Wednesday, 6 March 2019

मण्डी का नाम परिवर्तन नहीं किया जाएः शहीद भगत सिंह विचार मंच



मण्डी। मण्डी का नाम परिवर्तन नहीं करने हेतु मंडी की संस्था शहीद भगत सिंह विचार मंच ने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन के मुताबिक समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि मण्डी का नाम बदलने के बारे में प्रदेश सरकार विचार कर रही है। इस संबंध में मण्डी वासियों का कहना है कि मण्डी का नाम मांडव नगर या कुछ और रखने से पहले ऐतिहासिक तथ्यों पर जरूर विचार किया जाना चाहिए। मण्डी नाम रियासत कालीन मण्डी से चला हुआ है। मण्डी की रियासत के इतिहास की तीन मुख्य पुस्तकें पंजाब गजेटियरस मण्डी स्टेट 1920, हिस्ट्री आफ पंजाब हिल स्टेटस 1933 और हिस्ट्री आफ मण्डी स्टेट, 1935 हैं। इनमें से पंजाब गजेटियर के अनुसार मण्डी रियासत का नाम अन्य पहाड़ी रियासतों की तरह उनकी राजधानियों के नाम पर पड़ा था। मण्डी एक हिंदी शब्द है, जिसका मतलब है मार्केट और यह भी संभव है कि यह संस्कृत शब्द मंडपिका से जुडा हो, जिसका अर्थ होता है एक खुला हाल या शेड और यह संस्कृत के मांड शब्द से भी लिया हो सकता है जिसका अर्थ होता है सजाना या बांटना। मंच के अनुसार अपनी पुस्तक 'अरली इंडिया' में प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर गुप्त काल के बाद नए संदर्भों में शहरीकरण के बारे में लिखती हैं कि समृद्धशाली जमींदारों के अस्तित्व में आने से ग्रामीण क्षेत्रों में विनिमय केन्द्रों को प्रोत्साहन मिला और स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं की उपभोक्ता मांग बढ़ी । हालांकि यह मांग नमक और धातुओं को लेकर पहले से ही थी लेकिन अब अन्य वस्तुएं भी इसमें जुड गई। इससे हाट जैसे ग्रामीण विनिमय केन्द्रों को स्थापित करने को प्रोत्साहन मिला। वह जगह जहां पर राज्य का प्रशासन टैक्स एकत्र करता था उन्हें मंडपिका कहा जाता था और यह संभावनाशील शहर भी थे। मंच का कहना है कि मण्डी के इतिहास के मुताबिक पुराने जमाने से यह स्थान होशियारपुर और मैदानी क्षेत्रों से यारकंद और लद्दाख को जाने वाले मुख्य मार्ग का एक व्यापारिक केन्द्र था। मण्डी के बारे में पहला संदर्भ पुरानी मण्डी के त्रिलोकीनाथ मंदिर में उकृत है जो 1520 ई. का है। तिब्बतियों में मण्डी जाहोर के नाम से जानी जाती है। गुरू गोविंद सिंह ने भी मण्डी शब्द का प्रयोग करते हुए कहा है कि 'मण्डी को जब लूटेंगे, आसमानी गोले छूटेंगे। हिस्ट्री आफ पंजाब हिल स्टेटस 1933 भी बिल्कुल यही कहती है मण्डी के नामकरण के बारे में। तीसरी पुस्तक का भी यही कहना है कि 1520 ई. से पहले तक पुरानी मण्डी के बटोहली में राजधानी थी। लेकिन भूतनाथ की स्थापना के बाद राजधानी पुरानी मण्डी से नयी मण्डी आ गई और तब से इसका नाम मण्डी पड़ा। मंच के मुताबिक उक्त किसी भी इतिहास की पुस्तक में मांडव नाम का जिक्र नहीं है। जिससे यह तथ्य सपष्ट है कि कभी भी मण्डी का नाम मांडव नहीं रहा है। ऐसे में कोई ऐतिहासिक तथ्य मौजूद न होने के कारण जो पुख्ता तथ्य मौजूद हो तो उसे अस्वीकारना वास्तविकता को झुठलाना है। मंच के अनुसार मण्डी का नाम बदलने की चर्चा से स्थानीय वासी बेहद वेदनापुर्ण महसूस कर रहे हैं और उनमें बहुत रोष पनप रहा है। मण्डी का नाम बदलने से न केवल मण्डी शहर वासियों को ही मुश्किलें होंगी बल्कि पूरे जिला भर के लोग प्रभावित होंगे क्योंकि जिला का नाम भी मण्डी ही है। इससे लोगों को विभिन्न दस्तावेजों में दुरूस्ती करवाने के लिए लंबी लाइनों में लगने के लिए बाध्य होना पडेगा वहीं पर उसमें उनका भारी खर्चा भी आएगा। इसके अलावा सरकार को भी नाम बदलने में भारी व्यय करना पडेगा जिससे अनेकों विकास के कार्य प्रभावित हो सकते हैं। शहीद भगत सिंह विचार मंच तथा मंडी के स्थानीय वासियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उन्होने मण्डी जिला के वासियों को इस जिला से पहले मुख्यमंत्री बनने का गर्व प्रदान किया है। मण्डी जिला उनके द्वारा दिलाए गए इस सम्मान को कभी नहीं भूलेगा। लेकिन कुछ लोग अपने निजी हितों को साधने के लिए बिना किसी साक्ष्य के मण्डी का नाम कुछ और रखने के लिए लगातार ब्यानबाजी करके नफरत भरा विषवमन कर रहे हैं। मण्डी वासियों का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की सामर्थ्य पर पूरा विश्वास है कि वह इन साजिशों को बेनकाब करके मण्डी के नाम और सम्मान के साथ कोई छेडछाड नहीं होने देंगे और मण्डी का ऐतिहासिक गौरव संरक्षित और संवर्धित रखते हुए नाम परिवर्तन की साजिशों पर अंकुश लगाएंगे। मंच के संयोजक समीर कश्यप, जिला परिषद सदस्य संत राम, सुशील चौहान, पंकज शर्मा, बी आर जसवाल, मनीष कटोच, खेम राज, गंगेश, तरूण दीप, आर एल वर्मा, विजय ठाकुर, दुर्गा दास, अखिलेश ठाकुर, रूपेश, वीरेन्द्र कुमार, अश्वनी राणा, हुक्म चंद, अंकुश वालिया, रोत राम, अशोक राणा, नवीन राणा, कमल सैनी, चिरंजी ठाकुर, डिंपल कुमार, उत्तम सिंह, गीतांजली शर्मा, भीम सिंह, रवि सिंह राणा, प्रवीण कपूर, देश राज शर्मा, लाल सिंह, उमेश, सुरेश सरवाल, चेतन कुमार, सतीश कुमार शर्मा, यश पाल शर्मा और कृष्ण कुमार की ओर से हस्ताक्षरित ज्ञापन उपायुक्त मंडी के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया है।
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