Tuesday, 25 October 2016

सात लाख के गहनों से भरा पर्स लौटा दिखाई ईमानदारी





मंडी। ईमानदारी अभी जिंदा है। इसकी ताजा मिसाल बल्ह क्षेत्र के साई गांव निवासी हरी राम ने करीब सात लाख रूपये के आभूषण लौटा कर दी है। जानकारी के अनुसार सुंदरनगर के चौक निवासी भानू प्रताप अपनी पत्नी सुनीता व बेटे रूद्र के साथ बाइक पर कुल्लू की ओर जा रहे थे। इसी दौरान डडौर चौक के पास उनका पर्स गिर गया। इस पर्स में करीब सात लाख रूपये के आभूषण, एटीएम कार्ड, कुछ राशि तथा मोबाइल फोन था। जब वह नागचला के पास पहुंचे तो उन्हे पर्स के खो जाने का पता चला। उन्होने पर्स को ढुंढने का प्रयास किया। लेकिन नहीं मिलने पर उन्होने पर्स में रखे मोबाइल फोन पर काल की। जिसे बल्ह क्षेत्र के साई गांव निवासी हरी राम पुत्र चुहडा राम ने सुना और उन्हे नेरचौक वापिस बुलाया। हरी राम बीएसएनएल (मोबाइल) में बतौर कर्मचारी तैनात है। पहचान बताने पर हरी राम ने भानू प्रताप को उनके आभूषणों का पर्स लौटा दिया। हालांकि भानू प्रताप ने उन्हें खो गए पर्स को लौटाने पर उन्हे कुछ राशि के रूप में इनाम से नवाजना चाहा। लेकिन हरी राम ने इनाम को स्वीकार न करते हुए लाखों रूपये के आभूषणों का पर्स लौटा कर ईमानदारी अभी जिंदा होने का ताजा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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Sunday, 23 October 2016

चरस रखने के दोषी को तीन साल कैद, 25 हजार जुर्माना





मंडी। चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को तीन साल के कठोर कारावास और 25000 रूपये जुर्माने की सजा सुनायी है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश कृष्ण कुमार की विशेष अदालत (तीन) ने जिला बिलासपुर की घुमारवी तहसील के घुमाणी (कन्दरौर) निवासी जितेन्द्र सिंह उर्फ बिट्टू के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 22 जनवरी 2011 को पंडोह चौकी पुलिस का दल मुखय आरक्षी कृष्ण कुमार की अगुवायी में राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर कैंची मोड के पास नाकाबंदी के लिए तैनात था। इसी दौरान राजमार्ग पर औट की ओर से पंडोह की तरफ पैदल आ रहे एक व्यक्ति ने पुलिस दल को देखकर पीछे मुडकर भागने की कोशीश की। जिस पर पुलिस ने संदेह के आधार पर उक्त व्यक्ति को काबू करके उसकी तलाशी ली। आरोपी की तलाशी के दौरान उसके दाहिने पांव में पहनी जुराब में प्लास्टिक के लिफाफे में डाली गई 200 ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए उप जिला न्यायवादी अजय ठाकुर ने 11 गवाहों के बयान कलमबंद करके आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी पर चरस बरामदगी का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी से बरामदशुदा चरस की मात्रा व्यवसायिक मात्रा से कम और लघु मात्रा से ज्यादा होने के कारण उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।
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Wednesday, 19 October 2016

ईमानदारी के कारण जाने जाते थे पंडित गौरी प्रसाद




पंडित गौरी प्रसाद के 96वें जन्मदिन पर विशेष
मंडी। हिमाचल निर्माता डा यशवंत सिंह परमार की टीम के महत्वपूर्ण सदस्य पंडित गौरी प्रसाद प्रदेश के विकास की आधारशीला के रचनाकार थे। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार के महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री पंडित गौरी प्रसाद ने हिमाचल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गौरी प्रसाद का जन्म 18 अक्तूबर 1920 में मंडी रियासत के बल्ह गांव में पंडित जय किशन और माता दुर्गा देवी के घर में हुआ। बल्ह से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगे की पढाई के लिए वह सन 1935 में लाहौर चले गए। जहां पर उन्होने पंजाब विश्विद्यालय से मैट्रिक की पढाई पूरी की। इसी दौरान वह लाहौर में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और डा. गोपी चंद भार्गवा और डा. सत्य पाल के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया। सन 1939 में उन्होने सनातन धर्म प्रेम गिरी आयुर्वेदिक कालेज लाहौर से श्री वैद्या कवि राज परीक्षा उर्तीण की। जबकि अगले ही साल उन्होने इसी संस्थान से आयुर्वेदाचार्य की पढाई मुकममल की। लाहौर में आयुर्वेदाचार्य की डिग्री पूरी करने के बाद वह वापिस घर लौट आए और बल्ह (नेरचौक) में फारमेसी स्थापित करके प्रैक्टिस शुरू की। देश की आजादी को लेकर चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन के चलते जल्द ही उन्होने आयुर्वेद की प्रैक्टिस और फारमेसी का व्यापार बंद कर दिया और छोटे पहाडी राजाओं व शासकों के राज को उखाडने के लिए चलाए जा रहे प्रजा मंडल आंदोलन में शामिल हो गए। वह सन 1942 में मंडी रियासत में सक्रिय जिला प्रजा मंडल आंदोलन के अध्यक्ष चुने गए और उन्होने सन 1947 तक आंदोलन को नयी दिशा प्रदान की। वह सन 1940 से 1945 तक मंडी रियासत के राजा की विधान परिषद के निर्वाचित सदस्य रहे। उन्होने बल्ह निर्वाचन क्षेत्र से प्रजा मंडल के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए मंडी रियासत के प्रायोजित प्रत्याशी को हराया था। स्वतंत्रता संग्राम और प्रजा मंडल आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हे मंडी के राजा ने सन 1947 में जेल भेज दिया था और उन्हे करीब छह माह के बाद जेल से छोडा गया था। पंडित गौरी शंकर को सन 1947 में जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष चुना गया और वह सन 1951 तक इस पद पर रहे। इसके अलावा वह प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल प्रदेश को भारत के चीफ कमीश्नर प्रोविंस के रूप में पहचान मिली। पंजाब और शिमला हिल्स की 30 रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ। जिसके चार जिले चंबा, महासू, मंडी और सिरमौर बनाए गए। सन 1951 में हिमाचल प्रदेश को पार्ट सी राज्य घोषित किया गया। प्रदेश में विधान सभा का गठन करके पहले चुनाव नवंबर 1951 में आयोजित किए गए। पंडित गौरी प्रसाद ने मंडी जिला के रिवालसर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लडा और विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। मार्च 1952 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और पंडित गौरी प्रसाद को मुखयमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार के तीन सदस्यीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। उन्हे लोक निर्माण विभाग, स्वास्थय, आयुर्वेद, ट्रांसपोर्ट और सिंचाई एवं जन स्वास्थय जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए। जबकि पंडित पदम देव को गृह मंत्री का पद दिया गया। पंडित गौरी प्रसाद सन 1956 तक मंत्री के रूप में कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश के भविष्य के विकास की सुदृढ आधारशिला रखी गई। सन 1954 में उन्हे राज्य स्वतंत्रता सेनानी एसोसिएशन का राज्य अध्यक्ष चुना गया और वह उम्र भर इस पद पर कार्य करते हुए स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए कार्य करते रहे। वह हरिजन सेवक संघ के जिला अध्यक्ष और भारत सेवक समाज के संयोजक के रूप में सन 1957 से 1962 तक सक्रिय रहे। उन्होने अश्पृश्यता हटाने और दलितों के उत्थान के लिए बढचढ कर भाग लिया। इसी दौरान वह सर्वोदय आंदोलन से जुडे और जिला संयोजक व राज्य सदस्य के रूप में कार्य करते रहे। उन्हे सन 1959 से 1963 तक पंजाब, जममू व कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेश (इंटक) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होने मजदूरों और कामगारों के कल्याण व उनके अधिकारों के लिए कई मजदूर संगठनों के साथ कार्य किया। जिनमें हाइडल वर्कर यूनियन जोगिन्द्र नगर, ट्रांसपोर्ट वर्कर यूनियन, मंडी हिल ट्रांसपोर्ट यूनियन, आयुर्वेदिक फारमेसी यूनियन जोगिन्द्र नगर, साल्ट माइन वर्कस यूनियन द्रंग, ब्यास सतलुज लिंग प्रोजेक्ट वर्कस यूनियन पंडोह व सुंदरनगर, हिमाचल इलैक्ट्रीकल वर्कस यूनियन ढली व मंडी शामिल हैं। वह सन 1964 में हिमाचल प्रदेश इंटक के अध्यक्ष बने और 1970 तक इस पद पर रहे। उन्हे 15 अगस्त 1988 में स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान के लिए तात्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने ताम्र पत्र से नवाकाा था। उन्हे सन 1994 में मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता वाली राज्य फ्रीडम फाइटर वेलफेयर बोर्ड का उपाध्यक्ष चुना गया। मंडी नगर परिषद ने पंडित गौरी प्रसाद को विगत दो अप्रैल 2000 में मांडव रतन पुरूस्कार से नवाकाा था। पंडित गौरी प्रसाद का करीब 94 साल की उम्र में 18 मई 2014 को मंडी में देहांत हो गया था। सामाजिक जीवन में वह अपनी ईमानदारी और चरित्र के कारण जाने जाते थे। पंडित गौरी प्रसाद के सपुत्र हितेन्द्र शर्मा बताते हैं कि वह महात्मा गांधी के अटूट समर्थक थे और उन्होने जीवन भर महात्मा गांधी की शिक्षाओं का अनुसरण किया। पंडित जी बहुत सादा जीवन व्यतीत करते थे और जीवन पर्यन्त हमेशा खादी वस्त्र ही धारण करते थे। अपना सारा कार्य वह हमेशा अपने आप करते थे। हिमाचल प्रदेश वासियों व खासकर अपने जिला मंडी के वासियों से खूब स्नेह रखते थे। उन्होने अपने मंत्रीपद के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। लोक निर्माण मंत्री होने के नाते उन्हे राज्य की महत्वपूर्ण सडकों जैसे मंडी-शिमला सडक आदि के निर्माण का श्रेय है। वह पंडित जवाहर लाल नेहरू और पंडित गोविंद वल्लभ पंत के बहुत करीब थे। हिमाचल प्रदेश को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में पंडित गौरी प्रसाद के इन राष्ट्रीय नेताओं से संबंधों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके अलावा प्रदेश के विकास की सुदृढ आधारशीला रखने में उनके मंत्रीपद के कार्यकाल का विशेष महत्व है। वह हमेशा आम लोगों के कल्याण और उनके अधिकारों के बारे में सजग रहते थे। उन्होने जनविरोधी फैसलों और अन्याय के विरूद्ध हमेशा आवाज उठाई। हालांकि वह कांग्रेस के नेता थे लेकिन इसके बावजूद भी उन्होने आपातकाल का जमकर विरोध किया। वह आपात काल हटाने के लिए बनी जिला संघर्ष समिति के सक्रिय सदस्य थे। जिसके चलते वह मोरारजी देसाई की कांग्रेस (ओ) के कुछ समय तक सदस्य बन गए। वह हमेशा अपने सिद्धांतों पर खडे रहे और उन्होने व्यक्तिगत लाभों के लिए राजनैतिक जीवन में इस सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया।
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मंडी के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह के निधन पर शोक





मंडी। जिला बार एसोसिएशन ने मंडी के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह के अस्मायिक निधन पर शोक व्यक्त किया है। एसोसिएशन ने सोमवार को बार रूम में एक शोक सभा का आयोजन किया। जिसमें जिला एवं सत्र न्यायधीश सी एल कोछड़ सहित सभी न्यायधीश और अधिवक्ता मौजूद थे। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखा गया। इसके अलावा बार एसोसिएशन ने अदालतों की कार्यवाही का बाहिष्कार किया। जिसके चलते अदालती कार्यवाही प्रौक्सी अधिवक्ताओं के माध्यम से पूरी की गई। जिला बार एसोसिएशन के प्रधान नीरज कपूर ने बताया कि मंडी के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह का गत सप्ताह देहांत हो गया है। उन्होने बताया कि वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होने बताया कि बार एसोसिएशन ने उनके शोक संतप्त परिवार को शोक संदेश प्रेषित किया है।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...