मंडी। शहीद भगत सिंह विचार मंच ने हैदराबाद की वेटनरी डाक्टर के घृणित मामले में कडी कार्यवाई अमल में लाने की मांग की है। महामहिम राष्ट्रपति को उपायुक्त मंडी के माध्यम से प्रेषित ज्ञापन में मंच ने मांग की है कि निर्भया फण्ड के तहत चलने वाली योजनाओं को शीघ्रातिशीघ्र अमली जामा पहनाया जाए। वीरवार को शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त उपायुक्त अनुराग गर्ग के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन में मांग की गई है कि हैदराबाद की वेटनरी डाक्टर से सामुहिक दुराचार करने, हत्या करने और उसे जला देने की वीभत्स घटना के मामले में कडी से कडी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए और भविष्य में इस तरह की किसी घटना की पुनरावृति को रोकने के लिए सुनिश्चित कदम उठाए जाएं। मंच के संयोजक समीर कश्यप के मुताबिक दिल्ली में 2012 में घटित निर्भया कांड की जघन्यता ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। पूरे देश में महिलाओं और बच्चियों की असुरक्षा को लेकर लोगों में गुस्सा था। जनता के दबाव के कारण तात्कालीन यूपीए सरकार ने 2013 के बजट में निर्भया फण्ड की घोषणा की थी। इस फण्ड से कई योजनाओं को लागू करने के लिए देश के सभी राज्यों को पैसे आबंटित किए जाने थे। अभी तक इस निधी में करीब 3600 करोड रूपये दिए जा चुके हैं। लेकिन इस राशि का 80 प्रतिशत पैसा राज्यों ने खर्च ही नहीं किया है। मंच के अनुसार इससे जाहिर होता है कि इस सवाल को लेकर सरकारें गंभीर नहीं हैं। निर्भया फण्ड के तहत आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केन्द्रीय पीड़िता मुआवज़ा कोष, स्त्रियों और बच्चों के विरूद्ध साइबर अपराध रोकथाम, वन स्टॉप स्कीम, महिला पुलिस वॉलण्टियर और महिला हेल्पलाइन स्कीम को सार्वभौमिक बनाना था। मंच के अनुसार नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2016 की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बलात्कार के मामलों में 12.4 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में पेश की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में हर दो घंटे में 11 यौन हिंसा के अपराध होते है। भारत को दुनिया में स्त्रियों के लिए सबसे खतरनाक देश का दर्जा दिया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्त्रियों के विरूद्ध हिंसा की वीभत्स घटनाएं भयानक तेजी के साथ बढी हैं। मंच का कहना है कि स्त्रियों के विरूद्ध अपराधों को केवल कानून बनाकर और कुछ सरकारी इन्तज़ाम करके ही नहीं रोका जा सकता। जब तक समाज में स्त्री विरोधी और पुरूष वर्चस्ववादी मानसिकता हावी रहेगी, जब तक उन्हें भोग की वस्तु और बिकाऊ माल के तौर पर पेश किया जाता रहेगा, घटिया बाजारवादी संस्कृति समाज के पोर-पोर में फैलेगी, तब तक इन अपराधों को खत्म नहीं किया जा सकता। अतः महिलाओं के प्रति अपराधों की रोकथाम के लिए इन बुनियादी कारणों पर विशेष जोर देते हुए रणनीति तैयार की जानी चाहिए। मंच ने मांग की है कि स्त्रियों के प्रति बढते अपराधों को रोकने और उन्हें देश का नागरिक होने के नाते सुरक्षा प्रदान करने के लिए और ऐसे वीभत्स काण्डों की रोकथाम के लिए निर्भया फण्ड के तहत चलाई जाने वाली योजनाओं को समुचित रूप से लागू करने की कार्यदिशा अमल में लाई जाए और इन घटनाओं की पुनरावृति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। प्रतिनिधिमंडल में मंच के जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान, मंच के पदाधिकारी तथा सदस्य मनीष कटोच, बी आर जसवाल, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, देशराज शर्मा, रवि सिंह राणा, सतीश ठाकुर, कमल सैनी, दीपक ठाकुर, भारत भूषण, अशोक राणा, प्रितम सिंह, खेम चंद, ललित शर्मा, सौरभ, सुरेन्द्र ठाकुर, कंगना ठाकुर, नीरज ठाकुर, चैतन्य देव, हरीश चौहान, नवीन कुमार, परस राम, विनोद, तरूणदीप सहित अन्य स्थानीय निवासी मौजूद थे।
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