मंडी। एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ बार कौंसिल आफ इंडिया की देशव्यापी काल पर जिला बार एसोसिएशन ने हडताल की। अधिवक्ताओं ने इन संशोधनों को विरोध करते हुए जमकर नारेबाजी की और अदालतों का बाहिष्कार किया। बार कौंसिल आफ इंडिया के आहवान पर जिला बार एसोसिएशन ने शनिवार को हडताल की। सुबह ही न्यायलय परिसर में अधिवक्ताओं का एकत्र होना शुरू हो गया। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने जिला न्यायलय परिसर से अपना जूलूस शुरू करके शहर का चक्कर लगाते हुए चौहट्टा बाजार में जनसभा का आयोजन किया। इस दौरान अधिवक्ताओं व शहरवासियों को संबोधित करते हुए प्रदेश बार कौंसिल व जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि विधि आयोग की रिर्पोट के आधार पर केंद्र सरकार संसद में एडवोकेट एक्ट में संशोधन करना चाहती है। यह संशोधन विधिक समुदाय की स्वतंत्रता और स्वायतता पर हमला है। इन संशोधनों से बार कौंसिल आफ इंडिया व प्रदेश कौंसिल के कार्यकलापों पर मनोनीत सदस्यों का वर्चस्व हो जाएगा। यह मनोनीत सदस्य सेवानिवृत न्यायधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता या विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन लोग होंगे। अधिवक्ताओं की अनुशासन कमेटी में भी पुर्व न्यायधीशों का दबदबा हो जाएगा। बार कौंंसिल आफ इंडिया के सदस्यों का राज्यों से चयन रोटेशन से होगा। उन्होने बताया कि 6 राज्यों के जोन में सिर्फ एक सदस्य दो साल के लिए चुना जाएगा। जिससे प्रत्येक राज्य से 12 साल बाद ही एक सदस्य बार कौंसिल आफ इंडिया के लिए चुना जा सकेगा और राज्य बार कौंसिलों को इस अवधि में प्रतिनिधित्व के बगैर रहना पडेगा। यह संशोधन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हैं और विधि समुदाय को पूर्व जजों या मनोनीत सदस्यों के अधीन होना पडेगा। क्योंकि एक तिहाई सदस्य भी विधि समुदाय से नहीं होंगे। उन्होने कहा कि इन संशोधनों से पेशागत स्वतंत्रता और स्वायतता पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। उन्होने कहा कि अधिवक्ता वर्ग ही देश में लोकतांत्रिक मुल्यों की लडाई के प्रवक्ता और अगुवा रहे हैं। लेकिन सरकार इन संशोधनों का दुरूपयोग करके लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों की स्वायतता को कुचलने का कार्य भी कर सकती है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के मुताबिक अधिवक्ताओं के दुव्र्यवहार के मामलों की सुनवाई बार कौंसिल से छीन कर न्यायधीशों को दी जा रही है। जबकि जजों के दुव्र्यवहार के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है सिर्फ महाभियोग के। जो इस लोकतंत्र में कभी भी सफल नहीं हो पाया है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के तहत मुव्वकिल (क्लाइंट) वकील के खिलाफ गैर हाजरी या अन्य कारणों से क्लेम याचिका दायर कर सकता है। इसके अलावा अधिवक्ता को दुव्र्यवहार के लिए 3 लाख रूपये जुर्माना भी हो सकता है। उन्होने कहा कि संशोधनों से विधिक समुदाय की स्वयं नियंत्रित किए जाने वाली व्यवस्था को समाप्त किये जाने की साजिश रची जा रही है। अधिवक्ता वर्ग ने इन काले संशोधनों को कानून नहीं बनाने की चेतावनी देते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इन्हें तुरंत वापिस लिया जाए। अन्यथा देश भर के अधिवक्ता संघर्ष का रास्ता अखतियार करेंगे। जनसभा को प्रदेश बार कौंसिल के पुर्व अध्यक्ष देश राज शर्मा और जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संजय मंडयाल ने संबोधित किया। इसके बाद अधिवक्ताओं ने अदालतों की कार्यवाही का पुर्ण रूप से बाहिष्कार किया। जिसके चलते शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायलय में अदालती कार्यवाही प्रौक्सी अधिवक्ताओं के माध्यम से पूरी करवाई गई।
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