Wednesday, 14 August 2019

कम्युनिज़्मा रे सिद्धान्त---फ्रेडरिक एंगेल्स ( मण्डेआल़ी अनुवाद)




प्रश्न 1: कम्युनिज़्म क्या हा?
उत्तरः कम्युनिज़्म सर्वहारा री मुक्ति री शर्ता रा सिद्धान्त हा।
प्रश्न 2: सर्वहारा क्या हा?
उत्तरः सर्वहारा समाजा रा से वर्ग हा जे आपणी आजीविका रे साधन पूर्णतया होर कल्हे आपणे श्रमा री बिक्री ले हासिल करहां, केसी पूँजी ले हासिल कितिरे मुनाफ़े ले नीं; जेसरी ख़ुशहाली होर बदहाली, जेसरी ज़िन्दगी होर मौत, जेसरा पूरा अस्तित्व श्रमा री मांगा पर, एस करूआं अच्छे कारोबारा रे बक्त होर बुरे कारोबारा रे बक्ता री अदला-बदली परा, बेलगाम होड़ा ले पैदा हुणे वाले उतार-चढ़ावा परा निर्भर करहां। संक्षेपा मंझ सर्वहारा या सर्वहारा वर्ग उन्नवीं शताब्दी रा श्रमजीवी वर्ग हा।
प्रश्न 3: ता क्या, एतारा मतलब ये हुआ भई सर्वहारा हमेशा ले विद्यमान नीं रैहीरे?
उत्तर : हां, नीं रैहीरे। गरीब लोक होर श्रमजीवी वर्ग हमेशा ले रैहिरे होर श्रमजीवी वर्ग ज्यादातर ग़रीब रैहीरे। पर एहड़े ग़रीब, एहड़े मज़दूर यानि सर्वहारा, ज्यों एभे-एभे वर्णित अवस्थावां रे अन्दर रैहाएं, हमेशा ले तिहाएं अस्तित्वमान नीं रैहीरे जिहां होड़ हमेशा ले मुक्त होर बेलगाम नीं रैहीरी।
प्रश्न 4: सर्वहारा रा जन्म किहां हुआ?
उतर : सर्वहारा तेस औद्योगिक क्रान्ति रे फलस्वरूप पैदा हुआ जे गत शताब्दी रे उतरार्धा मंझ इंग्लैण्डा बिच प्रकट हुई थी होर जेतारी तेबे ले संसारा रे समस्त सभ्य देशा मंझ पुनरावृति हुंदी रैहीरी। भाप-इंजन, बुणाई री विविध मशीना, यान्त्रिक करघे होर बौहत बडी संख्या मंझ अन्य यान्त्रिक उपकरणा रे आविष्कारे एसा औद्योगिक क्रान्ति जो जन्म दितेया था। इन्हें मशीने, ज्यों बौहत मैंहगी थी होर फलस्वरूप जिन्हौ कल्हे बडे पूँजीपति हे ख़रीदी सकहाएं थे, उत्पादना री अझी तका विद्यमान समस्त उत्पादन पद्धति जो बदली दितेया होर अझी तका विद्यमान मज़दूरां जो बेदखल करी दितेया क्योंकि आपणे अपरिष्कृति चरखेयां होर हथकरघेयां के काम करने वाल़े मज़दूरा रे मुकाबले मशीना ज्यादा सस्ता होर बेहतर माल उत्पादित करी करहाईं थी। एस तरहा के इन्हें मशीने उद्योगा जो पूरी तरहा के बडे पूँजीपतियां रे हवाले करी दितेया होर मज़दूरा री अत्यल्प सम्पति (औज़ार, हथकरघे बगैरा) बेकार बणाई दिते, एताके पूँजीपति जल्दी हे हर चीज़ा रे मालिक बणी गए होर मज़दूरा बाले कुछ बी नीं रैही गया। एस तरहा के वस्त्र उत्पादना रे क्षेत्रा मंझ फैक्टरी प्रणाली चालू किती गई।
मशीना होर फैक्टरी प्रणाली री उत्प्रेरणा मिलणे भरा री देर थी कि तिने उद्योगा री सभ होर शाखावां पर, विशेष रूपा ले कपड़े पर छपाई होर पुस्तक-मुद्रणा रे व्यवसावां, माट्टी रे भाँडे बनाणे होर लोहे री चीजा बनाणे वाल़े उद्योगा पर तेजी के धावा बोली दितेया। श्रम अनेकानेक मज़दूरा रे बीच अधिकाधिक बंढदा चली गया, एस करूआं जे मज़दूर पैहले पूरी चीज तैयार करहां था, से अब चीजा रा मात्र एक हिस्सा बनांदा लगेया। एस श्रम विभाजने माला जो ज्यादा शीघ्रतापूर्वक होर एस करूआं ज्यादा सस्ते दामा पर मुहैया करना सम्भव बणाई दितेया। तिने हर मज़दूरा रा श्रम बौहत हे सरल, निरन्तर दोहरायी जाणे वाल़ी यन्त्रवत क्रिया री स्थिति बिच पौहंचाई दिता, जेतौ मशीना तितनी अच्छी तरहा के हे नीं, बल्कि तेताले किथी बेहतर ढंगा के करी सकहाईं थी। एस तरहा के उद्योगा री यों सभ शाखा बुणाई होर कताई उद्योगा रे हे साहीं एक-एक करीके भाप-शक्ति, मशीना होर फैक्टरी प्रणाली रे अधिपत्य रे अन्तर्गत हुंदी चली गई। पर एताके स्यों सभ की सभ बड़े पूँजीपतियां रे हाथा मंझ पौंहची गई, होर इथी बी मज़दूर स्वतन्त्रता रे अन्तिम अंशा ले वंचित करी दिते गए। वास्तविक मैन्युफैक्चरा रे सौगी-सौगी सुले-सुले दस्तकारियां बी तिहाएं अधिकाधिक मात्रा मंझ फैक्टरी प्रणाली रे अधिपत्य रे अन्तर्गत हुंदी चली गई क्योंकि इथी बी बडे पूँजीपतियें बडे-बडे वर्कशाप बणाई के, जेता मंझ बौहत सारा खर्चा बची जाहां था होर मज़दूरा रे बीच श्रमा रा सुविधापूर्वक विभाजन कितेया जाई सकहां था, छोटे स्वतन्त्र कारीगर बाहर धकेली दिते। एतारा परिणाम ये हुआ भई सभी सभ्य देशा मंझ श्रमा री लगभग सभ शाखावां फैक्टरी प्रणाली रे अन्तर्गत संचालित हुआईं, होर लगभग इन्हा सभ शाखावां मंझा ले दस्तकारी होर मैन्युफैक्चर बडे पैमाने रे उद्योगे बाहर धकेली दितिरे। फलस्वरूप पैहलके मध्य वर्ग, ख़ास तौरा पर छोटे दर्जे रे उस्ताद-कारीगर बरबादी रे कगारा पर पौंहची गइरे, मज़दूरा री पैहलकी स्थिति बिल्कुल बधली चुकीरी, होर दो नौवें वर्ग अस्तित्वा मंझ आई गइरे, ज्यों सुले-सुले सभ होरी वर्गा जो आपणे अन्दर समांदे जाई करहाएं, यानि-
1. बडे पूँजीपतियां रा वर्ग, जे सभ सभ्य देशा मंझ जीवन-निर्वाह रे सारे सामानां होर कच्चे माल होर औज़ारां, मशीनां, फैक्टरियां बगैरा रा, जिन्हारी जीवन-निर्वाह कठे इन्हां सामानां रे उत्पादना कठे ज़रूरत पौहाईं, प्रायः पूर्णतया स्वामी हे। ये बुर्जुआ वर्ग यानि बुर्जुआ हा।
2. तिन्हां लोका रा वर्ग जिन्हां बाले बिल्कुल कुछ नीं हा, ज्यों इस करूआं पूँजीपतियां जो आपणा श्रम बेचणे कठे बाध्य हुआएं ताकि बदले मंझ जीवन-निर्वाह रे आवश्यक सामान हासिल करी सकौ। एस वर्गा जो सर्वहारा वर्ग या सर्वहारा बोल्या जाहां।
प्रश्न 5 : सर्वहारा रे श्रमा री पूँजीपतियां रे हाथा बिक्री किन्हां परिस्थितियां बिच हुआईं?
उत्तर : श्रम केसी बी दूजे माला रे साहीं एक माल हा होर एतारा दाम बी होरी माला रे दामा साहीं हे तिन्हां कानूना ले निर्धारित हुआं। बडे पैमाने रे उद्योग यानि मुक्त होड़ा रे आधिपत्य रे अन्तर्गत – जेहडा आसा देखणा, ये एक हे चीज ही – केसी माला रा दाम औसतन हमेशा तेस माला री उत्पादन लागता रे बराबर हुआं। श्रमा री उत्पादन लागत जीवन-निर्वाहा रे साधनां री ठीक से राशि ही जेतारी ज़रूरत इधी कठे पौहाईं भई मज़दूरा जो काम करने लायक रखया जाई सके होर मज़दूर वर्गा जो मरीके खत्म हुणे ले रोकेया जाई सके।
इधी कठे मज़दूरा जो आपणे श्रमा रे बदले तेताले ज्यादा नीं मिलदा जितना तेस उद्देश्य कठे जरूरी हुआं; श्रमा रा दाम यानि मज़दूरी, न्यूनतम आजीविका बणाई रखणे योग्य सिर्फ न्यूनतमा रा भुगतान हुआं। क्योंकि कारोबारा री हालत कधी बुरी हुआईं होर कधी बेहतर हुई जाईं, इधी कठे मज़दूरा जो कधी कम, ता कधी ज्यादा मिल्हां, ठीक तिहाएं जिहां कारखानेदारा जो आपणे माला कठे कधी ज़्यादा होर कधी कम मिल्हां। पर बक्त चाहे अच्छा हो या बुरा, कारखानेदारा जो औसतन आपणे माला कठेे तेतारी उत्पादन लागता ले जिहां ना ता ज़्यादा हे मिलहां होर ना कम, तिहाएं मजदूर जो तेस न्यूनतमा ले ना ता ज़्यादा मिल्हां होर ना हे कम। श्रमा री सभ शाखावां जो बड़े पैमाने रा उद्योग जिहां-जिहां अधिकाधिक आपणे कब्जे बिच करदा जाहां, मज़दूरी रा ये आर्थिक नियम तितनी हे कड़ाई के लागू हुआं।
प्रशन 6 : औद्योगिक क्रान्ति ले पैहले कुण जेह श्रमजीवी वर्ग विद्यमान थे?
उत्तर : सामाजिक विकासा री भिन्न-भिन्न मंजिला रे अनुसार श्रमजीवी वर्ग भिन्न-भिन्न अवस्थावां मंझ रैहाएं थे होर सम्पतिधारी होर सत्ताधारी वर्गा के तिन्हारे सम्बन्ध अलग-अलग प्रकारा रे हुआएं थे। प्राचीन काला मंझ मेहनतकश लोक आपणे मालिका रे दास थे, ठीक तिहाएं जिहां स्यों कई पिछडीरे देशा होर संयुक्त राज्य अमेरिका तका रे दक्षिणी भागा मंझ आज बी हे। मध्य युगा बिच स्यों भूमि रे मालिक अभिजात वर्गा रे भूदास थे, ठीक तिहाएं जिहां स्यों आज बी हंगरी, पोलैंड होर रूसा मंझ हे। मध्य युगा मंझ होर औद्योगिक क्रान्ति हुणे तका शैहरा मंझ दस्तकार बी थे ज्यों निम्न-बुर्जुआ उस्तादा री नौकरी करहाएं थे। मैन्युफैक्चरा रे विकासा रे सौगी-सौगी मैन्युफैक्चर मज़दूरा रा उदभव हुंदा लगेया जिन्हौ कमोबेश बडे पूँजीपतियें कामा पर रखी दितेया था।
प्रश्न 7 : सर्वहारा दासा ले केस मायने मंझ भिन्न हा?
उत्तर : दास सीधा-सीधा बेची दितेया जाहां, सर्वहारा जो रोज-रोज, घडी-घडी आपणे जो बेचणा पौहां। हर दासा कठे, जे एक हे मालिका री सम्पत्ति हुआं, भले ही मालिका रे हितार्थ, जीवन-निर्वाह री – से चाहे कितनी हे घटिया की नीं हो – गारण्टी रैहाईं; हर सर्वहारा कठे, जे पूरे बुर्जुआ वर्गा री सम्पत्ति हुआं होर जेसरा श्रम कल्हे तेस बक्त ख़रीदेया जाहां जेबे केसी जो तेसरी जरूरत पौहाईं, गारण्टीशुदा जीवन-निर्वाह री व्यवस्था नीं हुंदी। सर्वहारा कठे कल्हे एक समग्र वर्गा रे रूपा मंझ हे जीवन-निर्वाह री गारण्टी किती जाहीं। दास होड़ा ले बाहर रैहां, सर्वहारा तेतारे अन्दर रैहां होर तेतारे सारे उतार-चढ़ावा जो अनुभव करहां। दासा जो मात्र एक वस्तु मनया जाहां, नागरिक समाजा रा सदस्य नीं। सर्वहारा जो व्यक्ति रे रूपा मंझ, नागरिक समाजा रे सदस्य रे रूपा मंझ देखया जाहां। इधी कठे दास सर्वहारा ले बेहतर जीवन बिताई सकहां, पर सर्वहारा समाजा रे विकासा री उच्चतर मंजिला रा माहणु हुआं होर आपु दासा ले उच्चतर मंजिला मंझ हुआं। दास निजी स्वामित्व रे सभ सम्बन्धा मंझ कल्हा दासत्व रा सम्बन्धा भंग करीके आपणे जो मुक्त करहां होर इहां से आपु सर्वहारा बणी जाहां। सर्वहारा सामान्य रूपा ले निजी स्वामित्व जो मिटाई के हे आपणे जो मुक्त करी सकहां।
प्रश्न 8 : सर्वहारा भूदासा ले केस मायने मंझ भिन्न हा?
उत्तर : भूदासा बाले उत्पादना रा औज़ार – ज़मीना रा एक टुकड़ा –हुआं, जेतारे बदले से उपजा रा एक हिस्सा देई देहां या कुछ काम करहां। सर्वहारा उत्पादना रे तिन्हां औजारा के काम करहां ज्यों दूजेयां रे हुआएं, से एस दूजे कठे काम करने रे बदले आमदनी रा एक हिस्सा लैहां। भूदास देहां, सर्वहारा जो दितेया जाहां। भूदासा रे कठे जीवन-निर्वाह री गारण्टी हुआईं, सर्वहारा कठे नीं। भूदास होड़ा ले बाहर हुआं, सर्वहारा तेतारे अन्दर। भूदास या ता शैहरौ भग्गी के होर तिथि दस्तकार बणी के आपणे जो स्वतन्त्र करहां यानि आपणे मालिका जो श्रम या उपज देणे रे बदले मान देई के होर इहां मुक्त पट्टेदार बणीके, या समान्ती मालिका जो भगाई के होर आपु मालिक बणी के, संक्षेपा मंझ, इहां या तिहां सम्पत्तिधारी वर्ग होर होड़ा मंझ शामिल हुई के आपणे जो स्वतन्त्र करहां। सर्वहारा होड़, निजी स्वामित्व होर समस्त वर्गविभेद मिटाई के आपणे जो स्वतन्त्र करहां।
प्रश्न 9 : सर्वहारा दस्ताकारा ले केस मायने बिच भिन्न हा?*
प्रश्न 10 : सर्वहारा मैन्युफ़ैक्चर मज़दूरा ले केस मायने मंझ भिन्न हा?
उत्तर : सोहलवीं सदी ले लेई के अठाहरवीं सदी तका रे मैन्युफ़ैक्चर मज़दूर लगभग सभी जगहा तेस बक्त बी उत्पादना रे आपणे औजार – आपणे करघे, घरेलु चरखे होर जमीना रे तेस छोटे टुकडे रा स्वामी हुआं था जेस पर से फुरसत रे बक्त काश्त करहां था। सर्वहारा बाले इन्हां मंझा ले कुछ बी नीं हा। मैन्युफैक्चर मजदूर प्रायः देहाता मंझ आपणे भूस्वामी या आपणे मालिका रे सौगी पितृसत्तात्मक सम्बन्धा रे अन्तर्गत रैहां, सर्वहारा ज्यादातर बडे शैहरा मंझ बसहां होर आपणे मालिका रे सौगी तेसरा सम्बन्ध विशुद्ध रूपा के मुद्रा सम्बन्ध हुआं। मैन्युफ़ैक्चर मजदूर, जेसजो बडे पैमाने रा उद्योग पितृसत्तात्मक सम्बन्धा ले बाहर ली आवहां, से सम्पत्ति खोई बैठहां जेता पर तेस बक्ता तक तेसरा स्वामित्व हुआं था होर इहां से आपु सर्वहारा बणी जाहां।
• पाण्डुलिपि मंझ एंगेल्से आधा पृष्ठ खाली छाडी दितिरा। एतारा उत्तर “कम्युनिस्ट विश्वासा री स्वीकारोक्ति रा मसौदा” मंझ हा (देखा मार्क्स-एंगेल्स, क्लेक्टेड वर्क्स, खण्ड 6 पृष्ठ 101)। - सं.
प्रश्न 11 : औद्योगिक क्रान्ति रे होर समाजा रे पूँजीपतियां होर सर्वहारां मंझ बंढी जाणे रे तात्कालिक परिणाम क्या थे?
उत्तर : पैहला, मशीनी श्रमा रे करूआं औद्योगिक उत्पादा री कीमता चूँकि निरन्तर घटदी जाई करहाईं थी, एता ले शारीरिक श्रमा पर आधारित मैन्युफैक्चर या उद्योगा री पुराणी प्रणाली संसारा रे सभ देशा मंझ पूर्णतया नष्ट हुई गई। समस्त अर्द्ध-बर्बर देशा जो, ज्यों अजही तका ऐतिहासिक विकासा ले कमोबेश अलग-थलग थे होर जिन्हारा उद्योग अजही तका मैन्युफैक्चरा पर आधारित था, तिन्हौं तिन्हारे अलगावा ले इहां जबरदस्ती बाहर ली आंदा गया। तिन्हें अंग्रेजा रा ज्यादा सस्ता माल खरीदेया होर आपणे मैन्युफैक्चर मजदूरा जो नष्ट हुणे दितेया। एता ले हुआ ये भई जे देश, उदाहरणा कठे भारत, सहस्त्राब्धियां तका गतिरोधा री स्थिति मंझ रैहिरे, तिन्हारा ऊपरा ले हेठा तक क्रान्तिकरण हुई गया, होर चीन बी अब क्रान्ति बखौ अग्रसर हुई करहां। एस तरहा हुआ ये भई आज इंग्लैण्डा मंझ जेस मशीना रा आविष्कार हुआं, से एकी साला रे अन्दर चीन मंझ लाखों-लाख मजदूरा री रोजी-रोटी छीनी लैहाईं। इहां बडे पैमाने रा उद्योग पृथ्वी रे सभ जनगणा जो एकी-दूजे रे सौगी सम्बन्धा रे दायरे मंझ ली आइरा, सभ छोटी स्थानीय मण्डियां जो बटोरी के एक विश्व मण्डी बनाई दितीरी, सर्वत्र सभ्यता होर प्रगति कठे पथ प्रशस्त कितिरा होर स्थिति एहडे बिन्दु पर पौहंची गईरी भई सभ्य देशा मंझ हुणे वाल़ी हर घटना सभ होरी देशा जो प्रभावित करहाईं। एस तरहा के अगर इंग्लैण्ड होर फ्रांसा रे मजदूर अब आपणे जो स्वतन्त्र करी लौ ता एताके होरी सभ देशा मंझ क्रान्तियां जो प्रेरणा मिलणी जेतारे फलस्वरूप देर-सबेर तिथी बी मजदूरा री मुक्ति हुई जाणी।
दूजा बडे पैमाने रे उद्योगे जिथी किथी मैन्युफैक्चरा री जगहा लितिरी, तिथी औद्योगिक क्रान्तिए बुर्जुआ वर्ग, तेसरी दौलत होर तेसरी शक्ति रा अधिकतम मात्रा बिच विकास कितेया होर से देसा रा प्रथम वर्ग बणाई दिता। परिणामस्वरूप जिथी किथी एहडा हुआ, बुर्जुआ वर्गे राजनीतिक सत्ता आपणे हाथा बिच लैई लिती होर तेबे तका रे सत्ताधारी वर्गा जो – अभिजात वर्ग, शिल्प संघा रे बर्गरा होर इन्हां दोन्हों रा प्रतिनिधित्व करने वाल़े निरंकुश राजतन्त्रा जो – बाहर खदेड़ी दिता। बुर्जुआ वर्गे भूसम्पत्ति रे उत्तराधिकार या तेतारी बिक्री पर पाबन्दी मिटाई के होर अभिजात वर्गा रे विशेषाधिकार मिटाई के अभिजात वर्ग यानि सामन्त वर्गा री शक्ति नष्ट करी दिती। बुर्जुआ वर्गे सारे शिल्प संघा होर दस्तकारी रे विशेषाधिकारा जो मिटाई के शिल्प संघीय बर्गरा री ताकत खत्म करी दिती। तिने इन्हां दोन्हों री जगहा मुक्त होडा जो रखेया, यानि समाजा री एक एहड़ी प्रणाली रखी जेता मंझ हरेकी जो उद्योगा री केसी बी शाखा मंझ संलग्न हुणे रा अधिकार रैहां होर जिथी आवश्यक पूँजी रे अभावा जो छाडी के होर कोई चीज तेस कठे बाधा नीं बणी सकदी।
इधी कठे मुक्त होड़ा रा प्रचलन एसा गल्ला री सार्वजनिक घोषणा ही भई समाजा रे सदस्य एभे ले कल्हे तेसा हदा तक असमान हे जेस हदा तका तिन्हारी पूँजी असमान ही, भई पूँजी निर्णायक शक्त ही होर एता करूआं पूँजीपति यानि बुर्जुआ समाजा रा प्रथम वर्ग बणी गईरा। पर मुक्त होड़ बड़े पैमाने रे उद्योगा रे आरम्भिक काला मंझ हे आवश्यक ही क्योंकि समाजा री कल्हे ये हे एकमात्र अवस्था ही जेता मंझ बडे पैमाने रा उद्योग पनपी सकहां। बुर्जुआ वर्ग एस तरहा के सामन्ता होर शिल्प संघीय बर्गरा री सामाजिक शक्ति जिहां हे नष्ट करहां, से तिन्हारी राजनीतिक शक्ति बी नष्ट करी देहां। समाजा मंझ प्रथम वर्ग बणने ले बाद बुर्जुआ वर्गे आपणे जो राजनीतिक क्षेत्रा मंझ बी प्रथम वर्ग घोषित करी दितेया। ये काम तिन्ने प्रतिनिधिमूलक प्रणाली स्थापित करीके कितेया जे कानूना रे सामहणे समानता रे बुर्जुआ सिद्धान्त होर मुक्त होड़ा री कानूनी मान्यता पर आधारित हा होर जेतौ यूरोपीय देशा मंझ संवैधानिक राजतन्त्रा रे रूपा बिच प्रचलित कितेया गया था। इन्हां संवैधानिक राजन्त्रा रे अन्तर्गत कल्हे स्यों लोक हे निर्वाचक हुआएं जिन्हा बाले कुछ मात्रा मंझ पूँजी हुआईं, यानि, ज्यों पूँजीपति हुआएं स्यों पूँजीपति निर्वाचक प्रतिनिधि चुणाहें होर यों बुर्जुआ प्रतिनिधि अनुदाना ले इन्कार करने रे अधिकारा रे बला पर बुर्जुआ सरकार चुनाहें।
तरीजा, औद्योगिक क्रान्तिए सर्वहारा वर्गा रा तेसा हे हदा तक निर्माण कितेया जेस हदा तक तिने बुर्जुआ वर्गा रा निर्माण कितेया। बर्जुआ वर्ग जेस हिसाबा के दौलत हासिल करदा गया, सर्वहारावां री तादाद बी तेस हिसाबे बधदी गयी। चूँकि सर्वहारा जो कल्हे पूँजी हे कामा पर लगाई सकहाईं होर चूँकि पूँजी तेबे हे बधी सकहाईं जेबे से मजदूरा जो रोजगार पर रखे, सर्वहारा वर्गा री वृद्धि पूँजी री वृद्धि रे सौगी बिल्कुल कदमा के कदम मिलाई के चलहाईं। सौगी हे पूँजी बडे शहरा मंझ, जिथी उद्योग जो सभी ले ज्यादा लाभप्रद ढंगा के चलाया जाई सकहां, पूँजीपतियां होर सर्वहारां जो जमा करी देहाईं। नतीजतन एकी ए जगहा लोका रे विशाल समुहा रा ये जमाव हे सर्वहारा जो आपणी शक्ति रा बोध कराहां। एतारे अलावा, एतारा जितना ज्यादा विकास हुआं, जितनी हे ज्यादा मशीनां, जे शारीरिक श्रमा जो बाहर धकेली देहाईं, ईजाद किती जाहीं, बडे पैमाने रा उद्योग, जेहड़ा आसे पैहले हे बोली चुकीरे, मजदूरी जो तितना हे ज्यादा संकुचित करीके न्यूनतम बिन्दु पर ली आवहां होर इहां सर्वहारा री परिस्थितियां जो अधिकाधिक असहनीय बणांदा जाहां। एस तरहा के एकी बखौ सर्वहारा रे बधदे हुई असन्तोषा ले होर दूजे बखौ तेसरी बधदी हुई शक्ति रे जरिये औद्योगिक क्रान्ति सर्वहारा द्वारा सामाजिक क्रान्ति रे पथा जो प्रशस्त करहाईं।
प्रश्न 12 : औद्योगिक क्रान्ति रे होर क्या परिणाण निकल़े?
उत्तर : भाफा रे इंजन होर बाकी मशीना रे रूपा मंझ बडे पैमाने रे उद्योगे एहड़े साधना रा निर्माण कितेया जेता के अत्यल्प बक्ता बिच होर मामूली खर्चे परा औद्योगिक उत्पादना जो असीमित रूपा मंझ बधाणा सम्भव हुआ। मुक्त होड़े, जे बडे पैमाने रे उद्योगा रा अपरिहार्य परिणाम हा, उत्पादना री अनुकूल स्थितियां री बदौलत जल्दी अतीव गैहन स्वरूप ग्रैहण करी लिता; पूँजीपति बौहत बडी तादादा बिच उद्योगा मंझ घुसे। होर एताले इतना ज्यादा पैदा हुंदा लगया कि तेतारा इस्तेमाल नीं हुई सकदा था। फल ये हुआ भई तैयार माल बेचेया नीं जाई सकेया होर वाणिज्यिक संकट शुरू हुई गया। कारखाने ठप्प हुई गए, तिन्हारे मालिक दिवालिये हुई गए होर मजदूरा जो रोजी-रोटी ले हाथ धोणा पया। भारी तंगहाली शुरू हुई। कुछ बक्ता बाद अतिरिक्त माल बिकी गया, कारखाने भी के चालू हुई गए, मजदूरी भी बधी गयी, होर सुले-सुले कारोबार पैहले ले किथी ज्यादा तेज हुई गया। पर बौहत ज्यादा बक्त नीं गुजरेया था कि फेरी भी के बौहत ज्यादा परिमाणा मंझ माल उत्पादित हुंदा लगया जेता के एक होर संकट शुरू हुआ होर इने बी पूर्ववर्ती संकटा रा रस्ता पकडेया। एस तरहा के एस शताब्दी रे शुरू ले उद्योगा री हालत बराबर समृद्धि रे दौरा होर संकटा रे दौरा बिच झूलदी रैही होर एस तरहा रा संकट पाँज-सात साला रे प्रायः नियमित अन्तराला मंझ पैदा हुंदा रैहा, हर बार से आपणे सौगी मजदूरा कठे असहनीय विपतियां, आम क्रान्तिकारी उफ़ान होर पूरी मौजूदा व्यवस्था कठे सभी ले बडा संकट ल्याउंदा गया।
प्रश्न 13: नियमित रूपा ले साम्हणे आउणे वाल़े इन्हां संकटा ले क्या निष्कर्ष निकाल़े जाई सकहाएं?
उत्तर : पैहला, आपणे विकासा री आरम्भिक मंजिला मंझ बडे पैमाने रे उद्योगे हालांकि आपु मुक्त होड़ा जो जन्म दितेया, पर अब मुक्त होड़ा री परिधि तेस कठे छोटी पई गईरी; होड़ होर समान्यतया अलग-अलग व्यक्तियां रा औद्योगिक उत्पादना रा संचालन बडे पैमाने रे उद्योगा रे पाँवां मंझ बेड़ियां बणी गईरा, जिन्हौ तेजो तोड़ना हा स्यों तेस तोड़ी बी देणी; बडे पैमाने रा उद्योग जेबे तका वर्तमाना आधारा पर संचालित हुंदा रैंघा, से हर सात साला बाद आपणे जो दोहराणे वाल़ी आम अव्यवस्था रे जरिये हे जिन्दा रैही सकहां, जे हर बार सर्वहारां जो कष्टा रे कुण्डा मंझ झोंकी के ही नीं, बल्कि बौहत बडी तादादा बिच पूँजीपतियां जो बी बरबाद करीके पूरी सभ्यता जो खतरे मंझ पाई देहां; इधी कठे या ता बडे पैमाने रे उद्योगा रा परित्याग करना पौणा, जे सर्वथा असम्भव हा, या से समाजा रा एक बिल्कुल नौवां संगठन सर्वथा जरूरी बणाई देहां जेता मंझ एकी-दूजी ले होड़ करने वाल़े पृथक-पृथक कारखानेदार नीं, बल्कि पूरा समाज एक निश्चित योजना रे अनुसार होर सभी री आवश्यकतानुसार औद्योगिक उत्पादना रा संचालन करे।
दूजा, बडे पैमाने रे उद्योग होर तेसरे द्वारा सम्भव बणाये जाणे वाल़े उत्पादना रा असीम विकास एहड़ी सामाजिक व्यवस्था जो जन्म देई सकहां जेता मंझ जीवना री सभ आवश्यक वस्तुआं रा इतना बडा उत्पादन हुणा कि समाजा रा हर सदस्य आपणी सारी शक्तियां होर योग्यतावां रा पूर्णतम स्वतन्त्रा रे सौगी विकास होर उपयोग करने मंझ समर्थ हुणा। एस तरहा के बडे पैमाने रे उद्योगा रा से गुण, जे आज रे समाजा मंझ सारी गरीबी होर सारे व्यापार संकटा जो जन्म देहां, ठीक से हे गुणा हा जे एक भिन्न सामाजिक संगठना मंझ तेसा दरिद्रता जो होर इन्हां विनाशकाली उतार-चढावा जो नष्ट करी देंघा।
इधी कठे ये सपष्टतया सिद्ध हुई जाहां :
1. एभे ले इन्हां सारी बुराइयां कठे तेसा सामाजिक व्यवस्था जो उत्तरदायी ठैहराया जाई सकहां जे विद्यमान परिस्थितियां के मेल नीं खांदी।
2. इन्हां बुराइयां जो एक नौवीं सामाजिक व्यवस्था री स्थापना रे माध्यमा ले पूरी तरहा मिटाणे रे साधन उपलब्ध हे।
प्रश्न 14 : ये नौवीं सामाजिक व्यवस्था केहड़ी हुणी चहिए?
उत्तर : सभी थे पैहले नौवीं सामाजिक व्यवस्था आम तौरा पर उद्योगा होर उत्पादना री सभ शाखां रे संचालना रा काम आपणे बीच होड़ करने वाल़े अलग-अलग व्यक्तियां रे हाथा ले छीनी के आपणे हाथा मंझ लेई लैणा होर फेरी समूचे समाजा री बखा ले, यानि एक सामाजिक योजना रे अनुसार होर समाजा रे सभ सदस्या री शिरकता के सौगी उत्पादना री इन्हां शाखां रा संचालन करना। एसा व्यवस्था होड़ा रा अन्त करी देणा होर साहचर्य प्रतिष्ठित करी देणा। क्योंकि अलग-अलग व्यक्तियां द्वारा उद्योगा रा संचालन अवश्यंभावी रूपा बिच निजी स्वामित्व बखौ लेई जाहां होर क्योंकि होड़ तेस तौर-तरीके रे अलावा होर कुछ नीं हीं जेता के उद्योगा जो अलग-अलग निजी सम्पत्तिधारियां द्वारा संचालित कितेया जाहां, इधी कठे निजी स्वामित्व जो उद्योगा रे वैयक्तिक संचालन होर होड़ा ले पृथक नीं कितेया जाई सकदा। एस करूआं निजी स्वामित्व जो मिटाणा पौणा होर तेतारी जगहा पर उत्पादना रे औजारा रा समान उपयोग हुणा होर सभ वस्तुआं रा वितरण समान सैहमति के हुणा, यानि तथाकथित वस्तुआं री साझेदारी हुणी। निजी स्वामित्व रा उन्मूलन समूची सामाजिक व्यवस्था रे रूपान्तरणा री, जे उद्योगा रे विकासा के अनिवार्यतः जन्म लैहां, सभी थे ज्यादा सामान्यीकृत अभिव्यक्ति ही, इधी कठे ये उचित हे हा भई ये कम्युनिस्टा री मुख्य मांग बणी गईरी।
प्रश्न 15 : ता क्या एतारा अर्थ ये हुआ भई निजी स्वामित्व रा पैहले उन्मूलन असम्भव था?
उत्तर : बिल्कुल ठीक। सामाजिक व्यवस्था मंझ हरेक परिवर्तन, स्वामित्व सम्बन्धा बिच हुणे वाल़ी हरेक क्रान्ति, पुराणे स्वामित्व सम्बन्धा के मेल नीं खाणे वाल़ी नौवीं उत्पादक शक्तियां रे सृजना रा अवश्यंभावी परिणाम हा। आपु निजी स्वामित्व रा बी इहांए उद्भव हुइरा। गल्ल ये ही भई निजी स्वामित्व हमेशा ले ता विद्यमान नीं रैहीरा; मध्य युगा रे मुकदे बक्त, जेबे मैन्युफैक्चरा रे रूपा मंझ उत्पादना री नौवीं प्रणाली चालू हुई, जेतौ तेस बक्त मौजूदा सामन्ती होर शिल्प संघीय स्वामित्व रे अधीन नीं रखेया जाई सकदा था ता मैन्युफैक्चरे, जे पुराणे स्वामित्व सम्बन्धा री परिधि ले बाहर निकल़ी चुकीरा था स्वामित्व रे एक नौवें रूपा रा – निजी स्वामित्व रा – सृजन कितेया। मैन्युफैक्चर होर बडे पैमाने रे उद्योगा री पैहली मंजिला रे दौरान निजी स्वामित्व रे अलावा स्वामित्व रा होर कोई रूप सम्भव हे नीं था। निजी स्वामित्व री नींवा पर आधारित व्यवस्था रे अलावा समाजा री होर कोई व्यवस्था नीं हुई सकदी थी। जेबे तका उत्पादन इतना पर्याप्त नीं हुंदा भई सभी कठे कल्हे आपूर्ती हे नीं, बल्कि सामाजिक पूँजी री वृद्धि कठे होर उत्पादक शक्तियां रे होर अग्गे विकासा कठे बी वस्तुआं बेशी मात्रा मंझ मुहैया कराई जाई सके, तेबे तका समाजा री उत्पादक शक्तियां पर शासन करने वाल़ा एक प्रभुत्वशाली वर्ग होर एक गरीब, उत्पीडित वर्ग हमेशा बणीरे रैहणे। यों वर्ग केस तरहा के बणहाएं, ये उत्पादना रे विकासा री मंजिला पर निर्भर करहां। मध्य युगा बिच, जे कृषि पर आश्रित था, आसौ भूस्वामी होर भूदास मिल्हाएं, उत्तर-मध्य युगा रे शैहर आसारे साम्हणे शिल्प संघा रे उस्ताद-कारीगर, तिन्हारे शागिर्द होर दिहाड़ी पर काम करने वाल़े मजदूरा जो साम्हणे ल्यावाएं; सताहरवीं शताब्दी मंझ मैन्युफैक्चर होर मैन्युफैक्चर मजदूर; उन्नहवीं शताब्दी मंझ बडे कारखानेदार होर सर्वहारा साम्हणे आवहाएं। ये सपष्ट हा भई उत्पादक शक्तियां अजही तका इतनी व्यापक रूपा के विकसित नीं हुई पाइरी थी भई स्यों सभी कठे काफी पैदा करी पांदी होर निजी स्वामित्व जो इन्हां उत्पादक शक्तियां कठे बेडियां, अवरोध बनाई सकदी। पर अब – जेबे कि बडे पैमाने रे उद्योगा रे विकासे पैहले, पूँजी होर उत्पादक शक्तियां रा अभूतपूर्व पैमाने पर सृजन करी दितिरा होर इन्हां उत्पादक शक्तियां जो अत्यल्प बक्ता मंझ अनवरत रूपा के विकसित करने वाल़े सामान विद्यमान हे; जबकि दूजे, ये उत्पादक शक्तियां चन्द पूँजीपतियां रे हाथा मंझ संकेन्द्रित ही। होर दूजी बखौ बौहत बडा जन-समुदाय अधिकाधिक संख्या मंझ सर्वहारा री कतारा मंझ पौंहचदा जाई करहां होर तेसरी हालत तेसा हे मात्रा बिच अधिकाधिक दयनीय होर असह्य हुंदी जाई करहाईं जेस मात्रा मंझ बुर्जुआ वर्गा री दौलत बधदी जाहीं जबकि तरीजे, ये शक्तिशाली होर सुगम ढंगा के विकसित हुणे वाल़ी उत्पादक शक्तियां निजी स्वामित्व होर बुर्जुआ वर्गा ले इतनी ज्यादा बधी चुकीरी भई स्यों सामाजिक व्यवस्था रे अन्दर प्रचण्ड उथल-पुथल पैदा करी करहाईं – निजी स्वामित्व जो मिटाणा सम्भव हे नीं, बल्कि नितांत अनिवार्य बी हुई गईरा।

प्रश्न 16 : क्या निजी स्वामित्व जो शान्तिपूर्ण उपाया के मिटाणा सम्भव हुणा?
उत्तर : वांछनीय ता ये हे हा होर निश्चय ही कम्युनिस्ट आखरी लोक हुंघे जे एतारा विरोध करघे। कम्युनिस्ट बौहत अच्छी तरह जाणहाएं भई षडयन्त्र निरर्थक हे नीं हानिप्रद तक हुआएं। स्यों बौहत अच्छी तरह जाणहाएं भई क्रान्तियां जाहणुआं-बुझूवां होर मनमाने तरीके के नीं रची जांदी, स्यों ता सर्वत्र होर सर्वदा तिन्हां परिस्थितियां रा अवश्यम्भावी परिणाम थी जे अलग-अलग पार्टियां होर पूरे के पूरे वर्गा री इच्छा होर नेतृत्वा ले पूर्णतः स्वतन्त्र थी। पर स्यों ये बी देखाएं भई सर्वहारा वर्गा रे विकासा जो लगभग हर सभ्य देशा मंझ बलपूर्वक कुचल़ी दितेया जाहां होर कम्युनिस्टा रे विरोधी एस तरहा क्रान्ति जो बढावा देणे वाल़े हर तरहा रे काम करहाएं। अगर उत्पीड़ित सर्वहारा वर्गा जो अन्ततः क्रान्ति मंझ धकेली दितेया जाहां ता आसे कम्युनिस्ट तेबे सर्वहारां रे ध्येय री रक्षा आपणी करनी के तिहाएं करघे जिहां एस बक्त कथनी के करहाएं।
प्रश्न 17 : क्या निजी स्वामित्व जो एकी झटके मंझ मिटाणा सम्भव हा?
उत्तर : नीं, ये तिहाएं असम्भव हा जिहां एकी हे झटके मंझ मौजूदा उत्पादक-शक्तियां जो तितनी मात्रा मंझ बधाणा असम्भव हा, जे समुदाया रा निर्माण करने कठे जरूरी हा। इधी कठे सर्वहारा क्रान्ति, जे सारी सम्भावनावां जो देखदे हुए नेडे आउंदी जाई करहाईं, मौजूदा समाजा जो सुले-सुले हे रूपान्तरित करी सकहाईं होर से निजी स्वामित्व जो तेबे हे मिटाई सकघी जेबे उत्पादना रे साधना रा आवश्यक परिमाणा बिच निर्माण हुई जांघा।
प्रश्न 18 : एसा क्रान्ति रे विकासा रा क्रम केहड़ा हुणा?
उत्तर : पैहले ता से एकी जनवादी व्यवस्था जो होर एस तरहा के प्रत्यक्ष या परोक्षा रूपा ले सर्वहारा रे राजनीतिक शासना जो स्थापित करघी। प्रत्यक्ष रूपा बिच इंग्लैण्डा मंझ, जिथी सर्वहारा एस बक्त बी आबादी री बहुसंख्या हा। परोक्ष रूपा के फ्रांस होर जर्मनी मंझ, जिथी लोका रे बहुलांशा मंझ सर्वहारां रे अतिरिक्त एहड़े छोटे किसान होर पूँजीपति बी आवहाएं जिन्हारा एस बक्त सर्वहाराकरण हुई करहां, होर ज्यों आपणे हितार्थ सर्वहारा पर अधिकाधिक आश्रित हुंदे जाई करहाएं होर इधी कठे जिन्हौ जल्दी हे सर्वहारा री मांगा रे अग्गे झुकणा पौणा। एतारे कठे शायद एक होर संघर्ष जरूरी हो, जेतारा अन्त सिर्फ सर्वाहारा वर्गा री विजय बिच हुणा।
अगर जनवादा जो सीधे निजी स्वामित्व पर प्रहार करने होर सर्वहारा रा अस्तित्व सुनिश्चित करने कठे कार्रवाइयां सम्पन्न करने रे साधना रे रूपा बिच इस्तेमाल नीं कितेया जांदा ता से सर्वहारा कठे बिल्कुल बेकार हुणा। इन्हां कार्रवाइयां बिच, जे एस बक्त बी विद्यमान सम्बन्धा री परिणाम ही, मुख्य निम्नलिखित ही,
1. वर्द्धमान आयकर, ऊँचे उत्तराधिकार कर, सगोत्रीय वंशानुक्रम (भाई, भतीजे बगैरा) रे उत्तराधिकारा रे उन्मूलन, अनिवार्य ऋण, बगैरा साधनां ले निजी स्वामित्व जो सीमित करना।
2. अंशतः राजकीय उद्योगा री बखा ले होड़ा रे जरिये होर अंशतः करेंसी नोटां मंझ मुआवजे री अदायगी रे जरिये भूस्वामियां, कारखानेदारां, रेलां होर जहाजां रे स्वामियां रा क्रमिक स्वत्वहरण करना।
3. बहुसंख्यक जनता रे खिलाफ विद्रोह करने वाल़ेयां होर उत्तप्रवासियां री सम्पति जो जब्त करी लैणा।
4. राष्ट्रीय जमीनां पर, राष्ट्रीय कारखानेयां होर वर्कशापां मंझ सर्वहारां रे श्रम या व्यवसाय रा संगठन करना होर एस तरहा के आपु मजदूरा रे बीच हुणे वाल़ी होड़ा रा अन्त करी देणा होर जेबे तका कारखानेदार मौजूद रैहाएं, तेबे तका तिन्हौ तितनी हे ऊँची मजदूरी देणे कठे बाध्य करना, जितना राज्य देहां।
5. निजी स्वामित्व रा पूर्ण उन्मूलन हुणे तका समाजा रे सभ सदस्यां रे कठे काम करने री समान अनिवार्यता। औद्योगिक सेना रा गठन, विशेष रूपा ले कृषि कठे।
6. राजकीय पूँजी वाल़े राष्ट्रीय बैंका रे माध्यमा ले होर समस्त निजी बैंका बैंकपतियां पर पाबंदी लगाई के ऋण होर बैंक कार्यप्रणाली रा राज्य रे हाथा बिच केन्द्रीकरण।
7. जेस अनुपाता बिच राष्ट्रा बाल़े मौजूद पूँजी री मात्रा होर श्रमिका री संख्या बधाईं, तेस हे अनुपाता बिच राष्ट्रीय कल-कारखानेयां, वर्कशापां, रेलां होर जलपोतां री संख्या बिच वृद्धि करना, सारी बिना जोती जमीना जो काश्ता मंझ ल्याउणा होर पैहले ले जोती जाणे वाल़ी जमीना मंझ सुधार करना।
8. सभी बच्चेयां जो, जिहाएं स्यों इतने बडे हुई जाओ भई तिन्हौ मावा री देखभाला री जरूरत नीं रौहो, राष्ट्रीय संस्थाना मंझ होर राष्ट्रीय खर्चे पर शिक्षा; शिक्षा उत्पादना ले जुडीरी हो।
9. उद्योग होर सौगी हे कृषि मंझ काम करने वाल़े नागरिका रे समुदायां कठे राष्ट्रीय जमीनां पर साझे आवासगृहां रे रूपा बिच बडे-बडे प्रासादां रा निर्माण होर शैहरी होर देहाती जीवना रे लाभा जो एस तरहा के संयोजित करना भई नागरिका जो तिन्हां मंझा ले केसी एकी री एकांगिता होर असुविधावां नीं झेलणी पौओ।
10. सभी अस्वास्थ्यकर होर कुनिर्मित मकाना होर मुहल्लेयां जो गिराई देणा।
11. नाजायज होर जायज बच्चेयां रा उत्तराधिकारा रा समान रूपा ले उपभोग।
12. परिवहना रे सभ साधनां रा राष्ट्रा रे हाथा बिच संकेन्द्रण।
निस्सन्देह ये सारी कार्रवाइयां फौरन लागू नीं किती जाई सकदी। पर एक हमेशा दूजे जो जन्म देंघी। निजी स्वामित्वा पर एक बार पैहला मूलगामी आघात हुआ नीं कि, सर्वहारा होर अग्गे बधणा होर राज्य रे हाथा मंझ सारी पूँजी, सारी कृषि, सारे उद्योग, सारे परिवहन, विनिमय रे सारे साधना जो संकेन्द्रित करने कठे आपु जो बाध्य पाणा। ये सभ कार्रवाइयां एहड़े परिणामा बखौ लेई जाहीं होर देशा री उत्पादक शक्तियां सर्वहारा रे श्रमा के जेस अनुपाता बिच बधदी जांघी ये कार्रवाइयां तितनी साध्य हुंदी जाणी होर केन्द्रीकण करने वाल़े तिन्हारे परिणामा रा विकास हुंदा जाणा। अन्ततः जेबे सारी पूँजी, सारे उत्पादन होर विनिमया रा राष्ट्रा रे हाथा बिच संकेन्द्रण हुई जाणा, ता निजी स्वामित्व रा अस्तित्व आपणे आप मिटी जाणा, मुद्रा अनावश्यक हुई जाणी होर उत्पादन इतना बधी जाणा होर लोक इतने बधली जाणे भई पुराणे सामाजिक सम्बन्धा रे अन्तिम रूप तका धराशायी हुई सकणे।
प्रश्न 19 : क्या ये सम्भव हा भई ये क्रान्ति कल्हे एक हे देशा मंझ सम्पन्न हो?
उत्तर : नीं, बडे पैमाने रे उद्योगे विश्व मण्डी रा पैहले हे निर्माण करीके पृथ्वी के समस्त जनगण होर विशेष रूपा ले सभ्य जनगणा जो एस तरहा के सुत्रबद्ध करी दितिरा भई हर जनसमुदाय दूजे रे सौगी घटित हुणे वाल़ी गल्ला पर निर्भर हुआं। एतारे अलावा बडे पैमाने रे उद्योगे सभ सभ्य देशा रा सामाजिक विकास एहड़े धरातला पर ली आउंदिरा भई इन्हां देशा मंझ पूंजीपति होर सर्वहारा समाजा रे दो निर्णायक वर्ग बणी गइरे होर तिन्हा बीच संघर्ष आज का मुख्य संघर्ष बणी चुकीरा। इधी कठे कम्युनिस्ट क्रान्ति सिर्फ राष्ट्रीय क्रान्ति हे नीं हुणी, से सभ सभ्य देशा मंझ यानि कम ते कम इंग्लैण्ड, अमेरिका, फ्रांस होर जर्मनी मंझ एकी सौगी सम्पन्न हुणी। इन्हां मंझ ले हर देशा बिच तेतौ विकसित हुणे बिच ज्यादा या कम बक्त लगणा, जे एसा गल्ला पर निर्भर करना भई केस बाले ज्यादा विकसित उद्योग, ज्यादा दौलत होर उत्पादक शक्तियां री ज्यादा मात्रा ही। इधी कठे जर्मनी बिच तेतारी सभी ले धीमी गति हुणी होर तेतौ सम्पन्न करना सभी ले कठण हुणा; इंगलैण्डा बिच से सभी ले जल्दी होर सुगमतापूर्वक सम्पन्न हुणी। एसा दुनिया रे होरी देशा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पौणा होर तिन्हारे विकासा रे अजही तका विद्यमान तरीके जो पूरी तरहा बदली देणा होर एतारी रफ्तारा जो बौहत तेज करी देणा। ये एक विश्व-व्यापी क्रान्ति ही होर इधी कठे पूरा संसारा एतारा रंगमंच बणना।
प्रश्न 20 : निजी स्वामित्व रे अन्तिम उन्मूलना रे क्या परिणाण हुणे?
उत्तर : निजी पूँजीपति सभ उत्पादक शक्तियां, संचारा रे साधनां, सौगी हे उत्पादित वस्तुआं रे विनिमय होर वितरणा रा जे उपयोग करहाएं, तेतारा समाजा हस्तगतकरण होर उपलब्ध साधनां होर समग्र रूपा बिच समाजा री आवश्यकतावां पर आधारित एकी योजना रे अनुसार समाजा ले द्वारा तिन्हारा प्रबन्धन सभी ले पैहले तिन्हां कुपरिणामा रा उन्मूलन करी देणा जे बडे पैमाने रे उद्योगा बिच आज अपरिहार्य हे। संकट खत्म हुई जांघे; विस्तारित उत्पादन, जेतारे परिणामस्वरूप समाजा री वर्तमान अवस्था मंझ अति उत्पादन हुआं होर जे दरिद्रता रा इतना सशक्त कारण हा, तेबे पर्याप्त नीं रैही जाणा होर तेजो अग्गे विस्तारित करना पौणा। समाजा री तात्कालिक आवश्यकतावां ले ज्यादा अतिरिक्त उत्पादने आपणे सौगी दरिद्रता ल्याउणे री बजाय सभणी री जरूरता पूरी करनी, नौवीं जरूरता होर तेतारे सौगी हे तिन्हारी पूर्ती रे नौवें साधन पैदा करने। से होर ज्यादा प्रगति री शर्त होर प्रेरक शक्ति बणी जाणा, प्रगति करदे बक्त तेस पूरी सामाजिक अवस्था अस्त-व्यस्त नीं करनी जेहड़ा जे अजही तका हमेशा हुंदा आइरी। निजी स्वामित्व ले एक बार मुक्त हुई चुकणे ले बाद बडे पैमाने रा उद्योग इतने बडे पैमाने पर विकसित हुणा भई तेसरे साम्हणे तेसरे विकासा रा वर्तमान स्तर तिहाएं तुच्छ लगदा लगणा जिहां आसारे जमाने मंझ बडे उद्योगा री तुलना मंझ मैन्युफैक्चर प्रणाली तुच्छ लगाहीं। उद्योगा रा ये विकास समाजा जो इतनी मात्रा मंझ वस्तुआं मुहैया करांघा भई स्यों सभणी री आवश्यकतावां जो पूरी करने कठे पर्याप्त हुणी। कृषि बी, जेतौ निजी स्वामित्व रे दबावे होर ज़मीना रे विखण्डने उपलब्ध सुधारा होर वैज्ञानिक उपलब्धियां रा उपयोग करने ले रोकीरा था, नौवीं उन्नति करनी होर समाजा जो प्रचुर मात्रा मंझ उत्पाद उपलब्ध कराणे। एस तरहा के समाजा इतने पर्याप्त उत्पाद पैदा करने भई जेतारा एहड़ा वितरण कितेया जाई सको, जे तेसरे सारे सदस्यां री आवश्यकता री पूर्ती करी सको। एताले समाजा रा विभिन्न विरोधी वर्गा बिच विभाजन अनावश्यक हुई जाणा। ये सिर्फ अनावश्यक हे नीं, बल्कि एक नौवीं सामाजिक व्यवस्था कठे असंगत बी हुणा।
वर्ग श्रम-विभाजना रे जरिये अस्तित्व बिच आए थे होर आपणे मौजूदा स्वरूपा मंझ श्रम विभाजन पूरी तरहा के विलुप्त हुई जाणा। औद्योगिक होर कृषि उत्पादना जो वर्णित ऊँचाइयां तक विकसित करने कठे यान्त्रिक होर रासायनिक साधन हे भतेरे नीं हुणे, इन्हा साधनां रा उपयोग करने वाल़े लोका री योग्यता बी तितनी हे विकसित हुणी चहिए। जिहां पिछली शताब्दी मंझ बडे पैमाने रे उद्योगा रे अन्तर्गत ल्याये गए किसान होर मैन्युफैक्चर मजदूरा जो आपणे जीवना रा पूरा रंग-ढंग बदलणा पया था, होर स्यों आपु बिल्कुल भिन्न प्रकार रे लोक बणी गए थे, ठीक तिहाएं समग्र रूपा बिच समाजा रे उत्पादना रा संयुक्त संचालन होर फलस्वरूप उत्पादना रा नौवां विकास बिल्कुल भिन्न लोका री अपेक्षा करहां होर तिन्हारा सृजन बी करहां। उत्पादना रा संयुक्त संचालन एहड़े लोका द्वारा – जेस रूपा बिच स्यों आज हे – नीं कितेया जाई सकदा जेता मंझ हर माहणु उत्पादना री केसी एकी शाखा ले सम्बन्धित हा, तेताले बंधीरा, तेस द्वारा शोषित कितेया जाहां, जेता मंझ हरेक आपणी होर सभणी योग्यतावां जो कुण्ठित करीके आपणी कल्हे एक हे योग्यता रा विकास करहां, जे पूरे उत्पादना री कल्हे एकी हे शाखा या एकी शाखा रे एक हे भागा रे काम आवहाईं। समकालीन उद्योगा कठे एहड़े लोका री आवश्यकता कम हुंदी जाहीं। जे उद्योग पूरे समाजा द्वारा संयुक्त रूपा के होर एकी योजना रे अनुसार संचालित हुआं, तेता कठे एहड़े लोका री दरकार ही जिन्हारी योग्यतावां रा सर्वतोमुखी विकास हो, जे उत्पादना री समूची प्रणाली रा सर्वेक्षण करने री क्षमता रखदा हो। फलस्वरूप, श्रम विभाजन, जेतारी जड़ा मशीनी व्यवस्था पैहले हे खोदी चुकरी, जे एकी माहणु जो किसान, दूजे जो मोची, तरीजे जो मजदूर, चौथे जो शेयर मार्केटा रा सट्टेबाज बनाहीं, एस तरहा के पूर्णतया लुप्त हुई जाणा। शिक्षा नौजवानां जो एस योग्य बनांघी भई स्यों उत्पादना री पूरी प्रणाली के शीघ्रतापूर्वक परिचित हुई सकघे, से तिन्हौ सामाजिक आवश्यकताओं यानि तिन्हारी आपणी रूचियां रे अनुसार बारी-बारी के उद्योगा री एकी शाखा ले दूजी शाखा बिच प्रवेश करने बिच समर्थ बनांघी, से तिन्हौ विकासा रे तेस एकांगीपना ले मुक्त करी देंघी जेतौ वर्तमान श्रम विभाजने तिन्हां पर थोपी रखीरा। एस तरहा के कम्युनिस्ट ढंगा के संगठित समाजा आपणे सद्स्यां जो व्यापक रूपा ले विकसित आपणी योग्यतां जो व्यापक ढंगा के उपयोगा बिच ल्याउणे रा सुअवसर प्रदान करघा। एतारे सौगी हे विभिन्न वर्ग अनिवार्यतः विलुप्त हुई जाणे। एस तरहा, कम्युनिस्ट ढंगा के संगठित समाज, एकी बखौ, वर्गा रे अस्तित्वा के मेल नीं खांदा होर दूजी बखौ, एसा समाजा रा निर्माण हे इन्हां वर्ग विभेदा जो मिटाणे रे साधन मुहैया करवाहां।
एताले ये निष्कर्ष निकल़हां भई शैहर होर देहाता रे बीच अन्तर बी एस तरहा के विलुप्त हुई जाणा, दो भिन्न वर्गा रे बजाय एक-जेह लोका रा कृषि होर औद्योगिक उत्पादना रा काम कितेया जाणा–भले ही विशुद्ध भौतिक कारणा के ही-कम्युनिस्ट साहचर्य कठे एक अनिवार्य शर्त ही। बडे शैहरा मंझ औद्योगिक आबादी रे जमावा रे सौगी-सौगी कृषक आबादी रा देशा भरा बिच बिखराव कृषि होर उद्योगा री अविकसित मंजिला रे अनुकूल हा, से अग्गे रे विकासा री, जे एस बक्त बी आपणे तो अत्याधिक प्रत्यक्ष करदा जाई करहां, राह बिच एक बाधा ही।
उत्पादक शक्तियां रे समान होर नियोजित उपयोगा कठे समाजा रे सभ सदस्यां रा आम साहचर्य; एसा हदा तक उत्पादना रा विकास भई से सभणीरी आवश्यकतावां पूरी करी सके; एहड़ी अवस्था री समाप्ती, जेता बिछ कुछ लोका री आवश्यकतावां री पूर्ती दूजेयां री कीमता पर हुंदी हो; वर्गा होर तिन्हारे विरोधा रा पूर्ण उन्मूलन; एभे तका प्रचलित श्रम-विभाजना रे उन्मूलना द्वारा, औद्योगिक शिक्षा द्वारा, गतिविधियां रे परिवर्तना द्वारा, सभी रे सर्जित वरदानां मंझ सभणीरी सहभागिता द्वारा, शैहर होर देहाता रे परस्पर विलय द्वारा समाजा रे सभी सदस्यां री योग्यतावां रा सर्वतोन्मुखी विकास- एहड़े हे निजी स्वामित्वा रे उन्मूलना रे मुख्य फल।
प्रश्न 21: समाजा रे कम्युनिस्ट ढंगा री व्यवस्था रा परिवारा पर क्या प्रभाव पौणा?
उत्तर : से पुरूष होर स्त्रियां रे बीच सम्बन्धा जो विशुद्ध रूपा ले निजी मामला बनाई देंघा जेतारा कल्हे सम्बन्धित व्यक्तियां ले सरोकार हुणा होर जे समाजा ले केसी बी तरहा रे हस्ताक्षेपा री अपेक्षा नीं करघा। ये निजी स्वामित्व रे उन्मूलन होर बच्चेयां री सार्वजनिक शिक्षा री बदौलत सम्भव हुणा। एस तरहा के प्रचलित ब्याह प्रणाली री दोन्हों आधारशिला नष्ट करी दिती जाणी-निजी सम्पत्ति रे माध्यमा ले पत्नी रा आपणे पति पर होर बच्चेयां री आपणे मावा-बाबा पर निर्भरता। पत्नियां रे कम्युनिस्टां द्वारा सामाजिककरणा रे विरूद्ध नैतिकता रा उपदेश झाड़ऩे वाल़े कूपमण्डूका री चिल्ल-पों रा ये उत्तर हा। पत्नियां रा समाजीकरण एहड़ा सम्बन्ध हा जे पूरी तरहा बुर्जुआ समाजा रा चारित्रिक लक्षण हा होर आज वेश्यावृति री शक्ला मंझ आदर्श रूपा मंझ विद्यमान हा। पर वेश्यावृति री जड़ा ता निजी स्वामित्व रे अन्दर ही होर से तेसरे सौगी हे मिटघी। इधी कठे कम्युनिस्ट ढंगा रे संगठना पत्नियां रे समाजीकरणा री स्थापना रे बजाय एतारा अन्त करी देणा।
प्रश्न 22 : विद्यमान जातियां रे प्रति कम्युनिस्ट ढंगा रे संगठना रा क्या रूख हुणा?
प्रश्न 23 : विद्यमान धर्मा रे प्रति तेसरा क्या रूख हुणा?
प्रश्न 24 : कम्युनिस्ट समाजवादियां ले केस मायने बिच भिन्न हे?
उत्तर : तथाकथित समाजवादियां जो तीन समूहां मंझ बांडी सकहाएं। पैहले समूहा मंझ तेस सामन्ती होर पितृसतात्मक समाजा रे समर्थक आवहाएं, ज्यों बडे पैमाने रे उद्योग होर विश्व व्यापारा द्वारा होर बुर्जुआ समाजा द्वारा, जेजो इन्हें दोन्होए जन्म दितिरा, नष्ट कितेया जाई चुकीरा या एभे बी नित्यप्रति कितेया जाई करहां। वर्तमान समाजा रे मौजूदा कष्टा ले ये समूह निष्कर्ष निकाल़ाहां भई सामन्ती होर पितृसत्तात्मक समाजा री भी के स्थापना हुणी चहिए क्योंकि से इन्हां कष्टा ले मुक्त था। तेसरे सारे प्रस्ताव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपा ले एता बखौ लक्षित हे। सर्वहारा रे दुख-कष्टा कठे तेसरी दिखावटी सहानुभूति होर तेता पर घडियाल़ी आँसू बहाणे रे बावजूद प्रतिक्रियावादी समाजवादियां रे एस समूह रा कम्युनिस्ट इन्हा कारणा ले डटी के विरोध करघेः
1. स्यों एहड़ी चीजा री कामना करहाएं जे सर्वथा असम्भव ही।
2. स्यों अभिजात वर्ग, शिल्प संघा रे उस्ताद होर मैन्युफैक्चरा होर तिन्हारे सारे अमले चाकर-निरंकुश यानि सामन्ती राजेयां, पदाधिकारियां, सैनिकां, पुरोहित-पादरियां रे राजा जो, एहड़े समाजा जो भी के कायम करना चाहें, जे वर्तमान समाजा री खामियां ले मुक्त हुणे रे बावजूद आपणे हे अनेकानेक कष्टा ले ग्रस्त था होर जेता मंझ उत्पीडित मजदूरा जो कम्युनिस्ट ढंगा रे संगठना ले मुक्त करने री कोई संभावना नीं थी।
3. स्यों आपणे असली इरादेयां जो हमेशा तेस बक्त प्रकट करहाएं जेबे सर्वहारा क्रान्तिकारी होर कम्युनिस्ट बणी जाहां; तेस दशा बिच स्यों तुरन्त सर्वहारा रे विरूद्ध हमेशा बुर्जुआ वर्गा रे सौगी हुई जाहें।
दूजा समूह वर्तमान समाजा रे पक्षधरा जो लेई के बणीरा। एस समाजा री व्याधियें, ज्यों तेसरी अवश्यंभावी परिणाम ही, तिन्हां बिच तेसरे अस्तित्वा रे कठे चिन्ता पैदा करी दितिरी। इधी कठे स्यों एसा चीजा कठे प्रयत्नशील रैहाएं भई वर्तमान समाजा ले जुडीरी व्याधियां रा ता अन्त करी दितेया जाए पर एस समाजा जो अक्षुण्ण रखेया जाए। एता कठे तिन्हां मंझा ले कुछ विविध कल्याणकारी उपाय सुझाहें ता दूजे विराट सुधार प्रणालियां री वकालत करहाएं जे समाजा रे पुनर्गठना रे बहाने वर्तमान समाजा री आधारशिला जो होर एस तरहा के आपु समाजा को कायम रखघी। कम्युनिस्टा जो इन्हां बुर्जुआ समाजवादियां रा निरन्तर विरोध करना पौणा क्योंकि स्यों कम्युनिस्टा रे दुश्मणा रे हितार्थ काम करहाएं होर तेस समाजा री रक्षा करी करहाएं जेतौ कम्युनिस्ट नष्ट करने कठे कटिबद्ध हे।
आखिरा बिच, तरीजा समूह जनवादी समाजवादियां जो लेई के बणीरा, जे कम्युनिस्टा रे हे साहीं प्रश्न....* बिच उल्लिखित कार्रवाइयां जो अंशतः चाहाएं, पर स्यों कम्युनिज्मा मंझ संक्रमणा रे साधना रे रूपा बिच नीं, बल्कि वर्तमान समाजा री दरिद्रता होर दुख-कष्टा रा अन्त करने रे उपाया रे रूपा बिच चाहें। यों जनवादी समाजवादी या ता सर्वहारा हे जिन्हौ आपणे वर्गा री मुक्ति री अवस्थावां रे बारे बिच पर्याप्त ज्ञान नीं हुईरा, या स्यों निम्न-बुर्जुआ वर्गा ले, एक एहडे वर्गा रे प्रतिनिधि हे जिन्हारे हित जनवादा के हासिल हुणे होर तेसले सम्बन्धित समाजवादी कार्रवाइयां रे पूर्ण हुणे तका कई मामलेयां मंझ सर्वहारा वर्गा रे हिता रे सदृह रैहाएं। इधी कठे कार्रवाई करने रे मौकेयां पर कम्युनिस्टा जो जनवादी समाजवादियां रे सौगी समझौता करना पौणा होर जेबे सम्भव हो, तिन्हारे सौगी कम ते कम कुछ बक्ता तक, जेबे तका स्यों समाजवादी सत्ताधारी बुर्जुआ वर्गा री चाकरी नीं करदे लगदे होर कम्युनिस्टा पर प्रहार नीं करदे, आमतौरा पर एक समान नीति रा पालन करना पौणा। ये सपष्ट हा भई ये साझा कार्रवाई तिन्हां सौगी मतभेदा पर बैहस करने री सम्भावन जो खारिज नीं करदी।
• पाण्डुलिपि बिच इथी खाली जगहा ही। प्रश्न 18 रा उत्तर देखा।
प्रश्न 25 : आजकाले (1847-सं) री होर पार्टियां रे प्रति कम्युनिस्टा रा क्या रूख हा?
उत्तर : ये रूख अलग-अलग देशा रे अनुसार अलग-अलग हा। इंग्लैण्ड, फ्रांस होर बेल्जियमा बिच, जिथी बुर्जुआ वर्गा रा शासन हा, फिलहाल कम्युनिस्टा होर विभिन्न जनवादी पार्टियां रे समान हित हे, यों जनवादी जिन्हां समाजवादी कार्रवाइयां री एस बक्त सर्वत्र वकालत करी करहाएं, तेता मंझ कम्युनिस्टा रे लक्ष्यां रे जितने हे नेडे स्यों आवहाएं, यानि सर्वहारा वर्गा रे हिता री जितनी ज्यादा सपष्टता होर जितनी ज्यादा निश्चितता रे सौगी समर्थन करहाएं होर जितना ज्यादा स्यों सर्वहारा वर्गा रा सहारा लैहाएं, तिन्हारे हिता रा ये साम्य तितना हे ज्यादा हुणा। उदाहरणा कठे इंग्लैण्डा बिच चार्टिस्ट, ज्यों सभ मजदूर हे, जनवादी निम्न-पूँजीपतियां या तथाकथित उग्रवादियां री तुलना बिच कम्युनिस्टा रे ज्यादा नेडे हे।
अमेरिका बिच जिथी जनवादी संविधान प्रचलित हुई चुकीरा, कम्युनिस्टा जो तेसा पार्टी रा पक्ष लैणा चहिए जे एस संविधाना जो बुर्जुआ वर्गा रे विरूद्ध लागू करघी होर तेजो सर्वहारा वर्गा रे हिता बिच इस्तेमाल करघी, यानि तिन्हौ राष्ट्रीय कृषि सुधारका रा पक्ष लैणा पौणा।
स्विटजरलैण्डा बिच आमूल परिवर्तनवादी हालांकि अजही बी बौहत हे मिली-जुली पार्टी रे लोक हे, फेरी बी कल्हे स्यों हे एहड़े लोक हे जिन्हां सौगी कम्युनिस्ट समझौता करी सकहाएं, होर इन्हां आमूल परिवर्तनवादियां रे बीच वोद होर जेनेवा रे आमूल परिवर्तनवादी सभी थे प्रगतिशील हे।
आखिरा बिच जर्मनी आवहां, जिथी बुर्जुआ वर्गा होर राजतन्त्रा रे बिच निर्णायक संघर्ष अजही दूर हा। पर कम्युनिस्ट बुर्जुआ वर्गा जो शीघ्रातिशीघ्र सत्ता हासिल करने बिच मदद देयो ताकि तेजो जितनी जल्दी सम्भव हो, पलटेया जाई सको। इधी कठे कम्युनिस्टा जो हमेशा सरकारा रे खिलाफ उदारवादी बुर्जुआ रा साथ देणा चहिए पर एस बारे बिच तिन्हौ सतर्क रैहणा चहिए भई स्यों बुर्जुआ वर्गा रे हे साहीं आत्मवंचना रा शिकार नीं बणी जाओ यानि बुर्जुआ वर्गा री इन्हां लुभावनी घोषणावां पर विश्वास नीं करदे लगी जाओ भई तेसरी विजय ले सर्वहारा कठे लाभदायी फल निकलघे। बुर्जुआ वर्गा री विजय ले कम्युनिस्टा जो मात्र ये लाभ हुई सकहाएं : 1. विभिन्न रियायता, जे कम्युनिस्टा कठे आपणे सिद्धान्ता री रक्षा, तेता पर विचार-विमर्श होर तेतारे प्रसारा जो ज्यादा सुगम बनांघी होर एस प्रकारा ले सर्वहारा रा एक ठोस, संघर्षशील होर सुसंगठित वर्गा बिच एकीकरणा जो सुगम बनांघी; होर 2. ये सुनिश्चित हुई जाणा भई जेस दिन निरंकुश सरकारा रा तख्ता पलटी जाणा, तेस दिना ले पूँजीपतियां होर सर्वहारां रे बीच संघर्षा की बारी आई जाणी। होर तेस दिना ले हे कम्युनिस्टा री पार्टी नीति से हे हुणी जे तिन्हां देशा बिच ही जिथी बुर्जुआ वर्ग एभे सतारूढ़ हा।
एंगेल्सा रा अक्टूबर-नवंबर, 1847 बिच लिखित। पैहली बार 1914 बिच अल्ग रूपा बिच प्रकाशित।
(राहुल फाउण्डेशन, लखनऊ, ले हिन्दी बिच छपीरी पुस्तिका "कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र" रे परिशिष्टा रा मण्डेआल़ी अनुवाद)
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