Friday, 9 February 2018

ख्रुश्चेव झूठा था....




ग्रोवर फर की चर्चित पुस्तक 'ख्रुश्चेव लाइड' पढ़ी। इसमें उन्होने कम्यूनिस्ट पार्टी आफ सोवियत यूनियन की 25 फरवरी, 1956 को हुई 20वीं पार्टी कांग्रेस में निकिता ख्रुश्चेव द्वारा स्टालिन और बेरिया के अपराधों के बारे में दी गई कुख्यात 'सिक्रेट स्पीच' के तमाम रहस्योद्घाटनों को झूठा प्रमाणित करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। इस सिक्रेट स्पीच में निकिता ख्रुश्चेव ने जोसेफ स्तालिन पर बहुत सारे अपराधों के आरोप लगाए थे। ख्रुश्चेव का भाषण विश्वभर के कम्यूनिस्ट आंदोलन के लिए गहरा आघात था जिससे वह कभी नहीं उभर पाया। इसने इतिहास का रूख ही बदल दिया। सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत अभिलेखागार में अभी तक गुप्त रखे गए दस्तावेजों के प्रकाशित होने पर ग्रोवर फर ने एक दशक तक इनका अध्ययन किया। ख्रुश्चेव के भाषण का विस्तारपुर्वक अध्ययन करने के बाद चौकाने वाले परिणाम प्रस्तुत करते हुए उन्होने रहस्योद्घाटन किया है कि ख्रुश्चेव द्वारा लगाए गए 61 इल्जामों में से एक भी सच नहीं है। अभी तक का नहीं तो कम से कम 20वीं सदी का सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाला भाषण क्या एक बेईमानी से भरा धोखा था? वामपंथी इतिहास को समझने के निहितार्थ यह विचार कितना ज्यादा भयानक है। फर ने ख्रुश्चेव के झूठों, सोवियत और पाश्चात्य इतिहासकारों सहित त्रात्सकीपंथियों और कम्यूनिस्ट विरोधियों का अध्ययन करते हुए प्रभावशाली तरीके से सोवियत इतिहास को झूठ साबित किया है। वास्तव में हर चीज जो हम सोचते हैं कि हम स्टालिन काल के बारे में जानते हैं वह गल्त साबित हुई है। सोवियत रूस का इतिहास और 20वीं सदी के कम्यूनिस्ट आंदोलन को पूरी तरह से फिर से लिखना होगा।
यह पुस्तक आकार बुक्स प्रकाशन ने प्रकाशित की है और इसका हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध है। जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अगर यह पुस्तक पढ़ी होती तो वह भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा स्तालिन मुर्दाबाद बोलने को कहने पर शायद कभी नहीं बोलते। स्तालिन हमेशा अपने को लेनिन का शिष्य कहते थे और मार्क्स और लेनिन के बताए रास्ते और नीतियों पर ही चलकर उन्होने सोवियत रूस को मात्र 40 साल में उस मुकाम पर पहुंचा दिया था जहां तक पहुंचने के लिए पूंजीवादी देशों को 400 साल लगे थे। वह स्तालिन ही थे जिनके नेतृत्व में कम्यूनिस्टों ने लाखों कुर्बानियां देकर हिटलर के फासीवाद को करारी शिकस्त देकर दुनिया को फासीवादी खतरे से बचाया था। अंतरिक्ष में पहला मानव भी स्तालिन काल में शुरू किए गए कार्यों की ही देन थी। इसके अलावा उनके कार्यकाल में रूस से बेरोजगारी, अपराध, वैश्यावृति खत्म हो चुकी थी और देश कृषि, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थय के क्षेत्र में अभूतपुर्व कीर्तिमान स्थापित कर रहा था। यह महत्वपुर्ण पुस्तक स्तालिन के बारे में संशोधनवादी ख्रुश्चेव द्वारा दुनिया भर में फैलाए गए झूठों की हकीकत को जानने के लिए जरूर पढ़नी चाहिए। वह स्तालिन ही थे जो रूस को विकास की असीम ऊंचाइयों पर ले गए थे और वह संशोधनवादी ख्रुश्चेव ही थे जिनके कार्यकाल के दौरान से ही बुर्जुआ वर्ग को खुली छूटें मिलनी शुरू हो गई और इन संशोधनवादी नीतियों के चलते ही अंततोगत्वा सोवियत संघ का विघटन हो गया।
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