Friday, 21 April 2017

वकीलों ने लॉ कमीशन के प्रस्तावों की प्रतियां जलाई, अदालतों का बाहिष्कार किया





मंडी। बार कौंसिल आफ इंडिया की देशव्यापी काल पर जिला बार एसोसिएशन ने एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ शुक्रवार को अदालती कार्यवाही का बाहिष्कार किया। अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए इन संशोधनों की प्रतियों को जलाया और जमकर नारेबाजी की। इसके अलावा उपायुक्त मंडी के माध्यम से केंद्र सरकार को इन संशोधनों को वापिस लेने के लिए ज्ञापन भी प्रेषित किया है। बार कौंसिल की काल पर शुक्रवार को जिला बार एसोसिएशन ने अपना अपना विरोध प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने मंडी शहर में जूलूस निकाल कर इन अलोकतांत्रिक प्रस्तावित प्रावधानों का पुरजोर विरोध करते हुए चौहट्टा बाजार में इसकी प्रतियों को जलाया और अदालतों का बाहिष्कार किया। चौहट्टा बाजार में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश बार कौंसिल व जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इन प्रावधानों का पुरजोर विरोध किया। उनका कहना था कि विधि आयोग की रिर्पोट के आधार पर केंद्र सरकार संसद में एडवोकेट एक्ट में संशोधन करना चाहती है। यह संशोधन विधिक समुदाय की स्वतंत्रता और स्वायतता पर हमला है। इन संशोधनों से बार कौंसिल आफ इंडिया व प्रदेश कौंसिल के कार्यकलापों पर मनोनीत सदस्यों का वर्चस्व हो जाएगा। यह मनोनीत सदस्य सेवानिवृत न्यायधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता या विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन लोग होंगे। अधिवक्ताओं की अनुशासन कमेटी में भी पुर्व न्यायधीशों का दबदबा हो जाएगा। बार कौंंसिल आफ इंडिया के सदस्यों का राज्यों से चयन रोटेशन से होगा। उन्होने बताया कि 6 राज्यों के जोन में सिर्फ एक सदस्य दो साल के लिए चुना जाएगा। जिससे प्रत्येक राज्य से 12 साल बाद ही एक सदस्य बार कौंसिल आफ इंडिया के लिए चुना जा सकेगा और राज्य बार कौंसिलों को इस अवधि में प्रतिनिधित्व के बगैर रहना पडेगा। उनका कहना था कि यह संशोधन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हैं और विधि समुदाय को पूर्व जजों या मनोनीत सदस्यों के अधीन होना पडेगा। क्योंकि एक तिहाई सदस्य भी विधि समुदाय से नहीं होंगे। जिससे अधिवक्ताओं की पेशागत स्वतंत्रता और स्वायतता पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। उन्होने कहा कि अधिवक्ता वर्ग ही देश में लोकतांत्रिक मुल्यों की लडाई के प्रवक्ता और अगुवा रहे हैं। लेकिन सरकार इन संशोधनों का दुरूपयोग करके लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों की स्वायतता को कुचलने का कार्य भी कर सकती है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के मुताबिक अधिवक्ताओं के कदाचार के मामलों की सुनवाई बार कौंसिल से छीन कर न्यायधीशों को दी जा रही है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के तहत मुव्वकिल (क्लाइंट) वकील के खिलाफ गैर हाजरी या अन्य कारणों से क्लेम याचिका दायर कर सकता है। इसके अलावा अधिवक्ता को कदाचार के लिए 3 लाख रूपये जुर्माना भी हो सकता है। उन्होने कहा कि संशोधनों से विधिक समुदाय की स्वयं नियंत्रित की जाने वाली व्यवस्था को समाप्त किये जाने की साजिश रची जा रही है। अधिवक्ता वर्ग ने इन काले संशोधनों को कानून नहीं बनाने की चेतावनी देते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इन्हें तुरंत वापिस लिया जाए। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि इस बाबत जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो आगामी 2 मई को देश भर के अधिवक्ता संसद का घेराव करेंगे। जनसभा को प्रदेश बार कौंसिल के पुर्व अध्यक्ष देश राज शर्मा, पुर्व उपाध्यक्ष नरेन्द्र गुलेरिया और जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संजय मंडयाल ने संबोधित किया। अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को अदालतों की कार्यवाही का पुर्ण रूप से बाहिष्कार किया। इसके अलावा उपायुक्त के माध्यम से प्रेषित ज्ञापन के माध्यम से केंद्र सरकार को इन संशोधनों को वापिस लेने की मांग की है।
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