Friday, 20 September 2019

कांगणीधार में शिव धाम सहित सभी निर्माण कार्यों पर लगे रोकः शहीद भगत सिंह विचार मंच




मंडी। जिला मुख्यालय से सटे कांगणी जंगल को बचाने के लिए शहरवासियों ने यहां पर प्रस्तावित शिव धाम, न्यायलय परिसर सहित सभी निर्माण कार्यों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। शहर की संस्था शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में सैंकडों स्थानीय वासियों ने इस बारे में राष्ट्रपति, उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश और प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। इसके अलावा मंच की ओर से पूर्व में भेजे गए ज्ञापन पर उच्च न्यायलय की ओर से जारी पत्र पर की गई कार्यवाही की जानकारी भी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई है। मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि डीपीएफ कांगणी जंगल की भूमी सरकारी विभागों को परिवर्तित करके वहां पर हो रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के लिए मंच की ओर से एक ज्ञापन प्रेषित किया था। इस ज्ञापन पर प्रदेश उच्च न्यायलय की रजिस्ट्री की ओर से 29 अप्रैल को एक पत्र मंच को जारी किया गया था। जिसमें ज्ञापन को सत्यापित करने के लिए शपथ पत्र मांगा गया था। हालांकि यह शपथ पत्र उच्च न्यायलय को प्रेषित किया गया था। लेकिन आगामी कार्यवाही के बारे में कोई सूचना न होने के कारण प्रदेश उच्च न्यायलय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई है। इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से पर्यटन को विकसित करने के लिए मंडी में शिव धाम बनाने की घोषणा की गई है। पता चला है कि शिव धाम के लिए भी कांगणी जंगल में भूमी का चयन किया जा रहा है। ऐसे में साफ प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार इस डीपीएफ जंगल को संरक्षित करने के लिए संवेदनशील नहीं है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की ओर से पिछले कुछ वर्षों से इस जंगल की डीपीएफ भूमी में पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से अनुमति लेकर विभिन्न निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में पता चला है कि सरकार के विभाग एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केट कमेटी की ओर से यहां पर करीब 0.70 हैक्टेयर भूमी पर मार्केट यार्ड, फूड कारपोरेशन आफ इंडिया का गोदाम बनाने के लिए 0.90 हैक्टेयर, आर्ट कल्चर एंड लैंग्वेज विभाग को 0.323 हैक्टेयर भूमि संस्कृति सदन बनाने के लिए, 6.31 हैक्टेयर वन भूमी लिफ्ट वाटर सप्लाई स्कीम (ऊहल से मण्डी शहर) के लिए सिंचाई एवं जन स्वास्थय विभाग को और करीब 2.5888 हैक्टेयर डीपीएफ कांगणी की वन भूमी प्रदेश सरकार टूरिस्म एवं सिवल एविएशन विभाग को हैलीपोर्ट और सांस्कृतिक केन्द्र बनाने के लिए दे दी गई। जबकि कुछ अन्य विभाग भी इस जंगल की भूमी को अपने नाम करवाने के लिए अनुमतियों का इंतजार कर रहे हैं। जिला न्यायलय परिसर बनाने के लिए करीब 120 बीघा जमीन का टुकडा इसी वन भूमी में चयनित किया गया है। हालांक इसकी अनुमति अभी वन विभाग को प्राप्त नहीं हुई है। एक स्लौटर हाऊस भी यहीं बनाने का प्रस्ताव है। एग्रीकल्चर मार्केट कमेटी भी अतिरिक्त भूमी की मांग कर रही है। एक खेल का मैदान भी यहां बनाये जाने के प्रस्ताव है। हाल ही में मंडी में शिवधाम मंदिर बनाए जाने की चर्चा भी जोरों से चल रही है और प्रशासन की ओर से शिवधाम मंदिर का निर्माण भी कांगणी जंगल में ही करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। जिससे और अधिक वनसंपदा बर्बाद होने की संभावना पैदा हो गई है। इतनी अधिक अनुमतियां जारी हो जाने से कांगणी डीपीएफ जंगल का अस्थतित् ही खतरे में आ गया है। इस अनुमतियों के जारी हो जाने के बाद वन भूमी में भारी पैमाने पर निर्माण कार्य जारी हो गए हैं जिससे लगता है कि कांगणी डीपीएफ जंगल अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। विकास के नाम पर यहां अब कंकरीट का जंगल उगता जा रहा है। इस जंगल में बेहतरीन किस्म के चील के पौधे हैं। वन विभाग यहां की चील के बीजों को अन्यत्र स्थानों पर भेजता है। कम ऊँचाई पर स्थित होने के बावजूद मंडी में अच्छी बारिश होने के कारण भी यहां के डीपीएफ कांगणी और गंधर्व जंगल हैं। जंगल में कई तरह के पेड-पौधे, घास, झाडियां और औषधीय पौधे हैं। जंगल की घास, झाडियों से पहाड़ की मिट्टी में जकडन बनी रहती है लेकिन खनन से यहां पर भूस्वखलन का खतरा हो जाएगा। जंगल का घनापन खत्म होने से वन्य जीव संपदा भी बुरी तरह से प्रभावित होंगी। जंगल में अनेकों प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत हैं। लेकिन भारी निर्माण कार्यों से यह जल स्त्रोत लुप्त हो सकते हैं। इनमें से एक जल स्त्रोत लगभग लुप्त होने के कगार पर है। गंधर्व और कांगणी जंगल मण्डी शहर के फेफड़े हैं जिनके श्वासकोश से शहरवासी आक्सीजन प्राप्त करते हैं। लेकिन इन श्वासकोशों को क्षति पहुंचाई जा रही है। इस वनभूमी पर विकास के नाम पर गिद्ध दृष्टी जमा कर सारे शहरवासियों की सांसों की कीमत पर विनाश का खेल खेला जा रहा है। पर्यावरण बचाने की कवायदों के चलते हालांकि हर साल सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं की ओर से इन जंगलों में वृक्षारोपण अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन आए दिन सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से विरोधाभासी ऐलान करके वनभूमी में निर्माण किए जाने की घोषणाएं होती रहती हैं। मंच ने डीपीएफ कांगणी में दी गई अनुमतियों पर फिर से पुनर्विचार करने और भविष्य में शिवधाम सहित अन्य निर्माणों के लिए पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को इस जंगल की भूमी को परिवर्तित करके किसी भी विभाग को देने की अनुमति पर पूर्णतया रोक लगाई जाए। इस जंगल को बायोडायवर्सिटी पार्क या इको टूरिज्म के तहत संरक्षित किया जाए। ज्ञापन को हस्ताक्षरित करने वालों में समीर कश्यप, बी आर जसवाल, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, मनीष कुमार, विनोद ठाकुर, खेम चंद, राजकुमार शर्मा, अशोक राणा, नवीन राणा, रूप लाल, सतीश शर्मा, सुरेन्द्र कुमार, लोकेन्द्र कुटलैहडिया, संजय कुमार, राहुल अवस्थी, रत्तन लाल वर्मा, राज कुमार चावला, मनीष भारद्वाज, देशमित्र ठाकुर, डी एस कटोच, कमल सैनी, लक्ष्मेन्द्र सिंह, अखिलेश ठाकुर, प्रितम ठाकुर, लवण ठाकुर, रूप उपाध्याय, कमलेश शर्मा, संजय मंडयाल, नरेन्द्र कुमार, रमेश ठाकुर, डिंपल ठाकुर, दीपा कुमारी, कल्पना, अजय कुमार, साक्षी, हेमराज, तारा, अमर चंद, पूर्ण चंद, रितेश, अभिलाषा शर्मा, तरूण, मनोज, वैभव शर्मा, हिमानी, विजय कुमार, ललिता ठाकुर, रेखा देवी, पदम सिंह, दिनेश कुमार, चन्द्रा, उमेश, दिलीप कुमार, खेमलता, ममता, महेन्द्र, कौशल्या, उषा, कविता, हंस, चैतन्य देव, बबलू सहित करीब दो सौ से अधिक स्थानीय वासी शामिल रहे।
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Wednesday, 18 September 2019

शहीद भगत सिंह विचार मंच ने मण्डी में जिला पुस्तकालय बनाने की मांग उठाई




मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्था शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में सैंकडों छात्र-छात्राओं और स्थानीय वासियों का हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश, शिक्षा मंत्री और उपायुक्त मंडी को प्रेषित किया गया है। विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि मंच अक्सर शहर से जुडे हुए विषयों पर विचार-विमर्श, चर्चाओं और सर्वेक्षणों का आयोजन करता रहता है। इसी सिलसिले में संस्था ने हाल ही में जिला पुस्तकालय का दौरा किया और वहां की स्थिति का जायजा लेना चाहा। विचार मंच के अनुसार जिला मण्डी का जिला पुस्तकालय उपायुक्त परिसर में स्थित मिनी सचिवालय के भूतल में स्थित है। पुस्तकालय के बाहर अर्जीनवीस व डाक्यूमैंट राइटर के कुर्सी-टेबल लगे हैं। जहां पर जमीनों की रजिस्ट्री आदि के पंजीकरण दस्तावेज तैयार किये जाते हैं। पुस्तकालय के प्रवेश वाले एक छोटे से संकरे बरामदे में बायें हाथ की ओर एक छोटा सा हाल है जिसमें करीब तीस-चालिस छात्र पढ़ सकते हैं। इस छोटे से हाल के अलावा छात्र-छात्राओं के पढ़ने के लिए कोई अन्य जगह इस पुस्तकालय में नहीं है। आगे बढने पर एक अन्य छोटा बरामदा पुस्तकालय के उस हाल की ओर जाता है जहां पर पुस्तकालय की पुस्तकें रखी हुई हैं। इस बरामदे में भी कुछ टेबल लगे हुए हैं जहां पर छात्रों को हिल न पाने की मुद्रा में सटकर बैठे हुए अपनी पढाई करते देखा जा सकता है। इसके अलावा कुछ छात्र फर्श पर ही अपना डेरा जमाकर पढते हुए देखे जा सकते हैं। वहीं पर कुछेक को पुस्तकालय परिसर की सीढियों और राजमाधव राय मंदिर तक के गलियारों में किताबों में डूबे हुए देखा जा सकता है। हालांकि जिला पुस्तकालय में करीब तीन हजार से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं लेकिन पुस्तकालय परिसर में 50 लोगों को बैठकर पढने की जगह भी नहीं है। इस घुटन भरे परिसर में साफ हवा के लिए एक भी एगजौस्ट फैन नहीं लगा है। जिससे यहां बैठने वालों को साफ हवा मिलनी तो दूर पर्याप्त आक्सीजन भी मिल पाना संभव नहीं है। बिल्कुल पास-पास बैठने और पर्याप्त आक्सीजन न होने के कारण छात्र किसी बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं। अक्सर सभी छात्रों के पास पानी की बोतलें होती हैं जो वह अपने घरों से लेकर आते हैं। पुस्तकालय में कोई कूलर या फ्रिज या नल नहीं हैं जिसके कारण छात्रों को जिला न्यायलय परिसर में लगे कूलर से पानी भर कर लाने के लिए बाध्य होना पडता है। हर रोज सुबह करीब छह बजे से ही पुस्तकालय में जगह पाने वालों का सिलसिला शुरू हो जाता है। जिनको चिट मिलता है वही पुस्तकालय में बैठने के लिए जगह प्राप्त कर पाते हैं बाकियों को बाहर ही अपनी पढाई करनी होती है। पिछले कुछ सालों से यह देखने में आ रहा है कि छात्रों में प्रतियोगिताओं की तैयारियों का रूझान बढने के कारण पुस्तकालय में उनके आने की संख्या में बहुत बढौतरी हुई है। हर रोज सैंकडों छात्र-छात्राएं यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं लेकिन बहुत कम भाग्यशालियों को ही पुस्तकालय में बैठने की जगह मिल पाती है। जिला पुस्तकालय शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित होता है। लेकिन पुस्तकालय के पास अपना भवन न होने के कारण यह मिनी सचिवालय के भूतल में चल रहा है। अधिसंरचना में भारी कमी के साथ-साथ यहां पर पुस्तकों का भी भारी टोटा रहता है। दो-तीन साल बाद बीस-तीस किताबें विभाग द्वारा पुस्तकालय को भेजी जाती हैं। हालांकि पुस्तकालय में पुरानी किताबों से कई अलमारियां और रैक भरे हुए हैं जिन्हे कार्ड धारक सदस्य को पढने के लिए दिया जाता है। लेकिन प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकालय में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए यह बहुत ही कम उपयोगी हैं और वह अपनी पुस्तकें ही घर से लाकर यहां पर पढ़ते हैं। इसके अलावा पुस्तकालय में पर्याप्त और योग्य स्टाफ की भी भारी कमी है। पुस्तकालय के स्टाफ से अपेक्षा की जाती है कि वह हर किताब के रखने की जगह और यहां तक कि उस किताब की विषय वस्तु क्या है, इसकी भी वे जानकारी रखें। लेकिन योग्य और पर्याप्त स्टाफ की यहां पर भारी कमी है। विचार मंच ने मांग की है कि जिला पुस्तकालय के लिए शहर में ही भूमी का चयन करके एक बेहतरीन पुस्तकालय का निर्माण किया जाए। जब तक पुस्तकालय के निर्माण की प्रक्रिया की पूरी नहीं होती है तब तक सरकार कोई हॉल किराए पर लेकर या किसी अन्य विभाग के भवन में वाचनालय हेतु पुस्तकालय को मुहैया करवाए। मौजूदा पुस्तकालय में शीघ्रातिशीघ्र एग्जॉस्ट फैन व पंखे लगाए जाएं। पानी के कूलर या फ्रिज की शीघ्र व्यवस्था की जाए। प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के ध्यानार्थ छात्र-छात्राओं की मांग के आधार पर पुस्तकों व पत्रिकाओं की खरीद की जाए। विचार मंच ने समीर कश्यप, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, मनीष कुमार, बी आर जसवाल, विनोद ठाकुर, हुक्म चंद, अंकुश वालिया, वीरेन्द्र कुमार, अश्वनी वालिया, नरेन्द्र कुमार, भारत भूषण, रूप लाल, संजय मंडयाल, गंगेश चंदेल, रवि बधान, विनोद भावुक, संजय कुमार, उदयानंद, विख्यात गुलेरिया, लवण ठाकुर, रूप उपाध्याय, अखिलेश ठाकुर, प्रितम सिंह, कुलदीप ठाकुर, तेजभान सिंह, लक्ष्मेन्द्र सिंह, भागी रथ, कमल देव, प्रदीप परमार, दुर्गा दास, वेद दास, कमल सैनी, डी एस कटोच, तरूणदीप, हरीश चौहान, देवेन्द्र कुमार, शिवानी, अनिता, सुनील परमार, हीना कुमार, देवेन्द्र ठाकुर, डोलमा, नितिश पटयाल, जया, विनय भारती, प्रीती, आहाना, संजय, विजय ठाकुर, हितेश ठाकुर, गगन चंदेल, मनुज, यादविन्द्र और अंकेश सहित करीब 200 से अधिक छात्र-छात्राओं व स्थानीय वासियों का हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रेषित किया है। मंच ने मांग की है कि उक्त आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाए। जिससे सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी की प्रतिभाएं अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से वंचित न रह सकें और वह अपना बेहतरीन अवदान देश-दुनिया और प्रदेश को दे सकें।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...