Wednesday, 27 December 2017

जातिसूचक शब्द कहने पर 22 आरोपी अदालत में तलब





मंडी। अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन हडपने की कोशीश करने और उन्हें जातिसूचक शब्द कहने के मामले में अदालत ने 22 आरोपियों को तलब किया है। सभी आरोपियों को 15 जनवरी को अदालत के समक्ष हाजिर होना होगा। जिला एवं सत्र न्यायधीश सी एल कोछड़ की विशेष अदालत ने थुनाग तहसील के चोहट (बागाचनोगी) गांव निवासी टेक सिंह और देवी राम की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए चोहट गांव के आरोपी जीवन सिंह, श्याम सिंह, सरला देवी, लीला देवी, मेघ सिंह, सरन दास, गौरी देवी, सवारू राम, टीकम राम, भागू राम, चेत राम, झली राम, लुदरमणी, शेर सिंह, खुबे राम, टेक सिंह, दिनेश, डुमणी राम, खेम सिंह, घनश्याम, सोहन लाल और पालू राम को अदालत में तलब किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि शिकायतकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध करने का प्रथमदृष्टया मामला बनता है। जिसके चलते अदालत ने उक्त सभी 22 आरोपियों को अदालत में तलब किया है। अधिवक्ता रवि कुमार बधान के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार 10 दिसंबर 2015 को उक्त आरोपियों ने शिकायतकर्ताओं व अन्य अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन पर आकर जबरन कब्जा करने की कोशीश की और सारी फसल को उजाड़ दिया। इतना ही नहीं उक्त आरोपियों ने उन्हें जातिसूचक शब्दों से संबोधित करके उन्हें जमीन छोड़ कर चले जाने और ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकियां दी। जिसके चलते शिकायतकर्ताओं ने उपायुक्त मंडी के पास 11 फरवरी 2015 को इस घटना की शिकायत दर्ज करवाई थी। उपायुक्त मंडी कार्यालय से यह शिकायत अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी को प्रेषित की गई। जिन्होने तहसीलदार थुनाग के माध्यम से इस मामले की जांच करवाई थी। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने जांच रिर्पोट मिलने के बाद शिकायतकर्ताओं को गोहर पुलिस थाना में संपर्क करने को कहा। शिकायतकर्ताओं के जंजैहली पुलिस चौकी में संपर्क करने पर उनसे फिर से लिखित शिकायत की मांग की गई। उन्हें लिखित शिकायत सौंपने पर पुलिस ने अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करके इस मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक (मुखयालय) को सौंपी थी। लेकिन उपाधीक्षक ने सही तरीके से जांच न करके प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए 23 मई 2016 को अदालत में रिर्पोट पेश की थी। इस मामले के अन्वेषण अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं के बयानों में वह जातिसूचक शब्द नहीं लिखे थे जो उन्होने अपने बयान में बताए थे और इस तरह अन्वेषण अधिकारी ने मामले को मोड देकर आरोपियों को बचाने की नीयत से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने की रिर्पोट तैयार की। ऐसे में शिकायतकर्ताओं ने अदालत में प्राइवेट कंपलेंट दायर की थी। अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ प्रथमदृष्टया साक्ष्य होने के कारण उन्हें 15 जनवरी को होने वाली मामले की सुनवाई में उपस्थित होने के लिए तलब किया है।
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Tuesday, 19 December 2017

झूठे मामले में फंसाए आरोपियों को उच्च न्यायलय ने जमानत दी




मंडी। सीबीआई द्वारा पेश की गई स्टेटस रिर्पोट के बाद एनडीपीएस के मामले में झूठे फंसाए गए दो आरोपियों को प्रदेश उच्च न्यायलय ने जमानत पर रिहा करने के आदेश दिये हैं। सीबीआई की रिर्पोट में याचिकाकर्ताओं को एनडीपीएस के झूठे मामले में फंसाने और उनसे 20 लाख रूपये की मांग करने के आरोप प्रथम दृष्टया साबित होने पर उन्हे जमानत दी गई है। उच्च न्यायलय के न्यायमुर्ति त्रिलोक सिंह चौहान के न्यायलय ने याचिकाकर्ता रवि और रोशन लाल की जमानत याचिकाओं को स्वीकारते हुए उन्हें एक-एक लाख रूपये की जमानती राशियों पर सशर्त रिहा करने के आदेश दिये हैं। उल्लेखनीय है किजिला कारागार के निरिक्षण के दौरान जिला एवं सत्र न्यायधीश मंडी को विचाराधीन बंदी रवि ने शिकायत दर्ज करवाई कि उन्हें एनडीपीएस एक्ट के तहत झूठे मामले में साजिश के तहत फंसाया गया है और उससे 20 लाख रूपये की मांग की गई। इसके अलावा रवि के पिता रमेश चंद ने भी शिकायत दर्ज करवाई कि हरियाणा निवासी मंजीत और हिमाचल पुलिस में काम कर रहे एएसआई राम लाल व आरक्षी प्रदीप कुमार ने षडयंत्र रच कर उसके बेटे को एनडीपीएस के झूठे केस में फंसाया है। रमेश चंद के अनुसार मंजीत अपराधी है और उसने पुलिस के साथ षडयंत्र रचकर रवि को हिमाचल प्रदेश में बुलाया और मंडी के होटल, गुरूद्वारे और अन्य जगहों पर दो-तीन दिन तक अवैध रूप से रोक कर रखा। मंजीत ने दो दिन तक लगातार रवि के पिता रमेश चंद को फोन करके उनसे 20 लाख रूपये की मांग करके ब्लैकमेल किया। पैसा देने से इंकार करने पर रवि और रोशन लाल को झूठा फंसा दिया। मंजीत को हत्या के मामले में उम्र कैद हो चुकी है और इस मामले की जांच एएसआई रामलाल ने की थी। जबकि मौजूदा केस का जांच अधिकारी एसआई जय लाल भी बिलासपुर का रहने वाला है और एएसआई रामलाल का रिश्तेदार है। याचिकाकर्ता की शिकायत की जांच अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक मंडी ने की थी। लेकिन उच्च न्यायलय ने जांच की रिर्पोट से सहमती नहीं जताई। प्रदेश उच्च न्यायलय का कहना था कि इस मामले में प्रदेश सरकार के पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली के बारे में गंभीर आरोप लगाए हैं जबकि जांच रिर्पोट से जाहिर होता है कि पुलिस ने आरोपी व उसके पिता की शिकायत पर सही तरीके से जांच नहीं की है। जिसके चलते उच्च न्यायलय ने इस मामले में सीबीआई को जल्द से जल्द जांच करने के निर्देश जारी किये थे। सीबीआई ने प्रदेश उच्च न्यायलय में अपनी रिर्पोट में कहा कि शहरी पुलिस चौकी मंडी में तैनात एएसआई रामलाल, आरक्षी प्रदीप कुमार, सदर थाना के एसआई जय लाल, मंजीत और जगसीर सिंह (कार मालिक) के खिलाफ याचिकाकर्ता व उसके पिता की ओर से लगाए आरोप प्रथमदृष्टया सही साबित हुए हैं। प्रदेश उच्च न्यायलय ने जमानत याचिका पर सुनाए आदेश में कहा कि सीबीआई जांच रिर्पोट से साबित हुआ है कि याचिकाकर्ता प्रथमदृष्टया झूठे फंसाए गए हैं। जिसके चलते न्यायलय ने याचिकाकर्ता रवि और रोशन लाल की जमानत याचिकाएं स्वीकार करते हुए उन्हें सशर्त रिहा करने के आदेश जारी किये हैं।
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Sunday, 3 December 2017

यशपाल जयंती और वरिष्ठ साहित्यकार नूतन का 90वां जन्मदिन आयोजित




मंडी। रविवार को यहां के उपायुक्त सभागार में भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से यशपाल जयंती और वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार नूतन का 90वां जन्मदिन मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष दीनू कश्यप ने की। वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार नूतन ने इस मौके पर कहा कि लेखक बिरादरी का आयोजन में जुटना और अपनी रचनाएं सुनाना एक टॉनिक का काम करता है। उन्होने कहा की नूतन कला मंदिर नवरचनाकारों के लिए एक मंच प्रदान करता रहा है और भविष्य में भी संस्थागत गतिविधियां नियमित रूप से जारी रखी जाएंगी। इस मौके पर आयोजित कवि सम्मेलन में प्रदेश की वरिष्ठ लेखिका रेखा वशिष्ठ, रूपेश्वरी शर्मा, हरिप्रिया, भगवान देव चैतन्य, अखिलेश भारती, कृष्णा ठाकुर, किरण गुलेरिया, कर्नज जे कुमार, पूर्णेश गौतम और समीर कश्यप सहित अन्य कवियों ने अपनी कविताएं सुनाई। जबकि अर्चना धीमान ने यशपाल जयंती के अवसर पर अपना पत्र पढ़ा। जिला भाषा एवं संस्कृति अधिकारी और वरिष्ठ अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा भी इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद रहे।
इस मौके पर दीनू कश्यप जी द्वारा पढ़ा गया पत्र
साहित्यकार श्री कृष्णकुमार नूतन इस समय हिमाचल की लेखक बिरादरी के वरिष्ठतम अगवा हैं। नूतन जी का सृजनकर्म उपन्यास, कविता, नाटक के साथ-साथ इतिहास और संस्कृति जैसी विधाओं में फैला हुआ है। नूतन जी जब युवा होने की दहलीज पर कदम रख रहे थे पारिवारिक वातावरण देश की आज़ादी की हवाओं से लवरेज़ था तथा जिसकी जानकारियाँ आज भी इनकी स्मृतियों में है।
सन 1 दिसंबर 1928 में पैदा हुये नूतन का लेखक अपने किस पूर्ववर्ती साहित्यकार से प्रभावित रहा यह शोध का विषय हो सकता है वैसे उस समय प्रेमचंद, चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, राहुल सांकृत्यायन, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, यशपाल, सुदर्शन तथा रांगेव राघव जैसे कई साहित्यकार हिन्दी साहित्य की चर्चा के केन्द्र में आ चुके थे तथा स्वर्गवासी भी हो गए थे।
नूतन जी के पूरे जीवन क्रम को उद्घाटित करना ना मेरी मंशा है और ना ही अभिष्ट और क्षमता। यहां सिर्फ उनके कहानी संग्रह “यादगार” की कहानियों की चर्चा करना चाहुँगा।
नूतन जी की किसान चेतना, दलित, अस्पृष्यता, या फिर मज़दूर संघर्ष व धर्म-जाति के विवादों के कथानक इस संग्रह में नहीं हैं। “यादगार” संग्रह में कुल पंद्रह कहानियां हैं। ज्यादातर कहानियों का परिवेश मध्यवर्गीय नागरीय सभ्याचार के आसपास का है तथा कुछ कहानियां प्रतीकों और ऐतिहासिक कथानकों के आसपास बुनी हुई हैं।
पहली कहानी “नये गाँधी की तलाश में” दफ्तर के साहब बहादुर की ज़्यादतियों और चपरासी मंगलसिंह के पस्ताहालात को बयान करती हैं। जहां साहब अपने घर पर पत्नी द्वारा बताये गये घर के भांडे-बर्तनों की साफ सफाई ना करने पर चपरासी मंगलसिंह पर गरियाता है। वहीं मंगलसिंह द्वारा भीष्ण ठंड में स्टोर बाबू की मेहरबानी से मिले थोडे से कोयले की चोरी पकड़े जाने पर साहब के गुस्से का और भी ज्यादा कोपभाजन होता है। इस पर लेखक अपरोक्ष रूप से स्टोर बाबू ने अपने चारों ओर देखा जैसे उसके भष्ट्राचारियों से थके हारे नयन किसी नये गाँधी की तलाश कर रहे थे।
लावारिस - ऐतिहासिक परिवेश का जिलाधीश कार्यालय। अफसर से चपरासी तक सफाई वाली से इश्क लड़ान अधिकार समझते थे। हजारी प्रसाद द्विवेदी – जिसे कहते हैं गल्प। बाणभट्ट की आत्मकथा एक ढहते हुए महल की व्यथा कथा, जिसे बचाने की जुगत में एक मेहतरानी का संघर्ष है।
इसी विषयवस्तु पर दूसरी कहानी “यादगार” है, जिसके चलते “गीत गाया पत्थरों ने” जैसी चर्चित फिल्म का छायांकन देश भर में विवाद का विषय बना था। रस कलश, अंतिम निर्णय, आधीरात, राखी, प्रथम पुरूस्कार, चरवाही आदि कहानियां मध्यमवर्गीय रिश्तों के बनने बिगड़ने, प्रेम व विद्रोह के रूमानी कथ्यों की फंतासी रचती दीखती हैं। नूतन के कहानी लेखन में अच्छी बात ये रही है कि इन्होंने अपनी कहानियों में भीरटी, काहिका, भूंडा, बाणमूठ, अधमसाणी राक्षस जैसे मायावी या फिर मिथकों के सहारे अंधविश्वास को अपने कथन से दूर रखा। नूतन ने ज्यादा लम्बी कहानयाँ कम लिखी हैं कुछ कहानियों का वितान तो इतना छोटा है कि उन्हें लघु कथाओं की श्रेणी में रखा जा सकता है।
“मैं और मेरा घर” भी एक छोटी कहानी है। प्रतीकों के माध्यम के कही गई यह कहानी अपने में अप्रतिम है जिसमें फालतू का विस्तार नहीं है तथा हिन्दी की प्रयोगात्मक कहानियों की श्रेणी में इसे रखा जा सकता है। ऐसे ही प्रयोग मुक्तिबोध, शमशेर बहादुर सिंह तथा निर्मल वर्मा की कहानियों में भी देखे जा सकते हैं।
अंत में कहना चाहूँगा कि यह मेरे लिए हर्ष व भाग्य का विषय है कि कल आने वाले को मैं कह पाऊँगा कि मैंने नूतन को बोलते, चलते देखा है ठीक अपने सामने। नूतन जी शतायु हों, इस कामना के साथ धन्यवाद।
---दीनू कश्यप
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Thursday, 9 November 2017

अक्टूबर क्रान्ति की सौवीं वर्षगांठ पर विचार गोष्ठी आयोजित




मंडी। रूस की अक्टूबर क्रान्ति के सौ साल पूरे होने पर शहीद भगतसिंह विचार मंच की ओर से मंडी में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के वरिष्ठ मजदूर नेता कामरेड प्रकाश पंत ने की। इस अवसर पर उन्होने अक्टूबर क्रान्ति की सौंवी वर्षगांठ पर दुनिया भर की मेहनतकश जनता को बधाई व शुभकामनाएं दी। उन्होने कहा कि सोवियत रूस में 7 नवंबर 1917 को शुरू हुई इस क्रान्ति ने तात्कालीन विश्व को हिला कर रख दिया था। इस पहली सफल समाजवादी क्रान्ति ने आंतरिक संकटों और विदेशी घेराबंदी को झेलते हुए दुनिया के सभी गुलाम राष्ट्रों की आजादी की लड़ाई को हर प्रकार की मदद पहुंचाई। इस क्रान्ति का अमिट प्रभाव हमारे देश के क्रान्तिकारी आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन पर पड़ा। उन्होने कहा कि शहीदेआज़म भगतसिंह और अन्य कई क्रान्तिकारी समूहों पर रूसी क्रान्ति और उसके नेता लेनिन का गहरा प्रभाव पड़ा था। शहीद भगतसिंह विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि सोवियत समाजवाद के प्रयोगों ने लगभग 40 सालों में ही रूस को मध्ययुगीन पिछड़ेपन, बर्बरता और गरीबी से उसे दुनिया की सबसे तेज बढ़ती और दूसरी सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति में तब्दील कर दिया। रूस ने यह मुकाम मात्र 40 सालों में सन 1956 में ही हासिल कर लिया था जिसे हासिल करने में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी को डेढ़ सौ साल लग गए थे। रूस ने इन सालों में ही बेरोजगारी, गरीबी व भुखमरी को पूरी तरह से खत्म कर दिया था। सोवियत संघ ने स्त्रियों को चूल्हे-चौखट से मुक्त कर सार्वजनिक जीवन का भागीदार बनाया, वेश्यावृति का खात्मा किया और महिलाओं को मताधिकार देने वाला दुनिया का दूसरा देश बना था। अखिल भारतीय किसान सभा के कामरेड अमर चंद वर्मा ने कहा कि किसी देश में समाजवाद आ जाने के बाद भी कई तरह की असमानताएं मौजूद रहती हैं। जिनमें शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम, कारखाने और खेती के काम और गांव व शहर की महान असमानताएं शामिल हैं। इन असमानताओं के कारण समाजवादी समाज के भीतर भी नए किस्म के पूंजीवादी तत्व मजबूत होते रहते हैं और समय रहते इन खरपतवारों को नष्ट करके जमीन की अच्छी तरह निराई-गुडाई और कीटनाशक का छिडकाव न किया जाए तो यह समाजवाद की पूरी फसल तबाह कर डालते हैं। भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी के जिला संगठन सचिव ललित ठाकुर ने कहा कि पूंजीवादी भोंपू लगातार चिल्ला रहे हैं कि समाजवाद फेल हो गया है। उन्होने कहा कि इतिहास बोध हमें बताता है कि अतीत में भी क्रान्तियों के शुरूआती संस्करण असफल होते रहे हैं। दास विद्रोहों को 7-8 सौ सालों तक कुचलने के बाद सामंतवाद आया था और सामंतवाद से संघर्ष में निर्णायक विजय हासिल करने में पूंजीपति वर्ग को करीब चार सौ साल लगे थे। जबकि मार्क्सवाद के सिद्धांत को जन्में तो अभी मात्र 150 साल हुए हैं और यह विश्व के लिए सबसे नवीनतम वैज्ञानिक व मानवतावादी सामाजिक व्यवस्था है। शहीद भगतसिंह विचार मंच के कार्यकारिणी सदस्य सुशील चौहान ने कहा कि आज पूंजीवाद पूरी दुनिया को युद्ध, गरीबी, बर्बरता, भुखमरी, बेरोजगारी और पर्यावरणीय विनाश के अलावा कुछ नहीं दे सकता है। यदि हम इसका विकल्प नहीं तलाशते हैं तो हमारी आने वाली पीढिय़ां और इतिहास हमें कठघरे में खड़ा करेगा।
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Wednesday, 20 September 2017

जमीन पोते के नाम करवा वापस वृद्धाश्रम भेजी मां





मंडी। दिव्यांग महिला की जमीन हस्तांतरित करके उसे भूमिहीन बनाने का मामला प्रकाश में आया है। महिला ने इस बारे में उपायुक्त मंडी संदीप कदम को शिकायत देकर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करके हस्तांतरण को खारिज करने की मांग की है। बल्ह क्षेत्र के खांदला (कुममी) गांव निवासी रत्नी विधवा दीना नाथ ने अधिवक्ता गीतांजलि शर्मा के माध्यम से उपायुक्त मंडी को बुधवार को शिकायत देकर कहा है कि वह अपने लडके व उसकी पत्नी के प्रताडनापुर्ण व्यवहार के कारण इन दिनों भंगरोटु स्थित वृद्ध आश्रम में रह रही हैं। करीब 69 वर्षीय रत्नी के अनुसार विगत 12 सितंबर को वह वृद्ध आश्रम में मौजूद थी। इसी दौरान उसका लडक़ा और बहु उसे वृद्ध आश्रम से जबरन घर ले गए। जहां पर रत्नी की इच्छा के बगैर उसकी सारी जमीन पोते के नाम पर हस्तांतरित करवाने का दबाव बनाया गया। जिसके चलते विगत 13 व 14 सितंबर को उसकी सारी जमीन बल्ह तहसील में हस्तांतरित अपने नाम करवा कर रत्नी देवी को भूमिहीन बना दिया गया। इतना ही नहीं जमीन के हस्तांतरण के बाद रत्नी देवी को घर से फिर से निकाल दिया गया। ऐसे में अब रत्नी देवी को वापिस वृद्ध आश्रम की शरण लेने को विवश होना पड रहा है। अधिवक्ता गीतांजलि शर्मा के अनुसार रत्नी देवी लगभग 40 प्रतिशत दिव्यांग महिला है और विधवा और बेसहारा है। अपने लडके की प्रताडना के कारण ही वह वृद्ध आश्रम में रह रही है। लेकिन स्थानीय प्रभावशाली लोगों व निचले राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत से दिव्यांग महिला को भूमिहीन बना दिया गया है। रत्नी देवी ने उपायुक्त मंडी से शिकायत करते हुए इस मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने और दबाव में बना दिये गए हस्तांतरण दस्तावेजों को खारिज करने के आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
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Sunday, 17 September 2017

गौरी लंकेश की नृशंस हत्या के विरोध में शोकसभा का आयोजन






मंडी। मंडी शहर के विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को निर्भीक पत्रकार गौरी लंकेश की नृशंस हत्या के विरोध में शोक सभा का आयोजन किया। यहां के होटल आर्यन बैंगलो में आयोजित इस शोकसभा में दो मिनट का मौन रख कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर वक्ताओं ने इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए उनके हत्यारों की धरपकड़ शीघ्र सुनिश्चित करके उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की गई। वक्ताओं का कहना था कि निर्भीक पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या बेहद निंदनीय है और यह दिखाता है कि इस देश में सत्ता पक्ष के खि़लाफ़ लिखने वाली कलम और आलोचना करने वाली आवाज़ को बंद करने वाले सडक़ पर खुले घूम रहे हैं। जिस तरीक़े से हत्या हुई है, यह इशारा है कि किसी भी व्यक्ति को एक ख़ास विचारधारा के खि़लाफ़ अपनी राय रखने की अनुमति नहीं है। दाभोलकर, कालबुर्गी, पनसारे और अब गौरी लंकेश की हत्या लोकतंत्र में जनता को हासिल अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या है। उन्होने कहा कि हर बार हर उस आवाज़ को बंद किया गया है जो निर्भीकता के साथ ग़लत को ग़लत और सही को सही कहती थी। एक ख़ास विचारधारा के ये लोग भारत देश की सांझी संस्कृति की विरासत को नष्ट करना चाहते हैं और उनके द्वारा एक डर और भय का माहौल तैयार किया जा रहा है जिसमें कभी भी किसी का भी नंबर आ सकता है। ये वो लोग हैं जो अपनी विचारधारा और अपने आकाओं की आलोचना सहन नहीं सकते और आलोचना करने वाले की जान भी ले सकते हैं। पत्रकार गौरी लंकेश की पूरी घटना को पत्रकारिता पर हथौड़ा मारने और ख़ामोश करने की साजि़श की तरह देखा जाना चाहिए। शोकसभा को प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष दीनू कश्यप, डा. जयइन्द्र पाल सिंह, प्रकाश पंत, देशराज, रूप उपाध्याय, वीना वैद्य, रूपेश्वरी शर्मा, डा. गंगा राम राजी, कामरेड परस राम, रविकांत ठाकुर और लवण ठाकुर ने संबोधित किया। इसके बाद शहर के हृदय स्थल गांधी चौक तक एक मौन जुलुस भी निकाला गया। जहां पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने मोमबतियां जला कर गौरी लंकेश को श्रद्धांजलि दी गई। इस शोकसभा में प्रोफेसर रवि रमेश, डा. कमल प्यासा, हरिप्रिया शर्मा, कृष्णा ठाकुर, प्रशांत मोहन, अजय वैद्य, ललित ठाकुर, भूपेन्द्र सिंह, जयकुमार, जगदीप सहित इप्टा, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी महिला संघ, स्वयं सहायता समूह, ज्ञान विज्ञान संिमति व विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं से जुडे लोगों ने भाग लिया।
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Wednesday, 6 September 2017

गौरी लंकेश की हत्या की सीपीआई ने की कड़ी निंदा



मंडी। धार्मिक कट्टरपन के खिलाफ लडने वाली योद्धा और निर्भीक पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की भारतीय कमयुनिस्ट पार्टी ने कड़ी निंदा की है। भाकपा (सीपीआई) ने पत्रकार लंकेश के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा देने के मांग की है। भाकपा के राज्य सचिव मंडल के सदस्य देशराज शर्मा, सीपीआई नेता केशव शर्मा, हरदेव सिंह ठाकुर, अमर चंद वर्मा, प्रशांत मोहन, ललित ठाकुर, प्रकाश पंत, संत राम, श्याम सिंह चौहान, राज सिंह मंडयाल, नवीन शर्मा, ललित शर्मा, समीर कश्यप ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में पत्रकार गौरी लंकेश की बंगलुरू के राजराजेश्वरी नगर स्थित उनके घर पर फासीवादी हत्यारों द्वारा हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होने कहा कि यह नीचतापुर्ण हत्या अंधविश्वास, कट्टरता के खिलाफ संघर्षरत कलबुर्गी, पानसारे और नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या की ही अगली कड़ी है। हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक राजनीति की कट्टर विरोधी गौरी लंकेश कर्नाटक से निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका गौरी लंकेश पत्रिके की संपादक थी और वह लगातार हिंदुत्ववादी गिरोहों के निशाने पर थी। उन्होने कहा कि यह गिरोह तर्कणा और शास्त्रार्थ की सुदीर्घ परंपरा का पुर्णतया परित्याग करके हिटलर के गुंडा गिरोहों की तरह ही काम कर रहे हैं। कहीं भीड़ बनाकर, भीड़ में शामिल होकर या भीड़ को उकसा कर हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा है, तो कहीं गुप्त दस्ते बनाकर धर्मनिरपेक्ष, जनवादी और प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। सरकारों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले लोगों की बोलने की आजादी को भय और आतंक का वातावरण बनाकर हिंसा के बल पर छिना जा रहा है। सीपीआई ने मांग की है कि इन फासीवादी गिरोहों पर कडी लगाम लगाई जाए और गौरी लंकेश सहित सभी बुद्जिीवियों के हत्यारों को गिरफतार करके उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। इधर, हिमाचल प्रदेश मेडिकल रिप्रेसेंटेटिव एसोसिएशन के प्रदेश सचिव जगदीश ठाकुर ने भी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की कडी निंदा करते हुए आरोपियों के खिलाफ सखत कार्यवाही की मांग की है।
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Friday, 1 September 2017

पंकज ठाकुर ने संभाली जिला बार एसोसिएशन की कमान



मंडी। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद की कमान अधिवक्ता पंकज ठाकुर ने संभाल ली है। पंकज ठाकुर शुक्रवार को पुर्व अध्यक्ष संजय मंडयाल से कार्यभार ले कर इस पद पर आसीन हुए हैं। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जिला बार एसोसिएशन के चुनावों में अध्यक्ष पद के लिए संजय मंडयाल और पंकज ठाकुर को बराबर मत मिलने के कारण टाई हो गया था। जिसके चलते दोनों विजयी अध्यक्षों को आधे-2 कार्यकाल तक अध्यक्ष बनाए जाने की सहमती बनी थी। कार्यकाल के पहले छह महीनों के लिए संजय मंडयाल ने अध्यक्ष पद संभाला था। उनके कार्यकाल का समय पूरा हो जाने पर उन्होने अपना कार्यभार छोड दिया है। जबकि अब अगले छह माह के बचे हुए कार्यकाल के लिए पंकज ठाकुर अध्यक्ष पद पर आसीन हुए हैं। उन्होने बार एसोसिएशन के सभी सदस्यों का अपने निर्वाचन के लिए आभार प्रकट किया है। उन्होने कहा कि वह अधिवक्ताओं की समस्याओं को निपटाने में अपनी ओर से पूरी कोशीशें करेंगे।
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बॉलीवुड फिल्म शुभमंगल सावधान में मंडी के नीरज सूद की दमदार भूमिका





मंडी। बॉलीवुड में शुक्रवार को रिलीज हो रही कॉमेडी ड्रामा फिल्म शुभ मंगल सावधान में मंडी के नीरज सूद ने दमदार भूमिका निभायी है। निर्माता आनंद एल राय और क्रिशिका लुल्ला की इस फिल्म का निर्देशन आर. एस प्रसन्ना ने किया है। फिल्म में अभिनेता आयुष्मान खुर्राना और अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने मुखय भूमिका निभाई है तो मंडी से संबंध रखने वाले अभिनेता नीरज सूद भी प्रभावशाली भूमिका में हैं। वैसे तो नीरज सूद का परिवार मूल रूप से जिला कांगड़ा के भवारना से संबंध रखता है लेकिन उनका जन्म और पढाई मंडी में ही हुई है। यहां के वल्लभ महाविद्यालय में प्रोफेसर कृपाल सिंह और रवि शर्मा के निर्देशन में नीरज ने अपनी प्रतिभा को अभिव्यक्ति देते हुए थियेटर करना शुरू किया। बेहतरीन अभिनय के कारण उन्हे अंतरमहाविद्यालय यूथ फेस्टीवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में भी नवाज़ा गया था। मंडी कालेज में ग्रेज्युएशन के बाद वर्ष 1996 में उनका चयन दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (एनएसडी) के लिए हुआ। एनएसडी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से पढ़ाई करने के बाद नीरज ने वर्ष 1999 में माया नगरी मुंबई का रुख किया। नीरज ने बड़े और छोटे पर्दे पर कई दमदार रोल निभा कर अपनी पहचान बनाई है। शुक्रवार को रिलीज हो रही बॉलीवुड हिंदी फीचर फिल्म शुभ मंगल सावधान को नीरज अपने कैरियर का टर्निंग पॉइंट मान रहे हैं। मुम्बई में फिल्म के रिलीज होने से पूर्व दूरभाष पर नीरज के साथ फिल्म से सिलसिले में विस्तृत बातचीत हुई। जिसमें नीरज ने फिल्म निर्माण के कुछ यादगारी पलों के बारे में बताते हुए कहा कि इस पूरी फिल्म के दौरान कमाल का आनंद आया है क्योंकि फिल्म की स्क्रिप्ट अपने आप में बहुत शानदार थी और इंडिविजुअल वर्क के लिए कोई जगह न होने के कारण यह पूरी तरह से टीम वर्क पर निर्भर थी। फिल्म से जुड़े एक रोचक प्रसंग का जिक्र करते हुए उन्होने बताया कि फिल्म में जहां पर आयुष्मान खुराना मेरे बड़े भाई बृजेंद्र काला की पप्पी ले रहे हैं। इस सीन में जिस तरह से भाई साहब हम को देखते हैं तो मेरा और सीमा जी का हंस हंस के बुरा हाल हो गया था। जिसके कारण वह टेक नहीं हो पा रहा था लेकिन बाद में डायरेक्टर साहब के सख्ती करने पर बड़ी मुश्किल से हम लोगों ने सीन किया। इस सीन में आप देखेंगे कि हम विजेंद्र भाई की तरफ नहीं देख रहे हैं क्योंकि उस शॉर्ट में उनका चेहरा इतना फनी था कि हम उसको देखे नहीं पाए तो वह एक ऐसा मोमेंट है जो मुझे अभी तक याद है। हिंदी फि़ल्म उद्योग में करीब दो दशक के अपने संघर्ष और अनुभव से उन्होने यह सीखा है कि हर स्क्रिप्ट की और हर कहानी की कुछ डिमांड होती हैं वह आपको नए सिरे से काम करने के लिए मजबूर करती हैं। फिल्म में अपने करेक्टर को लेकर अपनी सोच को बताते हुए नीरज का कहना है कि मेरा मानना है कि कैरेक्टर स्टैंड आउट होना एक अच्छी बात नहीं है क्योंकि वह स्क्रिप्ट से अलग चला जाता है और बतौर अभिनेता वह कभी नहीं चाहते कि कैरेक्टर स्क्रिप्ट से अलग हो जाए। उनके अनुसार अगर कहानी से अलग चला गया तो कहानी का कोई महत्व नहीं रहेगा। इसलिए वह कहानी में रहकर ही अपने करैक्टर को विकसित करते हैं। हिंदी फिल्म उद्योग के बारे में अपने अनुभव बांटते हुए उन्होने कहा कि कभी-कभी ऐसी सोच आती है कि साल 1999 से इस लाइन में काम कर रहा हूं और काफी कुछ अनुभव भी हुआ है पर साथ ही ऐसा भी लगता है कि हर चीज का एक समय होता है और शायद वह समय मेरे लिए अभी आया है। इसके अलावा मैं अपने काम में विश्वास रखता हूं और जो भी काम मैंने आज तक किया है उसके लिए मुझे हमेशा सराहना ही मिली है। मुझे यह लगता है कि इस लाइन में हम लोगों को अपने आप को पॉजिटिव बनाकर रखना होता है क्योंकि नेगेटिविटी अच्छी चीज नहीं है और इससे आदमी की अपनी ग्रोथ रुक जाती है। इसलिए आज जहां मैं हूं वहां बहुत अच्छा हुं क्योंकि मैं अपने मनमुताबिक काम कर पाता हुं। नीरज का कहना है कि ऐसा नहीं है कि करेक्टर एक्टर के पास हर फिल्म में एक जैसा काम होता है या फिर उनके पास कुछ नया करने की संभावना नहीं रहती। जहां तक कैरेक्टर्स की बात है अभी तक आपने देखा होगा जितना भी काम मैंने किया है शायद वह एक दूसरे से मेल नहीं खाता, क्योंकि मेरी कोशिश यही रहती है कि जो मैंने किया है उसको मैं रिपीट ना करूं वह मेरे लिए भी अच्छा रहता है और जिसके लिए मैं काम कर रहा हूं उसके लिए भी अच्छा रहता है। इससे नई-नई चीजें ईजाद होती हैं और काम करने का मजा आता है। नीरज का कहना है कि जब वह फिल्म में काम नहीं कर रहे होते हैं तो वह अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने का शौक पूरा करते हैं या फिर अच्छी-अच्छी फिल्में देखते हैं। अपने भविष्य के प्रोजेक्ट्स के बारे में उन्होने बताया कि उनकी आने वाली फिल्मों में दिल फिरे, यहां सभी ज्ञानी हैं, फुलेना नाइट्स और डीएनए में गांधी जी आदि शामिल हैं। इसके अलावा अभी दो अन्य प्रोजेक्ट ऑन फ्लोर हैं। शुभ मंगल सावधान के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि इस फिल्म का उन्हें बड़ी बेसब्री से इंतजार है। इसलिए नहीं कि इसमें मेरा कैरेक्टर बहुत बढिय़ा है बल्कि इसलिए कि फिल्म की कहानी व स्क्रिप्ट बहुत अच्छी है और सबसे बड़ी बात कि सब लोगों ने बहुत मेहनत की है।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

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