भूमिका
मंडयाली भाषा हिमाचला री दो पुराणी रियासता मंडी होर सुकेता रे बडे क्षेत्रा बिच बोली जाणे वाल़ी भाषा ही। हालांकि मंडयाली बी टांकरी लिपि बिच हे लिखी जाहीं थी पर प्रचलना बिच नीं रैहणे ले टांकरी लिपि एभे लुप्तप्राय हुई गईरी। पर लिपि रे खत्म हुणे ले भाषा खत्म नीं हुंदी बल्कि से जियुंदी रैहाईं बोलचाला बिच जिहां ये आजकाले ही। पर ये बी सच्च हा भई आसौ जो चीजा हमेशा दो नजरिये ले देखणी हुआईं। एक ता ही निरंतरता होर दूजा हा परिवर्तन। जिहां-जिहां आसे इतिहासा रा विकासक्रम बधदे देखाहें तिहां-तिहां निरंतरता रा पैहलू कमजोर हुंदा जाहां होर परिवर्तना रा पैहलू मजबूत हुंदा जाहां। जिहां-जिहां उत्पादन रे साधन होर तिन्हा के बणीरे सामाजिक संबंधा बिच बदलाव आउंदा रैहा तिंहा-तिहां हे टांकरी लिपी रे प्रचलना बिच कमी आउंदी रैही हुणी होर ये हे कारण हा शायद जे आज मंडयाली भाषा रे सफरनामे बिच परिवर्तना रा पैहलू महत्वपूर्ण हुई चुकीरा। ठीक बी हा जे आज मंडयाली री कोई लिपी नीं ही होर अगर हुंदी बी ता से बी पढने बिच बडी कलिष्ठ हुणी थी होर साधारणतया पढने लायक नीं हुंदी क्योंकि तेतारा विकास हे अवरूद्ध हुई गईरा था। भले ही आज टांकरी मंझ मंडयाली नीं लिखी जांदी पर लगभग सारे जनपदा रे लोक मंडयाली बिच हे गलाहें-बोल्हाएं। मंडयाली रे गाणे, छिंझा, लाहणियां, लोक नाटक, कहाणियां, कहावता, लोकोक्तियां रा भंडार लोका री यादाश्ता बिच अझी बी बिखरी रा पईरा। पर ये बी सच हा भई मंडयाली बोलणे री निरंतरता पर बी परिवर्तना रा पैहलू लगातार हावी हुई करहां होर अगर समय रैहंदे मंडयाली भाषा रा लोक साहित्य संग्रहित नीं किता गया ता दुनिया एक बौहत हे मिट्ठी जुबाना जो सुणने होर समझणे ले वंचित हुई सकहाईं (जेहडी जे हिमाचला री कई भाषा होर बोलियां आज के दिना बिच दुर्लभ हुई चुकीरी)। मंडी शैहरा रा निवासी हुणे रे करूआं मुंजो हमेशा लगहां भई हाउं मंडयाल़ी बिच ज्यादा सहजता के होर ज्यादा आजादी के गल्ल करी सकहां। हालांकि आजकाले आसे जे मंडयाली गलाहें तेता बिच बी पंजाबी, हिन्दी, अंगरेजी, उर्दु होर स्थानीय शब्दा रा मिश्रण हुआं।
पंजाब गजिटयरस, मंडी स्टेटा रे परिशिष्ट एका बिच टी ग्राहम बैलीए मंडी होर सुकेता री बोलियां पर एक भूमिका लिखिरी। सन 1905 ई. बिच लिखिरी एसा भूमिका बिच स्यों दसहाएं भई मंडयाली बोली काफी फैलिरी। ये मंडी रियासता रे उतरी होर पश्चिमी भागा बिच थोडे बौहत बदलावा के बोली जाहीं। रियासता री राजधानी बिच बी बोली जाहीं होर दक्षिणा बिच बसीरे सुकेता तक फैल्हीरी। इन्हें मंडयाली रा व्याकरण भी लिखिरा एस लेखा सौगी। स्यों दसहाहें भई संबंधसूचक संज्ञा कठे मंडयाली बिच बादा मंझ बिच ‘रा’ लगाहें होर सम्प्रदान कारका कठे ‘जो’ होर अपादान कारका कठे ‘गे या थे’ रा प्रयोग करहाएं। मंडयाली रा व्याकरण एक होर विस्तृत लेखा रा विषय हा। इधी कठे एस विषया पर आसे फेरी कधकी विचार करघे। दरअसल मुंजो देवनागरी या हिन्दी मंझ मंडयाली लिखणे री प्रेरणा एकी डोगरी कताबा ले मिल्ही। मेरे पिता जी दीनू कश्यपा होरी बाले बौहत सारा साहित्य हा। इन्हा बिच मुंजो डोगरी भाषा बिच लिखिरी मोहन सिंह होरी री एक नाटका री कताब पढणे जो मिल्ही। जेबे मैं ये कताब पढी ता लगया भई डोगरी ता मंडयाली के बौहत मिलदी जुलदी भाषा ही। होर अगर डोगरी जो देवनागरी या हिन्दी बिच लिखी सकाहें तो मंडयाली जो बी लिखेया जाणा चहिए। साल 2013 रे जून महीने बिच मेरे भीतर एक विचारे जोर पकडेया भई मंडी शैहरा रे सभी महल्लेयां री सैर करनी होर जेहडा-जेहडा तेस महल्ले देखणा से मंडयाली बिच लेखा रे रूपा बिच लिखणा। जिन्हुए-जिन्हुए हाउं सैर करदा गया तेता बारे बिच मंडयाली बिच जानकारी देंदा रैहा। खलयार, पुराणी मंडी, जेलरोड, सुहडा, पैलेस, लोअर समखेतर, अपर समखेतर होर दरम्याना, लोअर भगवाहण, अपर भगवाहण, टारना, रामनगर होर पाडला महल्ले री सैरा रे दौरान 12 लेख लिखे। यों लेख फेसबुक टाइम लाइन, आपणे फेसबुक पेज मंडी न्यूज सर्विस, आसे हिमाचली, हिमाचली शब्दकोश, ग्रुप आसे हिमाचली होर आपणे ब्लॉग sameermandi.blogspot.com बिच लिखे। यों लेख लोके बौहत पसंद किते। मंडी रे प्रसिद्ध साहित्यकार सुंदर लोहिया होरी ए मेरे ब्लॉगा पर कमेंट कितेया था भई- सारे महल्लेयां री सैर मंडयाली मंझा लिखी कने समीरे बडा अच्छा काम कितिरा। एस कामा जो अगली पीढी तक पौंहचाणे वास्ते छापणा जरूरी हा। इधी कने एक ता आसारी मंडयाली बोली रा साहित्य तैयार हुणा दूजा नौवीं पीढी जो पुराणे जमाने री झलक भी मिलणी। दुहें काम बडे जरूरी हे भाई।
शहीद भगत सिंह रा एक लेख हा “पंजाब की भाषा और लिपि की समस्या”। ये लेख तिन्हें 1924 बिच लिखेया था जे तिन्हारे शहीद हुणे बाद 28 फ़रवरी, 1933 बिच ‘हिन्दी सन्देश’ मंझा प्रकाशित हुआ था। एता बिच स्यों बोल्हाएं भई “केसी समाज या देशा जो पैहचाणने कठे तेस समाज होर देशा रे साहित्य के परिचित हुणे री परमावश्यकता हुआईं, क्योंकि समाजा रे प्राणा री चेतना तेस समाजा रे साहित्य मंझ बी प्रतिच्छवित हुआईं।“ एस लेखा बिच स्यों अग्गे लिखाहें- अजही तका पंजाबी साहित्यिक भाषा नीं बणी सकीरी होर सारे पंजाब री एक भाषा बी से नीं ही। गुरूमुखी लिपि मंझ लिखी जाणे वाल़ी मध्य पंजाबा री बोलचाला री भाषा जो हे एस बक्ता तक पंजाबी बोल्या जाहां। से ना ता अजही तका विशेष रूपा के प्रचलित हे हुई पाइरी होर ना हे साहित्यिक होर वैज्ञानिक बणी सकीरी। तेता बखौ पैहले ता केसीए ध्यान हे नीं दितेया, पर एभे ज्यों सज्जन एता बखौ ध्यान देई करहाएं, तिन्हा जो लिपि री अपूर्णता बुरी तरहा के अखराहीं। संयुक्त अक्षरा रा अभाव होर हलन्त नीं लिखी सकणे बगैरा रे करूआं तेता बिच ठीक-ठीक शब्द नीं लिखे जाई सकदे, होर ता होर पूरा शब्द बी नीं लिखेया जाई सकदा। ये लिपि ता उर्दू ले बी ज्यादा अपूर्ण ही होर जेबे आसारे साम्हणे वैज्ञानिक सिद्धान्ता पर निर्भर सर्वांगसम्पूर्ण हिन्दी लिपि विद्यमान ही, तेबे तेता जो अपनाणे मंझ क्या हिचक? गुरूमुखी लिपि ता हिन्दी अक्षरा रा हे बिगड़ी रा रूप हा। सर्वांगसम्पूर्ण लिपि जो अपनांदे ही पंजाबी भाषा उन्नति करना शुरू करी देणी। हिन्दी लिपि जो अपनांदे ही पंजाबी हिन्दी साहीं बणी जाहीं। फेरी ता कोई भेद हे नीं रैहणा होर एतारी ज़रूरत ही, क्योंकि सर्वसाधारणा जो शिक्षित कितेया जाई सके होर ये आपणी भाषा रे साहित्य के हे हुई सकहां। पंजाबी री ये कविता देखा-
ओ राहिया राहे जान्दया, सुन जा गल मेरी
सिर ते पग तेरे वलैत दी, इहनूँ फूक मआतड़ा ला।
होर एतारे मुकाबले मंझ हिन्दी री बडी-बडी सुन्दर कविता कुछ प्रभाव नीं करी सकदी, क्योंकि से अजही सर्वसाधारणा रे हृदय रे ठीक भीतर आपणी जगहा नीं बणाई सकीरी। से अझी बौहत परायी-जेह लगहाईं। एतारा कारण हा हिन्दी रा आधार संस्कृत हुणा। जबकि पंजाब एता ले कोसों दूर हुई चुकीरा। बोलणे रा मतलब ये हा भई पंजाबी रे नजदीक हुणे परा बी हिन्दी अजही पंजाबी-हृदय ले भतेरी दूर ही। हां, पंजाबी भाषा रे हिन्दी लिपि मंझ लिखे जाणे पर होर एतारे साहित्य जो बनाणे रे प्रयत्ना बिच निश्चय हे तेसा हिन्दी रे निकटतर आई जाणा।
शहीद भगत सिंह रा ये लेख बार-बार प्रेरणा देहां भई आसौ मंडयाली या पहाडी भाषा हिन्दी लिपि बिच लिखणी चहिए होर एता के लगहां भई मेरे ले चाहे अनजाणे बिच हे एस लेखा जो पढ़ने ले पैहले हे मंडयाली जो हिन्दी लिपि बिच लिखणे री दिशा बिच जे कदम उठेया था से ठीक हे कदम था। ये लेख मंडयाली बिच लिखणे कठे प्रेरित करहां होर जेता करूआं मुंजो लगया भई मंडयाली बिच लिखणा, गलाणा-बोलणा, सोचणा होर समझाणा जरूरी हा।
मंडी री सैरा ले बाद मंडयाली लेखमाला रा दूजा पडाव साल 2018 रे जून महीने बिच आया जेबे दो साथी मनन विज होर नमिता मिल्हे। तिन्हें मुंजो रेडिकल वॉयस यू टयूब चैनला पर साथी सुखविंदरा रे विडियो देखणे कठे बोल्या। तिन्हा रा विडियो देखी के बौहत ज्ञान हुआ होर मना बिच ये विचार आया भई आसौ मंडयाली बिच बी मार्क्सवाद समझणे होर समझाणे री कोशीश करनी चहिए। साथी सुखविंदरा होरी रा एकी सेमिनारा बिच पंजाबी भाषा मंझ दितिरे भाषणा री ट्रांसस्क्रिप्टा जो एस लेखा रे माध्यमा ले मंडयाली भाषा बिच लिखणे री कोशीश किती। एस लेखा रा शीर्षक था 'आजा रे समया बिच मार्क्सवादा री प्रासांगिकता'। मंडयाली लेखमाला रा अगला पडाव था “जाति व्यवस्थाः उदगम, विकास होर जाति अन्त रा प्रश्न” लेख जे ‘पहाडी दयार’ ब्लॉगा बिच प्रकाशित हुआ। ये लेख अखिल भारतीय जाति विरोधी मंचा री तरफा ले आयोजित एक कार्यशाला बिच मजदूर बिगुला रे सम्पादक अभिनव सिन्हा रे व्याख्याना पर आधारित हा। मंचा री तरफा ले इन्हा व्याख्याना पर एक विडियो सीरीज बणाई गईरी। इन्हा विडियो री हर कडी जो हाउं देखदा रैहा होर एता रे नोट्स एक कापी बिच लिखदा रैहा। अभिनव सिन्हा होरिये जाति प्रथा पर बौहत विस्तारा के होर डुघे जाई के आपणा व्याख्यान दितिरा। मुंजो लगया भई ये मंडयाली बिच लिखेया जाणा चहिए होर आपणी पौंहचा वाल़े लोका तका पौंहचाणा चहिए। इधी कठे मैं नवंबर 2018 बिच कापी मंझ लितिरे नोटसा ले ये लेखमाला लिखणे री कोशीश शूरू कीती। अभिनव सिन्हा होरी री प्रतिभा रा हाऊं कायल हा। इन्हारे लेख दिशा सन्धान, नान्दीपाठ पत्रिका होर मजदूर बिगूल अखबारा बिच पढदा रैहां। एता रे अलावा यूटयूबा पर इन्हा रे मार्क्सवाद होर अलग-2 विषया पर व्याख्यान बौहत ज्ञानवर्धक हुआएं। यों बौहत अच्छे सांस्कृतिक कर्मी होर मजदूर नेता बी हे होर आजकाले दिल्ली क्षेत्रा बिच कार्यरत हे।
एस लेखा बाद साल 2018 बिच हे दिसंबर महीने प्रसिद्ध क्रान्तिकारी होर मशहूर लेखक यशपाला होरी री कताब “मार्क्सवाद” मंझ शामिल लेख ‘स्त्री-पुरूष और सदाचार’ रा मंडयाली रूपांतरण कितेया। मई 2019 बिच राहुल सांकृत्यायना री कताब “साम्यवाद ही क्यों?” रे मंडयाली नोटस लिखे। मई 2019 बिच हे राहुल फाउण्डेशन, लखनऊ ले छपीरी ज़ेल्डा काहन-कोटस लिखित कताब “कार्ल मार्क्स-जीवन और शिक्षाएं” रे लेख ‘अतिरिक्त मूल्य रा सिद्धान्त’ रे मण्डयाल़ी नोट्स लिखे। जून 2019 बिच एसा कताबा ले हे ‘इतिहासा री भौतिकवादी अवधारणा’ रे मण्डयाली नोटस लिखे। एता ले बाद 1 अगस्त 2019 बिच कार्ल मार्क्स होर फ्रेडरिक एंगेल्सा रे 1848 ई. बिच लिखिरे ‘कम्यूनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र’ रा मंडयाली बिच अनुवाद कितेया। एस घोषणा पत्रा रे दुनिया भरा री भाषा बिच अनुवाद हुई चुकीरा। इधी कठे मुंजो लगेया भई मंडयाली बिच बी घोषणा पत्र अनुवादित हुणा चहिए। एता ले अलावा 14 अगस्त 2019 जो राहुल फाउण्डेशन, लखनऊ, ले हिन्दी बिच छपीरी पुस्तिका "कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र" रे परिशिष्टा मंझ शामिल लेख कम्युनिज़्मा रे सिद्धान्त---फ्रेडरिक एंगेल्स रा बी मण्डेआल़ी अनुवाद कितेया। एस साल कोरोना काला बिच लॉक डाउना मंझ 7 अप्रैला जो लेनिना री कताब “राजसत्ता होर क्रान्ति” रे मण्डयाली नोट्स लिखे। इन्हां नोट्सा जो लिखदे बक्त हाऊं दिशा संधान पत्रिका बी पढ़ी करहां था। एता बिच चार्ल्स बेतेलहाईमा री कताब ‘सोवियत संघा मंझ वर्ग संघर्षा’ पर अभिनव सिन्हा रे आलोचनात्मक लेखा रे अंश बी शामिल कितीरे। जिन्हां बिच राज्यसत्ता होर क्रान्ति ले बाद लेनिना रे दृष्टिकोणा बिच आईरे बदलावा री चर्चा कीतीरी। क्योंकि यों संदर्भ एसा कताबा जो निरन्तरता बिच पढ़ने कठे जरूरी थे इथी कठे इन्हौं शामिल करना मुंजो जरूरी लगेया। एता ले बाद 29 अप्रैला जो लॉकडाउना रे दौरान हे दिशा संधान, अंक दो, जुलाई-सितम्बर 2013 मंझ प्रकाशित शोध टीम, अरविन्द मार्क्सवादी अध्ययन संस्थाना द्वारा लिखित लेख ‘जाति प्रश्न और उसका समाधानः एक मार्क्सवादी दृष्टिकोण’ रा अंश बी मण्डयाल़ी बिच रूपान्तरित कितिरा। मेरे मण्डयाली लेखना जो तुसे मेरे ब्लॉग sameermandi.blogspot.com परा देखी सकाहें।
दिनांकः 5-5-2020
खलयार महल्ले री सैर -1
आज एक विचारे जोर पकडी लितेया भई मुंजो आपणे दफ्तरा रा काम पूरा करने बाद सैरा (इवनिंग वॉक) पर निकलणा चहिए। इने विचारे काम टाईमा परा काम निपटाणे कठे हाऊँ बुझां आंदोलित हे करी दितेया। मना बीच सोचेया भई एक बारी भी कने मंडी शैहरा री परिक्रमा करणी। पैहले हाऊं भ्यागा जाहां था सैरा जो पर ऐस बारी मुंजो सांझकी मंडी देखणे जो मिलणी। सांझकी मंडी मतलब ज्यादा लोक देखणयो मिलणे। क्योंकि ज्यादातर लोक सांझा आपणे घरौ बखौ चली पौहायें या घरा पहुंची जाहें।
दफ्तरा ले निकलदे-निकलदे 7.27 बजी गये। इरादे रे मुताबिक मैं मुघवाण (भगवाहन) महल्ले आपणे घरा री हेठली मंजला रे आपणे दफ्तारा ले सैर कठे चली पया। बाहर निकलुआं जेबे चलया ता कई ऐहडे लोक सुझे जो विरले हे मिलाहें थे मुंजो। बंगला महल्ला, शमशान घाट, हनुमान घाट, कादस रूद्र मंदरा बगैरा बटिहें गुजरदा हुआ जेबे पुराणी मंडी रे विक्टोरिया पुहल़ा पराले पौहुंचेया ता तेथी ता नजारा हे कुछ होर था। ब्यास दरयाओ बुझां आपणी पूरी जवानी पराले था। आपणे दोन्हों बाडहा री जानियां जो ढकी कने होर पूरे ताडा बिच फैली कने बैहंदा हुआ ब्यास दरयाओ आपणे विस्तारा रा अहसास करवाई करहां था। पता नी कितना हे पाणी कुछ हे क्षणा बिच पुला जो पार करी देई कराहां था। पर इतना जरूर था भई बाजारा री उमस पुलहा पराले एक दम गायब थी। बल्कि धुंध होर ठंडी-2 सुकून देंदी हवा सारी ध्याडी री गर्मी छु मंतर करी कराहीं थी।
पुहल पार करूआं हाऊं वार्ड नंबर एक खलयार मुहल्ले री सडका परा पहुंची गया। एन एच-20 पठानकोट मंडी सडका रे दोनों तरफ बसी रा खलयार मुहल्ला। ऐस मुहल्ले रा नांव जवाहर नगर बी हा। लकडी डिपो, शनी मंदिर, डी सी निवास, जवाहर पार्क, डी ए वी स्कूल, राधास्वामी बगैरहा कुछ ऐहडी जगहा ही ऐस मुहल्ले बिच जिन्हा रे बारे बिच मंडी रे लोक काफी हदा तक जाणाहें। बुजुर्ग दसाहें भई ये महल्ला बडी प्लानिंग के बणाइरा। ऐस मुहल्ले बडे बांके-2 घर बणीरे होर खलयारा जो मंडी रा पॉश महल्ले मनया जाहां। पर ऐभे कुछ लोक पहाडा री कटिंगा करी के घर बनाई कराहें। जेता के जमीन धंसणे रा भी खतरा हुई गईरा। कुछ टाइम पैहले कई मकाना पर मलबा आई गया था होर कटौले वाली सडक भी लाहसा आउणे ले टुटी गई थी।
खलयारा रे दूजे कुणे पराहले बणिरे गैसा रे स्टोरा वाले पुहला तका मेरी सैरा रा आखिरी पडाव था। इथी ले ब्यासा पराले नजर घुमाई तो सामणे एक बारी भी एक विहंगम दृष्य मौजूद था। ब्यास दरयाओ आपणे पूरे विस्तार के बही कराहां था। रघुनाथा रे पाधरा बाले दरयावा रा खूबसूरत मोड ऐहडा लगी कराहां था बुझां एक बहुत बडा सर्प गुजरी कराहां। दरयावा जो देखी के उतराखंडा री याद भी ताजी हुई गई। ब्यास दरयावा रे ऐस प्रवाह अग्गे केस री चली सकाहीं। होर अझी तका ब्यास नदिये हनुमाना घाटा हनुमाना रे पैर तक नीं छुईरे तेबे हे इतना पराक्रम सुझी कराहां। अगर किथकी केदारनाथा साहीं घटना इथी घटित हुई जाओ ता आसारे शैहरा रा क्या हश्र हुणा हुंगा ऐतरा ता आसे अनुमान बी नीं लगाई सकदे।
खैर, इन्हाये विचारा बिच गवाहिरा हाऊं आपणी वापिसी री यात्रा शुरूहु करी देहां। पेट्रोल पंपा रे सामने एक पाणी मुटिरा। सोचया पाणी पी लूं। जेबे पाणी पितेया ता ये बडा हे भारी मीठा लगया। फेरी ध्यान गया भई सौगी हे एक पुराणी बांय ही जे आधी सडक रे हेठ ढकी गईरी। ये बांय आचकल सुक्की गईरी। हुई सकां ये मुटिरा पाणी बांई रा हे पाणी हो। छुहडु पीछे लगीरे मकाना रे काम के ये पाणी छुहडु बटियें मुटी गईरा। प्रशासना जो ऐस मुटिरे पाणी कठे एक बांय बनाणी चाहिए या पुरानी बांय हे ठीक करी देणी चहिए। कोयला री आवाजा होर झिंगुरा रा संगीत मेरी सैरा जो संगीतमय बनाई के होर सुंदर करी कराहां था। कोई चीज तंग करी कराहीं थी ता से थी एन एच 20 पर दौडदी गडियां। गडियां होर गडियां, कारा होर कारा, जीपा होर जीपा होर होर जीपा, बसा, ट्रक, टैंकर होर स्कूटर-मोटरसाइकल। इन्हा ले बचणा बडा जरूरी हुई जाहां अगर तुसे सैरा रा सही मजा लैणा चाहें।
ता ये थी साथियो मेरी खलयार महल्ले री सैर। अगर सैरा रा दौर जारी रैहा ता तुसा जो होर महल्लेयां री सैर बी करवांघा।
पुराणी मंडी री सैर
मंगलवार 25 जूना ले शुरू हुईरा सैरा रा सिलसिला लगातार जारी हा। खलयारा बाद अगले दिन यानी बुधवारा जो मेरी सैरा रा रूट था पुराणी मंडी। पुराणी मंडी विक्टोरिया पुलहा रे नेडे तेडे री जगहा आजकाले चैहल-पैहला वाल़ी हुई गईरी। विक्टोरिया पुलहा बटियें गडियां री भारी आवाजाही रे करूआं कबला हे जाम लगीरा रैहां। आसौ ता शुक्रगुजार हुणा चाहिए अंग्रेजा रा जिन्हे पारली (पुराणी) मंडी होर वारली मंडी रे दो किनारेयां जो गडियां लायक जोडने कठे सन 1875 बिच विक्टोरिया पुलह बणवाया था। ऐस पुलहा री गारंटी 100 साला तका थी पर ये आजकले 136 साला रा हुई गईरा। तेबे बी ये बेतहाशा बधी गईरी गडियां रा भार सही करहां। पुलहा री हालता जो देखदे हुए कई बार नौंवे पुलहा जो बनाणे री गला बी सामहणे आउंदी रैहयांई पर पता नी बणना कधी हा या फेरी सिर्फ राजनीती हे हुंदी रैहणी। फिलहाल आसारा प्रशासन ऐस पुलहा पराले तरस नीं खाई करदा। पुलहा रे सौगी हे पठानकोट होर कटौले बखौ जाणे वाली सवारियां रा बस स्टॉप बणी गईरा। सारा दिन भर लोक इथी रेन शैल्टरा बाले होर पीपला रे हेठ आपणी बसा निहाल़ाएँ। इन्हा लोका कठे बैठणे जो कोई जगहा नी ही जेता करूआं इन्हां जो कडाके रे धुप्पे होर बरखा बिच आपणा बक्त काढ़णा मुश्कल हुआं। ऐस बस स्टॉप रे नजदीक कोई पशाब खाना बी नीं हा जेता करुआं लोका जो बडी परेशानी झेलणी पौंहाई। हालांकि नगर परिषदे एक पशाबखाना इथी बनाईरा बी हा पर ये बी काम नीं करी करदा। इथी हे ब्यास दरयावा रे कंडहे पुराणी मंडी रा शमशान घाट हा। पर कुछ ध्याड़े पैहले मलबा आउणे ले ये दभी गया था। अझी बी ये पूरी तरहा के ठीक नीं हुईरा। ऐस जगहा एक बारी इतना मलबा आई गया था जे एन एच 20 कई ध्याडे बंद रैहा था। मलबे सौगी बडी-2 चट्टाना सड़का पर उतरी गई थी। शुक्र हा जे कोई इन्हुए टपदा नी लगीरा था तेबे केसी जो जानी रा नुकसान नीं हुआ निता तेसरा कुछ नी बचणा था। मंडी रा सभी ले पुराणा महल्ला पुराणी मंडी हा। दरअसल सेन वंशा रे राजा बाणसेन सभी थे पैहले शिवा बदारा ले भ्युली होर पुराणी मंडी हे आया था। करीब दो तीन सौ साला तका पुराणी मंडी हे मंडी रियासता री राजधानी रैही। ब्यास दरयावा रे लेफ्ट बैंका रे कंडहे बसीरा मंडी शैहर 1526 ई. बिच अजबर सेन राजे बसाया था। तेता ले बाद राजधानी पुराणी मंडी ले वारली मंडी जो आई गई थी। इहां ता मंडी जो छोटी काशी बी बोल्हाएँ पर पुराणी मंडी जो मंदरा रा महल्ला बोलेया जाहां। पुराणी मंडी लगभग हर 50 मीटरा परा एक मंदिर देखणेओ मिली जाहां। त्रिलोकीनाथा रा प्राचीन मंदर पुरातत्व विभागे राष्ट्रीय धरोहर घोषित कीतीरा। त्रिलोकीनाथ मंदरा ले ब्यास दरयाओ होर सुकेती खाड्डा रे संगम पर बणीरे पंचवक्तर मंदरा रा खूबसूरत नजारा देखणेओ मिलहां। पंजवक्तरा रा मंदर भी पुरात्तव विभागा रे संरक्षणा बिच हा। पुराणी मंडी शीतला माता, चामुंडा माता होर जालपा माता रे मंदरा समेत होर बी कई बडे बांके मंदर हे। मंदरा ले अलावा पुराणी मंडी री बाईयां भी बडी प्राचीन ही। इन्हां बाईयां रा मीठा पाणी आपणे तरहा रा सुकून देहां। पुराणी मंडी बहुत सारी बाईयां होर नौण अझी बी ठीक हालता बिच मौजूद हे। अंग्रेज इतिहासकारे मंडी रे गजेटियरा बिच बोलिरा भई मंडी रे लोका रा जनजीवन पुराणे वकता बिच इन्हा बाईयां ले हे शुरू हुआं था। मंडी रे लोक त़डके उठी के बाईं पहुंचाएं थे होर खूब कसरता बगैरा करने बाद स्नान करूआं पाणी लेई के घरा जो हटाहें थे। आजकाले बी शादी त्योहारा बिच बाईँ री पूजा हुआंई। प्रशासना जो मंडी री बाईयां होर नौणा रा पाणी बेकार नीं बैहणे देणा चाहिए। बल्कि इन्हा ले बैंहदें पाणी जो कठा करूंआ सारे शैहरा जो उपलब्ध करवाणे री प्लान बनाणी चहिए। जेता के लोका जो घरा बैठिरे ही बाईं रा शुद्ध होर साफ पाणी मिल्ही सको। अझी ये मेरी सैर रा पैहला दौर हा इधी कठे हाउं ज्यादा लोका के मिली नी पाया जेताके मुंजो महल्ले रे बारे में ज्यादा जानकारी मिली सको। पर फिलहाल जिन्हुए-जिन्हुए हाउं आपणी सैरा रे दौरान गुजरी कराहां। तेता रे बारे बिच मां तुसा जो मण्ड़याल़ी बिच जानकारी देंदे रैहणा। सभी थे बधिया गल्ल मुंजो ऐसा सैर रे अभियाना रे दौरान ये लगी कराहीं जे मुंजो बौहत सारे लोक मिली कराहें। जिन्हा जो मैं सैर ना करने ले शायद हे कधी देखी पांदा।
जेलरोडा री सैर
जेहडा जे नावां ले हे पता लगहां मंडी शैहरा रे वार्ड नंबर तीन जेलरोडा री सभी ले बडी खासियत इथी बणीरी जेल ही। ये जेल हिमाचला री सभी थे पुराणी जेलहा मंझा ले एक ही। मंडी शैहरा रे दक्षिण हिस्से बीच रिवालसर, कोटली, जलंधरा जाणे वाली सडका रे दोनों बखौ बसीरा ये महल्ला सुकोडी खाड्डा रे पुलहा ले शुरू हुआं होर पीडब्लयुडी रे दफतरा बाले रे पीपल़ा तका रे नाल़े रे वारली बखौ तका फैल्ही रा। हालांकि महल्ले बिच पुराणी आबादी बी बडी संख्या बिच रैहाईं पर इथी बौहत सारे नौवें मकान भी बणी गईरे। जगहा भतेरी हुणे रे करुआं इथी बौहत सारे दफ्तर होर सरकारी क्वाटर हे। प्रशासना रे बडे अफसरा रे क्वाटर, पीडब्यलुडी रा दफ्तर, वर्कछाप, नगर नियोजना रा दफ्तर, डीओ रा दफ्तरा, एजुकेशन विभागा री कलौनी रे अलावा उप जेल मंडी, खादी बोर्ड दफ्तर बगैरा कई सरकारी दफ्तर होर क्वाटर ऐस महल्ले बिच बणीरे। जेलरोड सैर करने कठे बडा उपयुक्त महल्ला बोलया जाई सकहां। बौहत सारे लोक भ्यागा-सांझा ऐस महल्ले बखौ निकल़ी कने सैर कराहें। जेलरोडा री सैर करदे हे पहले ता मंडी शैहरा री गिनी चुनी मस्जिदा मंझा ले एक मस्जिद देखणेयो मिलहाईं। ऐता रे सौगी हे मांडव हसपताल हा। जेलरोडा रा कुसुम थियेटर कई पीढियां री यादा रे अंदर समाई गईरा। जिथी तका मुंजो याद ही ता मैं आपणी जिंदगी बिच पैहली फिल्म कुसुम थियेटरा हे देखी थी। आजकाले हालांकि जिथी तका मेरी आपणी गल्ल ही मैं ता फिल्मा देखणा होर सिनेमाहाला जो जाणा बंद करी दितीरा। पर फिल्मा रा अझी भी एक बडा देखणे वाले दर्शका रा वर्ग हा। यों अझी बी तेहडा हे मजा लैहाएं फिल्म देखणे रा जेहडा कधी आसे भी लैहाएं थे आपणे जमाने बिच। जेलरोड मंडी ले रिवालसर होर कोटली जाणे वाली सडका रे दोन्हो बखौ बसीरा। ऐस महल्ले बिच मंडी रे सौगी लगदे ग्रांव तल्याहड, देयोधार, कोटली, तुंगल होर धर्मपुरा तका रे लोके आपणे शानदार मकान बणाइरे। हालांकि लोका रे मकान सडका रे काफी उपरा तक बणी गईरे पर इन्हा घरा जो जाणे कठे सडक नी हुणे ले बडी परेशानी हुआँई। महल्ले रे लोक एंबुलैंस रोडा री मांग करी करहाऐं। पर अझी तका ऐस बारे बिच कोई कारवाई नी हुई पाईरी। सारे शैहरा साहीं जेलरोडा बी पार्किंगा री समस्या ही। कुछ ध्याड़े पैहले प्रशासना री तरफ ले ऐहडी कवायद शुरू हुई थी भई उपजेल मंडी बैहने जो बदली देणी होर ऐसा जगहा मल्टीप्लैक्स होर पार्किंग बनाणी। ऐस प्रोजेक्टा कठे कई होर बी दफ्तर इथी ले चकणे री प्लान थी। ऐहडा लगहां भई फिलहाल ये प्लान बी प्रशासने ठंडे बस्ते बिच पाई दितीरा। पर लोका री समस्या ज्यों की त्यों बरकरार ही। हालांकि जेलरोडा री ये मेरी पैहली सैर हुणे रे नाते मैं अझी ऐता रे बारे में ज्यादा कुछ नीं बोली सकदा। पर मेरे दिमागा ऐहडा बिचार हा जे जिन्हुए-2 हाउं गुजरेया होर जेहडा-2 देखेया से मां तुसा जो पुरी इमानदारी के दसणे री कोशीश करनी। जेलरोडा री कोटली सडक रे किनारे-2 चलदे हुए इहां तो तुसा जो कुछ खराबी नी सुझणी। पर दो दिन पहले हे सीवरेजा रा एक टैंक फटी जाणे ले सारी गंदगी चारों बखौ फैल्ही कराहीं थी। प्रशासना रे बडे बडे अधिकारी बी इन्हुए गुजरी कराहें थे पर केसिये बी टैंका जो ठीक करने री नी सोची। तेबे जाईके महल्ले रे हे लोके प्रशासन होर मीडिया जो ऐतारे बारे बिच दसया। महल्ले वालेयां दसया भई इथी कई सीवरेजा रे टैंक लिक हुई रे होर कई फटी गईरे। महल्ले री सडका री कई जगह बुरी हालत ही। सिनेमाहाला रे पिछली सडक टुटी फुटी गईरी। तेहडी हे पीपला ले ताराचंदा होरी रे घरा जो जाणी वाली सडका री हालत बी खस्ता ही। महल्ले बिच लाईटा री व्यवस्था बी ठीक नीं। होर कई जगहा हमेशा रा हे न्यारा पईरा रैहां। खराब सडका होर न्यारे के हमेशा दुर्घटना हुणेरा अंदेशा बणीरा रैहां। खैर, ये मेरा जेलरोडा री सैर रा पहला चक्कर था। पैहली बारी ता हाउं आपणे आपा जो इन्हा महल्लेयां री बनावट के हे अपडेट करी करहां। फिलहाल ता सभी थे बडा फायदा होर संतुष्टि मुंजो ऐस गल्ला ले मिली करहाईं जे मुंजो ऐहडी-2 जगहा देखणेओ मिली कराहीं जिथी मैं आपणे बचपना रा काफी टाईम बिताईरा। होर मुंजो ऐसा सैरा रे बहाने आपणे स्कूला, कालेजा रे दोस्त होर कई परिचिता के मिलणे रा मौका मिली करहां। ये सारा अनुभव बडा रोमांचित करने वाल़ा हा।
सुहडे मुहल्ले री सैर
मैं आपणी प्राइमरी स्कुला री पढाई यु- ब्लॉका ले कितीरी होर दसवीं विजय हाई स्कूला ले। मेरे इन्हा दोन्हो स्कूल री चारदीवारी सुहडे मुहल्ले के मिलहाईं। होर मेरे यों दोन्हों स्कूल सुहडे महल्ले बिच हे। इन्हे स्कूले मेरा निर्माण कीतीरा। आज हाउं जेहडा बी हा इन्हा स्कूला रा हे संस्कार मेरे अंदर हा। मेरे प्राइमरी होर दसवीं तकरा रे बौहत सारे दोस्त ऐस महल्ले रैहयें। होर कई बारी जवानी बिच कधी केसी के टाकरा हुईरा ता मेरे इन्हे दोस्ते मेरी पंगे बिच बी बडी मदद कितीरी। इधी कठे मुंजो ये महल्ला बडा खास हा। मंडी रा पुराणा महल्ला हुणे रे करूआं महल्ले वाल़ेयां रे सारे शैहरा रे लोका के संपर्क हे। हालांकि ऐस महल्ले बिच पैहलके जमाने ले बडा भारी बदलाव आई चुकिरा। दरअसल ये महल्ला धसीरी जगहा बिच बसीरा हुणे रे करुआं पैहले शैहरा भरा री गंदगी के भरी रा रैहां था। पर ये ता शुक्र मनावा जे मंडी शहरा बिच सीवरेज बणी जाणे ले लोका जो केसी हदा तक गंदगी ले बडी राहत मिली गईरी। दिलू रामा री दुकान बाले री गली बटिहें हाउं महल्ले री सैर शुरू करहां। गली बिच पौहंचदे ही वाल्मिकी मंदरा रे दर्शन हुआएं। महल्ले री गलियां काफी हदा तक ठीक ही। उतराई उतरूआं हाउं सीधा महल्ले रे चौक बाले पहुंचा। महल्ले रे बीच भरा हुणे करुआं ऐस चौका पर हमेशा रौनक मेला लगीरा रैहां। तीन चार दुकाना भी हुणे रे करूआं इथी कोई ना कोई जाण पहचाणा वाला मिली हे जाहां। चौका पर हे मुंजो आपणे कई दोस्त गोपाल, नवीन मटरी भाई बगैरा मिली गए। तेथी हे मेरा खास मित्र इंद्र पाल इंदु भी मिलही गया। जफ्फी पाणे बाद हाल चाल पुछे एकी दूजे रे। इंदु आजकल केसकी नौंवे नाटका पर काम करणा चांहां। इधी कठे मेरे पिता जी दीनू कश्यप होरिये इंदू जो कताब देणे कठे बोलिरा हुंगा। इंदु मुंजो कताब देणे री याद करवाहां होर मैं तेस जो बोलहां भई मां से कताब पहुंचाई देणी। इंदु मंडी रा बडा हे प्रतिभाशाली नाटक निर्देशक हा। मैं होर इंदुए कालेजा, नवज्योती कला मंचा होर भगवान युवा मंडला कठे कई नाटक कितीरे। इंदु रे नाटक कई बार राष्ट्रीय युथ फेस्टीवला बिच पहले, दूजे होर तरीजे पुरूस्कार के सम्मानित हुईरे। ऐते अलावा इंदुए आपणे महल्ले होर मंडी शैहरा रे कई नौजवान रंगमंच, फिल्मा होर टीवी री दुनिया कठे तैयार कितीरे। ज्यों आजकाले बडी-2 जगहा पर आपणा नांवं कमाया करहाएं। इंदु री हर साल कोशीस रैहाईं भई मंडी, जोगिन्द्रनगर होर खास करूआं आपणे महल्ले बिच एक ना एक शो होर वर्कशाप जरूर करवाई जाए। इंदु री वर्कशापा बिच बच्चेयां जो बिना फीस लीतिरे नाटक सिखाया जाहां। हालांकि सभी चीजा रा अभाव हुणे रे बावजूद भी इंदु री नाटका रे कठे बडी देन ही होर ये सबकुछ तिने आपणे आपा जो दांवा पराले लगाई के कीतिरा। इंदु रा नाटका कठे समर्पण देखी के लगहां भई मंडी बिच नाटक करने वाले भतेरे लोग हे पर केसिये भी आपणा कैरियर दावा पर नीं लगाया। ये ता इंदु हे हा जे कैरियरा पीछे नी भगुआं नाटक करने, सिखाणे होर बधाणे रे कठे कल्हा हे काम करी करहां। मेरे ऐस दोस्ता रे नाटक रे कठे समर्पणा जो मेरा सलाम। इंदु के मिलणे बाद हाउं आपणी सैर जारी रखदे हुए छोटी-2 गलियां बटिहें गुजरदा हुआ पार्का रे सौगी वाले पुलहा बाले पौहुंचां। सुहडे मुहल्ले बच्चेयां जो खेलणे कठे एक पार्क हा। पर ऐस पार्का री सुंदरता कठे अझी बौहत कुछ काम हुणा बाकी हा। सुहडा महल्ला सकोडी खाडा रे राइट बैंका पर बसीरा। सकोडी खाडा बिच गंदगी आउणी अझी तका बंद नीं हुईरी। जेता के खाड्डा रे किनारे-2 एक दुर्गंध जे अझी बी मैहसुस किती जाई सकाहीं। जेता करूआं खाडा रे बाहडा रे घरा रैहणे वाले लोका जो परेशानी रा सामणा करणा पौहां। खासकर इंदिरा कलौनी रे लोका जो ऐसा बदबू जो ज्यादा सैहणा पौंहां क्योकि इन्हा रे घर खाड्डा रे ज्यादा नेडे हे। महल्ले रे आखरी कोणे तका सैर करने बाद मैं एक दूजी गली पकडी के आपणी वापसी शुरू करहां। वापसी करदे-2 मुंजो लगहां जे ये सैर तेबे तक अधूरी हे रैही जाणी जेबे तक हाउं रविदास गुरूद्वारे रे दर्शन नी करघा। कदमे गली बदली के मेरी दिशा गुरूद्वारे बखौ बदली दिती। गुरूद्वारे माथा टेकया। रविदास गुरूद्वारे के मेरी कई यादा जुडीरी। ये गुरूद्वारा जधका इंदु काम लगीरा करदा तधी ले सांस्कृतिक कार्यक्रमा रा केन्द्र है। इथी हे आसे हमेशा रिहर्सला करदे आईरे होर कई इनाम जीतणे री कर्मभुमि ये गुरूद्वारा हे हा। गुरूद्वारे रे मैदाना एक रंगमंच बणीरा। जेथी हर साल रामलीला होर कम ते कम एक सांस्कृतिक कार्यक्रम जरूर हुआं। ऐते अलावा भी ये मंच कई कार्यक्रमा जो आयोजित करने रा केन्द्र हा। सुहडे महल्ले री सैर करीके मुंजो जेहडी अनुभूती हुई तेता रा सार ये हा जे समय बडी तेजी के बधली करहां। नौवें-2 घरे पुराणे घरा री तादात कम करी दितीरी। सफाई होर लाईटा री मुंजो ऐथी कोई समस्या नीं लगी। हालांकि सकोढी खाडा री बदबू बिल्कुल खत्म करने री योजना पर काम कितेया जाणा चाहिए। ऐते अलावा प्रशासना जो सांस्कृतिक गतिविधियां चलाणे कठे इथी कोई केन्द्र शुरू करना चाहिए। मेरी ऐहडी बी समझ ही भई ये महल्ला टेलैंटा के भरी रा। इथी काम करीके आसे नाटक, संगीत होर सभी सांस्कृतिक कर्मियां री बौहत बधिया पौध निकाली सकाहें।
पैलस महल्ले री सैर
एस बारी मेरी सैरा री जगह थी वार्ड नंबर पांज पैलस महल्ला। पुराणे स्टेट बैंक बाले ले आपणी सैर शुरू करहां। शर्मा बुक स्टाला वाल़ा सन्नी मेरा यू ब्लॉक प्राईमरी स्कूला रा सहपाठी होर दोस्ता हा। सन्नी रे घरा बी मेरे बचपना रे टाइमा री बडी यादा ही। पर एभे पैलसा स्यों खजूरा रे डाल नी सूझदे। मुंजो खरी याद ही भई पैलसा करीब आधा दर्जन खजूरा रे डाल हुआंए थे। होर इन्हा उच्चे डाला ले खजूर काढणे होर खाणे कठे आसौ कई तिकडमा करणी पौहाईं थी। मंडी रे राजे रा मैहल पैलसा हुणे करूंआं एस महल्ले रा नांव पैलस पईरा। राजे रा पैलस अझी भी मौजूद हा। पर ये आजकाले मिलट्री वाल़ेयां बाले हा। जिथी ले कधी मंडी रियासता रे राजे आपणा राज-काज चलाहें थे तिथी आजकाले मिलट्री रा भर्ती दफ्तर, कंटीन होर कई दफ्तर हे। राजे रे पैलसा री इमारता जो देखी के बोलया जाई सकां भई ये कधी बड़ी बुलंद हुंदी। पैलस महल्ला मंडी री नौवें बसीरे महल्लेया मंझा ले एका हा। ऐस महल्ले रे ज्यादातर घर तीह-चाल़ी साला ले ज्यादा पुराणे नीं हे। ऐस महल्ले पैहले ज्यादातर जमीन मंडी रे राजे रे नांवे थी। जमीन बिकणे बाद इथी बडे भारी घर बसी गइरे। महल्ले री ज्यादातर आबादी मंडी ले बाहरा ले आईरे लोका के बसीरी। ऐते अलावा मंडी रे होरी महल्लेयां रे लोक बी इथी बसीरे। बाहरली जगहा ले आई रे लोक बी मंडी रे रैहण सैहणा बिच ऐभे पुरी तरह के रची बसी के मंडी रे हे हुई गईरे। एस नौवें महल्ले बिच बडे सुंदर-2 घर बणीरे इधी कठे पैलसा जो बी मंडी रा पॉश महल्ला बोलया जाई सकहां। राजे रे मैहला ले हस्पताला तक महल्ले री लगभग सारी जमीना पराले ऐभे घर बणी चुकीरे। क्योंकि महल्ले ले उपर वन विभागा रा गणधबा रा जंगल (गंधर्वा) हा। इधी कठे ये महल्ला ऐभे उपरा बखौ नी बधी सकदा। इधी कठे पैलस ऐभे सैण होर मट्टा बखा जो बधी करहां। हालांकि इन्हा जगहा पुराणी आबादियां पहले ले हे बसीरी। पर अझी बी भतेरी जमीन इन्हा जगहा खाली ही क्योकि इथी ले ग्रांव शुरू हुई जाहां। पैलस महल्ले जो बी एंबुलैंस रोडा री बडी जरूरत ही। दरअसल एक एंबुलैंस रोड हस्पताला बाले ले ऐहडा निकलणा चाहिए जे महल्ले ले उपरियें गुजरो। ये रोड पैलस महल्ले ले उपरियें-2 जेलरोडा तक निकलणा चाहिये। जेता के इन्हा महल्लेयां रे उपर-2 बसी रे लोका जो सुविधा मिलही सके। ये एथी री पुराणी मांग बी ही। होर ऐता के लोका जो काफी बडी राहत मिली सकाईं। पैलस महल्ले बडे ऐतिहासिक मंदर होर स्थल हे। राजे रे पैलसा रे उपरा बखौ प्राचीन राम मंदरा हा। ऐते अलावा मंडी जिल्हे रा क्षेत्रीय हस्पताल भी ऐस हे महल्ले बिच हा। ये हस्पताल हिमाचला रे सभी थे पुराणे हस्पताला मंझा ले एक हा। मंडी हस्पताला दूरा-2 ले रोगी आवाहें होर ठीक हुई के आपणे घरा जो हटाएं। हस्पताला रे नजदीक हुणे रे करूंआ इथी बौहत सारे क्लिनिक, दवाईयां री दुकाना होर, तीमारदारा रे कठे कई दुकाना ही। दरअसल, बाडी गुमाणु होर बीरा बखौ जाणे वाले लोका रा बस स्टाप बी हस्पताला बाले हा। इधी करूआं इथी दिन रात रौनक लगीरी रैहाईं। जेहडा हाउं पैहले बी बोली बैठया भई इथी राजे रा पैलस हुणे करूआं ये महल्ला मंडी रे इतिहासा रा साक्षी हा। पैलस महल्ले रा सिद्ध गणपती मंदर एक महत्वपूर्ण स्थल हा। सिद्ध गणपती रे मंदरा बिच गणेश भगवाना री एक विशालकाय खूबसूरत मुर्ति स्थापित ही। मंडी रे इतिहासा रे मुताबिक ये मंदर सिद्ध सेन राजे बणाया था। राजा सिद्ध सेन मंडी रा बडा प्रसिद्ध राजा था। से अध्यात्मिक रूचियां वाला राजा था। सिद्ध सेना रे राजा बिच मंडी रे कई भव्य मंदर बणाये गये जिन्हा बिच सिद्ध गणपती, पंचवक्तर महादेव, सिद्ध काली, सिद्ध भद्रा होर सिद्ध सरा समेत कई मंदर शामिल हे। हर साल एस मंदरा बिच गणपती उत्सव बडे धुमधामा के मनाया जाहां। सिद्ध गणपति रे दर्शन करूआं ऐहडा लगया बुझां गणपति जी री हाखियें हाउं भीतरा तका स्कैन करी दितेया। सैण महल्ला बी पैलस महल्ले रे वार्ड नंबर पांजा बिच आवहां। महल्ले री जेहडी जमीन उपजाउ ही तेहडे हे इथी रे लोक बी बडे मेहनती हे। तडके भ्यागा ले देर सांझा तका महल्ले वाले माटी बिच रूंघलुआं मंडी रे लोका कठे ताजी सब्जियां पैदा कराहें। इन्हारी हाड़ तोड़ मेहनत हर रोज रंग बिरंगी सब्जियां रे फूला रा गुलदस्ता बणुआं आसारी थाली बिच सजाहीं। होर आसे इन्हा सब्जियां रे स्वादा बिच ऐस महल्ले रे लोका रे पसीने री खुशबु जो मैहसूस नी करी पांदे। पैलस महल्ले बिच हे आसा जो गणधब (गंधर्व) रे नाल, गणधब रा कुआल होर गणधब रा जंगला बी देखणेओ मिलहां। हालांकि देखणे बिच ये नाल, कुआल होर जंगल आम लगाहें। पर इन्हा रा नामकरण हिमाचला रे इतिहासकारा कठे हमेशा जिज्ञासा रा विषय रैहीरा। इतिहासकार होर आसारे संस्कृति मंत्री रैही चुकी रे लाल चंद प्रार्थी बी इन्हा नांवां ले इतफाक रखाहें थे। प्रार्थी होरी री हिमाचला रे इतिहासा पर लिखीरी मशहूर कताब (कुल्लूत देश की कहानी) बिच एस नाला रा उल्लेख कीतीरा। एसा जगहा रे बारे बिच लिखदे हुए स्यों बोलहाएं भई हिमाचला री स्थानिय जातियां यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग होर राक्षस बगैरा थी। इन्हा जातियां रे बारे बिच संदर्भ देंदे हुए स्यों बोलहाएं भई किन्नर अझी बी किन्नौरा रे रूपा बिच देखणेओ मिली जाहें। यक्षा री मुर्तियां लगभग सभी मंदरा बिच ही। गंधर्वा रा हवाला देंदे हुए स्यों मंडी रे गणधबा रे नाले रा जिक्र कराहें। बल्कि जितने बी स्थानीय देवता हे स्यों पौराणिक देवता नी हे बल्कि स्यों नाग देवता हे। तेबे हे ता सभी मंदरा री दवारसाखा पर नाग उकेरी रे हुआंए। कमरूनाग, मांहुनाग, हुरंग नारायण यों सारे नाग देवता थे। तेहडे रागस बी इथी री एक जाति हे थी। तांदी रा नांव टुंडी रागसा ले हे पइरा हो ऐता बिच अविश्वास नीं कितया जाई सकदा। यक्ष फूला रे शौकिन दसे जाहें। पहाडा रे लोका जो बी फूल बडे पसंद हे। यक्ष नाचणे गाणे बिच प्रवीण समझे जाहें। पहाडा रे लोक बी नाचणे गाणे रे शौकिन हे। हडिंबा रागस जाति ले थी। प्रार्थी जी रा ऐसा कताबा बिच ऐहडा बोलणा हा भई अझी तक शोध करणे वाले इन्हा लोका तक पहुंची नी पाईरे। अगर लोका रे बिच जाईके शोध किती जाए ता कई लाभकारी जानकारियां साम्हणे आई सकहाईं। पैलेस महल्ले रा दूजा कुणा मट्ट हा। मट्टा रे बखौ कई नौवे घर बणी गईरी होर कई नौवें घर आकार लेई करहांए। दरअसल ये हे जगहा ही जेता बखौ एभे ये महल्ला बधी सकहां। कुछ ध्याडेयां ले ऐहडी चर्चा ही चलीरी भई शैहरा रा विस्तार देखदे हुए होर विक्टोरिया पुलहा पर गडियां रा भार कम करने कठे ऐता सौगी हे एक नौंवा पुल ब्यास दरयावा पराले पुराणी मंडी ले वारली मंडी जो पाणा। एस पुलहा ले एक सडक निकालणी होर सांबल़ा बाले ले बाडी गुमाणु बखौ जो पुल पाईके तेता के जोडी देणी। फिलहाल अझी तका ऐसा स्कीमा जो अमलीजामा पहनाणे रे कोई आसार नी सुझी करदे पर अगर ये योजना सिरे चढी गई ता आउणे वाले बक्ता बिच मट्टा बखा जो एक नौवां हे बडा महल्ला आपणा रूप लेई सकहां। महल्ले रे आखरी छोर रघुनाथा रे पाधरा एक ऐहडी आबादी रैहांई जिन्हा जो कुष्ठ रोगिया रे रूपा बिच पैहचाणा जाहां। दरअसल इथी पैहले कुष्ठ रोगियां रा एक हस्पताल हुआं था। कुष्ठ रोगा रे बारे बिच आसारे समाजा बिच ऐहडी धारणा थी भई ये छुता री बीमारी ही। इधी कठे कुष्ठ रोग हुई जाणे परा इन्हा रे रिश्तेदार रोगियां जो इथी हे झाडी दें थे। पर ऐभे ये हस्पताल बंद हुई गईरा। जेता के रोगियां जो आपणे इलाजा कठे बडी परेशानी आवाहीं। आसौ जो महल्ले रे आखरी कुणे बिच बसीरी होर सभी थे पीछे रैही गईरी ऐसा आबादी रे कठे संवेदनशील हुई के इन्हा री समस्या जो प्राथमिकता देणे री कोशीश करणी चाहिए। सांझ की सैर हुणे रे करूआं हाउं गणपति मंदरा ले थोडा आगे ले संजय मंडयाल एडवोकेटा होरी रे घरा बाले ले हटी गया। क्योंकि ऐते अग्गे लाईटा गायब थी। होर उपरा बखौ जंगल हुणे रे करूआं आपणी अगली सैरा रा रिस्क नीं लेई सकया। नगर परिषदा जो महल्ले री बडी आबादी जो स्ट्रीट लाईटा ले मरहूम करणे रा कोई अधिकार नीं हा। ऐस लेख रे माध्यमा ले मेरा आग्रह हा भई मट्ट रोड, सैण महल्ला होर सारे महल्ले री लाईटा चैक करीके ठीक किती जाए। जंगला के सटी रा महल्ला हुणे रे करूआं इथी जंगली जानवरा रे आउणे रा बी अंदेशा बणीरा रैहां। खैर, सिद्ध गणपती मंदरा बटिहें सैण महल्ले जो उतरी के आपणी आज की सैर पूरी करूआं आपणे सौगी एक नौवां अनुभव लयांदा जेता जे हुण तुसा के शेयर करी करहां।
लोअर समखेतर महल्ले री सैर
सांझकणी सैरा रे बहाने मंडी शैहरा रे अलग-2 महल्लेयां बिच जाणा मुंजों बडा नौंवां जेह ऐहसास छाडी जाई करहां। सभी थे बडी गल्ल भई जिन्हा जगहा हाउं एकी अरसे ले नईं जाई पाईरा तिन्हा जगहा जो मेरे पांव आपणे आप हे चली के पहुंचाई कराहें। एते मुंजो आपणे वातावरण बिच कुछ नौवेंपना रा अनुभव हुई करहां। ऐते अलावा मंडयाली बिच कुछ लिखणे रा जियु बी इन्हा सैरा जो जारी रखणे कठे मुंजो अग्गे बधाई करहां। हालांकि मुंजो ऐहडा बी लगी करहां भई मेरी मंडयाली बिच हिंदी, अंग्रेजी होर कई भाषा रे शब्द बी आई करहाएं। इधी कठे यों लेख ठेठ मंडयाली बिच लिखीरी नी बोली सकदे। इहां ता मंडयाली बोली री आपणी लिपी बी थी पुराणे जमाने बिच जेता जो टांकरी बोल्हाएं थे। पर ऐभे ये लिपी लगभग लुप्त हुई गईरी। टांकरी अझी बी कुछ ताम्रपातरा पराले लिखी री मिली जाहीं पर तेता जो पढने वाला कोई नी बचीरा। आसारी प्रदेश सरकारा होर आसारे नुमाइंदेयां जो टांकरी समेत सभ लिपियां होर हिमाचला री बोलियां जो लुप्त हुणे ले बचाणे कठे तुरंत कदम चकणे चहिये। निता ऐहडा नी हो जे पुराणी पीढी के आसारी लिपी होर बोली बी खत्म हुई जाओ। इन्हा सभ चीजा जो देखदे हुए मैं एस लेखमाला री शुरूआत कितीरी। इधी कठे मुंजो ऐहडा लगां जे जितनी कर मंडयाली मुंजो आवांही कम ते कम तितनी ता मुंजो लिखी हे देणी चहिए। होर बादा बिच जेबे-2 मुंजो ठेठ मंडयाली शब्द मिल्हदे रैहणे तेबे-2 मां स्यों ऐता बिच पांदे रैहणा। हाउं आपणी सांझा री सैरा रे कठे आज लोअर समखेतर महल्ले रा रूख करहां। गांधीचौका ले विक्टोरिया पुहला जो जाणे वाली सडका रे बायें हाथा बिच बसीरा ये महल्ला मंडी शैहरा रा व्यापारा रा केन्द्र हा। ये महल्ला गांधीचौका ले शुरू हुई के चौहट्टा बाजार, महाजन (बोहरा) बाजार, मोती बाजार, नेशनल स्ट्रीट, टाऊन हाल, समखेतर होर गोल पैडी तक फैल्हीरा। मंडी रा गांधीचौक कई ऐतिहासिक वकता रा साक्षी हा। इने चौके होर ऐता रे सौगी-2 पुराणे पीपले, सेरी मंचे, सिद्ध काली मंदरे होर संकन गार्डने पता नी अझी तका मंडी शैहरा रे केहडे-2 दौर देखीरे। चौका पर महात्मा गांधी री प्रतिमा लगीरी। प्रतिमा री कोई खास देखभाल नीं हुंदी। गांधी जयंती रे ध्याडे हे ऐस प्रतिमा री साफ सफाई किती जाहीं। सारा साला प्रतिमा पराले पक्षी गंदगी फैलांदे रैहाएं। जेते ऐहडा लगां भई आसारे राष्ट्रपिता रा अपमान हुई करहां। मंडी रे लोक कई बार प्रशासन जो बोली बैठिरे भई ऐस प्रतिमा रे उपर कोई छत बनाई दीती जाए। पर अझी तका आसाजो आजादी दुआणे वाल़े महात्मा गांधी दिन दहाडे हजारों आदमियां रे साम्हणे गंदगी सैहणे जो मजबूर हे। प्रतिमा रे सौगी हे एक फव्वारा भी चलहां था केसी वकता पर आजकाले ये बंद हे रैहां। गांधीचौका ले साम्हणे मनपसंदा री मिठाईयां री दुकाना ले हाउं महाजन बाजारा बटिहें आपणी सैर शुरू करहां। मंडी री सिटी चौकी री बिल्डिंग पता नी किने ठेकेदारे बनाइरी ऐहडा लगां भई तेजो पुलसा वालेयां के कोई ना कोई खुंदक रैहीरी हुणी। ऐसा बिल्डिंगा रे झज्जे हर केभे हे पौंदे रैहायें। जेता के हर वकत जानी रा खतरा लगीरा रैहां। ये बिल्डिंग ठीक किती जाणी चहिये। ऐता सौगी हे जंगलात विभागा रे क्वाटर हे। नगर परिषदा रा दफ्तर बी ऐस हे महल्ले हा। पुराणे वकता ले ये दफ्तर इथीहे काम करी करहां। ये दफ्तर पुराणे जमाने री मंडी कठे ता भतेरा था पर एभे मंडी बौहत बडी हुई गईरी। होर कमेटी जो बी आपणा दफ्तर बडा करना चहिये। आम लोका जो बैठणे कठे इथी कोई धोरी जगहा नी सूझदी। उपराले कमेटी रा काम इतना बधी गईरा जे कमेटी जो हुण बडा दफ्तर मिलणा हे चहिये। गांधी चौका ले जाणे वाली गली चौहटे बाजारा ले बोहरे बाजार जो जाणे वाली गली के मिली जाहीं। चौहट्टा बाजार रियासत काला ले व्यापारा रा केन्द्र हा। किव्दंतियां रे मुताबिक मांडव्य ऋषिये ब्यास दरयावा रे किनारे मांडव जानी पराले बैठी के तपस्या कीतिरी। जेता कठे इधी रा नांव मंडी पईरा। पर ऐक मत ऐहडा बी हा जे मंडी शैहर होशियारपुरा ले तिब्बता जो जाणे वाले सिल्क रूटा पर बसीरा। इथी व्यापारी रूकदे रैहांए थे। होर हुई सकहां भई व्यापारियां रे इथी रूकणे ले ऐता रा नांव मंडी पया हो। ये शैहरा 1526 ई. बिच बसीरा। सेन वंश री रियासता री राजधानी बणने बाद इथी बाजार बणेया। रियासते रे वकता ले चौहटा मंडी रियासता रा केन्द्र था। फागण महीने बिच हुणे वाले अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्री महोत्सवा रे आखरी दिन मंडी जनपदा रे सारे देवी देवता भूतनाथ मंदरा माथा टेकणे बाद चौहटे री जातरा बिच भाग लैहाएं। सैंकडों देवी देवतेयां रे आउणे ले चौहटे री जातरा रा नजारा देखणे लैक हुआँ। चौहटे बाजारा रा पश्चिमी हिस्सा लोअर समखेतरा बिच पौवां। चौहट्टा होर महाजन बाजार मंडी शैहर होर आसे पासे रे इलाकेयां रा भरण पोषण करहाएं। दरअसल राशना री ज्यादातर थोका री दुकाना इथी हे ही। इन्हा दुकाना बिच पौंहचणे वाला अनाज सारी मंडी रे घरा होर ग्रावां पौंहची जाहां। इधी कठे ऐहडा बोली सकाहें जे ये बजार आसारी उदर पूर्ती करने वाला बजार हा। लोअर समखेतर महल्ले मोती बजार सुनारा रा बजार बोलया जाई सकहां। मंडी बिच सुनारा रा काम करणे वालेयां री ज्यादातर दुकाना ऐस हे बजारा ही। मंडी रे सुनारा री दुरा-2 तक धाक ही। इथी काम करने कठे बंगाला तका रे कारीगर आईरे। मोती बाजारा हर साल गणपती उत्सव होर दुर्गा पूजा रा त्योहार बडे धुमधामा के मनाया जाहां। गांधी चौक, महाजन बजारा ले आउणे वाली गली मोती बाजारा निकलाहीं होर विक्टोरिया पुलहा जो जाणे वाली सडका के मिली जाहीं। विक्टोरिया पुलहा वाली सडका ले हे एक गली टाउन हाला ले हुंदी हुई मंडी रे हस्पताला बखौ जाहीं। अझी टाउन हॉला बखौ चलीरा हे था जे उतराई पराले हस्तपाला रा एक एनजीओ लीडर मुंजो मिलही गया। तेस ले पता लगेया भई गायनी वार्डा बिच आईरा मलबा हटाणे कठे फायर ब्रिगेडा री गडी थी आईरी। मलबा हटाणे बाद तिथी सफाई बगैरा किती पर अझी तका गायनी वार्डा भर्ती हुईरे लोका जो इथी ल्याउणे कठे कम ते कम एक हफ्ता लगणा। इन्हा री गल सुणुंआं मेरे कदम सीधे हस्पताला बखौ मुडी गए। तवारा जो भ्यागा जेबे खूब बरखा हुई कराहीं थी ता हस्पताला रे ऊपर गणधभ (गंधर्वा) रे जंगला ले आऊणे वाले नाले रा पाणी अचानक बधी गया। हुई सकहां जे सारी रात बरखा हुणे ले पाणी कठा हुई गया हो होर भ्यागा तका इने बाढा रा आकार लेई लितया। ऐस नाले बिच पाणी बधी जाणे ले जंगला ले हेठ बसीरे पैलेस महल्ले रे कई घरा होर दुकाना बिच पाणी तुरी गया होर बौहत ज्यादा नुकसान पहुंचाया। नाला रे पाणी सौगी बडी-2 चटाना होर पाथर बी आए पर शुक्र हा जे यों रिहायशी इलाके तक नीं पौंहची पाए निता बडा नुकसान बी हुई सकहां था। नाले रे पाणी के प्वाधे होरी री दुकाना जो सभी थे ज्यादा नुकसान हुईरा। इन्हा रे अलावा भी अस्पताला रे गेटा वाले रस्ते परा तनु री दुकाना समेत कई दुकाना जो नुकसान पौंहचेया। नाले बिच आईरी बाढा रे पाणी रा मलबा क्षेत्रीय हस्पताला रे गायनी वार्डा बिच तुरी गया। ये ता शुक्र हा जे पाणी ध्याडी रे वकता आया। अगर किथकी ये हादसा राती जो घटया हुंदा ता प्रसवा कठे आइरे लोका के बडा हादसा बी हुई सकहां था। पर इतना ता साबित हुई हे गया भई ये नाला केभे बी बडा कैहर ढाई सकहां। मनीष दुग्गल होर यशराजे एस बाढ़ा रे बडे बांके विडियो बनाइरे। ये विडियो जेबे तिन्हे फेसबुका पर शेयर किते ता ऐस घटना रे बारे बिच बैहत कुछ अंदाजा लगी गया। विडियो बिच पाणी रे बधणे होर दुकानदारा रे दुकाना छाडुआं भगणे रे क्लिपस हे। होर ऐता जो देखुआँ कोई बी अंदाजा लगाई सकहां भई हस्पताला री सडका पर करीब तीन- चार फुट पाणी आई गया था। ऐस हादसे ले हस्पताला रे उपर होर हेठ बसीरे लोका जो आपणी सुरक्षा जो लेई के एक डर जेह पैदा हुई गईरा। एते पैहले बी एक बारी एस नाले रे उपर बादल फटी गया था। जेता के एक बच्ची पाणी बिच बैही गई थी। ये ता शुक्र मनावा जे तवारा री बाढा बिच ऐहडा कोई बडा हादसा सामणे नी आया। पर अग्गे जो बी ऐहडी घटना नी घटणी ऐता रे बारे बिच कुछ नी बोली सकदे। इधी कठे महल्ले रे लोक आपणी जिंदगी री सुरक्षा कठे चिंतित हे। नाले रा मौका करने बाद हाउं तनु वैद्या री दुकाना गया होर तिन्हा ले ऐस बारे बिच पुछताछ कीती ता तिथी एक डाक्टर साहब बी खडी रे थे। इन्हा रा बोलणा था भई नाले री जगहा पराहले कई लोके घर बणाई दितिरे होर आपणी गडियां खडाणे कठे नाले पर पुलह पाई दितीरे। एता के नाले बिच पाणी जाणेयो रस्ता नी रैहीरा। एते अलावा अस्पताला रे गेटा वाला पुहल़ बी पाणी री निकासी कठे बंद हुई गईरा। जेता के पाणी पुलहा उपरियें बैहणा शुरू हुई गया। जेता के ऐता रा रूख हस्पताला, सडका होर दुकाना बखौ हुई गया। ग्रामीण विकास मंत्री होर स्थानिय विधायक अनिल शर्मा बी मौके पर आए थे। तिन्हे नाले री चैनलाईजेशन होर हस्पताला रे गेटा बाले बडा पुल बनाणे रा आश्वासन ता दितेया। पर बाढा रे पाणी री चपेटा बिच आईरी दुकाना होर महल्ले रे लोका जो हुईरे नुकसाना रे कठे मुआवजा देणे री कोई गल नीं किती। होर ता होर प्रशासना री तरफा ले इन्हा प्रभाविता रा हाल तक नी पुछेया गया। जेता रा महल्ले रे लोका बिच बडा रोस हा। हस्पताला रे नाले री बाढा रा जायजा लैऊआं हांउ आपणी सैरा री वापसी करहां। बाढ आउणे बादा ले सुकोहडी खाडा री आवाज कुछ ज्यादा बधी गईरी। ऐहडी आवाज ऐसा खाडा री कम हे सुणहांई। सुकोहडी रा पुल पार करीके टाउन हाला री चढाई चढुआं समखेतरा पुजहां। टाऊन हाल मंडी री सांस्कृतिक गतिविधियां चलाणे कठे बणाइरा। इथी साल भर प्रोग्राम हुंदे रैहायें। मंडी शैहरा जो हिमाचल प्रदेशा री सांस्कृतिक राजधानी भी बोल्या जाहां। क्योंकि ये शैहरा हिमाचला रे पुराणे शैहरा मंझा ले एक हा इधी कठे इथी री संस्कृति बिच कई सौ साला री निरंतरता चलीरी। इधी कठे मंडी पुरात्तव, साहित्य, संगीत, चित्रकार, रंगकर्म, नृत्य होर लोक कला रा केन्द्र हा। पर ये मंडी रा दुर्भाग्य हे बोलया जाई सकहां जे इन्हा कला बिच महारत रखणे वाले शैहरा बाले आपणा कोई प्रेक्षागृह नीं हा। टाउन हाला रे बनाणे पीछे प्रेक्षागृह बनाणे री हे सोच थी। इधी कठे इथी बालकानी बी बनाई गई थी होर पुरा प्रारुप दितेया गया था। पर ये हॉल प्रेक्षागृह नीं बोलया जाई सकदा। क्योंकि ऐता कठे कुछ बदलाव करने एस हाला बिच जरूरी हे। सभी थे पैहले ता ऐस हॉला री इको खत्म करनी पौणी। एस हे हॉला बिच कुछ बदलाव करीके प्रेक्षागृह बनाया जाई सकहां। पर कोई गंभीर नीं हा। जबकि कलाकारा री समस्या जस के तस बणीरी। फिलहाल ये हाल कमेटी री संपती ही। पर ऐता रा प्रयोग बैडिमिंटन खेलणे कठे कितया जाई करहां। जेता कठे ये बणिरा हे नहीं हा। समखेतरा रे सरण हलवाई री दही बुंदी दूरा-2 तक मशहुर ही। समखेतरा बखौ चलदे हुए पीपला बाले एक बारी भी कदम मुडहाएं होर हाउं अर्धनारीश्वरा रे मंदरा बखौ चली पौंहां। अर्धनारीश्वर मंदर धरोहर संपती हुणे रे करूआँ पुरातत्व विभागे आपणे संरक्षणा बिच लेयी लितीरा। मंदरा रे शिखरा पर ता काफी रोशनी हई पर मंडपा बिच बिजली नी ही। गर्भगृहा बिच बल्ब लगीरा हुणे ले मुंजो अर्धनारिश्वरा रे सुंदर दर्शन हुई गए। समखेतरा रे पीपला ले बालकरूपी जो जाणे वाली गली बटिहें हटणा शुरू करहां। थोडी दुर अग्गे ले हाउं नेशनल स्ट्रीटा वाली गली बटिहें एक बारी भी के चौहटे ले विक्टोरिया पुलहा री सडका पर पंजाब नेशनल बैंक बाले पौंहचां। इथी हे आर्यन बंग्लो होटल हा। लवण ठाकुरा रा। लवण ठाकुर मेरा साथी हा। आसे कई साला ले इप्टा, आरटीआई होर सीपीआई रा काम करी करहाएं। इन्हे ताजा-2 हे प्रिज्म पार्टी ले एमपी रा इलैक्शन लडीरा। इन्हा बाले बैठी के हाउं चाह पीहां होर फेरी आपणी अगली सैरा पर चली पौहां। मोतीबाजारा ले रमा वत्सला होरी री गली बटिहें कहानीकार होर पत्रकार मुरारी शर्मा होरी रे घरा सौगी ले गुजरदा हुआ हाउं हरीकृष्ण शर्मा वकीला होरी रे घरा बाले निकलां। हरिकृष्ण शर्मा होरी मंडी रे बडे प्रसिध वकील थे। कुछ साल पैहले इन्हा रा देहांत हुई गया। मुंजो इन्हा सौगी काम करने रा मौका मिलीरा। स्यों आपणे देहांत ले कोई दो- तीन दिन पैहले तक कोर्टा बिच आपणी प्रैक्टिस करदे आउँदे रैहे। ये गली बालकरूपी थे समखेतरा जो जाणे वाली गली के मिलाहीं। कपिला री दुकाना रे सौगी वाली पादका जो बादुंआं हाउं खुहा राणी रे मंदरा पौंहचां। मंदरा रे दर्शन करने बाद गोल पैडियां उतरुआं डुगलीघाटा री बाईं रा पाणी पीहां होर आपणी लोअर समखेतर महल्ले री सैर पूरी करहां। ये महल्ला वीआईपी महल्ला हा। एस महल्ले हिमाचल प्रदेश सरकारा रे दो मंत्री ठाकुर कौल सिंह होर अनिल शर्मा रे घर हे। मंडी नगर परिषदा री अध्यक्षा ज्यों मेरी बुआ बी लगहाएं सुशीला सोंखला होरी रा घर बी ऐस हे वार्डा बिच हा। महल्ले बिच गर्लस सीनीयर सेकेंडरी स्कुल, आर्य समाज, एसवीएम, अरूणोदय समेत कई स्कुल होर बिजली बोर्डा , फैमली वेलफेयरा समेत कई दफ्तर, बैंक होर धार्मिक महत्व रे स्थल आर्यसमाज, पीर मंदर, खुहा राणी मंदर, डुगलीघाट मंदर समेत कई स्थल हे। सांझकणी सैरा रे बहाने फिल्हाल मुंजो पैहले दौरा बिच अझी ता महल्लेयां रा भुगोल हे समझ आई करहां। महल्ला किन्हुए-2 बसीरा अझी ता ये हे पता लगी करहां। पर जितना बी पता लगी करहां फिलहाल मुंजो लगहां इतनी हे जानकारी काफी ही। ऐहडा लगहां भई अगे जिहां-2 ये सैर हुंदी रैहणी तिहां-2 मुंजो आपणे शैहरा रे बारे बिच होर सपष्टता आउंदी रैहणी जेता के हाऊं आपणे परिवेशा जो धोरे के समझी सकुं।
अपर समखेतर होर दरमयाने महल्ले री सैर
नौयीं मंडी री स्थापना सन 1526 एडी बिच अजबेर सेन राजे कितीरी। वारली मंडी बसणे पीछे एकी कहाणी रा उल्लेख आवां। करीब 1300 एडी बिचा शिवा बदारा रे राजे बाणसेना रे वक्ता बीच मंडी रियासत री राजधानी भ्युली होर पुराणी मंडी आई गई। इधी ले बाद करीब सवा सौ साला तक पारली मंडी ले हे राजकाज चलहां था। जबकि वारली मंडी परा इथी रे राणेया रा कब्जा था। पुराणी मंडी री गाईयां चरने कठे दरयावा जो पार करूआं वारली मंडी जो आवाहीं थी। पर एक सुई गईरी गायी रा दुध खत्म हुई जाहां था। जेबे ऐता रा पता लगाणे कठे गायी रा पीछा कितेया गया ता पता लगेया भई ये गाय वारली मंडी एकी पाथरा पराहले आपणा दुध चढाई देहांई। तेता ले बाद राजा अजबर सेने ऐसा जगहा परा भुतनाथा रा मंदर बनवाया। वारली मंडी भूतनाथा रा मंदर सभी थे पुराणा मंदर हा। इतना पुराणा हुणे रे बावजूद मंदर बिल्कुल सही अवस्था बिच हा। पर मंदरा रे ओरे परे बडे-2 घर बणी जाणे ले ऐता रा विहंगम नजारा लुप्त हुई गईरा। कुछ वक्ता पैहले ले ऐता पर चटकीला रंग रोगन करी दितीरा था। पर शैहरा रे बुद्धीजीवियां रे बोलणे पर ऐभे मंदरा जो असली रूपा बिच ल्याउणे कठे आजकाले काम हुई करहां। एता के एस मंदरा री उम्र बधणे री उम्मीद बधी गईरी। बाबा भूतनाथा रे मंदरा ले आपणी आज की सैर शुरु कीती। मंदरा पौंहचेया ता आरती रा वक्त हुईरा था। मंदरा रे मंडपा रा घंटा बजाउंआ बाबा भूतनाथा बाले आपणी हाजरी लगाई। गर्भगृह रे दरवाजे वाले पौंहचेया ता कोई होर श्रधालु नी हुणे री बजह ले मुंजो आसानी के मंडी रे अधिष्ठाता देवता रे दर्शन हुई गए। अगर किथकी शिवरात्री रा ध्याड़ा हुंदा ता मुंजो कई घंटे लाइना बिच लगीके दर्शन करने पौणे थे। परंपरा रे अनुसार मंदरा री परिक्रमा कीती। मंदरा रे बिच स्थित होरी मंदरा रे बी दर्शन किते। इथी मुंजो आपणे नाना जी पंडत देवीचरण पुरोहता होरी री याद आई गई। स्यों भूतनाथा रे आंगणा रे सौगी बणीरी जगहा पर रोज हवन करहाएं थे होर कथा बी सुणाहें थे। मुंजो याद ही जे स्यों आपणे ऐस हवना कठे केडे तत्परा रैहाएं थे होर हवना री लकडियां बगैरा रा इंतजाम पैहले ले करूआं रखहाएं थे। तिन्हारे गुजरने बाद अब ये हवन बी बंद हा होर कथा बी। अपर समखेतर महल्ला भूतनाथ बाजार ले लेई के लोअर समखेतरा रे मोती बाजारा ले जाणे वाली पंडत रमावत्सला होरी री गली तका फैलीरा। भूतनाथ मंदरा ले बालकरूपी मंदरा तका रे बाजारा जो भूतनाथ बाजार बोल्हाएं। बालकरूपी ले चौबाटे जो जाणे वाली गली रे बाजारा जो पलाखा बजार बोल्हाएं। चबाटे होर पलाखे रेहडाधार, कटौला होर द्रांगा बखा रे लोक आपणे घरा पैदा हुई रे आलू रे पातर, लिंगड, पनीर, छाह, दुध होर कई चीजा बेचणेयो ल्यावांहे। पुराणे जमाने बिच जेबे गैस नीं हुंदी थी ता लकडियां रे भारे होर गाइयां रा घाह बी इन्हा हे बजारा बिच पौंहचुआं सारे शैहरा जो जाहां था। इधी कठे बोली सकाहें भई यों बजार पुराणे वकता ले मंडी रे लोका री जरूरता पूरी करी करहाएं। भूतनाथ बजारा बिच दवाइयां, कपडे, मनयारी होर पंसारियां री दुकाना समेत सभ तरहा री दुकाना ही। भूतनाथ बजारा बिच चितपूर्णी माता रा मंदर बी लोका री आस्था रा केन्द्र हा। भुतनाथा रे मंदरा बाले ले एक छोटी गली खत्री सभा बखौ निकलाहीं। बालकरूपी बाले ले बी एक गली देशराज शर्मा वकीला होरी रे घरा बटिहें खत्री सभा बाले पौंहचाईं। खत्री सभा जो मंडी बिच रैहणे वाले लगभग सारे हे लोक बछयाणाएं। खत्री सभा हाला बिच धामा री सुविधा हुणे रे करूंआं ये सारे साला कठे बुक रैहां। इथी लगभग रोज हे कुछ ना कुछ कारज चलदे रैहाएं। इथी धामा करने री सभी थे बडी सुविधा ऐहडी ही जे तुसा जो घरा ले कुछ नी ल्याउणा पौंदा। सारा इंतजाम इथी हे हुई जाहां। खत्री सभा ले एक गली मोती बाजारा ले पुरोहत रमावत्सला होरी रे घरा ले आउणे वाली गली के मिली जांही। ये गली फेरी सीधे बालकरूपी ले समखेतरा री गली के मिलहांई। महेश चोपडा वकीला होरी रे घरा ले बी एक छोटी गली पंडित भवानी दत शास्त्री होरी रे घरा री गली के मिलहाईं। पर ऐसा गली बिच लाईट गायब थी। होर छोटी गली हुणे रे करूंआं इथी लाईट हुणी जरूरी ही। पंडित भवानी दत शास्त्री होरी रे घरा री गली दीपू भाई री पाना री दुकाने ले शुरू हुआईं होर गोल पैडियां बाले निकलाईं। विक्टोरिया पुलहा रा वारली मंडी वाला हिस्सा ट्रैफिका री लिहाजा ले बडा संवेदनशील हुई गईरा। खास कर जेबे बच्चेयां जो स्कुला ले छुट्टी हुआंई ता बुझां गडियां री लंबी कतार लगी जाहीं। विक्टोरिया पुलहा पर ट्रैफिका रा दबाब बौहत ज्यादा बधी गईरा। ऐहडा लगां जे प्रशासन एस पुलहा री सैहनशीलता रा गल्त फायदा लैयी करहां। मंडी रे लोका री मांग ही भई ऐस पुलहा रे बदले नौंवे पुलहा रा काम जल्दी ले जल्दी शुरू कितेया जाये। जेता के आसे बडे हादसे जो बचाणे बिच सफल हुई सकीयें। पुलहा सौगी हे नीलकंठ महादेवा रा मंदरा है। ऐता सौगी हे वेदांत कुटीरा रा मंदरा हा। वेदांत कुटीरा कोई बच्चा माइका पराले गुरू जो लैउंआ सुंदर आवाजा बिच कोई भजन गाई करहां। वेदांत कुटिरा रे सौगी वाले शिव मंदरा बिच बी पूजा-अर्चना लगीरी हुंदी। एकादश रूद्र मंदरा बी ढोलक चिमटे के भजना री आवाजा ले माहौला भक्तिमय हुई गईरा। सायं-2 करदे बयास दरयावा रे पाणी ले उठदी ठंडी-2 धुंई री ठंडक बजयारा री उमस होर सैरा रे पसीने पर पई के माहौला जो खुशनुमा करी करहाईं। एकादश रूद्रा रे मंदरा रा मोड बौहत ज्यादा स्टीक हा। होर रेता बजरी पौणे ले या बरखा बिच इथी कई बारी मोटरसाईकल, स्कुटर, आटो बगैरा रे स्कीड हुणे रा खतरा बणीरा रैहां। ये सडक ठीक किती जाणी चहिए। ऐते अलावा मंदरा ले बाहरा बखा रा नाला हमेशा गंदगी के भरीरा रैहां। ये बी चैलेलाइज कितेया जाणा चहिए। एकादश रूद्रा ले शमशाना घाटा वाला रस्ता आजकाले अंधेरे बिच हा। शमशान घाटा रैहणे वाला गोविंद थोहडे ध्याडे पैहले कुछ लोके इथीये मारी दितेया था। पर तेबे बी आसौ जो अझी जागणा नी आईरी होर इथी न्यारा पाइरा। शमशान घाटा बाले री बिजली जल्दी ते जल्दी ठीक कीती जाणी चहिए। ऐस हफ्ते हाउं दो बारी ब्यास दरयावा रे कनारे हनुमान घाटा जो आया। पैहली बारी उच्च न्यायलय रे सेवानिवृत डिप्टी एडवोकेट जनरल महेन्द्र सिंह गुलेरिया होरी जो तरीणी पाणे कठे। होर दूजी बारी आज जेबे आसारे जिला न्यायलय बीच प्रैक्टिस करने वाले सन्यारढी रे वकील योग राज शर्मा होरी गुजरी गये। मुंजो लगहां जे आसारी व्यवस्था अझी तका लोका री मूल जरूरता जो बी पूरी करणे कठे तैयार नी ही। ये ता सभी जो पता हा जे मरना सभी हा। पर आसा जो आपणे मरने री व्यवस्था ता धोरी करी लैणी चहिए। शमशान घाटा री भठियां री हालत खराब ही। लकडी रा कोई प्रबंध नीं हा। लोका जो खलयारा रे डिपु ले लकडी लयाउणी पौहाईं। अगर शमशान घाटा हे लकडी रा इंतजाम हुई जाओ ता लोका कठे केडी बडी सुविधा हुणी। घाटा रे कठे बंगले महल्ले रे वीर मंडला वालेयां पैहले कुछ वकता तका लोका जो ये सुविधा बी दीती थी। पर मुंजो लगहां भई सरकारी तंत्रा री कारगुजारिये ऐसा संस्था री हिम्मत बी तोडी दीतीरी। अंतिम संस्कारा कठे आइरे लोका जो बैठणे री कोई जगहा नीं ही होर रखरखावा कठे बी कोई जवाब देह नी हा। ऐते अलावा महल्ले वालेयां री मांग ही जे मंडी री बधदी आबादी जो देखदे हुए होरी जगहा शमशान घाट बणाया जाए। मरने वालेयां री संख्या बधी जाणे ले महल्ले वालेयां जो परेशानियां रा सामणा करना पई करहां। ब्यास दरयाव होर सुकेती खाडा रे संगमा पर मंडी शहर रा ये हिस्सा छोटी काशी जो सार्थक करहां। हनुमान घाट मंडी रा प्रसिद्ध घाट हा। इथी चट्टाना पर हनुमाना री विशाल प्रतिमा उकेरी गईरी। दरयावा होर खाडा रा पाणी जेबे बधहां ता ये बाहडा जो छाडी के हनुमाना रे पैर छुहां। फेरी बधदा-2 ये हनुमाना जो बी कई बारी ढकी देहां। होर से मंडी कठे खतरे री घंटी हुई जाहीं क्योंकि तेबे पंचवक्तरा जो बी घेरा पई जाहां। मंडी शैहरा जो नदी सभ्यता रा खूबसूरत नमूना बोल्या जाई सकहां। पर इथी रे घाट होर तट उपेक्षित पईरे। सारा मंडी रा पालीथीन होर गंदगी इन्हा घाटा री सुंदरता जो गंदी करहाईं। मंडी रे लोका री एक कल्पना ही जे ऐस दरयावा पर एक डैम बनाया जाए ता इथी खुबसूरत झील बणी सकाहीं जेता के इन्हा घाटा जो चार चांद लगी सकहाएं। पर फिल्हाल ये झील मंडी रे लोका जो एक सुपने साहीं लगाहीं। ब्यास दरयाव होर सुकेती रे संगमा पर चकढीनी री बौहत पुराणी जान ही। ऐसा जानी री उंचाई करीब 20- 25 फुट ही। ऐतारे पुराणे हुणे रा प्रमाण जानी रे उपरा जो जाणे कठे जानी जो काटुआं बणाइरी पैडियां ही। ज्यों देखणे ले हे बडी पुराणी लगहाईं। ऐसा जानी पर बैठुआं ठंडी-ठंडी हवा खाणे रा आपणा हे मजा हा। पर यों ही नौवें जमाने री गल्ला। मंडी रे इतिहासा जो देखाहें ता पता लगहां जे मंडी रा नांव इधी कठे मंडी पइरा जे इथी मांडव्य ऋषिये जानी पर बैठी के तपस्या कीतीरी। होर तिन्हारी तपस्या के जानी रा रंग काला हुई गया था। ये जान गुरूद्वारे हेठली जान दसी जाहीं। पर मुंजो ऐता बिच थोडी शंका तेबे हुई जेबे मैं गुरूद्वारे वाली जान देखी। ये जान ता स्लेटी रंगा री ही। जबकि चकढ़ीनी री जान काले रंगा री ही। ये शोधा रा विषय हा जे मांडव्य ऋषिये गुरूद्वारे बाले री जानी परा तपस्या कीतीरी या चकड़ीनी री जानी परा। ऐते अलावा इन्हा जानियां के कुछ होर बी कहाणियां जुडी री। जेहडा जे लाल चंद प्रार्थी होरी बी बोलहांए थे जे किन्नर, गंधर्व, यक्ष, नाग होर रागस इथी री जातियां थी। मुंजो जिथी तका याद हा बचपना बिच आसौ बी चकड़ीनी रे रागस, डबीहनी रे रागसा रे बारे बिच दसया जाहां था। ऐते अलावा लाहौरी खोहले रे बारे बिच बी सुणनेओ मिलहां था जे इन्हा जगहा रागस हुआंए। आसारे कई बुजुर्गा री इन्हा रागसा के लडाइयां बी हुआईं थी। इन्हा लडाइयां रे बी बडे किस्से आसा कठे रोमांच पैदा करहाएं थे। थोडे दिन पैहले मैं एक एनडीपीएस रा केस लडया। ऐता बिच पुलसा वालेयां मौका दसीरा था रागस नाला जगहा रा। पुलसा वालेयां रागस नाले री जगहा दसीरी थी बागी (कटौला) ले एक मोड पीछे। पर जेबे मैं मौके रा दौरा कितया ता रागस नाला जगहा मंडी बजौरा रोडा पर शेगली ले पीछे होर कटौले ले अगे मिली। जबकि इथी ले पुलसा रा मौका कोई 4 किमी दूर था। रागस नाले बी एक बडी सारी जान ही। इथी तेबे नाले पर पुलहा रा काम लगीरा था। जेबे मैं लेबरा रे लोका ले रागस नाले रे बारे बिच पुछया ता तिन्हे दसया भई सडका रे कनारे वाली बडी जानी जो रागस जान बोलहाएं। तिन्हारा बोलणा था जे ऐस जगह हवा बडी तेज चलांही होर घुमाईं बडी जोरा के। हालांकि इन्हा चीजा रा आजकाले कोई महत्व नीं रैहीरा। पर अगर इन्हारे बारे बिच कोई प्रसंग मिलहां ता से बी दर्ज हुणा चहिये। क्योंकि इन्हारा बी कधी लोका सौगी मित्रता या दुश्मणी रा संबंध था। इधी कठे यों स्थल बी आसा ले संबंधित हे। हुई सकहां भई आपणे वकता बिच यों जातियां मौजूद हुंदी। पर ऐहडा लगां जे इन्हारा बी विस्थापन आजकाले हुई गईरा हुणा। क्योंकि यों जिथी रैहंदी हुंदी तिथी ऐभे बडे बदलाव आई गईरे। हनुमान घाटा री बाईं रा पाणी बी बडा मीठा हा। शमशान घाटा रे सौगी वाले नीलकंठ मंदरा रे पीछे बी पाणी निकलां था पर ये आजकल बंद हुई गईरा। महाकाला रे मंदरा परा डाल़ उगी गईरे पर प्रशासना जो इन्हौ हटवाणे री कोई परवाह नीं लगदी। महाकाला रे मंदरा सौगी हे एक पुराणी प्रतिमा ही जे सभी मौसम री मार सैही करहाईं। ऐसा प्रतिमा जो बचाणे री कोशीश किती जाणी चहिए। सत्यमहेशा पत्रकारा होरी रे घरा हेठली बायं बी बुरी हालता बिच ही। शिव रूद्र मंदरा बिच हर साल आयोजन हुंदे रैहाएं। होर इन्हा आयोजना बिच सुंदर झांकियां बणाई जाहीं। मंदरा साम्हणे री पार्किंगा ले हेठ सुकेती खाडा एक शिव लिंग उपेक्षित हालता बिच हा। ऐस जगहा रे चारों बखौ गंदगी हे गंदगी ही। मंडी शैहरा ले आउणे वाला सारा कचरा ऐस शिव लिंगा बाले पौहचां। ऐस शिव लिंगा जो बचाणे री कोशीश हुणी चहिए होर नाले री गंदगी इथी आउणे ले रोकी जाणी चहिए। शिवा बाईं रा मीठा पाणी पी कने हाउं चबाटे री गली री चढाई चढना शुरु करहां। आधी चढाई बाद डुगही परौली वाली गली बखौ चली पौंहा। ये गली एकादस रूद्रा ले पलाखे जो जाणे वाली गली के मिली जाहीं। पलाखे ले हाउं चबाटे वाली गली बखौ चली पौहां। चबाटे पौंहचदे हे अनिल कपूरा होरी के मुलाकात हुआईं। चबाटे चारों बखौ ले सडका आई के मिलहाईं। एक गली पलाखे ले आवाहीं, एक बंगले ले, एक मुघवाणा ले ता एक चौहट्टे ले। इधी कठे इथी हमेशा हलचल रैहाईँ। चबाटे ले चंद्रलोका री गली बखौ चली पौहां। पर बीच भरा दीपू मल्होत्रा, पुष्पराजा होरी री गली बखौ पैर मुडी जाहें होर मुंजो भी के भुतनाथ बजारा पहुंचाई देहाएं। भुतनाथ मंदरा बखौ चलदा हुआ हाउं आपणी आज की सांझकणी सैर लगभग पूरी करहां। चौहट्टे ले हुंदे हुए चन्द्रलोका री गली बिच पौंहची जाहां। चंद्रलोका री गली रा नांव मिठाइयां री दुकान चंद्रलोका रे नांवा पर पई गईरा। ऐसा दुकाना री मिठाइयां री मशहुरी इतनी ज्यादा हुई गई जे लोक ऐसा गली जो चंद्रलोका री गली ले जाणदे लगी गए। चबाटे पौंहची के हाउं मुघवाणा वाली गली बखौ चली पौहां। रूप उपाध्याय चाचु होरी रे घरा बाले ले हेमकांत कात्यायन पत्रकार होरी रे घरा री गली खौ बधहां। ऐसा गली जो उतरदे वकत पुठे हाथा बखौ दरमयाना महल्ला हा होर सीधे हाथा बखा मुघवाण महल्ला हा। ये गली मुघवाणा ले बंगले महल्ले जो जाणे वाली सडका के मिली जाहीं। बंगले महल्ले रे चौका पर माता रा मंदरा हा। दरमयाना महल्ला बंगले महल्ले ले चबाटे होर चौहटे जो जाणे वाली सडका रे दोनों तरफा जो फैलीरा। अपर समखेतर होर दरमयाना महल्ला गलियां रे आमणे सामणे बसीरे। लोअर समखेतर महल्ला मोती बाजार ले शुरू हुई के भुतनाथ बाजार तक फैलीरा। जबकि दरमयाना महल्ला भुतनाथ मंदरा री गली ले चन्द्रलोका री गली ले बंगले होर एकादश रूद्र मंदरा तका बसीरा। यों दोनों महल्ले पुराणे जमाने ले व्यापार रे गढ रैहीरे। इन्हा महल्लयां री सैरा रे दौरान पंडित भवानी दत शास्त्री गुरू होरी रा जिक्र बी आया। पैहले ता मेरी माता होरी रे बी गुरू हुणे रे सौगी-2 लगभग सारे मंडी रे रैहणे वालेयां रे गुरू हुणे रे नाते मैं इन्हा जो चरण बंदना करहां। गुरू होरी मंडी रे ऐहडे विद्वान थे जिन्हे मंडयाली भाषा बिच कविता, कहाणियां ता लिखे हे लिखे पर सभी थे बडा काम इन्हे मंडयाली बिच गीता लिखणेरा कितीरा। मंडयाली भाषा रे कठे जे काम गुरू जीए कितीया तेरा रा सबब आसौ जो समझणा चहिए होर गुरू जी रे रस्ते परा चलणे री कोशीश करणी चहिए। हालांकि गुरू जी री बहु चंपा आंटी होरिये मंडयाली गीता छपवाई के ऐता रा प्रचार प्रसार शुरू कीतीरा। पर ऐता कठे बौहत गंभीरता के काम हुणा चहिए। गुरू जी री गीता रा पाठ अझी तका कितेया जाहां होर गुरू जी कविता रा ठेठ मंडयाली लैहजा समझणे कठे तिन्हा रा अध्ययन करना जरूरी हुई जाहां। सरकारा जो गुरू होरी रे नावां ले एक पीठ शुरू करणी चहिए जेता बिच मंडयाली भाषा, बोली, चित्रकला होर लोक कला जो संरक्षित करने रा काम हो। बस कुछ ऐहडी जेह प्रेरणा लेई के हाउं आजा री सैरा जो पुरी करीके आपणे घरा बखौ हटणा शुरू करहां। ज्यादा दूरा तक फैल्ही रे नी हुणे करूआं आज दो महल्लेयां री सैर कठे हे हुई गई। अब ता मेरा आपणा महल्ला हा। इधी कठे अगले महल्ले रे भुगोला रे बारे बिच ज्यादा चिंता नी ही। फेरी मिलघे अगली सैरा सौगी, तेबे तका तुसे ऐता जो पढा होर आपणी प्रतिक्रिया बी जरूर देया...।
लोअर भगवाहन महल्ले री सैर
अब आसारी सैर वारली मंडी रे सभी थे पुराणे महल्ले लोअर भगवाहन जेता जो भगवान महल्ला या आसे आपणी बोली बिच मुंघवाण (मुंघाण) बोल्हाएं जो पुजी जाहीं। मुंघवाण महल्ले जो जाणे कठे चौहटे, चबाटे, बंगले होर नौवें सुकेती पुलहा ले सडका होर गलियां आवाहीं। ये मेरा आपणा महल्ला हा। मेरे महल्ले वालेयां जो सैर या चैहल कदमी करणी हो ता स्यों या ता सुकेती पुलहा जो जाणे वाली सडका बखौ निकलाहें या फेरी स्यों पंचवक्तरा रे मंदरा बखा जाणा पसंद करहाएं। मैं भी आपणी सैर आज आपणे महल्ले वालेयां सांही हे करने कठे पंचवक्तर मंदरा बखौ चली पौहां। इहां ता पंचवक्तर मंदर पाडल महल्ले बिच हा। पर पाडला होर शिवा बाईं बाले तका एक पुल बणी गइरा ऐभे। जेता के महल्ले रे लोका जो खाड टपणा बडा आसान हुई गईरा। मुंजो याद ही जे इथी आसारे बचपना बिच एक पाथरा रा पुल़ह हुआं था होर कई बारी पैर चिफले पाथरा पराले पौणे ले खाडा नकचुभी लगी जाहीं थी। पर एभे एस पुलहा रा बडा सुखाल हुई गईरा। होर ता होर गडियां बी आई जाहीं वारा जो। सौगी लगदे दरमयाने महल्ले बीच ता खाडा कनारे पार्किंग बी बणी गईरी। ऐहडी हे पार्किंगा री जगहा होर बी तोपी जाई सकहाईं खाडा रे कनारे। पंचवक्तर महादेव मंदरा रा माहौल मंडी रे छोटी काशी नावां जो सार्थक करहां। ब्यास दरयावा होर सुकेती खाडा रे मिलणे री जगहा रे कनारे बणाइरा ये मंदर अदभुत वास्तुकला रा नमुना हा। मंदरा रे महत्वा जो देखदे हुए पुरात्तव विभागे ये धरोहर आपणे संरक्षणा बिच लैई लीतीरी। बंगले, मुघवाण होर सारे शैहरा रे लोक सांझकणे वकता सैर करदे होर पंचवक्तर महादेवा रे सौगी-2 बटक भैरो रे दर्शना कठे इथी पौंहचाएं। आजकाले ता मंदरा रा नजारा हे होर हुआं। गर्मी ले झुलसुआं जेबे मंदरा पौहचायें ता ब्यास दरयावा ले उठदी लगीरी धुंध ठंडक पैदा करी देहीं होर गर्मी रा बुझां नावं नसाण नी रैहंदा। मंदरा ले हटुआं हाउं शिबा बाईं पौहचां। शिबा बांय मंडी रे प्रसिध पेयजल स्त्रोता मंझा ले सभी थे महत्वपूर्ण बांय ही। बाईं बिच पांच छुडुआं ले पाणी बाहर आवहां। पर ऐसा बाईं रे पाणी री मठासा करूआं इथी हर वकत पाणी भरने वालेयां री लैन लगीरी रैहीं। जिहाएं एक छुहडु ले पाणी भरोहां तिहांए होर भांडा छुहडु हेठ आई जाहां। बंगला, मुघवाण, चबाटे, पलाखे होर सारे शैहरा रे लोक हर रोज ऐसा बावडी रे पाणी पीणे कठे प्रयोग करहाएं। बाईं रे सीधे हाथा बखौ ताम्रपती महादेवा रा मंदरा हा। जबकि बाईं री पैडियां चढुआँ एक बडा पुराणा पीपला रा टैला हा। बाईं रे उपर सडका पार दरमयाने महल्ले बिच शिव रूद्र महादेवा रा मंदर हा। शिबा बाईं ले चलुआं हाउँ बंगले महल्ले रे चौका पौहचां। बंगले महल्ले रे चौका पर बंगलेश्वरी माता रा मंदर हा। एस मंदरा हर नवरात्रेयां बिच दुर्गा सप्तशती रा पाठ हुआं होर ऐभे इथी गणपती उत्सव बी बडी धुमधामा के मनाया जाहां। एते अलावा सारी साल इथी धार्मिक आयोजन हुंदे रैहाएं। बंगले महल्ले रे सिध भाई होर तिन्हारे साथी हर साल तीन धाम तीर्थ यात्रा कठे इंतजाम करहाएं होर लोका जो तीर्थ कराणे री सुविधा देहाएं। बंगले ले मुघवाणा जो जाणी वाली गल्ही बिच बंगले ले थोडी दूर अग्गे तुंगा माता रा मंदर हा। इथी गुलशन होरी माता रे पुजारी हे। मंदरा रा गली बखा रा हिस्सा काष्ठकला रा सुंदर नमुना हा। बंगले ले एक गली शालू, दीपू रे घरा बाले ले प्रोफेसर कपूर साहब होर सैहगला होरी रे घरा बखौ जाहीं। तुंगा माता रे मंदरा ले थोडा अग्गे चलुआं मुघवाण महल्ले रा चौक आवहां।
चौका रे उत्तरी कुणे बिच महिषासुर मर्दिनी माता रा मंदर हा। एस मंदरा जो महल्ले वाले दवाले रा मंदर बी बोलहाएं। दवाला मंदर महल्ले रे सभ लोका री आस्था रा केन्द्र हा। महल्ले रे लोका री दिनचर्या मंदरा रे दर्शना ले हे शुरू हुआंई। सांझकणे वकता मंदरा रोज पाठ, भजन होर आरती बिच मेरी मम्मी जी उजज्लेशवरी कश्यप होरी, गोल्डी री मम्मी जी, शीतला भाभी, चाची जी होर भाभीयां रे सौगी-2 सारे महल्ले वाले भाग लैहाएं। साल भर ऐस मंदरा धार्मिक कारज हुंदे रैहाएं। गुगनु भाई मंदरा रे कठे पूरी तरहा के समर्पित हुई गईरे। मुघवाण महल्ले रा चौक महल्ले री शान ही। बंगले, उपरले मुघवाण, सुकेती पुल होर डाकखाने बखा ले आवणे वाली छोटी-2 गलियां लघणे बाद जेबे मुघवाणा रे चौका पौहचाएं ता बडा हे सुखद जेह ऐहसास हुआँ। मुघवाणा रा चौक करीब 30 फुट चौडा होर करीब 60 फुट लंबा हा। चौका रे चारों बखा सीमेंटा वाले लैंटरा रे घर बणी गईरी। पैहले इथी स्लेटपोश मकाना री चौकियां थी। मुघवाणा रा ये चौक बुजुर्गा रे मुताबिक तितना हे पुराणा हा जितना ये महल्ला पुराणा हा। इने चौके पता नीं आपणी जिंदगी बिच इतिहासा रा केहडा-2 वकत देखीरा। बुजुर्ग बोलहाएं भई पैहले ये चौक माटी रा मदान हुआं था। कमेटी बणी जाणे बाद एस मदान बिच एभे सीमेंट पाई दितीरा। ये चौक महल्ले वालेयां रे कारजा जो निभाणे रे कामा आवहां। इथी कई तरहा रे आयोजन हुंदे रैहाएं। भगवाहन युवक मंडल बी इथी आपणी सांस्कृतिक होर खेलकूदा गतिविधियां रे कार्यक्रम करदा रैहां। जेहडा जे मैं पैहले हे बोली बैठया भई ये महल्ला मेरी जिंदगी रा साक्षी हा। जिथी तका मेरी समझ विकसीत हुईरी ता मुंजो ऐस महल्ले री एहड़ी जेह प्रवृति समझ आईरी जे इथी रे लोका रा एकी दूजे के बडा भारी भाईचारा हा। होर इथी पुराणी आबादी बसीरी हुणे रे करूआं सारे महल्ले होर सारी मंडी रे बाकी महल्लेयां बिच रिश्तेदारी होर नातेदारी ही। परिवारा रे सदस्या री संख्या बधी जाणे करुआं होर पुराणे घरा बिच जगहा री कमी हुई जाणे रे करूआँ महल्ले रे बौहत सारे लोक मंडी रे आसेपासे रे महल्लयां होर नेडे रे ग्रांवा रे नजदीक बसी गईरे। ज्यादातर पुराणे घर अब नौवें बणी गईरे। पर कुछ पुराणे घर अझे बी हए। होर केसी जो मंडी रे पुराणे घर देखणे हो ता स्यों मुघवाण महल्ले आई के देखी सकहाएं। किथकी पढीरा भई केसी जगहा रे लोका जो आसे तिथी रे वातावरणा ले पैहचाणी सकाहें। मुघवाण महल्ले रे मंझ भरा चौक हुणेरे करूआं ऐहडा नी हुई सकदा जे ऐता रा प्रयोग नीं हुंदा रैहा हो। बल्कि मुंजो लगहां जे ऐस महल्ले रे लोक सांस्कृतिक रूपा के बडे परिष्कृत हे। मंडी, कुल्लू, कांगडे समेत हिमाचल प्रदेशा रे कई जिलेयां बिच ब्याह रे कारजा कठे जे ब्याह पद्धति प्रयोग हुआईं से पंडित अच्छरी दत्त होरिये लिखिरी। पंडित अच्छरी दत्त होरी उमेश मोदगिल भाई जी रे दादा जी थे। एसा कताबा री आजकाले बौहत ज्यादा मांग ही। एते अलावा बी तिन्हे बौहत सारा साहित्य लिखीरा जे आजकाले पंडताई रा काम करणे वाले पंडता जो तोपणे कठे बडी मशक्त करनी पौहाईं होर हर पंडत आपणी कताबा जो पं अच्छरी दत्ता होरी री असली कताब दसहां। मुघवाणा महल्ले जो बुद्धीजीवियां रा महल्ला बी बोली सकहाएं। दरअसल भुतनाथा रा मंदर 1526 ई. बिच बनाणे बाद सभी थे पैहले मंडी शैहरा रा राजमैहला वाला हिस्सा बसणा शुरू हुआ। राजे रा मैहल, राजे रे नाते रिश्तेदारा री कोठियां, राजपुरोहत, ज्योतषी, मंदरा रे पंडता रे घर, कैथ, वैद होर चौहटे होर मंडी रे सभ बाजारा री हाटियां रे मालका रे घर हे। वारली मंडी रा सभी था पुराणा महल्ला हुणे रे करूंआं इथी बौहत सारे मंदर, पुरातात्विक भवन, नौण, पीपल होर कई बाईयां देखणेओ मिलहाईं। मैं जेबे आपणी दादी होरी रे अंतिम संस्कारा रे वकता हरिद्वारा जो गया था ता मुंजो आसारे पुरोहते तिथी दसया था भई करीब तीन सौ साला ले आसारा परिवार मुघवाण महल्ले हे रैही करहां। होर आसारे कई बुजुर्ग हरिद्वारा जो आपणे-2 जीवन काला बिच कई बारी गईरे। तीन सौ साला ले पुराणा इतिहास ताड पतरा पराले हुणे रे करूंआं मौजूद नी हा। मेरे दादा होरी रे गुरु रा स्थान हरिद्वारा गंगा पार काली माता रे मंदरा हा। आसे जेबे ऐस मंदरा जो गए थे तो तिथी बी एकी कमरे जिथी सभी गुरूआ री तस्वीरा लगीरी थी तेथी एक शेर था होर ऐहडा हे शेर एक आसारे देबी रे ओबरे हा। मेरे दादा शिवशंकर पुरोहिता होरी रे मंडी बिच बौहत सारे शिष्य थे। मेरे ताऊ सदानंद पुरोहिते होरिये मेरे दादा जी रा पुश्तैनी काम संभालेया था। मेरी दादी रूपा देवी होरी लीला महाजना होरी रे वकता ले कांग्रेसा री कार्यकर्ता थी होर सारी उम्र कांग्रेस पार्टी रा काम करदी रैही। कांग्रेसा री सारी मिटिंगा आसारे घरा हे हुआईं थी। मेरे ताऊ जी चन्द्रमणी कश्यप जी जिन्हा जो पुरा शैहर चंड महात्मा होरी रे नावां ले होर पुरा मुघवाण बाबू जी रे नावां ले जाणहां था। यों इतने महान व्यक्तित्वा रे मालिक थे जे इन्हारी रीस नी किती जाई सकदी। इन्हे जे काम आपणी जिंदगी बिच करी दितेया से तेते बाद एक कदम बी अगे नी बधी पाया। बाबू जी री मुलाकात 1954 बिच देशा रे प्रसिद्ध साहित्कार होर इतिहासकार राहुल सांकृत्यायना होरी के तेबे हुई थी जेबे स्यों कुल्लू जांदे वकत मंडी रूके थे। राहुले होरीए मंडी रे इन्हा युवका जो प्रेरणा दिती थी भई आसा जो आपणे इतिहासा ले जुडी री चीजा जो संभालुआँ रखणा चहिए जेता के आसारी आउणे वाली पीढियां जो इन्हा ले मार्गदर्शन मिलही सके। राहुला होरी री प्रेरणा ले बाबू जीए मंडी री पुराणी चीजा रा संग्रहालय बनाणा शुरू कितेया। सारी उम्र अभावा बिच काटी कने पुरातात्विक महत्वा री चीजा रा भारी संख्या बिच संग्रह करूआं संग्रहालय बणाया। पैहले ये संग्रहालय बाबा कोट मंदरा रे परिसरा बिच दो कमरेयां बिल चलहां था जे राजे तिन्हा जो दितीरे थे। पर बादा बिच राजे रे परिवारा रे सदस्या जो इन्हा कमरेयां री जरूरत पई ता बाबू जी ये संग्रहालय आपणे घरा जो हे ली आंदेया। आजकाले घरा रे दो कमरेयां बिच संग्रहालय रा सारा समान पईरा। जे उचित संरक्षण रे बगैर खराब बी हुई सकहां। बाबू जी रे गुजरने बाद अब इन्हा रे परिवारा जो सारी चीजा संग्रहित रखणे कठे बडी मुश्कला आई करहाईं। सरकारा जो ऐस संग्रहालय जो बनाणे कठे ठोस प्रयास करने चहिए। बाबू जी मेरे ताउ जी लगाहें थे होर मुंजो तिन्हा रे संग्रहालय बिच बडी भारी रूचि बी थी। ऐस संग्रहालया बिच पढीरी कताबा करूंआं हे मेरा सामाजिक विज्ञाना रे विषया बखा रूझान हुआ। बाबू जी रे छोटे भाई मेरे पिता जी दीनू कश्यप होरी देशा रे प्रमुख कवियां मंझ ले एक हे होर प्रगतिशील लेखक संघा रे प्रदेशा रे अध्यक्ष हे। प्रगतीशील लेखक संघा री गतिविधियां रे करूआं हे मंडी री सांस्कृतिक राजधानी बिच देशा रे अग्रज कवि त्रिलोचन शास्त्री होर प्रसिद्ध समीक्षक डा नामवर सिंह जी साहीं विभुतियां जो नजदीका ले देखणे, मिलणे होर तिन्हा जो सुनणे सुनाणे रे मौके मिलहे। पिता जी करूंआ घरा साहित्य री सारी कताबा आवहाईं थी। जेता के मुंजो साहित्य री समझ हुई। मैं अझी बी आपणे डैडी जी री पहल, वसुधा साहीं कताबा जो वकत निकालुआं पढने री कोशीस करहां। मेरे डैडी जी रे छोटे भाई मेरे चाचा जी एस डी कश्यप होरी प्रसिध संगीतकार हे। इन्हा जो हिमाचली संगीता रा पितामह बोलेया जाई सकहां। क्योंकि हिमाचली बोली बिच पैहली पहाडी कैसेट डिस्को नाटी एस डी कश्यपे होरी हे काढी थी नब्बे रे दशका रे पुर्वाधा बिच। चाची जी रविकांता कश्यप होरी बी हिमाचला री प्रसिध गायिका ही। इन्हा री बेटी शिवांगी कश्यपे बालीवुडा बिच सभी थे छोटी उम्रा बिच संगीतकार बणी के नौवां रिकार्ड बणाया। गुरू जी नारायण दास (भुप्पी) होरी बी मुघवाणा रे प्रसिध गायक थे। इन्हा रे गीता री धूम दूरा-2 तक थी। इन्हा रे बेटे उमेश भारद्वाज आजकाले संगीत सदन नावां ले शास्त्रीय संगीत होर नृत्य रा स्कूल चलाई करहाएं। पैहले संगीत सदना जो पियुष स्वामी होरी चलाहें थे। पर तिन्हे बादा बिच उमेशा होरी रे हवाले ये स्कूल करी दितेया था। मेरे तबला बजाणे री रूचि उमेशा करूआं पैदा हुई। अनाउंसर तिलकराज कौशिक होरी हिमाचला रे अमीन सयानी रे नावां ले जाणे जाहें। मघवाण महल्ले शक्ति सिंह होरी साहीं क्रिकेटर बी रैहाएं जिन्हा रे नावां पर फर्स्ट क्लास क्रिकेटा बिच सभी थे ज्यादा छक्के लगाणे रा रिकार्ड हा। प्रवीण आसारे महल्ले रा आलराउंडर प्लेयर हा। ऐते अलावा बी आसारे महल्ले बौहत सारे ऐहडे लोक रैहाएं जिन्हे आपणी जिन्दगी बिच कई महत्वपूर्ण काम करूआं आपणे देश, प्रदेश, जिले, शैहर होर आपणे महल्ले रा नावं रोशन कितीरा। मुघवाण चौका ले अग्गे बधी के हाउं सनातन धर्म सभा री चढाई चढना शुरू करहां। प्रवीण, अनुपम, मही होर लोमशा रे घरा वाले सुकेती पुलहा ले आउणे वाली गली मुघवाण चौक होर सनातन धर्म सभा बखौ जाहीं। सनातन धर्म सभा रा मंदर बी मंडी शैहरा रा महत्वपूर्ण मंदरा हा। मंदरा सारी साल कोई ना कोई धार्मिक आयोजन हुंदा रैहां। रामनौईं, जन्माष्टमी होर शिवरात्री रे मौके पर मंदरा विशेष साज सज्जा किती जाहीं। मंदरा रा हाल भतेरा बडा हुणे करुआं इथी महात्मेयां रा कोई ना कोई कथा पाठ चलदा हे रैहां। मंदरा रे सौगी हे सरायं बी ही। एसा सरायीं बिच लोका जो सस्ती कीमता पर रैहणे री जगहा मिली जाहीं। मंदरा हे सनातन धर्म सभा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बी हा। मंदरा रे सामणे मुघवाण महल्ले रा प्राइमरी स्कूल हा। आसारा महल्ला विकासा री नजरा ले इतना पिछडी गईरा जे ऐता रा पता एस गल्ला ले लगाया जाई सकहां भई मंडी शैहरा रे सभी थे पुराणे प्राइमरी स्कूला मंझा ले एक हुणे रे बावजूद एस स्कूला बाले आपणा भवन नी हा। होर ये अझी बी देव बालाकमेश्वरा रे बेहडे बिच चली करहां। अपग्रेड हुणा तो दूर रैहा पर ये ता आपणे कठे दो कमरेयां रा जुगाड बी नी करी पाया। मुघवाण महल्ला ऐस वकत मंडी बिच सभी थे ज्यादा वीआईपी महल्ला हा। बोली सकहाएं भई हिमाचल प्रदेशा री सरकार बौहत हदा तक ऐस हे महल्ले ले चली करहाईं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह होरी रे ओएसडी अमित पाल सिंह होरी रा ननिहाल मुघवाण महल्ले हे हा। मियां कश्मीर सिंह होरी रे दोहते अमित पाल सिंह होरी जिन्हा जो महल्ले वाले मिकू भाई रे नावां ले जाणहाएं ऐस हे महल्ले बिच पले-बढे होर इथी ले हे कामयाब हुईके निकले। अमित पाल सिंह होरी आजकाले वीरभद्र सिंह होरी रे बिल्कुल अंग संग होर हर वकत तिन्हा सौगी रैहाएं। अझी कुछ वकत पैहले इन्हारा ब्याह हिमाचला रे पारंपरिक ढंगा के नगर (कुल्लु) ले हुआ। मंडी लोकसभा रे उपचुनावा बिच कांग्रेस पार्टी री प्रत्याशी प्रतिभा सिंह होरी रे चुनाव प्रचारा री गतिविधियां रा केन्द्र अमित पाल सिंह होरी रा दफ्तर हे रैहा। हिमाचल प्रदेशा री राजनीती जो इन्हा ले बडी उम्मीद ही। जेहडा मैं पैहले बोली बैठया भई मुघवाण महल्ला मेरा आपणा महल्ला हा। हालांकि हाउं पैदा ता दिल्ली हुईरा सरोजनी नगरा। पर मेरी मम्मी जी होरी री ट्रेनिंग लगीरी हुणे रे करूआं हाउं डेढ महिने रा मंडी जो ली आंदिरा। इधी ले बाद सिर्फ वकालता री पढाई कढे तीन साल शिमले बिच गुजारने रे अलावा मेरी जिंदगी रा सारा वकता मंडी शैहरा हे बीतीरा। मुंजो लगहां अगर ऐस महल्ले रे बारे बिच ज्यादा लिखदा लगघा ता मुघवाणा रे ओरे परे हे मेरी पूरी जीवनकथा लिखोही जाणी। इधी कठे मां ज्यादा विस्तारा बिच नी जाणा। पर तेबे बी मां कुछ गला ता आपणे महल्ले रे बारे बिच तुसा के जरूर बांडणी। मंडी रियासता रा राजमैहल बी ऐस हे महल्ले हा। राजमैहला बिच दमदमा पैलेस, हवन कुंड, बाबा कोट भवन, भवानी पैलस, भडंती रा बेहडा, राजमैहल होटल होर केसरी बंगले री पार्किंगा रा हिस्सा आवहां। जिथी आजकाले मुख्य डाकघर हा बणीरा इथी केसी समय राजे रा दरबार लगहां था। इधी कठे ऐता जो दरबार हाल बी बोल्हाएं थे। बुजुर्ग दसाहें भई दरबार हाला कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआएं थे। स्यों हे दसाहें भई दरबार हाला बिच कुंदन लाल सैहगला साहीं गायके बी गाईरा। एस हाला जो धरोहर धोषित करने होर ऐता जो मंडी रा प्रेक्षागृह बनाणे कठे मंडी रे कला प्रेमी कई बारी मांग करी बैठिरे। पर अझी तका ऐता कठे सरकारा बखा ले कोई पहल नीं हुई पाईरी। बाबा कोटा रे मंदरा री हालत बी आजकाले खस्ताहाल ही। इथी मिठाइयां री दुकाना री वर्कछाप बणाई दितीरी। जेता के एस भवना जो नुकसान हुई करहां। बाबा कोटा रे भवना री मीनारा मंडी रे दूरा-2 ले सुझांईं। पर ऐता री हालत दिन पर दिन खराब हुई करहाईं। पैहले ता एस भवना री ऐतिहासिक पैडियां तोडी देती गई बादा बिच ऐस भवना पर भडकीला रंग पोतुआं ऐता जो नुकसान पहुंचाणे री कोशीश कीती गई। तेबे बी मंडी रे लोके ऐहडा करने ले राजमैहला रे कर्ते धर्ते प्रशासना री मददा के रोके थे। दमदमा पैलेसा री हेठली मंजला मंडी रे प्रमुख देवता माधो रावा रा मंदर हा। पर उपरली मंजला रे कमरे दफ्तरा जो कराये पर चढाई दितीरे। जेता के दफ्तरा काम करणे वाले बुटा-चपलियां के मंदरा उपरीयें फिरदे रैहाएं। कई सौ साल पुराणा दमदमा पैलस अझी बी बिल्कुल ठीक हालता बिच हा। हैरानी री गल ही जे यों भवन अझी तक धरोहर भवन की नीं घोषित हुई करदे। मंडी रे लोका री मांग ही जे इन्हा भवना जो सरकारा जो आपणे कब्जे बिच लैई के इन्हा रे संरक्षणा रा काम करणा चहिए। राजमैहला बिच माधो रावा रे मंदरा रे अलावा होर बी बौहत सारे मंदर हे। बाबा कोटा रा मंदर बस तवारा वाले ध्याडे हे खुलहां। बाबा कोटा जो रोट होर तंबाखु रा प्रसाद चढां। बुजुर्गा रा बोलणा हा भई बाबा कोट हुक्का पींदे-2 सारी मंडी री परिक्रमा कराहें थे होर इथी री देखभाल कराहें थे। प्रकाश देई रा मंदर मंडी रे ज्यादातर लोके अझी तका नी देखीरा। ऐते अलावा रूपेश्वरी माता रा मंदर, राजमैहला रा भूतनाथ मंदर, रणेश्वर महादेव मंदरा समेत होर बी कई धार्मिक स्थल राजमैहल परिसर रे इर्द गिर्द हे। शिवरात्री मेले बिच मंडी जनपदा रे सारे देयो देबियां सभी थे पैहले माधोरावा जो माथा टेकहाएं तेते बाद आपणे-2 डेरेयां जो पौंहचाएं। ज्यादातर पुराणे देयो देबियां भडंती रे बेहडे रूकाहें। ऐते अलावा मुघाण महल्ले समेत होरी महल्लेयां री चौकियां होर डेरेयां बिच बी यों देयो देबी रूकाएं। इन्हा देयो देबियां होर देवलुआं जो ठहरने कठे लोके देव सदन री मांग कतीरी पर जमीन नीं मिलणे ले अझी तक पूरी नीं हुई पाईरी। मंडी रा डीसी आफिस, एसपी आफिस, कोर्ट, एलआईसी दफ्तरा समेत कई दफ्तर ऐस महल्ले बिच हे पौहाएं। मुघवाण महल्ले छोटी बडी बौहत सारी गलियां ही। दिनेश ठेकेदारा होरी रे घरा ले एक गली मेरे निहाल़ा बटिएं सनातन धर्मसभा ले चबाटे जो जाणे वाली गली के मिलहाईं। मेरे निहाल़ा री गली बिच जिला भाषा एवं संस्कृति अधिकारी रा दफ्तर बी हा। गोपाला रे घरा ले एक छोटी गली हरषी, गोल्डी रे घरा बटिहें मुघवाणा रे चौका पौंहचाईं। दवाले मंदरा ले एक गली धर्मसभा-चबाटे वाली गली बिच मंडी नगर परिषदा रे उपाध्यक्ष गगन कश्यपा होरी रे घरा बाले पौहचाईं। बंगले ले बी बीनू, नीलू, संजू, निशी दीदी होरी रे घरा वाले ले जाणे वाली गली कात्यायना होरी रे घरा बटिहें रूप उपाध्याय चाचु होर देवराज मामु होरी रे घरा बाले पौहचाईं। मैडम दमयंती कपूर, बिटु-लकी रे घरा वाली गली जेता जो खनका री गली बी बोलेया जाहां नीतु, पारसा रे घरा बटिहें डाकखाने वाली सडका के मिलहाईं। मुघवाण महल्ले जो जाणे कठे मुख्य रस्ता चौहटे बाजार ले सीधे हाथा बखौ जाणे वाली पैहली सडका ले हा। कोर्टा रे बाहर सब्जियां लगाईरी हुआईं। होर ऐस रस्ते पर आजकल भारी ट्रैफिक हुई गईरी। क्योंकि कोर्टा री सारी पार्किंग, कोर्ट होर डीसी आफिस री पिछे बखा री खाली जगहा सभीए पार्किंग बणाई दितीरी। सारी दिन गडियां रा जाम लगीरा रैहां इथी। बडी गडियां बी ऐतखौ आवहाईं क्योंकि स्यों अगे अनलोड हुआईं। पर महल्ले रे लोका जो आपणे हे महल्ले बिच पार्किंग नी मिलहदी। बल्कि तिन्हौ ता पैदल चलणे बिच बी बडी मुश्किल आवाहीं। ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा होरी रा पॉम रिजोर्ट होटल, टेलीफोन एक्सचेंज, एलजी रा शो रूम, कई प्राईवेट बैंक, धनवंता होरी री दुकान, चंद मामे रा घर, कामेश्वर महादेव, अमृत लाल, चड्ढा होरी रा घर भी मुघवाण महल्ले बिच पौवां। नौवां सुकेती पुलह बणी जाणे ले महामृत्युंजय चौका पर शानदार बाजार बणी गईरा। उत्तरी भारता रा एकमात्र महामृत्युंजय मंदर बौहत प्राचीन हा। कोई वकत था जेबे ऐस मंदरा सन्नाटा पसरी रा हुआं था। होर इथी गंदगी रा आलम हुआं था। मंदर री हालत देखुआं मंडी रे हे एक नौजवाने सुरेन्द्र कुमार जिन्हा जो मंडी रे लोक सलिन्डरी उस्ताद रे नावां ले जाणहाएं एस मंदरा रे जीर्णोधारा रा काम शुरू कितेया। इन्हा री मेहनते रंग लयांदा। सुले-2 मंदरा रा कायाकल्प हुई गया। आजकाले एस मंदरा भक्ता रा तांता लगीरा हुआं। होर सलिन्डरी उस्ताद एभे कई नौजवाना कठे गुरूजी बणी गईरे। सौण महिने मंदरा हर शनिवारा होर सोमवारा जो खीर बणाहीं। महामृत्युंजय चौका ले पुराणे सुकेती पुलहा जो जाणे वाली सडका रे हेठली बखा रा हिस्सा मुघवाण महल्ले बिच हे आवहां। होर संगम होटल, कुम्भु वकीला होरी रा घर, राजे री बाई, जौंचु नौण, प्रदीप परमारा होरी रा घर होर मनीष कपूरा होरी री दुकाना तक फैली रा। आपणे महल्ले री सैरा री वापसी पर हाउं कश्मीरे री दुकाना बाले ले जौंचु नौण जो जाणे वाली पैडियां बटिहें उतरना शुरू करहां। जौंचु नौणा एक बडा सारा डाल पई गईरा। जेता के लोका रे आउणे जाणे रा रस्ता बंद हुई गईरा। इथी सौगी हे मशीना ठीक करने री एक दुकान ही। तिन्हा ले पुछया ता पता लगया भई ये डाल कोई एक हफ्ते पैहलका पईरा। होर ऐता रे बारे बिच कमेटी वालेयां जो दसी बी दितीरा पर ये अझी तका न हटीरा। जेता के लोका जो ऐस रस्ते ले गुजरदे वकत बडी मुशकला आई करहाईं। जौंचु नौणा रे नाले री चैनलाइजेशन हुई जाणे ले काफी हदा तक गंदगी रा बिखरना कम हुई गईरा। पर ऐता री दुर्गंध अझी बी तेहडी हे ही। बीरबल शर्मा फोटोग्राफर होर पत्रकारा होरी री दुकाना वाली बाईं जेता जो राजे री बांय बी बोलहाएं रा पाणी बडा मीठा होर स्वाद हा। पर ऐता सामणे पेशाबखाना बनाई देणे थे बाई रे परिसरा बिच बदबु फैलीरी रैहाईं। ऐतिहासिक जौंचु नौण रा वैभव अझी बी बुझिरा-2 हा। हालांकि गुजराती मार्केट बणी जाणे ले इथीरे पुराणे पशाबखाने बाले री जगहा बिच बौहत सुधार आई गईरा। ऐभे ये जगहा ठीक हुई गईरी। पर राती इथी न्यारा पइरा रैहां। जेता के इथी अवांछित तत्वा रा जमावडा लगीरा रैहां। इधी ले अलावा गुजराती मार्केटा ले सुकेती पुलहा जो जाणे वाली सडका पर बडी भारी गंदगी रैहाईं। सीवरेज रे टैंका ले गंदगी रिसदी रैहाईं। महामृत्युंजय चौका बाले कोटली, बीर, रिवालसरा री बसा कठे बस स्टैंड बणने ले इथी गंदगी बधी गईरी। बस निहालणे वाले लोक इथी शौच करी दें। प्रशासना जो चहिए भई इथी कोई अस्थाई शौचालय बणाई दितेया जाए जेता के सडका बिच गंदगी नी फैले। नौवें सुकेती पुलहा ले बी एक रस्ता मुघवाण महल्ले बखौ जाहां। केसरी बंगले रे आखरी कोणे बिच बणीरे रणेश्वर महादेवा रे मंदरा रे ओरे परे बडी भारी गंदगी रा आलम रैहां। कई लोग ता ध्याडी दोपहरा खाली जे जगहा देखुआं इथी पेशाब लगी जाहें करदे। ये रस्ता महल्ले वालेयां कठे बडा आम रस्ता हा। महल्ले री मर्द-जनानियां होर मठियां जो इन्हुए टपदे वकत बडे शर्मिंदा हुणा पौहां। इधी कठे ऐसा जगहा रे नजदीक शौचालय बनाणा बडा जरूरी हा। इधी ले अलावा इथी एक रेन शैल्टर बणाइरा। पर रेन शैल्टर बणने ले इथी अवांछित तत्वा रा डेरा लगीरा रैहां। पर ये खरी गल्ल ही भई कधी-कधार ये शैल्टर बेघरबार लोका रे रैहणे रे कामा आई जाहां। लाईटा री व्यवस्था बी इथी उचित नी ही। कम ते कम एक स्ट्रीट लाईट इथी जरूर लगणी चहिए। रणेश्वर महादेवा रे मंदरा हेठा बखौ गरीब मजदूर लोके आपणी झोंपडियां बणाई दितिरी। जिन्हां जो कोई सुविधा नीं ही होर यों खाडा रे किनारे झोंपडियां बनाउआं जीणे जो मजबूर हे। सुकेती पुलहा ले मुघवाणा जो जाणे वाली सडक खस्ता हाल ही। हालांकि आसारी पार्षद अलकनंदा हांडा होरीए आधी जेह सडक ता पक्की करी दितीरी पर ज्यों ज्यादा खतरनाक जगह ही तिथी अझी बी ठीक नी हुईरी। आखिरा बिच मैं ऐभे डिभा बाईं पुजहां। डिभा बायं ऐतिहासिक धरोहर ही। सैंकडों साल पुराणी ऐसा बाईं जो कुछ वकता पैहले पता नी केहडा ग्रहण लगेया जे ऐता रा पाणी प्रदुषित हुई गया। महल्ले वालेयां जेबे गंदा पाणी निकल़दा देखेया ता तिन्हे डीसी साहबा जो ऐता रे बारे बिच दसया। तेता ले बाद आईपीएच विभागे बाईं सौगी बणिरा सीवरेजा रा टैंक इथी ले हटाई दितेया था। तेते बाद पाणी री चैकिंग बी किती गई थी। नगर परिषदे ऐता रे बारे बिच रिपोर्ट ठीक दसी थी होर बाई रा पाणी ठीक हुई गईरा दसया था। पाणी पीणे बिच ता पैहले साहीं हे लगया करहां। कुलदीप भाई होर तिलकु भाई होरी ज्यों रोज बाईं हे नाहावांएं तिन्हा रा बी ऐहडा हे बोलणा हा भई ये पाणी ठीक हुई गईरा। पर अझी तका महल्ले वालेयां जो पाणी रे ठीक हुणे रा तबार नीं हुई रा। जेता करूआं अझी तका मुघवाणा वाले ऐस पाणी जो पीणे कठे प्रयोग नी करी करदे। सारे महल्ले वाले होर ता होर मेरा भाई यशकांत कश्यप (नीटू) बी शिबा बाईं ले हे पाणी लयावां अझी तका। पैहले ता मैं बी स्कुटरा परा शिबा बाईं ले हे पाणी ल्याउंदा रैहा। पर आजकाले मेरा बाईं रा पाणी पीणा होर पयाणा लगभग बंद हे हुई गईरा। कमेटी वालेयां जो डिभा बाईं रा पाणी एक बारी भी कने चैक करवाणा चहिए जेता के महल्ले वालेयां रा पाणी ठीक हुई जाणे पर पुरा विश्वास हुई सके। आज की सैर कुछ ज्यादा लंबी हुई गई तेता कठे मैं तुसा ले माफी मांघां। दरअसल सैरा रे बहाने कई यादा साम्हणे आई गई होर कई लिखणेयो रैही गई। अग्गे बी सिलसिला जारी रैहणा बाकी तेबे पूरी करघे।
अपर भगवाहन मुहल्ले री सैर
मंडी शैहरा री सांझकणी सैरा जो जारी रखदा हुआ हाउं आज अपर भगवाहणा री सैर करदे निखल़ेया। अपर भगवाहन महल्ला भौगोलिक लिहाजा ले दो हिस्सेयां बिच बंढीरा। हाउं आपणी सैर खनका री गली ले शुरू करहां। खनका री गली डाकखाने वाली सडका ले पारसा होरी रे घरा बटिहें धर्मसभा ले चबाटे जो जाणे वाली गली के मिलहाईं। खनका री गली ले एक गली पंकजा होरी रे घरा ले हुंदे हुए डाक्टर चंद्रशेखरा होरी रे घरा बाले पौहंचाईं। इन्हारे घरा बाले दो गलियां होर मिलहाईं। एक गली चबाटे ले चौहटे जो जाणे वाली गली ले आवाहीं। होर दुजी प्रो. प्रमोद वैद्या, ट्रीटा वाले, नगर परिषदा रे पूर्व प्रधान हेमंत राज वैद्या होर प्रो. सुंदर लोहिया होरी रे घरा बटिहें आई के इथी मिलहाईं। अपर भगवाहन मुहल्ले रे ऐस हिस्से बटिहें गुजरने रे बाद हाउं ऐभे महल्ले रे दुजे हिस्से थनेहडे महल्ले बखौ चली पौहां। अपर भगवाहन महल्ले रा बडा हिस्सा थनेहडे महल्ले बिच आवहां। थनेहडे महल्ले री आपणी सैर शुरू करने कठे हाउं महामृत्युंजय चौका बाले पुजहां ता तिथी मुंजो मेरे बचपना रा दोस्त मनीष कुमार (नागणु) भाई मिली जाहें। मैं नागणु भाई जो बोल्हां भई आज मां तुसा रा महल्ला घुमणा। ऐढा सुणवां स्यों बडे खुश हुआंए होर मेरे सौगी सैरा जो चली पौहाएं। नागणु भाई बोल्हाएं भई महल्ले बिच क्या देखणा। ता हाउं तिन्हा जो जवाब देहां भई पैहले ता मुंजो तुसे महल्ले री बौंडरी दसा फिर आसा महल्ले रे अंदरा बखा जो आउणा। नागणु भाई मुंजो टारना री बडी पैडियां बखा लेई चलहाएं। मंडी बाजारा ले टारना रे मंदरा जो जाणे कठे कई रस्ते पुराणे वकता ले बणीरे। पर बडी पैडियां टारना जो जाणे रा सभी थे प्रमुख रस्ता पुराणे जमाने ले हा। तलावां री कुणी रे चक्करा ले कृष्णा होटला बाले ले यों पैडियां शुरू हुआईं। हालांकि आजकाले कृष्णा होटल नीं रैहीरा पर पुराणे जमाने बिच ये होटल काफी प्रसिध था। देशा रे मशहुर इतिहासकार राहुल सांकृत्यायना होरी रा ऐस होटला बिच ठहरने रा जिक्र आवाहां। पुराणे जमाने बिच टारना री इन्हा बडी पैडियां रे दोन्हों बखा इने गिने हे घर थे। पर आजकाले तो पैडियां रे दोनों बखा री सारी चढाई वाली जमीना परा घर बणी गईरे। पैडियां जो चढदे वकत पुठे हाथा बखौ अपर भगवाहन या थनेहडा महल्ला हा होर सीधे हाथा बखौ टारना महल्ला हा। राधा कृष्णा रे मंदरा तका री पैडियां रे मंझ भरा दो गलियां निकलाहीं ज्यों थोडी दूर मिली जाहीं। पाली कोचा होरी रे घरा बाले होर जिथी सन्यारढी रे रैहणे वाले मेरे वकालता रे गुरू रविन्द्र कुमार शर्मा होरिये आपणा दफ्तर होर घर बनाइरा बाले मिली जाहीं। ऐस जगहा अशोका ढाबे बाले ले टारना बखौ जाणे वाली गली बी राजे भाई रे घरा बटिहें मिलहाईं होर इथी हे महामृत्युंजय चौका ले अंबी गुरूजी रे घरा, लीला आंटी रे प्योके, नागणु होरी रे घरा बटिहें बी एक गली टारना जो आवाहीं होर पाली कोचा होरी रे घरा बाले मिल्हाईं। नागणु रे घरा उपरखा पुरोहित जैदेवा होरी रा घर मंडी रियासता रे वकता बिच कई अध्यात्मिक होर प्रशासनिक गतिविधियां रा केन्द्र हुआं था। पुरोहिता होरी री बडी भारी ख्याती थी। स्यों बडे ज्योषी ही नी थे बल्कि राजा काजा बिच बी तिन्हा ले सलाह मशवरा लीतेया जाहां था। हिस्ट्री आफ मंडी हिल्स स्टेटस कताब आईसीएस मनमोहन होरीए 1935 बिच लीखीरी। ऐसा कताबा रे पैहले बरके पराले हे पुरोहित जैदेवा रा नांव लिखोहिरा। लेखके बोलिरा भई मंडी रा इतिहास लिखदे वकत तिन्हा जो कई परेशानियां रा सामणा करना पया। क्योंकि तेस वकता राजे रे अफसरा रे आपणे दफतर नीं हुंदे थे। इधी कठे सारा रिकार्ड इन्हा अफसरा रे घरा हे रखोहीरा हुआं था। जेता जो स्यों आपणे कारणां ले दसणा नीं चाहंदे थे। लेखके पुरोहित जैदेवा होरी रा जिक्र कीतीरा भई तिन्हा री मददा के मंडी रा इतिहास लेखणे बिच तिन्हौ बौहत इमदाद मिलही। पैहलके वकता इथी पुरोहता होरी रा पुराणा चौकी वाला घर होर बगीचा हुआं था। ऐस बगीचे कई तरहा रे फलदार डाल लगीरे हुआंए थे। पर आजकाले पुराणी चौकी वाले घरा री जगहा बौहत सारे नौवें घर बणी गईरे होर बगीचा बी थोडा हे बचीरा। पुरोहत जैदेव होरी मेरे मामा जी हेमकांत चटर्जी होर गीतांजली शर्मा एडवोकेटा होरी रे रिश्तेदार लगहाएं थे। दरअसल राजमैहला रे सौगी टारना रे पहाडी परा राजे रे ज्योतषियां होर तिन्हा रे रिश्तेदारा रे घर बी पुराणे वकता ले हे थे। महामृत्युंजय चौका ले नागणु रे घरा बटिहें जाणे वाले गली अन्नू भाई होरी रे घरा बटिहें जाहीं होर टारना मंदरा रे हेठ आईपीएचा रे दफ्तरा बाले निकलाहीं। बडी पैडियां बटिहें शुरू कीतीरी सैर आसे राधाकृष्ण मंदरा माथा टेकी के भी के शुरू करहाएं। कुसु रे घरा बाले ले शुरू हुआईं खडी पैडियां बंटी परमार मियें होरी रे घरा ले अगले मोडा बाले खतरनाक हुई जाहीं। दरअसल रात हुई जाणे रे करूंआ होर ऐस जगहा लाईट नी हुणे रे करूंआँ आसौ दोनों जो आपणे मोबाईल भखाणे पये। पैडियां पर आईपीएचा री पाईपा रा पाणी आउणे ले इन्हारे पाथरा पराले काई जमी गईरी जेता के पैडियां चिफल़ी हुई गईरी। लापरवाही के पांव रखोहणे ले इथी कोई बडी घटना बी हुई सकाहीं। प्रशासना जो ऐस जगहा लाईटा री उचित व्यवस्था करनी चहिए। होर सौगी-2 पैडियां पर आईपीएचा रा पाणी आउणे ले रोकणे कठे उचित प्रबंध करने चहिए। सीधी चढाई चढने बाद नीलकंठ महादेवा रे मंदरा पौहंचाएं आसे। इथी पुराणी बावडी होर नौण हा। मंदर परिसरा बिच एक पुराणे मंदरा रे खंडहर बी हे। मंदरा रे सौगी कुछ घर बी बणी गईरे। यों सारे घर नौंवें हे। कुशाल सिंह सेन एडवोकेटा होरी रा घर हालांकि बौहत पुराणा हा इथी। नीलकंठ मंदरा पौहंचदे-2 साह फुली गईरा था मेरा ता बडा भारी। थोडी देर बैठे दोनो आसे साह लैणे कठे। बसयांव लैंदे-2 नागणु सुणादा लगया भई पैहले ये जगहा सुनसान हुआंई थी। होर इन्हु आउणे जो कई बार ध्याडियो बी डर लगी जाहां था। नागणुए आपणे बचपना री गल सुनाई भई तरीजी चौथी बिच हाउं लगीरा था टारना री पिक्नीका ले घरौ वापस आउंदा इन्हुए होर इथी जेह मुंजो डर लगया होर हाउं रोंदा लगी गया। तितनेयो लेखु पंडता होरी रे बडे भाई ज्यों आजकाले एजुकेशना बिच लगीरे स्यों आए तिथी। फेरी तिन्हे ल्यांदा हाउं घरा जो। मुंजो बी जिथी तका याद ही भई हाउं कुलभुषणा होरी रे घरा आउँदा रैहां था बचपना बिच। होर ऐस मंदरा रे नौणा नहावांऐं बी थे आसे। टारना री जातरा री आसा जो अजही बी यादा ही। आईपीएचा बाले रे पीपला बाले मेले री दुकाना लगाहीं थी होर आसे इथी कई चीजा खाहें पिहाएं थे। बडे दुखा री गल ही जे आसे ये जातरा बंद करी दीतीरी। प्रशासना ले मांग ही जे ये जातर भी के शुरू कीती जाए। आसे मंदरा रे बसयांवां बाद सैर शुरू करहाएं होर आईपीएचा रे दफ्तरा बाले पुजी जाहें। इथी ले टारना मंदरा रे बांके भवना रे दर्शन हुई जाहें। रात हुणे रे करुआं आसे टारना माता जो इथी ले हे माथा टेकी देहें होर पाणी रे टैंका बटिहें जाणे वाली सडका पर चली पौहाएं। ऐस सडका रे कनारे हे अग्गे चलुआं पुराणा घुग्गु हा। ऐस घुग्गु ले आसारे बचपना बिच 10 बजे रा हुटर बजहां था। पर आजकाले ये काम नी करी करदा। घुग्गु बाले ले हेठा बखौ गोरे बाबा री कुटिया जो ऐक रस्ता जाहां। गोरा बाबा मंडी रे मशहुर बाबा थे। इन्हारे बडे भारी चेले मंडी होर कई जगहा हे। एभे एसा कुटिया री जगहा थनेहडे महल्ले रा प्राइमरी स्कूल हा। कबीर मंदर, माहुंनाग मंदरा बखौ जाणे वाली ऐसा सडका न्याहारा पइरा रैहां। जेता के इन्हुए लंघणे वालेयां जो जंगली जानवरा रा खतरा बणीरा रैहां। हालांकि ऐसा सडका पर बडी भारी आबादी बसीरी पर ये सडक अझी तक पक्की नी हुईरी। माहुंनाग मंदरा बाले रा नाला आजकाले बरसाती बिच बडा खतरनाक हुई गईरा। इथी सडका बिच पाणी, गडढे होर चिफलण ही। हालत इतनी खराब ही जे कोई बी बडा हादसा हुई सकहां। माहुंनागा ले हेठा बखौ जाणे वाली सडका रे सीथे हाथा बखौ रामनगर महल्ला हा होर पुठे हाथा बखौ टारना महल्ला। सीपीएमा रे दफ्तर कामरेड तारा चंद भवना वाले री सडक खस्ता हाल ही। इथी हे वार्ड नंबर 11 रामनगरा रे प्राईमरी स्कुला रा शौचालय बरखा करूआं पौणे वाला हा। स्कुला बाले एक दुकान चलाणे वाली जनाने ले सडका री हालता बगैरा रे बारे बिच पुछेया ता तिन्हे दसया भई नाले रे आसे पासे री जगहा पर कई घर बणी करहाएं। होर लोक नाले बिच हे मलबा सटी देहाएं जेता के नाला री जगहा कम हुई गईरी। इन्हे दसया भई सीपीएमा वालेयां महल्ले वालेयां रे साईन कराई रे होर इथी री मांगा कठे आसा प्रशासना के मिलणा। ऐसा हे दुकाना मुंजो बचपना ले पैहचाणिरा लंबा जेह, पतला जेह कुल्फी बेचणे वाला सरदार बैठिरा मिल्या। मैं पुछया सरदारा ले भई अझी बी कुल्फी बेचहां। ता तिने दसया भई मेरे पैरा आई गईरी मोस इधी कठे हाउं काम नी करी पांदा। सरदारा ले पुछया भई आजकाले भात बी खाहां ता तिने बोलया हां। सरदारा री मशहुरी रा कारण एक ये बी हा जे एजो पता लगी जाओ भई किथकी धाम ही होर भात हा ता सरदार घरा रे सदस्या साहीं हक मनुआं तिथी पुजी जाहां। होर अगर पुछो ता दसी बी देहां भई आज फलाणे गांवा था भात तिथी जो गईरा था। एसा दुकाना ले अगले नाले वाले ले जिथी कंडक्टरा होरी रा घर हा मंडी शैहरा रे तीन वार्ड मिलहाएं। इथी रामनगर, टारना होर अपर भगवाहन महल्लेयां रा मिलन हुआं। माहुंनागा ले हेठा बखौ जाणे वाली सडका रे सीथे हाथा बखौ इथी ले अगे रामनगर महल्ला हा होर पुठे हाथा बखौ अपर भगवाहन या थनेहडा महल्ला हा। जबकि ऐते पीछे पुठे हाथा बखौ टारना महल्ला हा। ये गली राजेश भाई जिन्हा जो आसे गुरू होरी बी बोल्हाएं रे घरा बाले पौहंचाईं। राजेश भाई मंडी री सांस्कृतिक राजधानी रा कई विधा बिच प्रतिनिधित्व करने वाली बहुआयामी प्रतिभा हे। चित्रकला राजेश भाई रा पैहला शौक हा। राजेश भाई री पोट्रेट होर नेचर पेंटिगा बिच महारत ही। आजकाले राजेश भाई मंडयाली कलमा री मिनिएचर पेंटिंगा पराले बी काम करी करहाएं। टीचर हुणे रे बावजूद बी राजेश भाई सांस्कृतिक गतिविधियां कठे वकत काडहाएं होर अगली पीठी जो चित्रकला, संगीत, अभिनय होर गायना रे गुर सिखाणे रा कोई मौका नी चूकदे। राजेश भाईये सोनी टीवी रे समेत कई चैनला रे सीरियला होर फिल्मा बिच एक्टिंग कीतीरी। राजेश भाई रे घरा ले थोडा हेठ रोशना होरी रा होर सुरेशा होरी रा घर हा। ऐता थोडा थाले अरूण महाजन बकीला होरी रा घर हा। फेरी राजेश जोशी बकीला होरी रा घर आई जाहां। राजेश जोशी होरी वकालता रे सौगी-2 फोटोग्राफी बी करहाएं होर इन्हा जो फोटोग्राफी बिच राष्ट्रीय स्तरा रा ईनाम मिलहीरा। जोशी होरी रे मामा जी कामरेड प्रकाश पंता होरी रा घर बी सौगी-2 हे हा। कामरेड पंते होरिये आपणी सारी जिंदगी मजदूरा, किसाना, छात्र, युथ, महिला होर मेहनतकशा रे संघर्ष कठे लगाई दीतीरी। आजकाले बी कामरेड पंत जनता रे संघर्ष कठे हमेशा आपणी पक्षधरता दसहाएं होर जनता रे आंदोलना बिच बढुआं-चढुआं भाग लैहाएं। कामरेड पंता होरी रे घरा सौगी हे सीपीआई रा दफ्तर हा। ये सीपीआई रा बडा पुराणा दफ्तर हा। नब्बे रे दशका बिच जेबे छात्र आंदोलना बिच एआईएसएफ नेतृत्वा री भूमिका बिच थी ता एस दफ्तरा ले हे सारा काम चलहां था। कामरेड केशव शर्मा होर तिन्हा री धर्म पत्नी लंबे समय तका पार्टी आफिसा रैहे होर इन्हे पार्टी जो बनाणे कठे आपणा बडा योगदान कितेया। एस दफतरे हिमाचला रे बाहरा ले आउणे वाले कई कामरेडा रे होर कामरेड भगत राम, अमर चंद वर्मा, देशराज, गुमान सिंह, लवण ठाकुर, समेत होर बी कम्युनिस्ट नेतेयां रे विचार सुणीरे होर इन्हारी बैहसा होर मंथना रा साक्षी हा। प्रकाश वाच कंपनी रे कमलू भाई होरी रे घरा बाले ले बी एक गली दिग्विजय कटोच एडवोकेटा होरी रे घरा बटिहें टारना जो जाहीं। ये गली पटियाला होरी रे घरा बाले पाली कोचा होरी रे घरा बाले ले टारना जो जाणे वाली गलही के मिली जाहीं। इथी एक बायं बी ही। पर ऐसा गलिया बिच न्यारा पईरा हुणे रे करूंआं लोका जो हाडणेओ मुश्कल हुआईं। इथी ले ये गली फेरी अन्नू भाई होरी रे घरा बटिहें टारना जो चली जाहीं। टारना रे आईपीएच टैंका बाले ले एक नाला इन्हुएं आवाहां। ऐस नाले बिच बी लोके मलबा सटी-2 के नाले री जगहा घेरी दीतीरी। ये नाला जौंचु नौणा बाले निकलहां। नौणा बाले ता नाले री चैनलाइजेशन हुई गईरी पर ऊपराले नाला चैनलाईज नीं हा। होर प्रकाश वाच कंपनी वालेयां रे घरा अगे री सडका पार ये नाला अंडरग्राउंड हा होर लोका रे घरा हेठयें जौंचु नौणा री बाईं बाले निकलां। एस नाले बिच टैंका बाले मलबा सटणा बंद हुणा चहिए होर ये नाला ठीक ढंगा के चैनेलाईज हुणा चहिए। नीं ता कोई भी बडा हादसा सामहणे आई सकहां। माहुंनागा ले थनेहडे जो आउणे वाली गली बिच दैनिक भास्कर होर अजीत समाचारा रे मंडी जिले रे दफ्तर हे। इथी हे जी पी गुलेरिया एडवोकेटा होरी रा दफ्तर होर होटल बी हा। ये गली महामृत्युंजय मंदरा रे सामणे रामनगरा ले महामृत्युंजय चौका जो जाणे वाली सडका बाले निकलाहीं। थनेहडे महल्ले रा नीलकंठ महादेवा रा मंदर बी अति प्राचीन हा। होर इथी रा शिवलिंग होरी सभी मंदरा ले अलग हा। ऐस मंदरा ग्रैंड होटला वाले दीपक गुलेरिया होरी, देवतोष, हरिशु भाई, हैप्पी होर सारे महल्ले वाले सौण महिने री खीर आयोजित करहाऐं। ऐते अलावा बी साल भर मंदरा बिच कोई ना कोई धार्मिक आयोजन चलदा रैहां। मंदरा उपरखौ हरिशु भाई, हैप्पी भाई, श्याम होरी, शांतीलाल, हरिन्द्र, सोहन लाल गुप्ता होरी, श्याम, चेतना, विवेक होरी रे घर हे। मेरे कालेजा रे वकता रा बडा हिस्सा हरिशु भाई रे घरा होर थनेहडे महल्ले बी गुजरी रा। हरिशु भाई मेरे 1985 बिच दोस्त बणे थे होर आसे आजो आज बडे अच्छे दोस्त हे। हरिशु भाई रे घरा ले आउणे वाली गली नागणु रे घरा जो जाणे वाली गली के मिली जाहीं। ये गली फेरी महामृत्युंजय चौका बाले निकलाईं। संकन गार्डना जिथी आजकाले इंदरा मार्केट कंपलैक्स बणीरा पुराणे जमाने बिच ऐथी तलाब हुआं था। होर ऐता रे चारों तरफा चक्कर लगाणे जो तलांवां रा चक्कर लाणा बोलहाएं थे। मंडी रे लोका रा पुराणा रिवाज हा भई स्यों सांझा सैर करने रे कठे तलावां रा चक्कर जरूर लगाहें। एस तथ्य रा प्रमाण सांझा तेबे मिली जाहां जेबे आसे इंदरा मार्केटा री छता पर जाहें। मंडी री पुराणी आबादी रे लोक तुसा जो इंदरा मार्केटा री छता पर सैर करदे होर गप्प शप्प करदे सुझी जाहें। हालांकि तलांवां रा चक्कर पैहले सडका पर हे लगहां था पर ऐभे ये हे चक्कर मार्केटा रे स्लैबा परा लगहां। अपर भगवाहन महल्ले बिच टारना री बडी पैडियां ले पुराणे सुकेती पुल्हा तका बडी सडक हुणे रे करुआँ ये सारी जगहा व्यापारिक परिसरा होर दुकाना के भरीरी। ऐस सडका रे कनारे कई बैंक, मोबाईल कंपनियां रे दफ्तर, राणा गुरू होरी जिन्हा रा कृष्णा होटल हुआं था री दुकान, एयर टेला रा दफ्तर, बीओ आफिस, तारा चंद मल्होत्रे होरी री दुकान, मंडी रे ऐस वक्त सभी थे पुराणे वकील विश्वनाथ ऐडवोकेटा होरी रा घर, भगत राम एडवोकेटा होरी रा दफ्तर जिथी आजकाले तिन्हा रा बेटा राजेश शर्मा होरी बैठहाएं, मधुशाला, ग्रामीण बैंक, अशोका ढाबा, सुरजन ढाबा, स्टैंडर्ड होटल, लेखु पंडता होरी री दुकान, फोटोग्राफर होर जर्नलिस्ट बीरबल शर्मा होर जय री दुकान, ग्रैंड होटल, नवीन होटल होर कोयल होटला समेत कई व्यापारिक केन्द्र हे। महामृत्युंजय चौका बाले पौहंची के अपर भगवाहन महल्ले री सैर पूरी हुआईं। सैरा ले बाद नागणु होर हाउं धनवंता री दुकाना री पैडियां पराले बैठी के एक-2 ठंडा पीहाएं होर आपणे-2 घरा कठे विदा लैहाएं। एस सैरा रा श्रेय हाउं पूरा- नागणु जो देहां जिन्हे मुंजो आपणा महल्ला दसया। महल्ले री बनावटा ले लगहां भई ऐस महल्ले रा ज्यादातर हिस्सा थनेहडे महल्ले होर टारना बिच हा। इधी कठे महल्ले रा सीमांकन भी ठीक ढंगा कने हुणा चहिए। महल्ले वालेयां री मांग ही होर मेरा बी सुझाव हा भई खनका री गली वाला हिस्सा वार्ड नंबर आठा बिच पाई देणा चहिए। होर अपर भगवाहन महल्ले रा नांव थनेहडा महल्ला या लोअर टारना रखी देणा चहिए। खैर आज की सैरा बिच फिलहाल इतना हे काफी है। फेरी भी के मिलघे अगले महल्ले री सैरा कने।
टारना महल्ले री सैर
मेरी आज की सांझकणी सैर टारना महल्ले री थी। टारना धार केसी जमाने बिच खाली हुआंई थी होर इथी जंगल हे जंगल हुआं था। पर आजकाले टारना री धारा पर कंकरीटा रा जंगल बसी गईरा। धारा री चोटी पर श्यामा काली माता रा सुंदर मंदर हा। बोलेया जाहां भई मंडी रे लोका जो टारना माता रा आशीर्वाद हा इधी कठे इन्हा पर कोई विपदा नीं आई सकदी। टारना री पहाडी ले धुईं बिच डुबी रे मंडी शैहरा रा बडा सुंदर नजारा सुझहां। राती जेबे शैहर रोशनी के जगमग हुआं ता इथी ले शैहरा जो निहारने रा आपणा हे आनंद हा। इहां ता टारना मंदरा जो जाणे रे कई रस्ते हे पर तलावां री कुणी ले जाणे वाली बडी पैडियां वाला रस्ता पैदल जाणे कठे ज्यादा प्रयोग हुआं। ये महल्ला बडी पैडियां रे सीधे हाथा बखौ टारना धारा री चोटी तका बसीरा होर सुकोडी खाडा रे दायें किनारे तका फैहलीरा। हाउं आपणी सैर तलावां री कुणी री पैहली गली जिथी मेरे दुदर रे दोस्त घनश्यामा होरी रा घर हा होर महाजना होरी री ट्रंका री दुकाना ही बाले ले चढने वाली गली बटिहें शुरू करहां। मद्दी होरी रे घरा बटिहें मुन्ना पीटीआई, मणी ज्योतिषी होर पंकू होरी रे घरा री चढाई चढी के हाउं लक्ष्मी नारायण मंदरा बाले पुजहां। मंदरा रे दर्शन होर परिक्रमा करीके हाउं कृपाल सर, डा भारद्वाज, लेखु पंडत, कमलू बाक्सर, राजू होर गिरीश भाई रे घरा जो जाणी वाली गली बखौ चली पौहां। लेखु पंडता होरी रे घरा बाले ले थोडी जेह पैडियां चढने बाद कमेटी रा पक्का रस्ता शुरू हुई जाहां। ये रस्ता बलबीर होर राजेश डोगरे होरी रे घरा बखौ जाहां। थोहडी दूर जाणे बाद कमेटी रा टाईला वाला रस्ता बंद हुई जाहां। महल्ले रे एक मठे ले पुछहां जे मुंजो देखणे जो कराएदार लगहां भई टारना जाणे जो कुण रस्ता हा। ता से बोलहां भई टारना जो कोई रस्ता नीं हा होर हेठा जो हे वापस हटणा पौणा टारना जो दुजे रस्ते ले जाणे कठे। वापस हटदा लगहां ता एक होर मठा मिली जाहां। तेसले पुछहां ता से बोला भई आवा मेरे सौगी मैं दसुं तुसा जो रस्ता। ये मठा मुंजो एक छोटी जेह पैडिया दसहां होर बोलहां भई इन्हु चढा होर स्लैबा-स्लैबा बटिहें तुसा उपर पुजी जाणा। मैं पैडिया चढनी शुरू कीती। करीब एक-डेढ फुट चौडे ऐस रस्ते रे दोनों बखौ घर हे। तीन-चार घर लंघणे बाद सीधे हाथा बखौ मुडुआं ये रस्ता एकी घरा रे स्लैबा बटिहें गुजरेया। थोडा होर उपर पौंहचणे पर रस्ता पुठे हाथा बखौ मुडी जाहां। इथी ले हे एक रस्ता सीधे हाथा बखा जो भी जाहां होर बिजली बोर्डा रे दफ्तरा बाले पौंहचां। पर हाउं पुठे हाथा बखौ मुडने वाले रस्ते पर जाहां। कुछ दूरा तक ये सीधा रस्ता चलदा रैंहा पर अगे जाई के एकी घरा बाले ये रस्ता बंद हुई जाहां। हाउं घरा रे बरामदे बिच खडीरे एकी मठे ले अगे जाणे रा रस्ता पुछहां ता से बोलहां भई बरामदे बटिहें आई जाओ। लोका रे घरा रे बरामदे बटिहें लंघी के हाउं नीलकंठ महादेव मंदरा रे परिसरा बाले बडी मुश्कला के पौहचां। मुंजो याद ही भई बचपना बिच आउं ऐस रस्ते बी कई बारी आईरा पर आजकाले इथी इतने घर बणी गईरे जे लोका रा टारना जाणे रा ये रस्ता हे बंद हुई गईरा। प्रशासना जो एस रस्ते जो खुलवाणा चहिए होर रस्ते चिन्हित करने कठे इधी परा टाईला लगाई के पक्का कितेया जाणा चहिए। होर जिन्हे लोके रस्ते बंद करी दितीरे तिन्हा रे खिलाफ कारवाही करनी चहिए। नीलकंठ महादेवा रे मंदरा री बाईं रा पाणी पीणे बाद दर्शन किते होर थोडी देर बसयांव लैणे बाद बडी पैडियां री अगली चढाई शुरू कीती। आईपीएचा रे दफ्तरा बाले पुजी के पैडियां छाडी के सडका रा रस्ता पकडेया। हवामैहला रे हेठली बखौ टारना मंदरा रे पुजारी जौली भाई, धामला भाई होर लाल भाई होरी रे घर हे। हवामैहला ले टारना मंदरा तका री सडका रे सौगी हेठली बखौ बौहत सारे घर बणी गईरे। हालांकि सडका उपरा बखौ बिटु होर लकी होरी रा हे घर हा। मंदरा पौहंचेया ता आरती अझी खत्म हुईरी हे थी। दर्शना बाद मंदरा रे पुजारी धामला भाई होरीए मुंजो प्रसाद दितेया। मंदरा ऐस वकता इंजीनियर दीक्षित होरी होर राजु रे डैडी श्यामा प्रसाद चटर्जी होरी बी थे। टारना मंदरा री परिक्रमा करीके बाहर निकलेया होर हनुमाना जो प्रणाम करूआं पीपला रा चक्कर काटेया होर फेरी मंदरा बाहर थोडी देर बैठी के ऐतारी भव्यता रा आनंद लितेया। टारना मंदर वास्तुकला रा अनुठा उदाहरण हा होर आपणी तरहा रा कल्हा मंदर हा। टारना री पहाडी पराले श्याम सेन राजे 17 वीं शताब्दी बिच ये मंदर बणाया था। मंदरा बिच श्यामा काली माता री मुर्ति ही। मंदरा री परिक्रमा बिच चारों दिशा रे आलेयां मंझ दश महाविद्या रे सुंदर चित्र बणीरे। मंदरा रे अंदरा बखा रे छता पराले सोने री खुबसूरत कसीदाकारी हुईरी। बोल्हाएं भई ऐस छता जो बनाणे रा काम तिने हे मिस्त्रीये कितया था जिने स्वर्ण मंदरा रे छता रा काम कितीरा। मंदरा रे बनाणे रे पीछे एक होर कहाणी रा जिक्र आवहां मंडी रे इतिहासा बिच। राजा श्याम सेना रे वकता बिच जौंचु नौण सुकेत रियासता रा हिस्सा था। मंडी रे लोक दाल बगैरा धोणे होर कई कामा कठे नौणा रा पाणी लैहाऐं थे। पर सुकेत रियासता रा राजा मंडी रे लोका ले टैक्स वसुल करहां था। इधी कठे मंडी रे राजे आपणा बकील सुकेता रे राजे बाले गल करने कठे भेजेया। पर सुकेता रे राजे श्याम सेना रा रंग काला हुणे करूआं तानहा मारया भई ठीकर केहडा हा मंडी रा। तेता पर मंडी रे बकीले बी टके रा जवाब दितेया भई ठीकर तपी रा होर भोगडे भुनणे जो तैयार हा। ऐहडा बोलुआं बकील मंडी जो हटी गया होर राजे जो पुरी गल्ल दसी। तेबे फेरी श्याम सेन राजे सुकेता पर हमला कितेया होर सुकेता री बौंडरी लुहारे होर भौरा तका घटाई दिती। तधकी बणीरी ये बौंडरी आजकाले बी मंडी होर सुंदरनगर सब डिविजना जो अलग करहाईं। सुकेता री जीता री खुशी बिच श्याम सेन राजे ये श्यामा काली रा मंदर बणाया था। टारना मंदरा रे दर्शन करने बाद थोडी देर टारना रे पार्का जो टैहलदा निकल़ेया ता साम्हणे एक उदघाटन पटिट्का सुझाहीं। नेडे जाई के मोबाईला रे परयासे बिच ऐता जो पढने री कोशीस करहां ता ऐता पर अंग्रेजी बिच ऐहडा लिखोही रा पढोहां भई राजा बजरंग बहादुर सिंह लैफ्टीनैंट गवर्नर हिमाचल प्रदेश 27-11-1955। ये स्टोन पार्का रे बनाणे कठे रखेया गया था। सडका ले मंदरा जो जाणे वाले गेटा पर एकी थामहा पर राणी अमृत कौर पार्का रा बोर्ड लगीरा। होर दुजे थाम्आ पर ऐहडा लिखोहिरा भई एतारा उदघाटन महामहिम दलाई लामा होरिये 7 जनवरी 1957 बिच कीतीरा। इन्हा बोर्डा ले अंदाजा लगाया जाई सकहाएं भई एस पार्का जो कई बार सुंदर बनाणे री कोशीस किती गईरी। पर आजकाले ये पार्क बडी बुरी हालता बिच हा। पार्का जो सुधारने कठे बौहत सारे काम किते जाणे चहिए जेता के ये खुबसुरत जगहा होर खुबसुरत हुई सको। टारना रे पहाड़ा पर केसी वकत चीला रा घणा जंगल हुआं था। पर आजकाले ता इथी घर हे घर बणी गईरी। मंदरा रे उपरा बखौ पार्का रे सौगी हे जेबे इथी दुरदर्शना रा टावर लगेया था सन 1985 बिच ता से एक बडी घटना थी। क्योंकि एते बाद मंडी बिच टीवी आउणा शुरू हुई गई था। एस टावरा जो लगाणे रा श्रेय पंडत सुखरामा होरी जो दितेया जाहां। मंदरा रे सौगी हे एडवोकेट जानकी दास डोगरा होरी रा घर हा। मंदरा ले अग्गे तका आजकाले सडक निकली गईरी। होर ऐसा सडका रे सौगी-2 कई घर बणी गईरे। इथी कई दफ्तर बी हे। अग्गे जाई के बीएसएनएला री कलौनी बाले सडक रूकी जाहीं। एसा हे सडका पर सहायक एडवोकेट जनरल तरूण पाठक होरीये बी आपणा नौवां घर बनाईरा। बीएसएनएला री कलौनी बाले ले हाउं हटणा शुरू करी देहां। टारना मंदरा री पैडियां ले उतरदे वकत पुठे हाथा बखा री सारी जमीना पर घर बणी गईरे। पर अझी बी कुछ जगहा चील होरी कई प्रजातियां रे डाल इथी मौजूद हे। पैडियां ले उतरदे वक्त टारना री बायं आवहाईं। एसा बाईं बिच 12 महीने पाणी रैहां। पर बाईं रा रख रखाव नीं हुणे ले ऐता रे ओरे परे झाडियां होर गंद पई रा रैहां। एसा बाईं री ठीक ढंगा के देखभाल हुणी चहिए। आईपीएचा रे दफ्तरा बाले ले एक सडक माहुंनाग मंदरा बखा जो चली जाहीं। हालांकि ऐसा सडका बटिहें छोटी गडियां अग्गे तका जाहीं क्योंकि अग्गे लोके बौहत सारे घरा बणाई दितिरे आजकाले। पर ऐसा सडका री हालत ठीक नी ही होर इथी हमेशा न्यारा पईरा रैहां। थोहडी दूर चलणे बाद कबीर मंदर आवहां। ऐता ले बाद माहुंनाग मंदरा बाले सडका हेठा बखौ रामनगर महल्ला हा होर उपरा बखौ टारना महल्ला हा। गटु रामा होरी रा घर, मेरे क्लासफेलो धर्मपाला होरी रा घर, माहुंनाग मंदर बगैरा टारना महल्ले बीच हे। इथी ले हे एक गली थनेहडे महल्ले जो जाहीं। एसा गली रे उपरली बखा रे घर कंडक्टरा होरी रे घरा तक टारना महल्ले बिच हे। जबकि एते बाद गली ले उपरले घर थनेहडे महल्ले बिच पौहाएं। एसा गली रे उपरा बखा प्राइमरी स्कुल बी हा। एस जगहा सडका री हालत बडी खराब ही। प्रशासना जो इथी री सडक ठीक करनी चहिए होर नाले री चैनलाईजेशन करनी चहिए। नीता कोई बडा हादसा बी इथी घटी सकहां। गटु रामा होरी रे घरा तका टारना ले आउणे वाली सडका अग्गे चलुआं रामनगर महल्ले बटिहें हुंदे हुए सन्यारढी जो जाणे वाली सडका के मिली जाहीं। एस जगहा री खाली जगहा पर आजकाले कई घर बणी करहाएं। क्योंकि शैहरा रे नजदीक जगहा हुणे करूआं इथी री सारी जगहा एभे बिकदी लगी गईरी। आईपीएचा रे दफ्तरा बाले आसारे बचपना बिच टारना रा मेला लगहां था। पर आजकाले ये बंद हुई गईरा। प्रशासना जो ये मेला भी के शुरू करना चहिए। मंडी रे लोका री ये बडी पुराणी मांग ही। आईपीएचा रे दफ्तरा बाले हे जगु मियां होरी रा घर हा। हाउं जगु मियें होरी रे घरा बाले ले माहुंनाग सडका पर नी जाउंआ सीधा सडका बटिहें हटणा शुरू करहां। हालांकि टारना मंदरा होर आपणे घरा जो जाणे वाले लोका रा सडका पर हमेशा तांता लगीरा रैहां। पर सडका बिच बी लाईट नीं हुणे करूआं लोका जो निहारे बिच इन्हुए लंघणा पौहां। एक मोड उतरने बाद सैसन जजा होरी रा रैजीडेंस आवाहां। आजकाले इथी सैसन जज एस सी कैंथला होरी रैहाएं। एक मोड होर उतरने पर बिजली बोर्डा रा रेस्ट हाउस हा। रेस्ट हाउसा सामणे ले एक लिंक रोड सन्यारढी बणीरी वीआईपी कलौनी जो जाहां। हालांकि ये कलौनी अझी पंचायता बिच ही। पर शहरा रे सौगी सटीरी हुणे करूंआ ये बी आउणे वाले वकता बिच मंडी शैहरा रा हिस्सा बणी सकहाईं। ऐसा कलौनी री सडका री हालत खस्ता हाल ही। सैंकडों लोक इथी रैहाएं होर तिन्हा जो कई असुविधा झेलणी पई करहाईं। एक मोड होर उतरी के सर्कट हाऊस आवहां। जेबे सरकार होर मंत्री लोक मंडी आवांहे ता तिन्हा के मिलणे वालेयां रा इथी जमावडा लगीरा रैहां। सरकट हाउसा ले हेठले मोडा ले एक सडक इंडस्ट्री रे दफ्तरा बखौ मुडी जाहीं। ऐसा सडका ले हुंदे हुए आसे सिट्टा भाई होर जोगी बगैरा रे घरा बाले पुजहाएं। टारना री सडका री उतराई थोडा होर उतरूआं आसे एसपी मंडी होरी री रेजीडेंसा बाले पुजहाएं। इथी हे सामणे ले एक छोटी गली हेठा बखौ जाहीं। ऐसा गली बिच मेरे बचपना रे दोस्त अमरू होरी रा घर होर एडवोकेट विकास कालरा होरी रा घर हा। थोहडा होर उतरी के एडवोकेट नीरज कपूर, एडवोकेट दीना नाथ शर्मा, एडवोकेट भूषण शर्मा, शैलेष शर्मा होरी रे घर आवाहें। ऐते थोहडा थालहे मल्होत्रा होरी रा घर आवाहां। पैहले इथी पाणी रा बिल देणे रा दफ्तर बी था। थोहडा उपरा बखौ जाणे पर बीएसएनएला वालेयां रा दफ्तर बी हा। टारना री सडक लखपति रे घरा साम्हणे गांधी चौका ले हस्पताल होर जेलरोडा जो जाणे वाली सडका के मिली जाहीं। जिथी ये सडक मिलाहीं तिथी हे दांदा रे डाक्टरा री सरदार साहबा री दुकान ही। एते अग्गे नामधारी वालेयां रे सौगी-2 कई दुकाना ही। जेबीटी होर यु ब्लाका जो जाणे वाली सडका रे साम्हणे ले एक सडक सुशीला महाजन भैंजी, अनिल महाजना होरी रे घरा बटिहें टारना जो जाहीं। थोहडी दूर चढने बाद इथी मेरे यु ब्लॉका रे प्राईमरी रे दोस्त सुक्खा होरी रा घर हा। पिंका छोले- मुंगफली वाला जिन्हा री दुकान मनोहर हलवाई री दुकाना बाले ही, तिन्हा रा घर बी इथी हा। बचपना बिच हाउं सुक्खे सौगी कई बार इथी आवहां था। होर आसे खुब पतंगबाजी करहाएं थे। छोले गुड होर शक्कर बी खाहें थे। सुक्खे री चाई (मम्मी) री मुंजो अझी बी याद ही। देविन्द्र भाई कम्पयुटरा वाले जिन्हा री दुकान जेलरोड री मस्जिदा रे साम्हणे वाली गली बिच ही बी मेरे बचपना रे दोस्त हे। देवेन्द्र भाई होरीये हे मेरा पी सी लगाईरा। स्यों तिलक भाई रे बी बडे दोस्त हे। मेरे कम्पयुटर साक्षर हुणे रा श्रेय तिलक भाई, भावुक भाई, लवण ठाकुर होर देवेन्द्र भाई जो हा। टारना री बडी पैडियां ले हस्पताल होर जेलरोडा जो जाणे वाले सुकोडी पुला तका टारना महल्ले रा व्यापारिक केन्द्र हा। इथी सभी तरहा री दुकाना ही। युको बैंका रा पाणी रा छुहडु सारी साल चलदा रैहां। हाउं बचपना ले यु बलाका होर विजय हाई स्कूला पढने करूआं इथी रा पाणी पी करहां। विजय हाई स्कुला रे मैदाना उपरा बखा चामुंडा माता रा मंदर हा। इथी री जाग बडी मशहुर ही। स्कुला रे गेटा रे साम्हणे री हलवाई री दुकान बी बडी पुराणी ही। ऐते अगे श्याम होरी री टाफियां री दुकान बी आसौ बचपना बिच लेई जाहीं। सन्नी भाई होरी रा शर्मा बुक डिपो बी अझी तका चलीरा। इथी पैहले सन्नी री मम्मी होरी बैठाहें थे। ऐभे मोहणी भाई होरी हुआएं। यशोधानंद बजीरा होरी रे घरा री थाल्हकी मंजिला कई दुकाना ही होर तिन्हारी आपणी दुकान बी ही इथी। नामधारी म्युजिक हाउसा वालेयां री दुकान बी मंडी रे लोका जो कई साला ले साउंड, टीवी, संगीता रा सामान बगैरा बेचणे री सेवा देई करहाईं। सौगी हे डाक्टर साहबा री दुकान बी बडी पुराणी ही। उपर चंचल मैडमा होरी रा घर हा। परे बखौ संजु भाई होरी रा आजाद ड्राईक्लीन, माधोराव रे पंडता होरी री पाना री दुकान, रायल ढाबा होर प्रभु लाले होरी रा चंदन एंटरप्राइजेस शोरूम हा। दुदरा रे घनश्याम होर तिन्हा रे चाचे होरी री बिल्डिंगा बिच कई दुकाना होर दफ्तर बणी गईरे आजकाले। ऐसा बिल्डिंगा बिच केसी वकता लाल होटल हुआं था। टारना जो चढने वाली बडी पैडियां री शुरुआता बिच हे एडवोकेट सुशील कपूरा होरी रा दफ्तर हा। साम्हणे प्रमोद भाई री दर्जी री दुकान बी बडी पुराणी ही। इधी कने सौगी हे हाउं आपणी टारना महल्ले री सैर पूरी करहां। हालांकि ये महल्ला बौहत ज्यादा बधी गईरा। होर हाउं एकी सैरा बिच ऐता जो पूरा नी घुमी पाया। पर क्योंकि ये मेरा महल्ले रा पैहला चक्कर था इधी कठे जितनी कर मुंजो जानकारी मिली पाई से मैं तुसा के शेयर करी दीती। होर हुई सकहां मेरे ले कई जगहा छुटी बी गईरी हो। तेता कठे हाउं तुसा ले माफी मांगहां। होर अगर कोई गल्ती बी हुईरी हो लिखणे बिच ता तुसे मुंजो दसी सकहाएं ताकि हाउं तिन्हा जो ठीक करी सकुं। फेरी भी के मिलगे तुसा के अगले महल्ले री सैरा सौगी। तेबे तका देया इजाजत।
रामनगर महल्ले री सैर
आपणी सांझकणी सैरा जो जारी रखणे कठे मेरे अंदरा ले भारी दबाब हा। दरअसल इन्हा सैरा के मेरा मंडयाली बिच लिखणे रा जे क्रम शुरू हुइरा हाउं तेता जो रोकणा नीं चाहंदा। इधी कठे नी जे भई मुंजो मंडयाली लिखणे ले कुछ मिलणे री उम्मीद ही। बल्कि मुंजो लगहां भई ये मेरे शैहरा होर प्रदेशा रा मेरे परा एक कर्जा हा जे मुंजो हे चुकाणा पौणा। अगर हाउं कुछ लिखणा-पढणा सिखी गईरा ता मुंजो तेसा भाषा बिच बी से लिखणा चहिए जे मेरी जिंदगी रा हिस्सा हा। मुंजो लगहां भई मंडयाली बिच लिखुआं हाउं ज्यादा धरातला परा जाई के अभिव्यक्त करी सकहां। इधी कठे सांझकणी सैरा रे कठे आपु जो मानसिक रूपा के तैयार करी के हाउं कई बार टलणे ले बाद आखिरकार चली हे पौहां। सुकेता (सुंदरनगरा) ले आउणे वाली सुकेती खाड पुलघराटा बाले मंडी शैहरा पौंहचाईं। पुलघराटा ले पाडला रे पुराणे पुला तक सुकेती खाडा रे पुठे हाथा बखौ रामनगर महल्ला बसीरा। खाडा ले टारना पहाडी रे उपरा तका ये महल्ला फैल्हीरा। पुराणे सुकेती पुल्हा रे सौगी हे विश्वकर्मा रा मंदर होर हॉल बणीरा। ये हॉल शैहरा बिच हुणे करूआं शादी-ब्याह, क्रार्यक्रमा होर मिटिंगा कठे प्रयोग हुआं। मंदरा रे सौगी हे एक बायं ही। पर ऐसा बाईं री हालत बडी खराब हुई गईरी। होर जल्दी थे जल्दी ये प्राकृतिक जल स्त्रोत ठीक कितेया जाणा चहिए। रामनगर महल्ले बिच सभी थे महत्वपुर्ण स्थल बरसेला मॉनुमैंट हा। ये स्मारक 1637 ई. ले बादा रे मंडी रियासता रे इतिहासा पर बडी महत्वपूर्ण जानकारी देहां। जेबे मंडी रे राजे गुजरी जाहें थे ता तिन्हा री राणियां होर खवासियां बी तिन्हा के सती हुई जाहीं थी। इन्हा राजेयां सौगी राणियां और खवासियां रे सती हुणे री याद जिउंदी रखणे कठे पाथरा रे स्तंभ बनाए जाहें थे। बरसेला स्मारक मंडी रे इतिहासा जो दसहां। ऐस स्मारका रा महत्व देखदे हुए भारतीय पुरातत्व विभागा वालेयां ये आपणे नियंत्रणा बिच लेई लीतीरा और राष्ट्रीय धरोहर बणाई दितीरा। रामनगरा जो जाणे वाली सडका रे चौका बाले ले पुठे हाथा बखौ एक गली हेठा बखौ उतरुआं ऐस स्मारका बाले पुजहाएं। ये गली अग्गे जाईके तहसीला बाले मिलहाईं। चौका परा एस स्मारका जो दर्शाणे कठे कोई बी बोर्ड नहीं लगीरा जेता के पता लगो भई एस स्मारका जो देखणेओ जाणे कठे रस्ता किन्हुए जांहा। विभागा जो सडका पर बोर्ड लगाई के एस स्थल रा महत्व होर रस्ता ठीक ढंगा के दसणा चहिए। रामनगर महल्ला मंडी ले सुंदरनगरा बखौ जाणे वाली पुराणी सडका रे उपर होर हेठली बखौ बसीरा। पैहले शिमले चंडीगढा बखौ एस सडका ले हे जाहें थे। बाईपास बणने ले ऐस सडका पर ट्रैफिका री मार थोडी कम हुईरी। पर अझी बी ट्रैफिका रा हाल ये हा भई सडक कम चौडी हुणे करूआं कई बार जाम लगीरा रैहां। प्रशासन ऐभे एस सडका जो वन-वे करने री योजना पर काम करी करहां। एसा सडका रे दोनो बखौ रामनगरा रा बाजार हा। एस महल्ले री सभी थे बडी खासियत ये ही भई इथी सभी धर्मा रे लोग मिलीजुली कने रैहाएं। इहां ता इथी मंडी रे लोक बी पुराणे जमाने ते बसीरे पर इथी ज्यादातर आबादी बादा बिच बाहरा ले आईरे अल्पसंख्यक समुदाया री ही। रामनगरा सिख धर्मा रे नामधारी होर नीलधारी लोग ज्यादा रैहाएं। मंगवाईं महल्ले री शुरूआता बिच हे होटल किंगसिटी होर दो-तीन होटल हे। इथी हे जीबे भाई री दुकान ही। जीवा कांग्रेसा रे नेता हा होर कई साला ले मंत्री अनिल शर्मा के जुडीरा। इन्हा री चाही री दुकाना भ्यागा ले हे राजनिती री गपशप शुरू हुई जाहीं। नारायण सिंह मेरा क्लासफेलो हुआं था आजकाले बाहर रैहां। इन्हा री कुल्फियां री फैक्टरी मुंजो अझी बी याद ही। बचपना बिच फुटबाल खेलुआं आउणे बाद नारायण, काला होर तिन्हा रा छोटा भाई चुपचाप कुल्फियां निकालुआं सारी टीमा जो खवाहें थे। नारायणा रे घरा पारा बखौ हरिशु होरी रा घर हा। इन्हा रे पिता जी के बी आसारी बडी दोस्ती ही। रिशु आसारे वक्ता बिच मंडी रा फुटबाला रा सभी थे शानदार खिलाडी रैहा। रिशुए आपणे फुटबाला रे कैरियरा बिच देशा रे लगभग सारे नामीगिरामी फुटबाल टीमा के मैच खेल्हीरे। आजकाले हरिशे आपणे घरा उपरा बखौ स्पोर्टसा री दुकान पाईरी। हरिशु रा भाई जीतू आजकाले फुटबाला रे कोचा री नौकरी करहां। हरिशा री दुकाना अग्गे विक्रम पठानिया (बावे) होरी री दुकान ही। बावा बी मंगवाईं महल्ले रा फुटबाल प्लेयर रैहीरा। बावे री दुकाना उपरा बखौ एडवोकेट कमल सैणी होरी रा घर हा। एडवोकेट कमल सैणी वकालता रे सौगी-2 फोटोग्राफी रा शौक बी रखाहें। आजकाले इन्हा रे खीचीरे फोटो काफी पसंद किते जाई करहाएं। बावे री दुकाना रे थोहडी अग्गे रामनगरा रे पुर्व पार्षद अवनिंदर सिंह होरी री दुकान ही। इन्हा री दुकाना साम्हणे मनीष दुग्गल होरिये आपणी नौवीं दुकान बनाईरी। इथी हे थोडी दूर अग्गे हैस्बी गन फैक्टरी ही। ऐता रे सौगी हे सुरेश शर्मा, हरिसिंह, रणिया होर भागी री दुकान ही। मंगवाई महल्ले बिच कई सरकारी दफ्तर हे। सडका रे हेठा बखौ एक लिंक तहसीला जो जाहां। तहसीला रे भवना बिच आबकारी काराधान होर पर्यटन विभागा रे दफ्तर बी हे। जबकि पाडल, रामनगर, टारना होर भगवाहन महल्ले रे पटवारियां रे दफ्तर बी इथी हे। तहसीला सौगी हे विजिलेंस एंड एंटी करप्शना रे एसपी रा दफ्तर हा। जबकि नबी रे सौहरे सक्सेना होरी रे घरा एनसीबी रा दफतर हा। इथी ले बरसेले बखौ जाणे वाली गली बिच तहसीलदार होर कर्मचारियां रे क्वाटर हे। बरसेले बाले हे उत्तम सिंह ठाकुर एडवोकेटा होरी रा घर हा। बरसेले रे नेडे हे फुटबाला रे खेला बिच मंडी रा नावं रोशन करने वाले कई खिलाडियां रे घर हे। जिन्हा बिच सुनील भाई, सोमा भाई, छोटु भाई, (नीनी होर नीटी) भाई, लाला भाई होर सुरेश भाई बगैरा। इधी ले अलावा बी रामनगरा बिच फुटबाल, क्रिकेट होर बाकी खेल खेलणे वालेयां री एक लंबी फेहरिस्त ही। जिन्हा बिच आसे जस्सी भाई, सतीश, डीडी, रूपलाल, सुभाष, रोशन, भागी, सुरेश, महेश, राजेन्द्र, भोला भाई, कुकु भाई, मिंटु होर टाईगरा होरी रा नावं लेई सकहाएं। तहसीला ले उपरा बखौ एक गली नाले रे सौगी-2 कुमी राम होर एडवोकेट इन्द्रा होरी रे घरा बखौ जाहीं। तहसीला अग्गे विख्यात गुलेरिया एडवोकेटा होरी रा घर हा। ऐते अगे कोर्टा रे क्रिमिनल एहलमद राकु भाई होरी रा घरा हा। साम्हणे नंबरदार तारा सिंह सरदारा होरी रा घर हा। ऐता रे सौगी हे सामणे बखौ नगर परिषदा रा शौचालय हा। पर देखरेखा रे बगैर ये काम नीं करी करदा। हालांकि ऐता जो बनाणे कठे कमेटिए कई लाख रूपये रा खर्चा कितीरा। इथी हे एक पुराणा पीपल हा। ऐता ले हेठा बखौ पशु चिकित्सालय हा। जबकि उपरा बखौ जाणे वाले सडक एडीजे साहब होर सीजेएम साहब रे रैजीडैंसा जो जाहीं। ऐसा हे सडका पर अग्गे प्रेस क्लब मंडी रा भवन हा। हालांकि प्रेस क्लबा रे ऐस भवना ले कई गतिविधियां चली सकहाईं पर फिलहाल क्लबा री गतिविधियां पुरी तरहा के ठप्प पईरी। सरकारा जो क्लब रे सौगी वाली जमीन क्लब जो देई के इथी रा समुचित प्रयोग करना चहिए। पीपला रे अग्गे पंडत ब्रदर्जा री दुकाना ही। एते अग्गे भानू पठानिया भाई होरी री बर्फा री फैक्टरी ही। भानू भाई रे पिता जी मेरे दादा जो आपणा गुरू मनहाएं थे। अझी तका इन्हा रा परिवार आसारे परिवारा के गुरू-शिष्या वाला रिश्ता मनुआं आसा के मिलहाएं होर बरताएं। भानू भाई रे घरा रे साम्हणे नामधारी धर्मशाला ही। इथी तडके ले हे नामधारी समुदाय रे लोका रा पौंहचणा शुरू हुई जाहां। इथी ले थोहडा अग्गे जस्सी भाई, भोला भाई और कुकु भाई रा घर होर तिन्हा री बीरी सिंह एंड सन गन फैक्टरी ही। इथी हे सामहणे रणिया भाई आटो रिपेयरा री दुकान करहाएं। सौगी हे टाइगर भाई रा घर बी हा। ऐते थोहडी अग्गे ले एक सडक जिला पंचायत अधिकारी रे दफ्तरा जो जाहीं। जबकि सडका ले हेठा बखौ जाणे वाले गली बिच प्रसिध पत्रकार बीरबल शर्मा होरी रा घर हा। बीरबल शर्मा एक ऐहडी शख्शियत हे जिन्हे लगभग सारे प्रदेशा री यात्रा करी कने पहाडा रा जन जीवन आपणे कैमरे बिच समेटी लीतीरा। इन्हा री एनएच-21 पर बिंद्रावणी हिमाचल दर्शन आर्ट गैलरी बिच यों सारी पिक्चरा लोका रे प्रदर्शन कठे रखीरी। ऐसा गैलरी रे माध्यमा ले लोका जो एकी हे छता थाल्हे पूरे प्रदेशा रे दर्शन चित्रा रे माध्यमा के हुई जाहें। बीरबल शर्मा होरी रे घर सौगी हे आसारे दोस्त राकेश (राकू) भाई होरी रा घर हा। राकू भाई आजकाले स्कूला रे लैक्चरार हे लगीरे। इन्हा रे घरा मेरा बचपना ले आउणा जाणा हा। राकू भाई सौगी आसे कई नाटका बिच काम कीतीरा। साहित्यिक रूचि वाले राकू भाई अझी बी नाटका बिच अभिनय करहाएं होर स्कूला रे बच्चेयां जो बी नाटक तैयार करवाहें। इथी ले थोहडा अग्गे चलणे पर रामनगर महल्ले री मोती मस्जिद आवहाईं। इहां ता मंडी हमेशा सभी धर्मा रा समभाव बणीरा रैहां। पर कई बार कुछ घटना रा फायदा चकी के सांप्रदायिक लोक धार्मिक असहिष्णुता फैलाहें होर आदमी जो आदमी रा दुश्मन बनाई देहाएं। मुंजो याद ही भई कुछ साल पैहले बाहरी राज्य ले आईरे मुहम्मद मरगुब नावां रे एकी दर्जी रा काम करने वाले मठे कोटली री मठी सौगी प्रेम प्रसंगा बिच तेसा पर भरी बसा बिच तेजाब सटी दितेया था। जेता री प्रतिक्रिया बिच सांप्रदायिक लोके रामनगर होर जेलरोडा री मस्जिदा पर हमला करीके इन्हा जो नुकसान पौहुंचाणे री कोशीश किती थी। जेता के दोनों धर्मा बिच नफरता री खाई खोदणे रा काम हुआ था। पर तेता ले बाद कोई भी ऐहडी घटना नी हुई जेता के सांप्रदायिक माहौल बणेया हो। थोहडा दूर चलणे पर नीलधारी समुदाय रा गुरूद्वारा श्री दुख निवारण साहिब आवहां। गुरूद्वारे बिच दिन भर शब्द कीर्तना रा माहौल रैहां। सिख लोक आपणे गुरूआं रे प्रकाशोत्सव होर विभिन्न त्योहारा रे मौकेयां जो खूब धूमधामा के मनाहें। इथी हे सौगी लगदा रंगारंग सिंह पत्रकारा होर सुक्खे भाई होरी रा घर हा। रंगारंग सिंह होरी रे पिता जी विश्वेश्वर सिंह होरी बौहत सुलझी रे इंसान हे। रंगा होरी रे बडे भाई सुक्खा भाई जी कांग्रेसा रे नेता हे। सुक्खा भाई आजकाले नगर परिषद मंडी रे मनोनीत पार्षद हे। नीलधारी गुरूद्वारे ले थोडा अग्गे कैहनवाल चौक आवां। कैहनवाल चौका पर झीरू मियां होरी रा घर हा। कैहनवाल रोडा पर दैनिक जागरणा रे ब्युरो चीफ विनोद भावुका होरी रा क्वाटर हा। भावुक जी मेरे अभिन्न मित्र हे। ध्याडे रा ज्यादातर वक्त आसारा कठे हे गुजरां। पत्रकार होणे रे सौगी-2 स्यों सोशल एक्टिविस्ट होर साहित्यकार बी हे। भावुक जी आजकाले कांगडी बिच बडी अच्छी कविता लिखी करहाएं। मेरे मंडयाली लिखणे पीछे बी इन्हा री प्रेरणा रा बडा हाथ हा। इन्हा रे क्वाटरा मेरा अक्सर आउणा-जाणा लगीरा रैहां। कैहनवाला जो जाणे वाली सडका रे किनारे डीएफसी रा गोदाम हा। इथी हे एडवोकेट जी पी गुलेरिया होर एडवोकेट दुर्गा सिंह होरी रे घर हे। कैहनवाला जो जाणे वाली सडका ले एक लिंक रोड टारना बखौ आवां। इथी राजीव स्टुडियो वालेयां रे घरा बाले करीब दो दर्जन मकान हे। सौगी हे एक पुराणी बौवडी बी ही। ये सडक अग्गे जाई के माहुंनागा रे मंदरा बाले गट्टु रामा होरी रे घरा रे नजदीक निकलाहीं। इथी कांग्रेसी नेता एडवोकेट दीपक शर्मा होरी रा घर बी हा। कैहनवाल चौका पर हे मेहर भवन हा। इथी रे नारायण सिंह होरी, बच्ची भाई, बॉबी भाई, रिकी, डान भाई होर सारे परिवारा के आसारे परिवारा रे पुराणे संबंध हे। इथी ले अग्गे सडका रे उपरा बखौ हे घर बसीरे जबकि खाडा बखौ कमेटी वालेयां जंगला लगाई दितीरा। थोडी दूर अग्गे अशोका फर्नीचरा रा शोरूम हा। साम्हणे मोनाल होटल हा। इथी हे आसारे भगवाहन महल्ले ले गइरे हरजिंदर बिल्ला होर पप्पे होरी री चाही री दुकान ही। थोडा दूर चली के पुलघराटा रा पेट्रोल पंप आवहां। पुलघराटा ले एक सडक बाईपासा जो चली जाहीं होर एक रामनगरा जो आवाहाईं। पुलघराटा टारना रे पार्षद होर रामनगरा रे पुर्व पार्षद योगराज होरी रा घर हा। पुलघराटा रामनगर महल्ला खत्म हुई जाहां होर इथी ले हाउं वापस हटणा शुरू करी देहां। ऐस वक्त न्यारा हुई गईरा होर पुलघराटा रे चौका पर कमेटी री कोई स्ट्रीट लाईट नीं भखीरी। पुलघराटा ले अशोका फर्नीचरा रे शो रूमा तक कोई लाईट प्वाईँट नीं भखणे रे करुआं घुप्प न्यारा पईरा। इथी होटला री लाईटा के थोडा परयासा हा। इथी ले मेहर भवना तक बी कोई लाईट नी ही। मेहर भवना ले अग्गे हाउं स्ट्रीट लाईटा चैक करदा लगहां तो मुंजो महामृत्युंजय चौका तक करीब दो दर्जन लाईट प्वाईंट लगीरे मिलहाएं। पर हैरानी री गल्ल ये रैही भई करीब 50 फुटा री दूरी पर लगीरे इन्हा प्वाइंटा मंझा ले एकी बी खंबे बिच लाईट नीं भखीरी थी। हैरानी री गल्ल ये बी ही भई ऐस महल्ले कई अधिकारी होर जिम्मेवार लोक रैहाएं पर इथी री लाईटा रे कठे कोई नीं सोचदा। इधी ले पैहले रामनगरा री सडका री हालत बी बडी खस्ता थी। कुछ वक्त पैहले ये ठीक ता किती थी पर भी खराब हुई गईरी कई जगहा ले। रामनगर महल्ले री सांझकणी सैरा ले ऐहडा सामहणे आया भई प्रशासना जो महल्ले रे ऐतिहासिक स्थल बरसेले रे बारे बिच उचित जगहा पर जानकारी देणी चहिए। महल्ले रे नालेयां री चैनलाईजेशन करना चहिए। प्राकृतिक स्त्रोत बचाणे चहिए, बिजली री हालत ठीक करनी चहिए होर सडका ठीक किती जाणी चहिए। इधी ले अलावा बी बौहत सारी समस्या महल्ले वालेयां री हुई सकाहीं। जेता कठे आसारे प्रतिनिधियां जो लोका ले जानकारी मांगी के तिन्हा रे हे सहयोगा के सुलझाणी चहिए। फिलहाल आज की सैरा बिच इतना हे बाकि रैही गईरी गल्ला अगली बार करघे।
पाड्डल महल्ले री सैर
आपणे शैहरा जो नेडे ले देखणे रे मकसदा ले शुरू हुईरी मेरी सांझकणी सैर आज आपणे आखरी पडावा तका पुजी गईरी। इन्हा सैरा ले क्या कुछ निकली पाया ये तो विश्लेषण करूआं हे पता लगणा। पर फिलहाल इतना जरूर हा भई मुंजो मंडयाली बिच आपणी कलम चलाणे रा थोडा बौहत भ्यास पई हे गया। ऐता के ऐहडा बी लगेया करहां भई आसौ जेबे बी मौका मिलो गल्ला रा मतलब मंडयाली बिच बी ऐकी बारी सोचणे री कोशीश करनी चहिए होर यों चीजा मंडयाली बिच बोलणे होर लिखणे री बी कोशीश करनी चहिए। फिलहाल हाउं तुसा जो आपणी एस पैहले दौरा री आखिरी सैरा कठे पाडल महल्ले जो लेई चलहां। पाडला री सैर हाउं ब्यास दरयावा होर सुकेती खाडा रे संगमा पर बणीरे पंचवक्तर महादेवा रे प्राचीन मंदरा ले शुरू करहां। पंचवक्तर महादेवा रा ये मंदर पुरातत्व विभागा रे संरक्षणा बिच हा। आईसीएस मनमोहन होरी री कताब हिस्ट्री आफ मंडी स्टेटा बिच उल्लेख आवहां भई एस मंदरा समेत मंडी रे 14 मंदरा रा निर्माण मंडी रियासता रे राजा सिद्ध सेन (1684-1727) होरिये करवाईरा। पंचवक्तरा रे अलावा तिन्हे बटक भैरव, सिद्ध भद्रा, सिद्ध जालपा, सिध शंभू महादेव, सेरी टैंक, सिध काली, सिध गणपती और त्रिलोकीनाथ मंदर भी बनाइरे। पंतवक्तरा रा मंदर शिखर शैली बिच बणीरा। मंदरा बिच पंजमुखी शिवजी भगवाना री मुर्ति स्थापित ही। मंदरा री पश्चिमा बखा बटक भैरवा रा मंदर हा। हालांकि ये बडी खूबसूरत जगह ही पर ऐसा जगहा री सुंदरता पर मंदरा रे पूर्वा बखौ बसीरी खानाबदोशा री बस्ती बडा बदनुमा जेह नजारा देहाईं। मंदरा रे सौगी वाली एसा जगहा पर करीब 50 परिवारा री बस्ती ही जिथी यों झोंपडियां बनाई के कई साला ले रैहाएं। इहां बी दरयावा रे कंढे रैहणे वाले इन्हा लोका जो बरसाती बिच पाणी आउणे करूंआ इथी ले हटणा पौहां। इन्हा लोका जो प्रशासना जो इथी ले हटाई के सम्माना सौगी होरी जगह लेई जाई के बसाणा चहिए। होर एस जगहा जो मंदरा के जोडी के सुंदर कितेया जाणा चहिए। इतने महत्व रा स्थल हुणे रे बावजूद इथी तका पौहुंचाणे कठे कोई बोर्ड नी लगीरे जेता के कई लोका जो एस स्थल तका पौहचणे री कोई जानकारी नीं ही। ये स्थल धार्मिक पर्यटना रे रूपा बिच विकसित करने कठे बौहत माफिक हा। पंचवक्तर महादेवा रे मंदरा कठे बंगले महल्ले री शिवा बावडी बाले ले एक छोटा पुलह बणीरा। सुकेती खाड्ड इथी ब्यास दरयावा के मिलहाईं। पुल़ह पार करदे ही सिधु राम बुक सैलर होरी रे प्रयास के पीपला रे टैले बाले हनुमान रा मंदरा बणीरा। एते थोडा उपरा बखौ सिध भद्रा माता रा मंदर हा। सिध भद्रा मंदरा रे पुजारी मेरे निहाल़ी हे। सौगी हे बजीरा होरी रे घरा साईं बाबा होरी रा मंदर हा। पंचवक्तरा ले पाडला जो जाणी वाली सडका सौगी हे प्रोफेसर ओ सी मल्होत्रा होरी रा घर हा। तिन्हा रे घरा अग्गे म्युजिका रे लैक्चरार लगीरे हेमराजा होरी रा घर हा। हेमराज मेरे दोस्त सिंगर जे पी होरी रे शागिर्द हे। जे पी, कपिल, गुलाबा भाई, सतीश भाई, मधुकर भाई आसारी खास दोस्ती थी होर आसे कालेज टाइमा बिच गज़ला होर क्लासिकला रा बडा मजा लैहाएं थे। सुमन भाई बी आसा बिच बडे क्रियेटिव थे। नाटक, साहित्य होर पेटिंग तिन्हा री सभी विधा बिच बडी गैहरी रूची थी। सुमन भाई री याद इधी कठे आई क्योंकि इन्हारा क्वाटर बी बौहती वकता तक इथी हे रैहा। इथी हे मेरे क्लासफेलो निजू भाई होरी रा घर हा। इन्हा रे घरा अग्गे व्यास गैस्ट हाउस हा। व्यास गैस्ट हाउसा रे हेठा बखौ पुराणे जमाने री बौवडी ही। नीजू होरी रे घरा ले पुराणा रस्ता गोपाली मास्टरा होरी रे घरा बखौ जाहां। गोपाली गुरू जी रा परिवार जगन्नाथ मंदरा रे पुजारी हे। पाडला रा जगन्नाथ मंदर बी बडा ऐतिहासिक होर प्राचीन हा। गोपाली गुरू जी रे छोटे मठे वेदू भाई जी के मेरी फुटबाल प्लेयर हुणे करूआं बडी अच्छी अंडरस्टैडिंग ही। पाडला री सैर लिखणे रे दौरान हे वेदू भाई मुंजो एकी ध्याड़े कोर्टा टखरी गए ता तेबे तिन्हे मंदरा रे इतिहासा रे बारे बिच मुंजो दसेया भई ये मंदर राजा गूर सेन होरिये सन 1679 बिच बनाया था। मंदरा कठे राजा गुर सेन होरिये उडिसा रे जगन्नाथ मंदरा ले संगमरमरा रे सिंघासना परा बठयाली कने काष्ठ विग्रह री मुर्तियां लयांदीरी। मंदरा बिच भगवान कृष्ण, सुभद्रा होर बलरामा री मुर्तियां ही। कुछ साल पैहले उडीसा री तर्जा पराले मंडी बी जगन्नाथ री यात्रा निकलाईं थी। पर ऐभे कुछ साल ले बंद हुई गईरी। जगन्नाथा रे मंदरा पीछे बखौ एडवोकेट सतीश शर्मा होरी रा घर हा। मंदरा बाले रे मैदाना सौगी हे अनु भाई होर तरूण भाई होरी रा घर हा। इन्हारे घरा पीछे बखौ एडवोकेट चमन लाल शर्मा होरी रा घर हा। बाईं बखौ जाणे वाली सडका बिच ड्राईंग गुरू जी होरी रा होर एंटी भाई, अन्ने भाई होरी रा घर हा। पाडला रा छुहडु होर बाईं रा पाणी बडा स्वाद हा। पर सवाल ये पैदा हुआं भई इन्हा स्त्रोता रा इतना भारी पीणे लैक पाणी आसे टैप नी करी पांदे होर ये बेकार खाडा बिच चली जाहां। जबकि शैहरा जो 24 घंटे पाणी देणे कठे कई किलोमीटर दूर कमांदा उहला रा पाणी ल्याउणे कठे करीब 80 करोडा री स्कीमा पर काम चली पौहां। बाईं पौहचीं के छोटे टिल्ले होर बडे टिल्ले री याद नी आओ ता ऐहडा नी हुई सकदा। क्योंकि बाईं पौहचुआं ता ऐहडा लगहां भई एक बारी छोटे टिल्ले जो जाई हे आवाहें होर तिन्हा चट्टाना जो एक बारी भी देखी लैइयें जिन्हा पर खाडा नहाउंदे वकता आसे भर तौंदिया सुतीरे हुआएं थे होर आसारी मम्मियां कुगस लेई के आवाहीं थी होर आसारे कपडे लेई जाहीं थी। खैर स्यों गला ता ऐभे नीं रैही शायद। बाईं उपरा बखौ संडे मिसतरी होरी रा घर हा। पाडला री लगभग सारी जमीना पर ऐभे घर हे घर सुझाहें। बाईं ले एक रस्ता सदर थाणे बखौ निकल़ाहां। एस रस्ते ले हे मेरी माया बुआ जी रे मठे पाल भाई होरी होर अजय कात्यायना होरी रा घर हा। इन्हुए पुराणे घरा जो बी रस्ता हा जिथी हंसू भाई होर कमलू भाई होरी रैहाएं। पाडला रे अजू भाई, डोला भाई, गोल्डी भाई, सीरिया, सनू मियां होरी रे घरा के आसारे परिवारा रे पुराणे संबंध हे। अजू भाई होरी राजेयां रे परिवारा ले संबंध रखाहें। इन्हारे घरा बाले आजकाले मार्केट बणी गईरी। इथी आसारे महेश शर्मा मेछी भाई होर पुराणी मंडी रे मास्टर भाई होरीए दुकाना खोल्हीरी। सौगी वाली बिल्डिंगा बिच टारना वाले बिट्टु भाई रा जिम हा। एसा हे बिल्डिंगा बिच डा. चंद्रशेखर भाई री अकाडमी बी ही। पाडला रा गीता भवना साहित्य चुडामणी पं. भवानी दत शास्त्री होरी रे वकता बिच कई गतिविधियां रा केन्द्र हुआं था। गीता भवना रे मोडा पर पीपला रा टैयला हा। इथी री सडक कई वक्ता ले खराब ही पता नी ये की नी ठीक हुई पांदी। इथी मंडी कालेजा रे प्रोफेसर होर प्रिसींपला रे क्वाटर हे। आजकाले मंडी कालेजा रे प्रिसींपल जमवाल सर हे। पीपला सौगी हे एक रस्ता शिव शंभू मंदरा बखौ जाहां था। आजकाले एस रस्ते पराले जिमीखाना क्लबा वालेयां दीवार लगाई दितीरी। होर एक दरवाजा लगाई के इथी ताला लगाई दितीरा। दीवारा पर एक बोर्ड हा लटकी रा भई शिव शंभू मंदरा जो एभे आसे भ्यागा 6 ले 9 बजे तका हे जाई सकाहें बाकि वक्त ये दरवाजा बंद रैहां। शिव शंभू मंदर राजा सिध सेन होरीए ब्यास दरयावा रे कंढे स्थापित कीतीरे। इथी एक विशाल शिवलिंग स्थापित हा। कालेजा री आसारी पढाई रे सौगी-2 आसारी एक क्लास शिव शंभू बी लगहाईं थी। शिवशंभू तैराकी करने वाले जो तैराक मनया जाहां था। कालेजा ले जेबे बी बंक लगहां था ता सभी थे नजदीक पर्यटन स्थल शिवशंभू हे हुआं था। पर ऐहडा सुणी के एभे बडा बुरा लगहां भई शिव शंभू रे दर्शन आसे भ्यागा सिर्फ दो घंटे तका हे करी सकाहें। हालांकि महल्ले वालेयां एस बारे बिच प्रयास बी किते थे पर अझी तका शिव शंभू रे मंदरा रे दर्शन 24 घंटे कराणे री लडाई पूरी नी हुई पाईरी। एस स्थला जो दर्शाणे कठे कोई बोर्ड या जानकारी किथी बी नी लगीरी। जेता के ये ऐतिहासिक मंदर आज भी उपेक्षित रैही गईरा। शिव शंभू जो जाणे कठे एक रस्ता साईंस ब्लाका ले जालपा माता जो जाणे वाली सडका बटिहें बी था। पर एस रस्ते परा बी ऐभे दीवार लगी गईरी। जालपा माता रा मंदर बी बडा पुराणा हा होर ये मंदर बी राजा सिध सेन होरिये बनाइरा। पप्पू भाई, नवीन भादर भाई होरी रा घर मंदरा सौगी हे हा। जिमीखाना क्लब मंडी रा बडा पुराणा क्लब हा। पर एस क्लबा रे सदस्य मंडी रे सारे अमीर लोक हे। क्लबा के मंडी रे आम लोका जो कोई लैणा देणा नीं हा। क्योंकि एता रा प्रयोग आम लोका कठे नीं हुंदा होर मेंबर हे इथी आई सकहाएं। हालांकि क्लबा एक लान टेनिस ग्राउंड था। पर बाझी रखरखावा के ये बी बर्बाद हुई गईरा। सरकारा जो क्लबा री इतनी बेशकीमती जमीना रा जनता कठे सदुपयोग करने री कोई योजना सोचणी चहिए। पुलिसा रे एएसपी होर डीएसपी रे क्वाटर बी पाडला हे। इन्हा क्वाटरा ले अग्गे सदर थाणा हा। इहां ता थाणे रे नावां ले हे डर लगी जाहां पर थोहडा वक्त पैहले मुंजो ठाणे बिच पैरा लीगल वालंटियरा रे तौरा पर काम करने रा मौका मिलेया ता पुलिस महकमे जो थोहडा नजदीका ले देखी सकेया। पुलिसा जो तनखाह जनता रे पैसे ले मिलहाईं। इधी कठे पुलिस जनता कठे बणीरी होर जनता जो पुलसा ले डरना नीं चहिए बल्कि तिन्हा जो सहयोग देणा चहिए। ठाणे अग्गे बखौ मिल्ट्री वालेयां रा बनाईरा ज्वाला माता मंदर हा। पाडला रा मैदान जेहडा आजकाले पाधरा हा तेडा पैहले ले हे नी था बल्कि बोलहाएं भई पैहले इथी दलदल हुआईं थी। होर बादा बिच मिल्ट्री वालेयां ये मैदान बनाया था। मिल्ट्री पैहले पाडला हे हुआईं थी। जिथी आजकाले आईआईटी मंडी री बिल्डिंग बणीरी इथी पैहले बैरका होर अस्तंबल हुआएं थे। इतिहास ता वक्ता सौगी-2 बदलदा रैहां। जेबे हाउं पांज साला रा था ता घंटेघर नर्सरी स्कूला रा मेरा फोटो हा एक जेता बिच हाउं पहाडी बणीरा होर लीला आंटी री बेटी मधु पहाडन बणीरी। ये फोटो तेस वकता रा हा जेबे शिवरात्री पाडला री चानणी साम्हणे हुआईं थी। पाडल मैदान अझे तका कंपलीट स्टेडियम नी बणी पाईरा। हालांकि इथी क्रिकेटा री दलीप ट्राफी होर रणजी रे मैच हिमाचला बिच सभी थे पैहले हुईरे। होर मंडी रे मैदाना री तुलना कई क्रिकेटरे लार्डसा रे मैदान के कितीरी। चलो ये अच्छा बी रैहा भई इथी स्टेडियम नी बणेया। नी ता इथी एक हे गेम हुणी थी होर बाकी गेमा कठे अलग मैदान तोपणा पौणा था। स्टेडियम ता बणी नी पाईरा पर एक पेवेलियन होर आधा ग्राउंड कवर करने वाली पैडियां जरूर बणी गईरी। एभे टैनिस हॉला बिच सरकारी जिम बणी गईरा। बैडमिंटन हॉल बी खिलाडियां कठे अच्छी सुविधा हुई गईरा। पर पाडला रे मैदाना री हालत बडी खस्ता ही। जेबे बी कोई बडा आयोजन हुणा हो ता पाडला री ऐसी तैसी फिरी जाहीं। साल भर चाहे अंतराष्ट्रीय शिवरात्री हो या फेरी केसी नेते या बाबे रा प्रवचन। हर बारी घायल हुणे री बारी पाडला रे मैदाना री हे हुआईं। इन्हा आयोजना के एस शानदार ग्राउंडा रा सत्यानाश हुई गईरा। कधी हरभरा रैहणे वाला ये ग्राउंड इन्हा आयोजना बाद गढढेयां जो भरने कठे प्रयोग हुणे वाले गंदी माटी बिछाई के खराब हुई गईरा। मैं जेबे 8 साला रा था तधी ले आपणे महल्ले रे भूषण होर पीनू रे सौगी-2 पाडला फुटबाल खेलणा शुरू करी दितेया था। आज भी हाउं भ्यागा पाडला फुटबाल खेलुआं आईरा। फुटबाल खेलहणे होर देखणे ले ज्यादा रोमांचक मुंजो होर कोई काम नीं लगदा। एहडा लगहां भई गेमा बाद आसे भगवाना रे बडे नजदीक पौहंची जाहें। विवेकानंदा रा ये विचार मुंजो बडा प्रेरणादायी लगहां भई पूजा पाखंडा ले बधिया हा एक घंटे तका फुटबाल खेलहणा। पाडला रे ग्राउंडा बाहर पार्किंग बणने ले गडियां खडी करने री आसानी हुई गईरी। मंडी री आईटीआई प्रदेशा री सभी थे पुराणी आईटीआईया मंझा ले एक ही। नौवां सुकेती पुलह बणने ले आसे पासे रे इलाके बिच बी बदलाव आई गईरे। फुटपाथा री दुकाना हटणे ले ये जगहा खुली-2 लगाहीं ऐभे। पुलिस लाईना बाहर कमलू भाई होर अशोके री दुकान ही। इथी ले उपरा बखौ पुष्पराज प्रधाना होरी रे घरा जो सडक जाहीं। पुष्पराज प्रधाना होरी रे घरा उपरा बखौ रेस्ट हाउस हा। टुरिज्मा वालेयां रे टुरिस्ट लॉजा री बिल्डिंग आजकाले आईआईटी वालेयां बाले ही। नौवां बस स्टैंड आधा अधूरा हे शुरू हुई गईरा। हालांकि बस स्टैंडा रे बारे बिच ऐहडी शिकायत साम्हणे आईरी भई ऐता बिच वोल्वो बस जाई हे नी सकदी। कई वक्ता ले बस स्टैंडा रा बंद काम ऐभे भी शुरू हुई गईरा। जेता के बची रे कामा री जल्दी पूरे हुणे री उम्मीद बधी गईरी। सन 1985 ले 1995 तका रा मेरा वकत पाडला हे गुजरीरा क्योंकि मेरा इतना लंबा कालेजा री पढाई रा वकत रैहीरा। इधी कठे पाडला के मेरी अनगिनत यादा जुडीरी जिन्हा जो मैं इथी नी लिखी सकदा। पर इतना जरूर बोलणा चाहां भई मंडी कालेजा ले मुंजो ज्ञान री रोशनी मिलही जेता रे परयासे बिच हाउं आज कुछ लिखणे पढने होर समझणे रे काबिल हुईरा। मेरे कालेजा जो मेरा सलाम। कालेजा बाहर पंचायत भवन हा। कालेजा पीछे ले एक गली रामचंद्र मंदरा जो जाहीं। रामचंद्र मंदर बी बडा ऐतिहासिक हा। इथी तिरूपती रे मंदरा साहीं रामचंद्र भगवाना री चतुर्भुजा वाली मुर्ति ही। मंदरा रे सौगी व्यास देव गुरू जी होर मंदरा रे पुजारियां रे घर हे। मंदरा हेठा बखौ दरयावा रे कंढे एक पुराणी बायं ही। बस स्टैंडा ले भ्यूली जो जाणे वाली सड़का ले एक सडक मोतीपूरा रे जंगला बखौ जाहीं जे अगे जाई के दुदर हुंदे हुए कीपडा तक जाहीं। थोहडी दूर चलणे पर गुरू गोविंद सिंह गुरूद्वारा आवंहां। गुरू गोविंद सिंह राजा सिध सेना होरी रे कार्यकाला बिच मंडी आए थे। होर जिथी गुरूद्वारा बणीरा इथी ठैहरे थे। गुरू गोविंद सिंह होरीये गुरूद्वारे हेठ कोलसरा री जानी पर तपस्या कीती थी। गुरूद्वारे बिच अझी बी गुरू गोविंद सिंह होरी रे प्रयोगा बिच आउणए वाल़ी चीजा रखोहीरा। गुरूद्वारे पीछे आईटीआई होस्टला बखौ ऐभे एक बडी कलौनी बसी गईरी। एडवोकेट नागेश्वर शर्मा, कर्नल होरी, लखनपाल भाई होर सुक्खा भाई होरी रे घर इथी हे। भ्युली चौका पर सिलैंडरी उस्तादा होरी रा घर हा। उस्ताद होरी आजकाले महामृत्युंजय रे पुजारी बणी गईरे होर ज्यादा वकत मंदरा हे गुजाराहें। सौली खाडा आजकाले कई होटल होर रेस्टोरेंट बणी गईरे। जिन्हा बिच शिकारा, मंजुल, सिंगार, रिवर बैंक, ब्लैक पिपर बगैरा रे नावं लेई सकहाएं। पाडला मोतीपूरा जो मुडने वाले सडका सौगी शशी रा पेट्रोल पंप हा। जबकि एन एच 21 परा सौली खाडा मितला होरी रा पेट्रोल पंप हा। सौली खाडा मनमोहन गुप्ता, हकलू भाई होर मधु भाई री दुकाना ही। पाडला रे पार्षद एस बारी यंग दीपक भाई बणीरे। इन्हा ले भविष्य री राजनीती जो बडी उम्मीद ही। इन्हा रा घर बी सौली खाडा हे हा। इहां ता मेरे रवि मामा होर यती मामा होरी रा घर बी सौली खाडा हा पर तिन्हा रे घर पंचायता बिच पई जाहें। गुडु (गौड) मामे रा घर, राजू चटर्जी रा घर होर दिनेश शर्मा कुकु भाई ठेकेदारा होरी रा घर बी सौली खाडा हे हा। मेरे क्लासफेलो गोपू री बिल्डिंग कुछ वकत पैहले अचानक ढली गई थी। जेता के प्रोफेसर वीरी सिंह चौहान होरी रे घरा जो भी नुकसान पौहंचेया था। सौली खाडा एन एच -21 रे हेठली बखा रे घर पाडला बिच पौहाएं जबकि उपरा बखा रे घर नेला पंचायता बिच आवाहें। महल्ले रे आखरी कुणे तक जाणे बाद हाउं आपणी वापसी री सैर शुरू करहां। महल्ला इतना लंबा-चौडा हा भई सैर पूरी करने बिच मुंजो करीब दो घंटे रा वकत लगेया। खैर, मेरी सांझकणी सैरा बिच ये मेरी आखरी सैर थी। एसा सैरा के आपणी मंडी शहरा री एक परिक्रमा पूरी करी लीती। ऐता के सौगे हे मंडी रे बारे बिच मंडयाली लेखा री ये पहली कडी बी पूरी हुई गई। इन्हा लेखा रे प्रति पढने वालेयां रे सकारात्मक रूझाना के मुंजो इन्हा जो लिखणे री प्रेरणा मिलदी रैही। मेरी मंडयाली री एसा लेखमाला जो लिखवाणे कठे फेसबुका होर ब्लॉगा रे तुसा सभी साथियां रा बौहत-2 धन्यावाद। फेरी मिलघे भी कधकी, केसकी होरी मौके परा, तेबे तका तुसारा भी के धन्यावाद।
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