Wednesday, 29 April 2020

जाति उन्मूलना री समाजवादी परियोजना




सर्वहारा सत्ता सभ तरहा रे बुर्जुआ राजकीय फार्मां, पुराणी जागीरां री विशाल खेती री ज़मीनां, शैहरां रे उद्योगपतियां—नौकरशाहां री भू-सम्पतियां, बड़े फार्मरां रे फार्मां होर बाग़ानां रा (बिना मुआवज़ा दितिरे) राजकीयकरण करी देणा, राजकीय उद्योगां रे साहीं तिन्हां बिच लोका काम करना होर प्रबन्धना रा काम सभी काम करने वालेयां री चुनीरी कमेटियाँ पार्टी रे नेतृत्वा बिच सँभालणा। ग्राँवां रे कुलकां-भूस्वामियां-फार्मरां री भू-सम्पति बिना मुआवज़ा ज़ब्त करीके तिन्हां पर सामूहिक फार्म बनाये जाणे। राजकीय होर सामूहिक फार्मां मंझ सभ भूमिहीना काम करना होर बराबरी री हैसियता ले सामूहिक प्रबन्धना रे कामा बिच हिस्सा लैणा। जे छोटे मालिक किसान आपणी खेती सामूहिक फार्मां मंझ शामिल करने जो तैयार नीं हुणे, तिन्हौ सहकारीकरणा कठे प्रेरित-प्रोत्साहित कितेया जाणा। किथी-किथी ज्यों सहकारी खेती कठे बी तैयार नीं हुंघे स्यों आपणी निजी खेती कठे श्रम-शक्ति नीं खरीदी सकघे। श्रम-शक्ति री ख़रीद-फरोख़्त प्रतिबन्धित हुणी। निजी खेती करने वालेयां जो बीज, पाणी, बिजली, खादा बगैरा रे मामले मंझ सामूहिक फार्मां जो मिल्हणे वाल़ी छूटां-सुविधावां हासिल नीं हुणी। सुले-सुले आर्थिक सुरक्षा रे प्रति आश्वस्त, राजकीय होर सामूहिक फार्मां रे कामगारां री खुशहाली होर समाजवादा रे प्रति बधदे भरोसे रे करूआँ निजी होर सहकारी खेती वाल़े बी सामूहिकीकरणा कठे प्रेरित हुणे। एसा प्रक्रिया री आखरी मंज़िल सारी खेती रा राजकीयकरण हुणा। एस ढंगा लेे भूमि रे निजी स्वामित्व होर दलितां री सहस्त्राब्दियां री भूमिहीनता जो खत्म करीके समाजवादा जाति-व्यवस्था रा एक प्रमुख अवलम्ब नष्ट करी देणा।
बुर्जुआ राज्यसत्ता रा ध्वंस करदे ही सर्वहारा सत्ता सभ देशी-विदेशी छोटे-बड़े उद्योगां होर बैंकां जो ज़ब्त करीके तिन्हारा राजकीयकरण करी देणा जिन्हारा प्रबन्धन पार्टी रे नेतृत्वा बिच मज़दूरां-तकनीशियनां री चुनीरी कमेटियाँ सँभालणा। कारख़ानेयां मंझ बहुविध प्रशिक्षणा रे सहारे लचीला होर गतिमान श्रम-विभाजन हुणा, जेता मंझ सभी रे ज़िम्मे (तकनीकी विशेषज्ञता रे कामां जो छोड़ी कने) सभ काम आउणे होर एस ढंगा ले “ऊँच-नीच” होर “स्वच्छ-अस्वच्छ” कामां रा भेद मिटदा चली जाणा। मशीनीकरण होर ड्रेनेज-सीवरेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्टा री नियोजित राजकीय व्यवस्थे बी “अस्वच्छ” कामां री श्रेणी रा स्वरूप बदली देणा। फेरी बधदी समाजवादी चेतना बी लोका रे भीतरा ले एस भेदा रे संस्कारा जो ख़त्म करी देणा, जेता ले लचीले श्रम-विभाजना बिच काम बाँटदे हुए दबाबा री आवश्यकता कम पौणी। होर अगर थोहड़े-जेहे लोकां पर दबाव बी पाणा पौवो ता ये न्यायसंगत हा।
शेयर बज़ार तत्काल बन्द हुई जाणे। व्यापार-क्षेत्रा रा राजकीयकरण हुणे ले विनिमया पर जनता री सत्ता रा नियन्त्रण क़ायम हुई जाणा। एता ले जमाख़ोरी-मुनाफाख़ोरी-दलाली ता खत्म हुणी हे हई, खानदानी पेशेयां री रूढ़ व्यवस्था टूटणे ले जाति प्रथा पर प्रभाव पौणा। निजी सूदख़ोरी प्रतिबन्धित होर कठोर दण्डनीय हुणी। केसी बी ज़रूरता कठे ज़रूरतमन्दा जो राजकीय, सामूहिक उपक्रमा री प्रबन्धन कमेटी ले सहायता मिलणी।
आर्थिक भेदभावा रे सौगी शिक्षा संस्थान जातिगत भेदभावा रे बी अहम केन्द्र हे। समाजवादी राज्य द्वारा तुरंत किते जाणे वाल़े कामां मंझा ले ये एक हा भई सभ तरहा रे निजी शिक्षा संस्थानां रा राजकीयकरण करी दितेया जाहां, कोचिंग संस्थान प्रतिबन्धित हुई जाहें होर थाल्हे ले ऊपरा तक सभ नागरिकां जो निःशुल्क होर समान शिक्षा समाजवादी राज्य री सर्वोपरि ज़िम्मेदारियां मंझा ले एक हुआँई। वैज्ञानिक शिक्षा प्रणाली मंझ अभिरूचि होर नैसर्गिक योग्यता रे हिसाबे छात्रां जो विशिष्ट क्षेत्रां री शिक्षा मंझ लगाया जाहां, तिन्हां बिच कई योग्यताँ पैदा कीती जाहीं, लचीला श्रम-विभाजन अग्गे चली के तिन्हौ पेशे बदलने होर कई काम करी पाणे री सहूलियत देहां, होर क्रमशः समान हुंदे वेतन, समान हुंदे जीवन-स्तर होर शारीरिक-मानसिक श्रमा रे बिच घटदे अन्तरा रे करुआँ, पेशे ले सामाजिक हैसियता जो जोड़ने रे संस्कार खत्म हुई जाहें। समाजवादी शिक्षा श्रमा री संस्कृति जो सर्वोच्च स्थान देणे रे सौगी हे सभ नौजवान लोका रे सांस्कृतिक स्तरोन्यना पर अत्यधिक बल देहाईं। आर्थिक स्तरा री मिटदी असमानता रे सौगी जेबे शिक्षा-संस्कृति रे क्षेत्रा बिच बी अन्तर मिटी जाणा ता जातिभेदा री दीवार ढहाणे बिच होर ज्यादा आसानी हुई जाणी।
फेरी स्वास्थ्य रा मामला आवहां। समाजवादा बिच प्राइवेट प्रैक्टिस, निजी चिकित्सालय, निजी मेडिकल कॉलेज पूर्णतः प्रतिबन्धित हुणे। पूरी स्वास्थ्य सेवा राज्य रे नियन्त्रण बिच हुणी। समाजवाद साम्राज्यवादी पेटेण्ट क़ानूनां जो नीं मानदा। सभ दवाइयां रा उत्पादन से देशा मंझ करघा। पूरी स्वास्थ्य सेवा सभ नागरिकां कठे निःशुल्क हुणी। एस क्षेत्रा बिच सोवियत संघ, समाजवादी चीन होर क्यूबा तके जितना शानदार काम कितेया था, तेतौ पढ़ी के कोई समाजवादी स्वास्थ्य नीति रे बारे बिच सहज जाणी सकहां। निःशुल्क मेडिकल शिक्षा होर निःशुल्क समान स्वास्थ्य सेवा ले बी दलित मेहनतकशां री सामाजिक स्थिति मंझ फर्क आउणा।
जातिभेदा जो दूर करने मंझ समाजवादी आवास-नीति री अहम भूमिका हुणी। समाजवादी राज्ये आवास निर्माणा रा पूरा काम आपणे हाथा बिच लैणा। बिल्डर-ठेकेदार सामान्य कामकाजू नागरिक बणी जाणे। सर्वहारा सत्ता रा पैहला काम हुणा, सभ बेघरां जो होर झुग्गी-झोपड़ीवासियां कठे सुविधाजनक आवास मुहैया कराणा। ये काम पुराणे मैहलां, कई घरां रे मालिकां रे अतिरिक्त मकान ज़ब्त करीके, पाँज सितारा होटलां, बारातघरां साहीं इफ़रात विलासिता रे अड्डेयां जो आवासीय कॉम्प्लैक्स बणाई के, होर बड़े-बड़े घरां बिच रैहणे वालेयां रे घरां रा एक हिस्सा लेई के पूरा कितेया जाणा। एतारे सौगी हे आवासीय कालोनियां रा निर्माण बड़े पैमाने पर कितेया जाणा। शुरूहु बिच, यानी समाजवादी शिक्षा प्राप्त वैज्ञानिकां, इंजीनियरां, विशेषज्ञां री एक पीढ़ी तैयार हुणे तका, समाजवादी उत्पादन तन्त्रा रे संचालना कठे इन्हां जमातां जो वेतन हे नीं, आवासां रे मामलेयां बिच बी कुछ छूट देणी पौहाईं। बादा बिच एतारी जरूरत नीं रैही जाणी। प्रारम्भिक दौर बीतदे ही समाजवादी राज्य सभ आवासां जो राजकीय स्वामित्वा मंझा ली आवहां होर हर नागरिका जो सुविधा-सम्पन्न आवासा री गारण्टी देहां। आवासां जो समान सुविधा-युक्त बनाणे कठे, पैहलकी बस्तियां जो पुनर्नियोजित करने कठे होर नौवीं कालोनियाँ बसाणे कठे, श्रम-शक्ति लामबन्द करीके, उत्पादक शक्तियां रे विकासा रे सौगी-सौगी बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य लगातार करना पौणा। बेतरतीब बसीरे ग्राँवां जो हर बुनियादी सुविधा ले युक्त आधुनिक कालोनियां मंझ ढाल़ी के बौहत सारी फ़ाज़िल ज़मीन होरी कामां कठे निकाल़ी लीती जाणी। राजकीय स्वामित्वा रे समान सुविधा-युक्त आवासां रे (एकल परिवारा रे आधार पर) आबंटना ले दलितां (होर बाकी मज़दूरां रे बी) पृथग्वासना री समस्या हल हुई जाणी, जे सामाजिक पार्थक्य रा एक अहम कारण हा।
खेती होर उद्योगा रे राजकीयकरण, ग्राँवां होर शैहरां रे समान सुविधा-युक्त आवासां (होर संचार-परिवहन-मनोरंजन सुविधा) ले कृषि होर उद्योग होर ग्राँव होर शैहरा रे बिचा रे अन्तर मिटदे लगणे। एसा प्रक्रिया बिच हे मानसिक श्रम होर शारीरिक श्रमा रे बिचा रा अन्तर बी कम हुंदा जाणा। यों तीन अन्तरवैयक्तिक असमानता समाजवादी समाजा मंझ बुर्जुआ विशेषाधिकारां रा भौतिक आधार हुआईं। इन्हारे मिटदे जाणे रे सौगी बुर्जुआ विशेषाधिकार बी मुकदे जाणे होर परिमाणतः बुर्जुआ जाति-व्यवस्था बी मरणोन्मुख हुंदी जाणी।
बुर्जुआ समाजा मंझ धर्म बी आपणा बुर्जुआकरण करीके बुर्जुआ जाति-व्यवस्था रा एक खम्भा बणी गइरा। समाजवादी समाजा मंझ कम्युनिस्ट पार्टी ता लगातार धर्म-विरोधी होर वैज्ञानिक तर्कणा रा प्रचार करना पर समाजवादी समाजा नागरिक अधिकारा रे तौरा पर हर नागरिका री निजी आस्था होर पूजा-पाठ, अरदास-नमाज़ा बगैरा रे अधिकारा रा सम्मान करना। हाँ, राजनीतिक-सामाजिक जीवना बिच धर्मा रा दख़ल पूर्ण वर्जित हुणा। शिलान्यासां-उद्घाटनां मंझ धार्मिक अनुष्ठान, स्कूलां मंझ प्रार्थना, माइक लगाई के कीर्तन, बारात होर धार्मिक जुलूस निकाल़ी के सार्वजनिक जीवना जो बाधित करना, धार्मिक स्कूल, सार्वजनिक स्थल किराये पर लेई के समागम बगैरा करने बिच सामाजिक सम्पदा री फ़िजूलख़र्ची—इन्हा सभी पर पूर्ण प्रतिबन्ध हुणा। ज्यों पुराणे स्थापित धर्म-स्थल हे, तिन्हौ लोका री भावनावां रा ख़याल रखदे हुए बणे रैहणे दितेया जाणा, पर तिन्हा रा नियन्त्रण ट्रस्टां होर मठाधीशां ले राज्ये छीनी लैणा, मठां-मन्दिरां-वक़्फां-गुरूद्वारेयां-चर्चां बगैरा री सारी ज़मीनां होर धन-सम्पति ज़ब्त करी लीती जाणी। (एस अकूत धना ले, देशी-विदेशी कम्पनियां होर बैंकां रे अधिग्रहणा ले, धनी घरां ले तोपी के ज़ब्त किते गये सोने होर काल़े धना ले समाजवादी आद्य-पूँजी संचय रा एक हिस्सा एकत्र हुणा।) धार्मिक संगठन बनाणा या धर्मा रे आधारा पर केसी ढंगा री सामाजिक-राजनीतिक गोलबन्दी करना दण्डनीय अपराध हुणा। केसी जो आपणे घरा बिच धार्मिक रीति-रिवाज़ा ले ब्याह करने रा हक़ हुणा, पर राज्ये ब्याह जो पंजीकरणा ले बाद हे मान्यता देणी। स्त्रियां री स्वीकृति रे बगैर कोई ब्याह मान्य नीं हुणा। तलाका री क़ानूनी प्रक्रिया बी सहज हुणी। दहेज एक कठोर दण्डनीय अपराध हुणा। एस तरीके के सामाजिक जीवना बिच धर्मा री दख़ल कम हुणे ले जाति उन्मूलना री प्रक्रिया तेज़ हुई जाणी।
स्त्रियों री पराधीनता परिवारा रे बुर्जुआ ढाँचे होर अन्तःजातीय विवाहां रा आधार है। सार्विक समान निःशुल्क शिक्षा री अनिवार्यता होर सभी जो रोज़गारा री गारण्टी रे अलावा ग्राँवां-शैहरां बिच बड़े पैमाने पर पालनाघरां, किंडरगार्डेनां होर सामूहिक भोजनशालावां बगैरा रा निर्माण करीके घरेलू कामां री घृणित दासता ले स्त्रियां जो मुक्त करी दितेया जाणा। फलतः सार्वजनिक जीवना बिच तिन्हारी भागीदारी बधणी। पिता (होर पति) पर तिन्हारी निर्भरता समाप्त हुई जाणी होर तिन्हां आपणी ज़िन्दगी रे फैसले बिना केसी दबावा रे लेई सकणे। एता ले प्रेम ब्याहां होर अन्तरजातीय ब्याहां रा चलन प्रधान हुई जाणा होर जाति री दीवारां भरभराई के ढल़दी जाणी।
समाजवादी राज्ये सभ जाति पंचायतां, खाप पंचायतां, जाति सभावां होर जाति संगठनां जो ग़ैर-क़ानूनी घोषित करी देणा होर एहड़ा कोई बी प्रयास कठोर दण्डनीय अपराध हुणा। समाजवादी राज्ये शिक्षा व्यवस्था रे अलावा सभ सांस्कृतिक माध्यमां होर मीडिया रे ज़रिये समाजवादी मूल्यां रे सौगी काफ़ी ज़ोर देई के जाति-व्यवस्था विरोधी सतत प्रचार करना ताकि नौवें समाजा रे नौवें नागरिकां रे दिलो-दिमाग़ा बिच इन्हां घृणित संस्कारां कठे कोई जगहा नी हो।
एस ढंगा के समाजवाद उत्पादक शक्तियां रे विकासा रे सौगी-सौगी उत्पादन-सम्बन्धां बिच बी लगातार बदलाव ल्याउंदे हुए होर एतारे सौगी-सौगी, पूरा ज़ोर देई के अधिरचना रे क्षेत्रा बिच बी सतत क्रान्ति चलांदे हुए मूलाधार होर अधिरचना ले जाति-व्यवस्था रा समूल नाश करी देणा। समाजवादी संक्रमणा री कम्युनिज़्मा तका री यात्रा ता काफ़ी लम्बी हुणी, पर जाति-व्यवस्था रा उन्मूलन ता समाजवादी समाजा मंझ कुछ दशकां रा हे काम हुणा।
आसारे फ़ौरी कार्यभार
अझी तका ता आसे ये चर्चा कीती भई समाजवादा रे दौरा बिच जाति-उन्मूलन किहां हुणा पर एतारा मतलब ये नीं हा भई पैहले समाजवादा कठे लड़ेया जाये, फेरी जाति-व्यवस्था रा नाश ता हुई हे जाणा। अगर समाजवादा कठे संघर्षा री प्रक्रिया बिच हे जाति प्रश्न आसारे एजेण्डे पर नीं हुंगा होर आसारे कुछ फ़ौरी कार्यभार नीं हुंघे ता क्रान्ति रा नेतृत्वकारी वर्ग हे जातिगत भेदभाव होर बुर्जुआ जातिवादी चुनावी होर सुधारवादी प्रचारकां-नेतेयां रे प्रचारा रा शिकार बणीरा रैहणा। दलित मेहनतकशा री विराट क्रान्तिकारी शक्ति सुतीरी रैहणी होर एस या तेस जातिवादी नेता रे पीछे भटकदी रैहणी। ये हे स्थिति सर्वहारा रे मित्र वर्गां री बी हुणी। इधी कठे जाति-व्यवस्था रा अन्तिम तौरा पर उन्मूलन भले ही समाजवादा रे दौरा बिच हे सम्भव हो, वर्ग संघर्षा री तैयारी होर प्रगति रे दौरान आसौ एतारा प्रभाव कम करने कठे सचेतन प्रयास बी करने पौणे (फेरी वर्ग संघर्षा रे उभारा रा आपणा वस्तुगत प्रभाव बी पौणा होर वर्गीय लामबन्दी जातिगत लामबन्दी जो पीछे धकेलणे रा काम करघी)।
सभी ले पैहला काम ता ये हे हा भई जाति प्रश्ना रे समाजवाद द्वारा समाधाना रे बारे बिच, जाति-उन्मूलना रे समाजवादी कार्यक्रमा रे बारे बिच तरहा-तरहा ले निरन्तर, सघन होर व्यापक प्रचार चलाया जाये। कम्युनिस्ट आन्दोलना री कमज़ोरियां होर संशोधनवादियां रे कुकर्मां रे करूआँ ( होर थोड़ी आसा लोका री अस्पष्टता रे करूआँ) मेहनतकश जनता, विशेषकर दलित मेहनतकश ठीक ढंगा ले जाणदे हे नीं हे भई कम्युनिस्ट जाति-उन्मूलना री राह क्या दसाएँ। एस कामा कठे सर्वहारा वर्गा री पार्टी जो सैंकड़ों, बल्कि हज़ारों प्रखर, प्रभावी कम्युनिस्ट प्रचारकां री ज़रूरत हुणी, पर्चेयां-पुस्तिकावां-सांस्कृतिक कार्यक्रमां, छोटी-छोटी शिक्षा मण्डलियां री ज़रूरत हुणी। ख़ैर, अझी ता सर्व-भारतीय पार्टी बणने री मंज़िल हे दूर लगाहीं। एतौ सतत प्रयासां के नेडे ल्याउणा पौणा। पर कम्युनिस्ट अगर एकी ग्रुपा या संगठना रे रूपा बिच बी संगठित हे ता तिन्हौ एस कामा जो एभे ले यथाशक्ति हाथा बिच लैणा पौणा।
कुछ काम एहड़े हे ज्यों आज बी हाथा बिच लिते जाई सकाहें। कुछ माँगां एहड़ी ही जिन्हौ प्रोपेगैण्डा, एजिटेशन होर आन्दोलना रे स्तरा पर आज हे चकया जाई सकहां।
एकी क्रान्तिकारी संगठना रे प्रभावा वाल़ी क्रान्तिकारी यूनियनां जो, छात्रां होर नौजवानां रे संगठनां जो, स्त्री संगठनां जो, ग्रामीण मेहनतकश संगठनां जो होर सभ जन-संगठनां जो आपणे कार्यक्रमा मंझ जाति प्रश्ना जो महज रस्मी तौरा पर नीं शामिल करना चहिए, बल्कि एस प्रश्ना पर लगातार प्रचार करना चहिए, जाति-पाँति तोड़क भोज-भात बगैरा आयोजन करने चहिए, मज़दूर आन्दोलनां रे माँगपत्रकां मंझ दलित मज़दूरां री माँगां जो प्रमुखता बिच स्थान देणा चहिए होर दलित मज़दूरां (जिहां सफ़ाईकर्मियां) रे आन्दोलनां मंझ बढ़ी-चढ़ी के शिरकत करदे हुए तिन्हारे पक्षा बिच होरी मज़दूरां जो खड़ा करने री जी-तोड़ कोशिश करनी चहिए। ग्रामीण मज़दूरां जो संगठित करदे हुए तिन्हारे पारस्परिक जातिगत पार्थक्य जो तोड़ने कठे हर सम्भव कोशिश करनी चहिए। सांस्कृतिक संगठनां जो आपणे प्रचार कार्य बिच जाति विरोधा जो अलग जेह विशेष महत्व देणा चहिए। जनवादी अधिकार आन्दोलना जो जाँच टीम, हस्ताक्षर अभियान, विरोध-पत्रा रे रस्मी बौद्धिक दायरे ले बाहर निकाल़ी के व्यापक सामाजिक आधारा पर संगठित करना पौणा जे जाति उत्पीड़ना री घटनावां, खाप पंचायतां बगैरा रे सौगी क़ानूनी लड़ाई रे सौगी हे आन्दोलनात्मक हस्तक्षेपा बिच बी समक्ष हो।
सार्विक, समान, निःशुल्क शिक्षा होर सभी जो रोज़गार एक दूरगामी माँग ही, पर एस हे नारे जो केन्द्रा बिच रखी के सभ जातियां रे छात्रां-नौजवानां जो एकी सौगी संगठित करना पौणा होर दलित छात्रां-नौजवानां जो सौगी लेणे परा विशेष ज़ोर देणा पौणा। शिक्षा संस्थानां बिच जातिगत भेदभावा जो मुद्दा बनाना पौणा। छात्रां-नौजवानां रे बिच आरक्षणा रे प्रश्ना पर नौकरियां रे आँकड़ेयां होर साठ सालां रे परिणामां रे तथ्यां सौगी आपणी अवस्थिति स्पष्ट करीके रखणी पौणी। तिन्हौ दसणा पौणा भई आसे पैहले ले मिलीरी एसा जनवादी माँगा जो छीनणे री माँगा रा समर्थन नीं करदे, आसे एतौ लागू करने बिच हुणे वाल़ी धाँधली रा बी विरोध करहाएं, पर आज ये माँग बुर्जुआ जनवादा रे प्रति विभ्रम पैदा करहाईं, आज एतारा व्यापक ग़रीब दलित आबादी कठे कोई विशेष अर्थ नीं रैही गइरा, उल्टे ये ना कल्हे सभ आम लोकां जो, बल्कि दलित जातियां जो बी आपु बिच बाँडणे-लड़ाणे रा काम बी करी करहाईं।
आसौ बुर्जुआ दलित राजनीति री हर क़िस्म होर बुर्जुआ दलित विचारकां रे तर्कां रा तर्कसम्मत, धैर्यपूर्ण उत्तर देंदे हुए निरन्तर प्रचार करना चहिए।
आसौ अख़बारां मंझ जाति आधारित वैवाहिक विज्ञापनां रे प्रकाशना पर रोक लगाणे री माँग करनी चहिए। अन्तरजातीय ब्याहां होर प्रेम ब्याहां जो खुल्ही के समर्थन देणा चहिए। हर परिवारा री आधी सम्पति स्त्रियां रे नांवें हुणे री क़ानूनी माँग चकणी चहिए।
आसौ सार्वजनिक धर्म समागमां पर रोक लगाणे री माँग करनी चहिए, परम्परागत मेलेयां-त्यौहारां कठे मठां-मन्दिरां पर विशेष टैक्स लगाणे री माँग करनी चहिए होर सरकारी दफ़्तरां-स्कूलां-आयोजनां बिच धार्मिक कर्मकाण्डां पर रोक लगाणे री माँग करनी चहिए।
आसे दलित जातियां रे अलग संगठन बनाणे जो ता ग़लत मनहाएं, पर कम्युनिस्ट क्रान्तिकारियां रे बाले अगर पर्याप्त ताक़त हो ता तिन्हौ अलग जेह जाति उन्मूलन मंच जरूर बनाणे चहिए, जेता बिच दलितां रे अलावा होरी जातियां रे जनवादी चेतना वाल़े नागरिक शामिल हों। ये मंच लगातार जाति-विरोधी प्रचार सभावां करघा, पुस्तक-पुस्तकाएँ निकाल़घा, आयोजन-समारोह करघा, अन्तरजातीय ब्याह आयोजित करघा होर दलित उत्पीड़ना री घटनावां रा सक्रिय विरोध करघा।
आखिरा बिच, एक चीज होर बौहत महत्वपूर्ण ही। बौहत सारे कम्युनिस्ट क्रान्तिकारी एहड़े हे, ज्यों समाजा ले कटी जाणे रा तर्क देंदे हुए, आपणे निजी-पारिवारिक जीवना बिच (शादी-ब्याह, जन्म-मरण, यज्ञोपवित-उपनयन बगैरा-बगैरा) धार्मिक कर्मकाण्डां बिच शामिल हुआएँ। यों कर्मकाण्ड जाति रे दायरे बिच सिमटीरे हुआएं होर भिन्न-भिन्न जातियां रे भिन्न-भिन्न हुआएँ। उपरोक्त तर्का रे हे आधारा पर बहुतेरे कम्युनिस्ट धार्मिक चिन्ह धारण करहाएं होर पुराणे धार्मिक नायकां री परम्परा ले बी भाषणां मंझ आपणे जो जोड़हाएँ। ये एक सामाजिक कायरता ही होर सिद्धान्तविहीन लोकरंजकता बी। उल्टे, एता ले लोकां बिच कम्युनिस्टां रे दुरेंगे हुणे रा प्रभाव जाहां। आसे लोक आपणे लम्बे अनुभवा ले दसी सकाहें भई धार्मिक कर्मकाण्डां ले विनम्रतापूर्वक दूर रैहणे, बिना कर्मकाण्डा रे ब्याह करने होर मरने परा बी कर्मकाण्ड नीं करने री वसीयत छाड़ी जाणे रे कम्युनिस्ट आचरणा ले समाज थे कटाव नीं हुंदा, बल्कि कम्युनिस्टां री साख बधाईं। आसे केसी परा आपणी विचारधार नीं थोपदे, पर आपणे ऊपर ता लागू करी हे सकाएँ। ये ता बुर्जुआ जनवाद बी बोल्हां होर एस देशा रा संविधान बी। ये गल्ल आसे इधी कठे गलाई करहाएं भई धार्मिक आचरणा रा सवाल जाति रे सवाला ले जुड़ीरा। अगर कम्युनिस्टां रा आचरण निजी आचार-व्यवहारा बिच बी अधार्मिक हुंघा ता दलितां जो विश्वास हुणा भई ये आदमी वाकई दिला ले जाति जो नीं मनदा।
जाति रा प्रश्न सहस्त्राब्दियां पुराणा प्रश्न हा। एतौ चुटकियां बिच हल करने रा कोई रामबाण नुस्ख़ा नीं हुई सकदा। ये एक लम्बी, श्रमसाध्य प्रक्रिया री माँग करहां। ये सवाल पूँजीवादा रे नाशा रे सौगी जुड़ीरा। आजा रे बक्ता बिच जाति उन्मूलना री केसी परियोजना री दिशा बिच अग्गे क़दम बधाणा एक साहसिक काम हुणा। पर हर कठिन काम साहसिकता री माँग ता करहाँ हे हया। आज जाति उन्मूलन सुपने साहीं लगी सकहां, पर तेस सुपने रा अगर वैज्ञानिक आधार हो ता तेतौ यथार्था बिच बदलेया जाई सकहां। एहड़ा सुपना ता हर सच्चे क्रान्तिकारी जो देखणा चहिए।
साभारः दिशा संधान, अंक दो, जुलाई-सितम्बर 2013 मंझ प्रकाशित शोध टीम, अरविन्द मार्क्सवादी अध्ययन संस्थान द्वारा लिखित लेख 'जाति प्रश्न और उसका समाधानः एक मार्क्सवादी दृष्टिकोण' रा अंश...(मण्डयाल़ी रूपान्तरण-समीर कश्यप)
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