Monday, 23 May 2011

घूस लेने के मामले में दो पटवारी बरी


मंडी। रिश्वत लेने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने दो पटवारियों को बरी करने का फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर शंका से दूर अभियोग साबित नहीं कर पाया है। अतिरिकत जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला के विशेष न्यायलय ने सदर उपमंडल के कांढी तारापूर निवासी रंजीत सिंह और बीर( तुंगल) निवासी गंगा राम पर भ्रषटाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत चलाए गए अभियोग में उन्हे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार समखेतर निवासी अरूण सेठी ने अपनी पत्नी मीना सेठी के नाम पर देवी सिंह से जमीन खरीदी थी। इस खरीद का विक्रय पत्र बनाने के लिए उन्हे कृषि प्रमाण पत्र वांछित था। इसके लिए उन्होने जब पटवारी को संपर्क किया तो उन्होने 10 हजार रूपये रिश्वत की मांग की थी। इस पर अरूण सेठी ने पैसों को उधार लेकर पुलिस के पास शिकायत की थी। पुलिस ने राशी को फिनालफथलीन के पाउडर में मिलाकर इसे आरोपियों को सौंपने के लिए दिया था। जैसे ही आरोपियों ने राशी अपने हाथ में पकडी तो वहां नजदीक ही मौजूद पुलिस ने उन्हे रंगे हाथ गिरफतार कर लिया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 12 गवाह पेश किए गए। जबकि बचाव पक्ष का इस मामले में कहना था कि राशी को पाउडर में मिलाने के बाद इसे नायब तहसीलदार को सौंपा जाना था। जिसके लिए पुलिस और अरूण सेठी पहले तहसील गए थे। लेकिन नायब तहसीलदार ने राशी आरोपी पटवारी को सौंपने को कहा था। आरोपियों ने यह राशी घूस के तौर पर अरूण सेठी से न ली थी बल्कि इसे उन्होने नायब तहसीलदार का निर्देश मानते हुए प्राप्त किया था। बचाव पक्ष की ओर से अधिवकता जी पी गुलेरिया ने मामले की पैरवी की। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर शंका से दूर अभियोग साबित नहीं कर पाया है। जिसके चलते उन्होने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।

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