मंडी। क्रिमिनल इंजरी कंपनसेशन बोर्ड ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए मंडी की दो एसिड अटैक पीडिताओं को 25 लाख रूपये का मुआवजा देने का आदेश पारित किया है। देश भर में एसिड अटैक पीडिताओं को इतनी अधिक राशि देने का यह पहला फैसला है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से क्रिमिनल इंजरी कंपनसेशन बोर्ड के समक्ष दायर की गई याचिकाओं पर यह निर्णय किया गया है। बोर्ड के अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायधीश आर के शर्मा और सदस्यों उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर, जिला पुलिस अधीक्षक गुरूदेव शर्मा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीवानंद चौहान ने यह निर्णय देते हुए साल 2005 में मंडी में हुए एसिड अटैक की मुख्य पीडिता को पीडिता मुआवजा स्कीम के तहत 13 लाख रूपये और सह पीडिता को 12 लाख रूपये का मुआवजा देने का फैसला दिया है। बोर्ड के अध्यक्ष आर के शर्मा ने फैसले में गीता के श्रलोक “ नेत्रम प्रधानम सर्वेन्दरियम” का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले की मुख्य पीडिता की आंखों को पहुंची क्षति से न केवल उसके हरेक दिन के कार्य प्रभावित हुए हैं बल्कि जीवन की गुणवता और दुनियादारी में अन्तःक्रिया की योग्यता भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। मानव का चेहरा जैविक आवश्यकताओं के साथ-साथ व्यक्ति की पहचान के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। चेहरे की बनावट का विघटन व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान और सामाजिक भूमिका तक पहुंच को प्रभावित करता है और शादी अथवा रोजगार जैसी संभावनाओं पर भी प्रतिकूल असर डालता है। इस मामले की मुख्य पीडिता इस समय 35 वर्ष की है जबकि दूसरी पीडिता 31 वर्ष की है। दोनों की अभी तक शादी नहीं हुई है। मुख्य पीडिता अपनी स्नातक की पढाई पूरी नहीं कर पाई और करीब एक साल तक विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन रही। दूसरी पीडिता भी उपचार के कारण लंबे समय तक पढ़ नहीं पाई। उनकी देखभाल के लिए परिजनों ने भारी आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दबाब झेला है। हालांकि भाग्यवश उनकी जानें बच गई, लेकिन वह जीवन भर के लिए विरूपित, अंगहीन और आघात में हैं। उन्हें उन जख्मों को तब तक ढोना होगा जब तक वह जीवित हैं। हालांकि पीडिताओं ने भावनात्मक दबाव भी झेला है जिसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है। तब भी पीडिता मुआवजा के तहत उनके द्वारा झेली गई वेदना के एवज में कुछ राहत दी जा सकती है। घटना के बाद मुख्य पीडिता ने अपनी आंखें, चेहरा और लगभग सारी चमडी खो दी है। वह सौ प्रतिशत नेत्रहीन है और अभी तक अविवाहित है। जिसके चलते उसके द्वारा अंग खो देने के नुकसान के रूप में पांच लाख रूपये जबकि आठ लाख रूपये चेहरे की विरूपता के रूप में अदा किये जाएंगे। जबकि दूसरी पीडिता घटना के समय नाबालिग थी। नाबालिग के लिए स्कीम में 50 प्रतिशत ज्यादा मुआवजा निर्धारित है। उसके माथे, नाक और होठों पर स्थायी चोटों के निशान हैं और वह भी अविवाहित है। ऐसे में बोर्ड ने उसे 12 लाख रूपये मुआवजा देने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव असलम बेग को शिमला में हुए प्रदेश के पहले एसिड अटैक के मामले में पीडिता को मुआवजा दिलाने की जानकारी मिली तो उन्होने मंडी में 2005 में हुए एसिड अटैक की पीडिताओं के बारे में जानकारी एकत्र की। जिसमें उन्हें पता चला कि पीडिताओं को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ऐसे में उन्होने पीडिताओं के परिजनों को संपर्क करके उनकी अर्जी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से क्रिमिनल इंजरी कंपसेशन बोर्ड के समक्ष दायर करवाई थी। प्राधिकरण का मुआवजा दायर करने में देरी के बारे में कहना था कि जब यह घटना हुई थी उस समय पीडिता मुआवजा स्कीम नहीं बनी थी। लेकिन स्कीम बन जाने के बाद भी पीडिताओं को इस बारे में जानकारी नहीं थी जिसके कारण वह आवेदन नहीं कर पाई। प्राधिकरण की ओर उच्चतम न्यायलय और कई उच्च न्यायलयों की व्यवस्थाएं बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की गई जिनमें यह बताया गया कि मुआवजा दायर करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है और स्कीम के बनने से पहले के मामलों में भी मुआवजा दिया जा सकता है। बोर्ड ने इस संबंध में कानूनी पहलुओं को स्वीकारते हुए पीडिताओं के आवेदनों को समयबद्ध मानते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय दिया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के इस मामले में किये गए प्रयासों की सभी ओर सराहना हो रही है। इस मामले में दी गई मुआवजा राशि देश और प्रदेश भर में एसिड अटैक के मामलों में सबसे अधिक है।
क्या था मंडी का एसिड अटैक मामला
27 मई 2005 को इस मामले की मुख्य पीडिता जब बस में बैठ कर अपने घर जा रही थी तो इसी दौरान एक युवक ने बस में चढ़ कर हाथ में ली एसिड की बोतल से मुख्य पीडिता पर एसिड छिडक दिया था। जिससे मुख्य पीडिता, दूसरी पीडिता सहित बस में सवार 11 लोग घायल हो गए थे। पीडिताओं का इलाज लंबे समय तक अस्पताल में चलता रहा। इस मामले के आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी। आरोपी की ओर से उच्च न्यालय में दायर अपील में भी सजा बरकरार रखी गई थी। आरोपी इस समय उम्र कैद की सजा काट रहा है।
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