मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के मेडी क्लेम की 2,37,830 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 3000 रूपये हर्जाना और 2500 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने मंडी के राम नगर मुहल्ला निवासी जसबीर सिंह पुत्र हरजीत सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त राशि का भुगतान उपभोक्ता के पक्ष में 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित करने के आदेश दिये। अधिवक्ता टी आर शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने कंपनी से फैमिली हैल्थ बीमा पालिसी खरीदी थी। पालिसी के तहत उपभोक्ता के पिता हरजीत सिंह और माता जसविंदर कौर भी बीमाकृत थे। बीमा लेने से पहले उपभोक्ता ने कंपनी को जाहिर किया था कि उन्हे डायबिटिज और हाईपर टेंशन की बीमारी है। कंपनी ने उपभोक्ता के पिता का मेडिकल निरिक्षण करवाने के बाद रिर्पोट के आधार पर उन्हे पालिसी जारी की थी। पालिसी की अवधि के दौरान उपभोक्ता के पिता के बीमार हो जाने पर उनके इलाज में राशि खर्च करनी पडी। उपभोक्ता ने कंपनी के पास इलाज पर हुए खर्चे के बिल जमा करा कर मुआवजे की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने इस आधार पर मुआवजा खारिज कर दिया था कि उपभोक्ता के पिता की हाईपरटेंशन की बीमारी के बारे में जाहिर नहीं किया गया था। ऐेसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता ने हाईपरटेंशन की बीमारी होने के बारे में कंपनी को बताया था। फोरम ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बजाज एलियांज बनाम वेल्स जोस 4(2012) सीपीजे 839 (एनसी) के मामले में व्यवस्था दी है कि हाईपर टेंशन आम जीवनशैली की बीमारी है जो दवाइयों का सेवन करने से आसानी से नियंत्रित हो जाती है। अगर बीमाकृत व्यक्ति यह भी जाहिर न करे कि वह हाईपर टेंशन की दवाइयां लेता है तो इसका मतलब महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाना नहीं माना जा सकता। ऐसे में फोरम ने कंपनी के मुआवजा खारिज करने को सेवाओं में कमी करार देते हुए उपभोक्ता के पक्ष में उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। वहीं पर कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया। Monday, 13 May 2013
आईसीआईसीआई को मेडी क्लेम के 2,37,830 रूपये अदा करने के आदेश
मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के मेडी क्लेम की 2,37,830 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 3000 रूपये हर्जाना और 2500 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने मंडी के राम नगर मुहल्ला निवासी जसबीर सिंह पुत्र हरजीत सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त राशि का भुगतान उपभोक्ता के पक्ष में 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित करने के आदेश दिये। अधिवक्ता टी आर शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने कंपनी से फैमिली हैल्थ बीमा पालिसी खरीदी थी। पालिसी के तहत उपभोक्ता के पिता हरजीत सिंह और माता जसविंदर कौर भी बीमाकृत थे। बीमा लेने से पहले उपभोक्ता ने कंपनी को जाहिर किया था कि उन्हे डायबिटिज और हाईपर टेंशन की बीमारी है। कंपनी ने उपभोक्ता के पिता का मेडिकल निरिक्षण करवाने के बाद रिर्पोट के आधार पर उन्हे पालिसी जारी की थी। पालिसी की अवधि के दौरान उपभोक्ता के पिता के बीमार हो जाने पर उनके इलाज में राशि खर्च करनी पडी। उपभोक्ता ने कंपनी के पास इलाज पर हुए खर्चे के बिल जमा करा कर मुआवजे की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने इस आधार पर मुआवजा खारिज कर दिया था कि उपभोक्ता के पिता की हाईपरटेंशन की बीमारी के बारे में जाहिर नहीं किया गया था। ऐेसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता ने हाईपरटेंशन की बीमारी होने के बारे में कंपनी को बताया था। फोरम ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बजाज एलियांज बनाम वेल्स जोस 4(2012) सीपीजे 839 (एनसी) के मामले में व्यवस्था दी है कि हाईपर टेंशन आम जीवनशैली की बीमारी है जो दवाइयों का सेवन करने से आसानी से नियंत्रित हो जाती है। अगर बीमाकृत व्यक्ति यह भी जाहिर न करे कि वह हाईपर टेंशन की दवाइयां लेता है तो इसका मतलब महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाना नहीं माना जा सकता। ऐसे में फोरम ने कंपनी के मुआवजा खारिज करने को सेवाओं में कमी करार देते हुए उपभोक्ता के पक्ष में उक्त मुआवजा राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। वहीं पर कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।
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