Wednesday, 18 September 2019

शहीद भगत सिंह विचार मंच ने मण्डी में जिला पुस्तकालय बनाने की मांग उठाई




मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्था शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में सैंकडों छात्र-छात्राओं और स्थानीय वासियों का हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश, शिक्षा मंत्री और उपायुक्त मंडी को प्रेषित किया गया है। विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि मंच अक्सर शहर से जुडे हुए विषयों पर विचार-विमर्श, चर्चाओं और सर्वेक्षणों का आयोजन करता रहता है। इसी सिलसिले में संस्था ने हाल ही में जिला पुस्तकालय का दौरा किया और वहां की स्थिति का जायजा लेना चाहा। विचार मंच के अनुसार जिला मण्डी का जिला पुस्तकालय उपायुक्त परिसर में स्थित मिनी सचिवालय के भूतल में स्थित है। पुस्तकालय के बाहर अर्जीनवीस व डाक्यूमैंट राइटर के कुर्सी-टेबल लगे हैं। जहां पर जमीनों की रजिस्ट्री आदि के पंजीकरण दस्तावेज तैयार किये जाते हैं। पुस्तकालय के प्रवेश वाले एक छोटे से संकरे बरामदे में बायें हाथ की ओर एक छोटा सा हाल है जिसमें करीब तीस-चालिस छात्र पढ़ सकते हैं। इस छोटे से हाल के अलावा छात्र-छात्राओं के पढ़ने के लिए कोई अन्य जगह इस पुस्तकालय में नहीं है। आगे बढने पर एक अन्य छोटा बरामदा पुस्तकालय के उस हाल की ओर जाता है जहां पर पुस्तकालय की पुस्तकें रखी हुई हैं। इस बरामदे में भी कुछ टेबल लगे हुए हैं जहां पर छात्रों को हिल न पाने की मुद्रा में सटकर बैठे हुए अपनी पढाई करते देखा जा सकता है। इसके अलावा कुछ छात्र फर्श पर ही अपना डेरा जमाकर पढते हुए देखे जा सकते हैं। वहीं पर कुछेक को पुस्तकालय परिसर की सीढियों और राजमाधव राय मंदिर तक के गलियारों में किताबों में डूबे हुए देखा जा सकता है। हालांकि जिला पुस्तकालय में करीब तीन हजार से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं लेकिन पुस्तकालय परिसर में 50 लोगों को बैठकर पढने की जगह भी नहीं है। इस घुटन भरे परिसर में साफ हवा के लिए एक भी एगजौस्ट फैन नहीं लगा है। जिससे यहां बैठने वालों को साफ हवा मिलनी तो दूर पर्याप्त आक्सीजन भी मिल पाना संभव नहीं है। बिल्कुल पास-पास बैठने और पर्याप्त आक्सीजन न होने के कारण छात्र किसी बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं। अक्सर सभी छात्रों के पास पानी की बोतलें होती हैं जो वह अपने घरों से लेकर आते हैं। पुस्तकालय में कोई कूलर या फ्रिज या नल नहीं हैं जिसके कारण छात्रों को जिला न्यायलय परिसर में लगे कूलर से पानी भर कर लाने के लिए बाध्य होना पडता है। हर रोज सुबह करीब छह बजे से ही पुस्तकालय में जगह पाने वालों का सिलसिला शुरू हो जाता है। जिनको चिट मिलता है वही पुस्तकालय में बैठने के लिए जगह प्राप्त कर पाते हैं बाकियों को बाहर ही अपनी पढाई करनी होती है। पिछले कुछ सालों से यह देखने में आ रहा है कि छात्रों में प्रतियोगिताओं की तैयारियों का रूझान बढने के कारण पुस्तकालय में उनके आने की संख्या में बहुत बढौतरी हुई है। हर रोज सैंकडों छात्र-छात्राएं यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं लेकिन बहुत कम भाग्यशालियों को ही पुस्तकालय में बैठने की जगह मिल पाती है। जिला पुस्तकालय शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित होता है। लेकिन पुस्तकालय के पास अपना भवन न होने के कारण यह मिनी सचिवालय के भूतल में चल रहा है। अधिसंरचना में भारी कमी के साथ-साथ यहां पर पुस्तकों का भी भारी टोटा रहता है। दो-तीन साल बाद बीस-तीस किताबें विभाग द्वारा पुस्तकालय को भेजी जाती हैं। हालांकि पुस्तकालय में पुरानी किताबों से कई अलमारियां और रैक भरे हुए हैं जिन्हे कार्ड धारक सदस्य को पढने के लिए दिया जाता है। लेकिन प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकालय में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए यह बहुत ही कम उपयोगी हैं और वह अपनी पुस्तकें ही घर से लाकर यहां पर पढ़ते हैं। इसके अलावा पुस्तकालय में पर्याप्त और योग्य स्टाफ की भी भारी कमी है। पुस्तकालय के स्टाफ से अपेक्षा की जाती है कि वह हर किताब के रखने की जगह और यहां तक कि उस किताब की विषय वस्तु क्या है, इसकी भी वे जानकारी रखें। लेकिन योग्य और पर्याप्त स्टाफ की यहां पर भारी कमी है। विचार मंच ने मांग की है कि जिला पुस्तकालय के लिए शहर में ही भूमी का चयन करके एक बेहतरीन पुस्तकालय का निर्माण किया जाए। जब तक पुस्तकालय के निर्माण की प्रक्रिया की पूरी नहीं होती है तब तक सरकार कोई हॉल किराए पर लेकर या किसी अन्य विभाग के भवन में वाचनालय हेतु पुस्तकालय को मुहैया करवाए। मौजूदा पुस्तकालय में शीघ्रातिशीघ्र एग्जॉस्ट फैन व पंखे लगाए जाएं। पानी के कूलर या फ्रिज की शीघ्र व्यवस्था की जाए। प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के ध्यानार्थ छात्र-छात्राओं की मांग के आधार पर पुस्तकों व पत्रिकाओं की खरीद की जाए। विचार मंच ने समीर कश्यप, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, मनीष कुमार, बी आर जसवाल, विनोद ठाकुर, हुक्म चंद, अंकुश वालिया, वीरेन्द्र कुमार, अश्वनी वालिया, नरेन्द्र कुमार, भारत भूषण, रूप लाल, संजय मंडयाल, गंगेश चंदेल, रवि बधान, विनोद भावुक, संजय कुमार, उदयानंद, विख्यात गुलेरिया, लवण ठाकुर, रूप उपाध्याय, अखिलेश ठाकुर, प्रितम सिंह, कुलदीप ठाकुर, तेजभान सिंह, लक्ष्मेन्द्र सिंह, भागी रथ, कमल देव, प्रदीप परमार, दुर्गा दास, वेद दास, कमल सैनी, डी एस कटोच, तरूणदीप, हरीश चौहान, देवेन्द्र कुमार, शिवानी, अनिता, सुनील परमार, हीना कुमार, देवेन्द्र ठाकुर, डोलमा, नितिश पटयाल, जया, विनय भारती, प्रीती, आहाना, संजय, विजय ठाकुर, हितेश ठाकुर, गगन चंदेल, मनुज, यादविन्द्र और अंकेश सहित करीब 200 से अधिक छात्र-छात्राओं व स्थानीय वासियों का हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रेषित किया है। मंच ने मांग की है कि उक्त आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाए। जिससे सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी की प्रतिभाएं अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से वंचित न रह सकें और वह अपना बेहतरीन अवदान देश-दुनिया और प्रदेश को दे सकें।
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