हे कुछ ता लिखीरा पर पढ़या केसिए कुछ हा नीं। गालियां काढ़णी आसान हुआईं। गालियां काढ़ी जाओ भई मार्क्सवाद फेल हुई गया। ज्यों गल्ला मार्क्से लिखी स्यों हुई गइरी होर हुई कराहीं दुनिया बिच आज।
आसे देखेया भई मार्क्सवाद क्या हा होर ये की प्रासांगिक हा। जे मार्क्से सरमायेदारी री गति रे नियम (लॉ अॉफ मोशन) दसे स्यों आज बी किहां लागू हुआएं। अब आसे देखाहें भई मार्क्सवादा अग्गे चुनौतियां क्या ही। मार्क्सवादा री विचारधारा अग्गे दो चुनौतियां ही। एक ता ही सिद्धांता रे क्षेत्रा री चुनौतियां होर दूजी ही अमला बिच ल्याउणे री चुनौतियां। कोई भी विचार जे अगर एता पर विरोधी विचारा रे हमले हुआएं तिन्हा रा मुडुआं हमला नीं करदा होर आपणी डिफेंस नीं करदा ता कोई विचार जनता रे दमागा जो अापणे प्रभावा बिच नीं रखी सकदा। अगर तुसारे सिद्धांता पर कोई हमला करो होर तुसे आंखियां बंद करीके देखदे रौहो ता लोका बोल्णा हे हा भई एजो कुछ आऊंदा जांदा नीं हा। मार्क्सवादा पर जितने बी हमले हुए कुछ ता आपणी मौत आपु हे मरी गए। कई पोस्ट आए। पोस्ट मॉडर्निस्म (उत्तर आधुनिकता), उत्तर औद्योगिक, उत्तर मार्क्सवाद, उत्तर नारीवादी। उत्तर आधुनिकता क्या ही। कैपिटलिस्ट सोसायटी मॉडर्न सोसायटी ही पर हुण कैपिटलिस्ट कैपिटलिस्ट नीं रैही गया। जेहडा मार्क्से सोचया था तेहड़ा जेह कैपिटलिस्ट ता रैही हे नी गइरा। हुण ता ज्यादातर प्रोडक्शन छूही नी जाई सकदी। आसे मोबाइला जो ता छूही सकाहें पर एभे एहड़ी प्रोडक्शन हुई कराहीं जिहां सॉफ्टवेयर बणाहें। सॉफ्टवेयरा जो आसे चकी के नीं लेई जाई सकदे। सॉफ्टेवेयरा जो छूया नीं जाई सकदा। तिंहाएं, आइडिये हे यानि विचारा के जे काम हुआएं यानि डॉट कॉम वाला सारा सिस्टम हा जे इंटरनेटा री प्रोडक्शन हुआंई। इंटेजिबल प्रोडक्शन यानी अमुर्त पैदावार बधी गई इधी कठे कैपिटलिसम रैहा नीं। अब पोस्ट मार्डन समाज हुई गइरा। मार्क्सवाद जे था तेता बिच क्लास, क्लास स्ट्रगल, जमाता, जमाती संघर्ष था। ये सरमायेदारी युगा री चीजा थी हुण आसे एते अग्गे आई गइरे। यों चीजा प्रासांगिक नी रैही गई हुण। जेबे सोवियत यूनियन टूटया 1990 बिच तेबे एतारी बौहत ज्यादा चर्चा हुई। बौहत रौला था एतारा। हुण नौंवां शब्द था उतर आधुनिकता। कॉमरेड कन्फयुज हुई गए। इन्हां जो पता हे नीं लगो भई उत्तर आधुनिकता क्या ही। तेते बाद 1991 बिच जे रौला पइरा था समाजवादा रे फेल हुणे रा 97 बिच आई के तेता री फूकर निकली गई। क्योंकि 97 बिच जे मॉडल खड़े कितिरे थे सरमायेदारे जेता बिच एकी बखौ चीन था समाजवादी। चीना रे समानान्तर (पैरेलल) विदेशी सरमाये के कुछ मॉडल खड़े किते स्यों थे दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया होर थाईलैंड। जिथी अमेरिका होर कई देशा रा सरमाया लगीरा था तेता के स्यों बड़े विकसित देश बणी गए। तेबे बोल्या गया भई विदेशी पूंजी रे सरमाये के भी ता विकसित हुई सकाहें। 1997 बिच तिथी बौहत बड़ी भयंकर मंदी आई। इंडोनेशिया बिच सुहार्तो री हुकमत थी। एस मंदी बिच तिथी एड़ा बड़ा विद्रोह हुआ कि 25 साला ले टिकिरी हुकुमत हटाई दिती लोके। तेता बिच विद्यार्थियां रा मुख्य रोल था। मजदूर होर बाकि जमाता बी शामिल थी। इंडोनेशिया ते शुरू हुए इन्ने विरोधे थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान तक आपणी चपेटा बिच लेई लितेया। फेरी ये सवाल उभरेया भई समाजवाद ता फेल हुई गया पर दितेया रा तुसे बी कुछ नीं हा। सफल ता तुसे बी नीं हुए। सरमायेदारी केहड़ी सफल हुई गई। जनता बिच स्यों चीजा हटी गई भई समाजवाद फेल हुई गया जेता री पैहले तुतियां बजी करहाईं थी स्यों शांत हुई गई।
पूरी दुनिया बिच मजदूरा रे मुजारे प्रदर्शन हुई कराहें। इटली री सरकारे एक बार लेबर रिफार्म श्रम सुधार शुरू किते ता पूरी इटली ले रोमा बिच आए लाखों लोके बोल्या करूंआ दस्सा हुणे नीं देणे ता सरकार आजा तक नीं करी सकी। ये गल्ल ही 1998-99 री। तेहड़े हे लैटिन अमेरिका बिच लोका रे बड़े-2 विद्रोह हुणे शुरू हुए। एभे जे बोल्हाएं भई जमाता रे जमाती संघर्ष नीं रैहे स्यों चुप हुई गए। तिन्हा बाले एतारा जबाब नीं हा। जमाता रे जमाती संघर्ष की रैहे होर यों चीजा किथी ले हुई कराहीं। अरब बहारा रा बेसिस आधार क्या हा। उतर औद्योगिक समाज वाले बोल्हाएं भई मार्क्सा रे वक्ता बिच बड़ी-2 फैक्टरियां हुआईँ थी हुण फैक्टरियां नी रैही। हुण रोबोट आई गइरे हुण प्रोलितारया मजदूर जमात नीं रैही। ये गल्ल 1920 बिच आस्ट्रेलिया रे एकी लोके लिखी थी। ये गल्ल बार-2 रिपिट हुंदी रैही। जमीनी हकीकत ये ही भई जे विकसित देश हे तिथी भी फैक्टरियां बिच लगीरे मजदूर बौहत हे। ज्यादातर फ्रांसा रे कारखाने पूर्वी यूरोपा बिच शिफ्ट करी के चली गइरे। अमेरिका वाले चीना बिच आई गइरे। हुण चीना जो आसे संसारा री वर्कशॉप बोल्हाएं। मंथली रिव्यु नांवां री एक मैगजीन निकलाईं अमेरिका ले। एस मैगजीने लिखिरा भई 1991 ते लेई के 2015-16 तक जेहड़ा थर्ड वर्ल्ड हा तरीजी दुनिया रे देश हे इथी 40 करोड़ नौंवें इंस्ट्रियल वर्कर औद्योगिक मजदूर हे। बद्दी, बरोटीवाला नालागढ़ा बिच कारखाने हे कारखाने हे। देखणा शुरू करो ता मुकणे बिच नीं आऊंदे। उत्तर आधुनिकतावाद ता सिर्फ युनिवर्सिटियां विश्वविद्यालया रे बुद्धिजीवियां तक हे सीमित रैही गया। आम समाजा पर एतारा कोई खास प्रभाव नीं रैही गइरा। उत्तर मार्क्सवादी बोल्हाएं भई मार्क्सवादा के आसारा नीं सरदा इधी कठे आसौ उत्तर मार्क्सवाद बनाणा पौणा नौंवां मार्क्सवाद। एक एलन बेदियू हा फ्रांसा रा, एक जिजेक हा। यों हे कुछ नांवं मुट्ठी भर। पर इन्हारे दुनिया बिच फॉलोअर बौहत हे। इन्हां जो पढ़ने वाले बौहत हे। यों मार्क्सवादा रे विरोधी हे। मार्क्सवादा रा नांवं लैहाएं पर बौहत बारिकी बिच मार्क्सवादा पर हमला बोल्हाएं। टोनी नेग्री होर माइकल हार्ट री कताब आइरी एम्पायर। लेनिना वाला साम्राज्यवाद नी हुण एम्पायर बणी गइरा। सल्तनत बणी गइरी। जेता रा केन्द्र अमेरिका हा बाकि सारे तेता पर निर्भर हे। हुण साम्राज्यवादा बिच कोई झगड़े नी रैही गइरे। ये विचार एस समय दुनिया रे प्रभावी विचार हे। इन्हारा खंडन बड़ा जरूरी हा सिद्धांता रे स्तरा पर। जे अगर एता रा खंडन नीं हुंगा ता इंकलाबा री नौंवीं जनरेशन पीढ़ी तुसे तैयार नीं करी सकदे। जे भी बधिया युनिवर्सिटियां जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय केसी ले बी बधिया विद्यार्थी आवाहें स्यों सारे जाणहाएं इन्हां जो स्यों सुणदे रैहाएं विडियो इन्हारे यू टयूबा पर। जे अगर तिन्हारे विचारा रा खंडन नीं करघे ता तिन्हां कनविंस होर सहमत नीं हुणा। तेबे तिन्हां तुसाले आउणा हे किधियो हा।
एक हा ख्रुश्चेववाद। ये वाद नी हा कोई। दरअसल 1956 बिच कम्यूनिस्ट पार्टी अॉफ सोवियत यूनियना री 20वीं कांग्रेस हुई। तेता रा एक नेता था ख्रुश्चेव। ख्रुश्चेव नौंवें सिद्धांत लेई के आया तेता जो तीन शान्तियां रा सिद्धांत बोल्हाएं। एतारी डिटेला बिच नीं जाणा आसा। तेता रा पैहला सिद्धांत था पीसफुल ट्रांजिशन यानि दुनिया शांतिपुर्ण ढंगा के नौंवें समाजा बिल चली जाणी। हुण अक्तूबर क्रान्ति साहीं हिंसा के तब्दीली नीं हुणी। ये बौहत बड़ा खतरा हा। आज बी मार्क्सा रे नामलेवा लोक अलग-2 पार्टियां बणाई के बैठीरे। यों मार्क्सा री कई गल्ला जो छांटुआं, तराशुआं आपणे अनुकूल बनाहें। आपणे देशा बिच कम्युनिस्ट पार्टी अॉफ इंडिया, सीपीएम, नक्सली बी कई तिथी चली गए। शांतिपूर्ण इंकलाब, वोटा लौ, एम पी, एमएलए बणो। इंकलाबा री गल्ल हे नीं करदे स्यों। जे कैडर बोलो साथी इंकलाब ता बोल्हाएं हां इंकलाब बी करघे। बोल्हाएं लोक वोटा देंदे ता आऊंदे नीं हे हथियार किथी चकी लैणे। पैहले लोका जो वोटा कठे तैयार करी लैइयें। जेबे बौहत सारे लोक आसौ जो वोट देंदे लगी जांघे तेबे आसे हथयारबंद इंकलाबा री गल्ल करघे। जे कधी नीं करनी हुआईं तिन्हा। सीपीआईए ता 1958 बिच हे एलानिया ये गल्ला छाड़ी दिती थी बाकि लोक एलानियां नीं बोल्दे पर तिन्हा रा अमल ये हे हा। दुनिया बिच आजा तक कधी बी शांतिपूर्ण तब्दीली नी हुईरी सरमायेदारी ढ़ांचे बिच। रूसी इंकलाब हिंसक इंकलाब था, चीन, वियतनाम, कोरिया रे इंकलाब बी हिंसक इंकलाब थे। भारता री आजादी बिच बी बौहत बड़ा रोल तेलंगाना, तिभागा, पुनप्रा-वायलारा साहीं लैहरा रा रैहिरा। ये मार्क्सवादा पर बड़ा भारी खतरा हा। मार्क्सवादा जो बांडणा, लोका री नजरा बिच गिराणा, भई यों हुआएं कामरेड, यो हुआएं मार्क्सवादी, दलाल, दुकाना खोल्ही के बैठिरे, मजदूरा रे फार्म भरी के सौ-2 रूपये लेई लैहाएं, मजदूरा ले बी खाई जाहें होर मालिका ले बी खाई लैहाएं। ये मार्क्सवादा जो समाजा बिच बदनाम करने वाली बौहत बड़ी होर प्रभावी धारा ही। कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो रे आखिरा बिच मार्क्से समाजवादा री अलग-2 धारा दसीरी। मार्क्सा रा समाजवाद हा वैज्ञानिक समाजवाद। जेतौ एंगेल्स बोल्हां ये मार्क्सा री दो खोजा पर टिकिरा। ऐतिहासिक पदार्थवाद होर थ्युरी अॉफ सरप्लस वैल्यू। ये वैज्ञानिक समाजवाद हा। एते अलावा एक बुर्जुआ समाजवाद हुआं। जे बड़े अमीर गरीबा जो सर्दियां बिच कपड़े बगैरा बांडहाएं भई लोका रा भला हुई जाओ। दूजे मार्क्से लिखे निम्न बुर्जुआ समाजवादी। जिथी बी समाजा बिच छोटी मालिकी हुआईं तिथी एहड़े विचार पैदा हुआएं जे छोटी मालिकी कठे सरमायेदारी रा विरोध कराहें क्योंकि सरमायेदारी छोटे मालिका जो उजाड़ाहाईं। कुछ लोक बोल्हाएं भई ये छोटा मालिक उजड़ना नीं चहिए एजो बचाओ। ये निम्न बुर्जुआ समाजवाद हुआं। एस निम्न बुर्जुआ समाजवादा रा था प्रुधो, सिस्मोंडी स्विटजरलैंडा रा अर्थशास्त्री। रूसा बिच ये धारा अलग ढंगा के पैदा हुई। तेता जो आसे नरोदवादी बोल्हाएं। नरोदवादी बी एहड़ा हे बोल्हाएं थे भई किसाना जो जमीन बिच हक लैणा पौहां ताकि किसान आपणी जमीन नी बेची सके। स्यों बोल्हाएं थे भई किसान हे इंकलाबा री मुख्य शक्ति ही हुण।
आपणे देशा बिच बी कई धारा ही। कुछ एमएला ले आइरी स्यों आपणे आपा जो बोल्हाएं ता हे भई आसारी मार्क्सवाद, लेनिनवाद, माओवादा री लड़ाई ही पर किथी बी वर्किंग क्लास मजदूर जमाता री लड़ाई नीं लड़दे स्यों। तिन्हा री कुल लड़ाई ये ही भई छोटे मालिका जो किहां बचाया जाए। मार्क्सवादा अग्गे दो प्रभावी चुनौतियां एक ता ही पार्लियांमेंटवाद संसदवाद दूजी ही निम्न बुर्जुआ समाजवाद। ये बी लोका जो मार्क्सवादा ले भटकाणे रा जरिया बणाहीं। तरीजी एक होर अस्तित्वा बिच आइरी भई मार्क्सवाद होर अंबेडकरवाद मिलाई दितेया जाए। जे अंबेडकरवादी आजकाले करी कराहें। तिन्हें एक फोटो पाइरी फेसबुका बिच तेता बिच अंबेडकरा रा मुंह मार्क्सा साहीं बनाइरा। तेसरे बाल बगैरा मार्क्सा साहीं बनाई दितिरे। अंबेडकरा रे मुंहां बिच स्यों गल्ला पाई दितिरी जे अंबेडकरे कधी बोलिरी हे नीं ही। अंबेडकर बोल्हाएं थे मार्क्सवाद सुअरा रा दर्शन हा फिलोसफी अॉफ पिगस हा। स्यों बोलहाएं थे कम्यूनिस्ट ब्राह्मणा होर बणियां रे मट्ठे हे। ब्राह्मण बणियां रे मट्ठेया रा झुंड हा। अंबेडकर फिलासफकली यानि दर्शना रे मुताबिक मार्क्सवादा रे खिलाफ था। अंबेडकरा साहीं पढ़ा लिखा बंदा केसी चीजा रा विरोध अगर कन्वींस या सहमत नीं हुंघा ता तिन्हा की करना था। स्यों बोलहाएं भई मार्क्सवाद होर अंबेडकरवादा जो मिलाओ। आसे बोल्हाएं चलो मिलाई देइयें पर किहां मिलांघे। दो विचारधारा रा मिलाप केस-2 आधारा पर हुई सकहां। फिलोसफी रे आधार पर हुई सकहां, पॉलिटिक्सा रे आधारा पर हुई सकहां, इकॉनॉमिक्सा रे आधार पर हुई सकहां या फेरी सोशल प्रोगामा रे आधार पर हुई सकहां। अंबेडकरा री फिलोसफी क्या ही। अंबेडकरा रे अमेरिकन प्रोफेसर थे जान डयूई। तिन्हा ले पढ़हाएं थे होर तिन्हा रा प्रभाव था अंबेडकरा पर। तेता जो बोल्हाएं प्रैगमैटिसम। ये कोई इंकलाबा री गल्ल नीं करदे। प्रैगमैटिस्ट केसी सिद्धांता बिच विश्वास नीं करदे। जिहां काम चलो तिहां काम चलाहें। ये अंबेडकरा री फिलोसफी थी। मार्क्सा री फिलोसफी थी द्वंदात्मक पदार्थवाद डायलेक्टिकल मटिरियलिजम। इन्हां बिच कुछ बी सांझा नी हा। अंबेडकरा रा पॉलिटिकल प्रोग्राम ये था भई लोका रे संघर्षा बिच तिन्हा रा कोई भरोसा नीं था। लोक आपणे संघर्षा के सत्ता ले कुछ हासिल करी सकाहें एता बिच तिन्हा रा भरोसा नीं था एतारा तिन्हौ विरोध था। स्यों बोलहाएं थे सत्ता बिच जाई के उपराले सुधारा ले हे लोका री जिंदगी बदली सकाहीं। जिहां कि रिजर्वरेशन बगैरा। ये अंबेडकरा रा पॉलिटिकल प्रोग्राम था। अंबेडकरा रा इकॉनॉमिक आर्थिक विचार ज्यादा ले ज्यादा इथी तक जाहां भई जमीना रा कौमीकरण करी देयो। तिन्हें आपणी लिखिता बिच लिखिरा भई जमीना रा कौमीकरण हुणा चहिए। पर आसे बोल्हाएं जेबे तक उद्योग इंडस्ट्री रा कौमीकरण नीं हुंघा जमीना रा हुई हे नीं सकदा। जमीना रा कौमीकरण ता बुर्जुआजी बिच हुआं। क्योंकि तिन्हौ सस्ता माल मिलहां। जेहड़ा भूमीपति लगाना रे रूपा बिच लैई जाहां तेस लगाना री कीमत उद्योगा जो चुकाणी पौहाईं। जे उद्योगा रा कौमीकरण हुई जाओ ता बुर्जुआजी खत्म हुई जाणी।
अंबेडकरा रा जे सामाजिक प्रोग्राम हा से अंबेडकरे एकी लेखा बिच लिखिरा। हुण अरूंधती रॉये किताब छापी के तेता री भूमिका लिखिरी लंबी सारी। तेता रा नांवं हा एनहिलेशन अॉफ कास्ट यानि जात-पात रा खात्मा। ये लेख पढ़यां तुसे जरूर 40-50 पेजा रा लेख हा। एस लेखा बिच अंबेडकर एस नतीजे पर पौंहचाएं भई जात-पात खत्म नीं हुई सकदी। ये नतीजा हा तिन्हा रा। स्यों बोल्हाएं कोई बी जात न चाहंदी। हर जात जात-पाता रे प्रबंधा रा सुख मनाहीं। भई ब्राह्मणा थाले बी कोई हा तेसरे थाल्हे होर हा, होरी रे थाल्हे कोई होरा हा। हर कोई केसी ना केसी जो थाल्हे समझां आपणे ले हेठ समझां। इधी कठे जात-पात नीं खत्म हुई सकदी। जात-पाता जो खत्म करने कठे बुद्धिजिवियां रा रोल हुआं। आसारे बुद्धिजीवी हे ब्राह्मण तिन्हा की चाहणा जात-पात खत्म हुई जाओ। कई तरीके ले तिन्हे देखया भई इहां जात खत्म हुई सकहाईं। इहां खत्म हुई सकहाईं। नतीजा ये काढया भई नीं खत्म हुई सकदी। बादा बिच जेबे एस नतीजे पर पौंहची गया भई नीं बधली सकदी तेबे तिन्हा रा अंतिम था भई धर्म बदली लौ। धर्म बदली के जात बधली जाणी। इधी कठे तिन्हें आपणे पैरोकारा जो बोल्या भई बौध बणी जाओ। हुण जेहड़े नौंवें बौद्ध हे तिन्हारी जात थोड़ी बधली गई। सफाई करने वाली जातियें सिख धर्म अपनाया ता स्यों मजहबी सिख बणी गये, कोई रामदासी सिख बणी गये, कोई जट्ट सिख बणी गयेे, कोई रामगढ़िया सिख बणी गये। धर्म परिवर्तन जाता जो थोड़ी खत्म करी सकहां। यों चार चीजा ही। इन्हां रे आधारा पर मार्क्सवाद होर अंबेडकरवादा रा किहां संगम हुई सकहां। कुछ एहडा पॉपोलिजम चलहां भई लोका जो जे चीज खरी लगाहीं से गल्ल करो। जेहड़ी लैहरा चलाहीं आसे तेता के सौगी चलदे लगी जाहें। क्योंकि आपणी जे विचारधारात्मक सपष्टता हुआईं आपणा जे सैद्धांतिक स्टैंड हुआं तेता पर दृढ़ता के खड़दे नीं हे। इधी कठे आसे समाजा बिच चलिरी लैहरा के चली पौहाएं जेता जो आसे लोकवाद बोल्हाएं यानि पॉपोलिजम बोल्हाएं। दो विचारधारा जे एकी-दूजे री विरोधी विचारधारा ही इन्हारा जेबे बी तुसे संगम करने री कोशीश करघे ता एतारा फायदा गल्त विचारधारा जो हुणा। इतिहासा बिच बार-2 ये चीज साबित हुईरी।
ये ता ही मार्क्सवादा री विचारधारा री चुनौतियां ज्यों आसौ समझणी पौणी। इधी करूआं आसौ मार्क्सवादा रा डुघा अध्ययन करना चहिए होर सौगी-2 विरोधी विचारधारा रा बी आसौ अध्ययन करना चहिए ताकि तिन्हा रे तर्का रा खंडन करी सकियें। अगली समस्या ही व्यवहारिक यानि प्रैक्टिकल। एभे दुनिया होर भारता बिच नौंवें-2 औद्योगिक केन्द्रा मंझ लाखों लाख मजदूर हे। प्राइवेट आंकडेयां रे मुताबिक शैहरा री आबादी बौहत ज्यादा हुआईँ पर सरकारी आंकडेयां बिच ये कम हुआईं। सरकारी आंकडे जे एरिया म्युनिसिपल कोर्पोरेशना बिच आवाहें तेता जो हे शैहर मनहाएं। जे आबादी गांवां ले रोज शैहरा बिच आवाहीं से गांवां री आबादी मन्नी जाहीं। असला बिच स्यों शैहरी आबादी मंझ आवाहें। जिथी स्यों काम करहाएं से शैहरी आबादी ही। बाहरा ले बसा, कारा, गडियां बिच भरी के काम करने रे कठे लोक शैहरा बिच आवाहें। ये सारी आबादी शैहरी आबादी गिणनी चहिए। एस क्लासा जो संगठित करना पौणा। ज्यों वर्कर नौंवें अस्तित्वा बिच आइरे। आज भारत मजदूरा रा महासागर हा। ये उजरती मजदूर रा महासागर हा इन्हां जो जत्थेबंद करना पौणा। गांवां रे मजदूर जत्थेबंद करने पौणे। भठेयां पर, खाना मंझ जे काम कराहें तिन्हा री जत्थेबंदी खड़ी करनी पौणी। मार्क्से लिखिरा प्रैक्टिकल मुवमेंटा रा यानि अमली लैहरा रा एक कदम हजारों सिद्धांता रे विवादा जो खत्म करी देहां। एडड़ा नी हा भई सिद्धांता रे विवादा बिच पौणा नीं चहिए। सिद्धांता री लड़ाई ता लड़नी हे चहिए। पर असल जे मसले हल करने से एसा जत्थेबंदी करने। आसे वर्किंग क्लासा जो कितना कर जत्थेबंद करी सकाहें होर कितना कर एस लड़ाई जो अग्गे बधाई सकाहें।
धन्यावाद। सब्रा के लेख पढ़ने कठे।
...sameermandi.blogspot.com
No comments:
Post a Comment