मंडी। भले ही जाति पाति का भेदभाव संविधान में एक अपराध है लेकिन यह अभी भी समाज को गहरे से जकडे हुए है। अश्पृष्यता के ऐसे ही एक मामले में अदालत ने पुलिस को तहकीकात करने के आदेश दिये हैं। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब मंडी की संस्था इंडियन पीपलस थियेटर एसोसिएशन के एक रंगकर्मी ने मंडी से कुछ दूरी पर स्थित एक मंदिर के चित्र प्रशासन व लोगों को दिखाये। इन चित्रों में एक बोर्ड दर्शाया गया था जो मंदिर के बाहर लगा था। इस बोर्ड में साफ तौर पर लिखा गया था कि मंदिर में हरिजनों का प्रवेश मना है। लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर इप्टा के संयोजक लवण ठाकुर ने जिला पुलिस अधीक्षक को इस मामले में शिकायत दी थी। शिकायत पर कार्यवाही करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक ने प्राथमिकी दर्ज करके मामले की तहकीकात शुरू करवाई थी। लेकिन पुलिस ने इस मामले की तहकीकात में किसी तरह के सबूत न पाए जाने पर प्राथमिकी को खारिज करने के लिए अदालत में भेज दी थी। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन उपासना शर्मा के न्यायलय ने इस मामले के शिकायतकर्ता लवण ठाकुर को अपने आबजेक्शन देने के लिए नोटिस जारी किया था। इप्टा के सदस्य आशीष शर्मा एडवोकेट के माध्यम से शिकायतकर्ता ने अपने आबजेक्शन अदालत के समक्ष रखे थे। शिकायतकर्ता का कहना था इस मामले में पुलिस ने सही ढंग से तहकीकात नहीं की है। पुलिस ने मात्र मंदिर कमेटी के सदस्यों के ब्यान लिख कर महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज किया है। मंगलवार को न्यायलय ने सदर पुलिस थाना में शिकायतकर्ता की शिकायत पर 12 अप्रैल 2012 को दर्ज की गई प्राथमिकी को खारिज करने की रिर्पोट पर आदेश सुनाते हुए पुलिस को शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध करवाये गये सबूतों के आधार पर इस मामले की तहकीकात एक माह में करने को कहा। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई 17 मई को सुनिश्चित की है।Tuesday, 16 April 2013
मंदिर प्रवेश मामले में अदालत ने दिये फिर से तहकीकात के आदेश
मंडी। भले ही जाति पाति का भेदभाव संविधान में एक अपराध है लेकिन यह अभी भी समाज को गहरे से जकडे हुए है। अश्पृष्यता के ऐसे ही एक मामले में अदालत ने पुलिस को तहकीकात करने के आदेश दिये हैं। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब मंडी की संस्था इंडियन पीपलस थियेटर एसोसिएशन के एक रंगकर्मी ने मंडी से कुछ दूरी पर स्थित एक मंदिर के चित्र प्रशासन व लोगों को दिखाये। इन चित्रों में एक बोर्ड दर्शाया गया था जो मंदिर के बाहर लगा था। इस बोर्ड में साफ तौर पर लिखा गया था कि मंदिर में हरिजनों का प्रवेश मना है। लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर इप्टा के संयोजक लवण ठाकुर ने जिला पुलिस अधीक्षक को इस मामले में शिकायत दी थी। शिकायत पर कार्यवाही करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक ने प्राथमिकी दर्ज करके मामले की तहकीकात शुरू करवाई थी। लेकिन पुलिस ने इस मामले की तहकीकात में किसी तरह के सबूत न पाए जाने पर प्राथमिकी को खारिज करने के लिए अदालत में भेज दी थी। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन उपासना शर्मा के न्यायलय ने इस मामले के शिकायतकर्ता लवण ठाकुर को अपने आबजेक्शन देने के लिए नोटिस जारी किया था। इप्टा के सदस्य आशीष शर्मा एडवोकेट के माध्यम से शिकायतकर्ता ने अपने आबजेक्शन अदालत के समक्ष रखे थे। शिकायतकर्ता का कहना था इस मामले में पुलिस ने सही ढंग से तहकीकात नहीं की है। पुलिस ने मात्र मंदिर कमेटी के सदस्यों के ब्यान लिख कर महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज किया है। मंगलवार को न्यायलय ने सदर पुलिस थाना में शिकायतकर्ता की शिकायत पर 12 अप्रैल 2012 को दर्ज की गई प्राथमिकी को खारिज करने की रिर्पोट पर आदेश सुनाते हुए पुलिस को शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध करवाये गये सबूतों के आधार पर इस मामले की तहकीकात एक माह में करने को कहा। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई 17 मई को सुनिश्चित की है।
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