Friday, 28 September 2018

भगत सिंह के जन्मदिन पर विचार गोष्ठी आयोजित




मंडी। शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिवस पर शहीद भगत सिंह विचार मंच की ओर से शुक्रवार को न्यायलय परिसर में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें शहीद भगत सिंह के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और उनके विचारों की आज के समय में प्रासांगिकता को लेकर चर्चा की गई। भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के पूर्व राज्य सचिव देशराज ने इस अवसर पर कहा कि फांसी पर लटकाए जाने से मात्र तीन दिन पुर्व शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव ने तात्कालीन गवर्नर को पत्र लिख कर कहा था कि उनके साथ युद्धबंदियों के तरह व्यवहार करके उन्हें फांसी पर चढाने की बजाय गोलियों से उडा देने की मांग की थी। इस पत्र से इन शहीदों के अंग्रेजों के समक्ष अपनी जान बचाने के लिए नतमस्तक हो जाने के बजाय अदम्य साहस के साथ देश के लिए कुर्बान होने का जज्बा और आदर्श देश के समक्ष प्रस्तुत हुआ था। शहीदों के इन बलिदानों के कारण ही अंग्रेजों को देश छोडकर भागने पर मजबूर होना पड़ा था। इस मौके पर शहीद भगत सिंह विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप ने कहा कि भगत सिंह ने जिस गैरबराबरी और शोषण से मुक्त भारतवर्ष का सपना देखा था। वह अभी भी साकार नहीं हो पाया है। उन्होने कहा कि भगत सिंह ने अपने लेख में लिखा था कि गोरे अंग्रेजों के चले जाने और भूरे अंग्रेजों के आ जाने से भी उनका संघर्ष तब तक पूरा नहीं होगा जब तक असमानता और शोषण पर आधारित ढांचा समाप्त नहीं हो जाता। उन्होने कहा कि हमें भगत सिंह के इन शब्दों को हमेशा याद रखना चाहिए कि अगर कोई सरकार जनता को उसके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का यह अधिकार ही नहीं बल्कि आवश्यक कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी सरकार को बदल दे या समाप्त कर दे। उन्होने भगत सिंह द्वारा अपने पिता केसर सिंह को 30 सितम्बर, 1930 को लिखे पत्र का पाठ भी किया जिसमें भगत सिंह ने पिता द्वारा बचाव पक्ष के लिए भेजे आवेदन का कडे शब्दों में विरोध किया गया था। गोष्ठी में रवि सिंह राणा, लवण ठाकुर, रूपिन्द्र सिंह, अमर चंद वर्मा, बी आर जसवाल, रवि बधान, ललित ठाकुर, प्रितम ठाकुर, विकास कालरा, धनदेव, सुरेन्द्र कुमार आर्य ने चर्चा में भाग लिया। इस मौके पर अधिवक्ता कमल सैनी, मनीष कटोच, विनोद ठाकुर, कुलदीप ठाकुर, ओम प्रकाश, तरूणदीप सिंह सहित मंच के सदस्यों व स्थानीयवासियों ने भाग लिया।
...sameermandi.blogspot.com

Friday, 14 September 2018

फाउंडेशन ने टीसीपी एक्ट में संशोधन को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपे सुझाव



मंडी। पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन ने टाऊन एंड कंटरी प्लानिंग एक्ट में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को सुझाव सौंपे हैं। मुख्यमंत्री के मंडी प्रवास के दौरान फाउंडेशन का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तम चंद सैनी, हितेन्द्र शर्मा, इंद्र ठाकुर, प्रदीप परमार, मान सिंह ठाकुर, यशोद्धा नंद शर्मा, गुण प्रकाश शर्मा, ओम चंद शर्मा, एस आर राजू और अवनिंदर सिंह की अगुवाई में मुख्यमंत्री से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने टीसीपी एक्ट में संशोधन करने के लिए प्रदेश सरकार से मांग की है। फाउंडेशन के अनुसार उन्होने प्रदेश में अनाधिकृत भवनों के बारे में विस्तार से अध्ययन किया है। फाउंडेशन का मानना है कि 1977 में बने टीसीपी एक्ट पर सभी संबंधित लोगों से पुनर्विचार करके प्रदेश की आम जनता को भवन निर्माण में आ रही परेशानियों को कम किया जा सकता है। इस संबंध में सभी स्टेक होल्डरों में यह आम सहमती है कि 40 साल से अधिक पुराना टीसीपी एक्ट धरातल की सच्चाई के अनुरूप नहीं है और यह राज्य के लोगों की जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। यह बात इस तथ्य से जाहिर होती है कि मौजूदा टीसीपी एक्ट 1977 के बावजूद प्रदेश में इस समय एक लाख (सरकारी आंकडों में तीस हजार) अनाधिकृत भवन हैं। यह अधिनियम प्रदेश की अधिकांश जनता द्वारा अमल में नहीं लाया जाता। जिससे साफ जाहिर होता है कि इस एक्ट में अवश्य ही कोई गंभीर गल्ती है। फाउंडेशन के अनुसार प्रदेश के लोगों की यह भावना है कि टीसीपी एक्ट 1977 को संशोधित किया जाए और इसे जनपक्षधर व सत्यता पर आधारित बनाया जाए। जिससे प्रदेश में अनाधिकृत भवनों का निर्माण बंद हो और सरकार को समय-2 पर इन भवनों को नियमितीकरण की एकमुश्त पालिसी न लाने पडे। फाउंडेशन ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि राज्य सरकार की ओर से सभी स्टेक होल्डरों की टास्क फोर्स गठित की जाए। जिसमें संबंधित विभागों, आम जनता व एनजीओ के प्रतिनिधियों को शामिल करके टीसीपी एक्ट 1977 पर विस्तार से पुनर्विचार किया जाए और एक्ट में अधिक सत्यता के आधार पर विभिन्न जिलों व क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए जाएं। जिससे प्रदेश में नियमित विकास सुनिश्चित हो सके। फाउंडेशन का कहना है कि टीसीपी के नियमों खासकर एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) को अधिकतम सीमा 1.75 से बढ़ाकर 4-6 से किया जाए। उसी तरह सेट बैक के नियमों, लाइन आफ कंस्ट्रक्शन और मंजिलों की संख्या से संबंधित नियमों में संशोधन किया जाए। फाउंडेशन के सचिव समीर कश्यप ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को सुझाव सौंपते हुए आग्रह किया गया है कि जब तक टीसीपी एक्ट 1977 में संशोधन और पुनर्विचार नहीं होता तब तक वन भूमि और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करके बने भवनों को छोडकर अपनी मलकियत भूमि पर बने भवनों में अस्थाई रूप से पानी और बिजली के कुनेक्शन दिए जाएं। फाउंडेशन ने आग्रह किया है कि प्रदेश के आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए उक्त सुझावों पर ठोस कार्यवाही अमल में लायी जाए।
...sameermandi.blogspot.com

पंचवक्त्र के विस्थापितों को किया जाए पुनर्स्थापितः शहीद भगत सिंह विचार मंच




मंडी। शहीद भगत सिंह विचार मंच ने पंचवक्त्र मंदिर परिसर के समीप उजाडी गई बस्ती के बाशिंदों को पुनर्स्थापित करने की मांग की है। इस बारे में बुधवार को विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप, सुशील चौहान, कमल सैनी, आर एल वर्मा, मनीष कुमार कटोच, हुक्म चंद, खेम चंद, भारत भूषण, तेजभान सिंह, रवि बधान, दीपक ठाकुर, प्रवीण कपूर, नीरज कपूर, परस राम, उत्तम चंद सैनी, चंद्रकांत, रूप लाल, तरूण दीप और कमलेश की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने एसी टू डीसी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को ज्ञापन प्रेषित किया है। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार पंचवक्त्र मंदिर परिसर के पास पिछले करीब 40 साल से बनी झुग्गी झोंपडियों की बस्ती को सौन्दर्यीकरण के नाम पर उजाड़ दिया गया है। बस्ती में रहने वाले लोग भारी बरसात के इन दिनों में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं। विचार मंच के अनुसार बस्ती में तीन पीढ़ियों के बुजुर्ग, युवक, महिलाएं व बच्चे रह रहे थे। उनके आधार कार्ड बने हुए हैं और वह केन्द्र, प्रदेश और स्थानीय निकायों की मतदाता सूचि में शामिल हैं। यहां पर रहने वाले बच्चे पड्डल व अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ते हैं। जबकि घर के कमाने वाले सदस्य दिन भर फेरी लगाने, बूट पालिश, मजदूरी व अन्य छोटे-मोटे कार्य करके कडी मेहनत से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। मंच के मुताबिक करीब दो साल पहले बस्ती मे भयंकर आग लगने से सारी झुग्गियां जल कर राख हो गई थी। इसके अलावा हर साल बरसात के समय ब्यास नदी का प्रवाह उनकी झुग्गियों को तबाह कर देता था। ऐसे में बस्ती के लोग भी समय-2 पर उन्हें सुरक्षित जगह पर विस्थापित करने की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन उनकी मांगों की हमेशा उपेक्षा होती रही है। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार विगत स्वतंत्रता दिवस उनके लिए भारी विपदा लेकर आया। जब जिला प्रशासन ने पुलिस बल के डंडों की ताकत से जबरन बस्ती को उजाड दिया गया और बस्ती वालों को वहां से खदेड़ दिया। प्रशासन की ओर से उन्हें उस समय मौखिक आश्वासन दिया गया था कि खलियार में लुग्गड भट्टी के पास स्थित जमीन पर उन्हें झुग्गियां लगाने की अनुमति दी गई है। लेकिन जब बस्ती वाले लुग्गड भट्टी गए तो वहां पर उन्हें झुग्गियां लगाने से रोक दिया और उन्हें वहां से भी भगा दिया गया। विचार मंच के अनुसार बस्ती के लोग हर रोज कमाकर खाने वाले अतिनिर्धन परिवारों से संबंधित हैं। सिर पर छत न होने के कारण उन्हें किराए के मकानों में रहना पड रहा है। उनके पास गैस कुनेक्शन नहीं हैं जबकि मकान मालिक चुल्हा जलाने की इजाजत देने से इंकार करते हैं। बस्ती के लोग इन दिनों अलग-2 जगहों पर सिर छिपाने की जगहों में रह रहे हैं। उन्हें बच्चों का स्कूल जारी रखने में अनेकों परेशानियां आ रही है। उनकी झुग्गियों को हटाने से पहले उनके रहने के लिए प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। विचार मंच के अनुसार मूलतः राजस्थान और अन्य बाहरी राज्यों से संबंध रखने वाले बस्ती के लोग अनेकों सालों से शहरवासियों को फेरी, बूट पालिश, मजदूरी जैसी अनेकों सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। विचार मंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि उनके गृह जिला में अति गरीबों पर ढाये जा रहे इस अन्याय पर तुरंत रोक लगाई जाए। बस्ती वालों को उपयुक्त भूमी मुहैया करवाई जाए, उनके लिए अस्थाई मकान बनाए जाएं, जहां पर बिजली, पानी, शौचालय का प्रबंध किया जाए, बच्चों की पढाई की व्यवस्था की जाए और उन्हें गरीबों को दिए जाने वाले राशन सहित सभी योजनाओं का पात्र घोषित किया जाए।
...sameermandi.blogspot.com

मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...