मंडी। लापरवाही से वाहन चलाकर दुर्घटना करने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी चालक को बरी कर दिया। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित न होने पर अदालत ने उसे बरी करने का फैसला सुनाया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन उपासना शर्मा के न्यायलय ने सुंदरनगर के पुराना बाजार निवासी आदर्श कुमार के खिलाफ भादंस की धारा 279 व 337 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 16 मार्च 2006 को उक्त आरोपी ने एक सफेद रंग की मारूती वैन को तेज रफतारी और लापरवाही से चलाते हुए पैदल जा रहे एक व्यक्ति को टक्कर मार दी थी। जिससे वह घायल हो गये थे। पुलिस ने आरोपी चालक के खिलाफ मामला दर्ज करवा कर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 11 गवाहों के ब्यान दर्ज किये गये। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नीरज कपूर का इस मामले में कहना था कि अभियोजन की ओर से आरोपी की पहचान नहीं की गई है क्योंकि वैन का चालक घटना के बाद मौका से फरार हो गया था जिसके कारण उसकी पहचान गवाहों से नहीं हो सकी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया। Tuesday, 23 April 2013
दुर्घटना का अभियोग साबित न होने पर चालक बरी
मंडी। लापरवाही से वाहन चलाकर दुर्घटना करने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी चालक को बरी कर दिया। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित न होने पर अदालत ने उसे बरी करने का फैसला सुनाया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन उपासना शर्मा के न्यायलय ने सुंदरनगर के पुराना बाजार निवासी आदर्श कुमार के खिलाफ भादंस की धारा 279 व 337 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 16 मार्च 2006 को उक्त आरोपी ने एक सफेद रंग की मारूती वैन को तेज रफतारी और लापरवाही से चलाते हुए पैदल जा रहे एक व्यक्ति को टक्कर मार दी थी। जिससे वह घायल हो गये थे। पुलिस ने आरोपी चालक के खिलाफ मामला दर्ज करवा कर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 11 गवाहों के ब्यान दर्ज किये गये। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नीरज कपूर का इस मामले में कहना था कि अभियोजन की ओर से आरोपी की पहचान नहीं की गई है क्योंकि वैन का चालक घटना के बाद मौका से फरार हो गया था जिसके कारण उसकी पहचान गवाहों से नहीं हो सकी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।
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