मंडी। पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन ने टाऊन एंड कंटरी प्लानिंग एक्ट में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को सुझाव सौंपे हैं। मुख्यमंत्री के मंडी प्रवास के दौरान फाउंडेशन का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तम चंद सैनी, हितेन्द्र शर्मा, इंद्र ठाकुर, प्रदीप परमार, मान सिंह ठाकुर, यशोद्धा नंद शर्मा, गुण प्रकाश शर्मा, ओम चंद शर्मा, एस आर राजू और अवनिंदर सिंह की अगुवाई में मुख्यमंत्री से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने टीसीपी एक्ट में संशोधन करने के लिए प्रदेश सरकार से मांग की है। फाउंडेशन के अनुसार उन्होने प्रदेश में अनाधिकृत भवनों के बारे में विस्तार से अध्ययन किया है। फाउंडेशन का मानना है कि 1977 में बने टीसीपी एक्ट पर सभी संबंधित लोगों से पुनर्विचार करके प्रदेश की आम जनता को भवन निर्माण में आ रही परेशानियों को कम किया जा सकता है। इस संबंध में सभी स्टेक होल्डरों में यह आम सहमती है कि 40 साल से अधिक पुराना टीसीपी एक्ट धरातल की सच्चाई के अनुरूप नहीं है और यह राज्य के लोगों की जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। यह बात इस तथ्य से जाहिर होती है कि मौजूदा टीसीपी एक्ट 1977 के बावजूद प्रदेश में इस समय एक लाख (सरकारी आंकडों में तीस हजार) अनाधिकृत भवन हैं। यह अधिनियम प्रदेश की अधिकांश जनता द्वारा अमल में नहीं लाया जाता। जिससे साफ जाहिर होता है कि इस एक्ट में अवश्य ही कोई गंभीर गल्ती है। फाउंडेशन के अनुसार प्रदेश के लोगों की यह भावना है कि टीसीपी एक्ट 1977 को संशोधित किया जाए और इसे जनपक्षधर व सत्यता पर आधारित बनाया जाए। जिससे प्रदेश में अनाधिकृत भवनों का निर्माण बंद हो और सरकार को समय-2 पर इन भवनों को नियमितीकरण की एकमुश्त पालिसी न लाने पडे। फाउंडेशन ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि राज्य सरकार की ओर से सभी स्टेक होल्डरों की टास्क फोर्स गठित की जाए। जिसमें संबंधित विभागों, आम जनता व एनजीओ के प्रतिनिधियों को शामिल करके टीसीपी एक्ट 1977 पर विस्तार से पुनर्विचार किया जाए और एक्ट में अधिक सत्यता के आधार पर विभिन्न जिलों व क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए जाएं। जिससे प्रदेश में नियमित विकास सुनिश्चित हो सके। फाउंडेशन का कहना है कि टीसीपी के नियमों खासकर एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) को अधिकतम सीमा 1.75 से बढ़ाकर 4-6 से किया जाए। उसी तरह सेट बैक के नियमों, लाइन आफ कंस्ट्रक्शन और मंजिलों की संख्या से संबंधित नियमों में संशोधन किया जाए। फाउंडेशन के सचिव समीर कश्यप ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को सुझाव सौंपते हुए आग्रह किया गया है कि जब तक टीसीपी एक्ट 1977 में संशोधन और पुनर्विचार नहीं होता तब तक वन भूमि और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करके बने भवनों को छोडकर अपनी मलकियत भूमि पर बने भवनों में अस्थाई रूप से पानी और बिजली के कुनेक्शन दिए जाएं। फाउंडेशन ने आग्रह किया है कि प्रदेश के आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए उक्त सुझावों पर ठोस कार्यवाही अमल में लायी जाए।
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