मंडी। जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से सोमवार को जिला न्यायलय में विश्व बाल श्रमिक दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन अशोक कुमार ने की। इस अवसर पर उन्होने कहा कि बाल श्रमिक दिवस का आयोजन बाल श्रम उन्मूलन के लिए किया जाता है। इस दिन का हमारे लिए ज्यादा महत्व इसलिए है कि भारत में दुनिया के सबसे अधिक बाल श्रमिक हैं। अनुमान के अनुसार दुनिया के बाल श्रमिकों का एक तिहाई हिस्सा भारत में है। उन्होने बताया कि सरकारी अनुमान के अनुसार भारत में 1 करोड़ 70 लाख बाल श्रमिक हैं। जबकि स्वतंत्र आंकडे बताते हैं कि यह संखया 4 करोड़ है और अगर स्कूल के बाहर के सभी बच्चों को बाल श्रमिक मानें तो यह संखया करीब 10 करोड़ है। उन्होने कहा कि देश के करीब 50 फीसदी बच्चे बाल श्रमिक होने के कारण अपने बचपन के अधिकार से तथा अनपढ कामगार होने के कारण अपनी सच्ची क्षमताएं हासिल करने से वंचित हैं। उन्होने बताया कि इन तथ्यों के मद्देनजर भारतीय संविधान में कहा गया है कि 14 साल से कम उम्र का बच्चा किसी फैक्टरी, खदान या खतरनाक कार्यों में काम पर नहीं रखा जाएगा। इसके अलावा राज्यों को दायित्व सौंपा गया है कि बच्चों का कम उम्र में शोषण न हो और वह अपनी आयु के अनुसार ही आर्थिक कार्यों में लगाए जाएं। उन्होने कहा कि बच्चों को स्वस्थ तरीके से सममानजनक स्थिति के विकास के अवसर और सुविधाएं दी जानी चाहिए जिससे वह भविष्य के सशक्त नागरिक बन कर देश की बागडोर संभाल सकें। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 14 साल तक बच्चों को मुफत और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संजय मंडयाल एडवोकेट ने बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986 और राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के बारे में प्रकाश डाला। जबकि अधिवक्ता समीर कश्यप ने बाल श्रमिकों के हालातों पर चर्चा करते हुए उनके आपराधिक परिणामों को रोकने के लिए उन्हें अनिवार्य और व्यवसायिक शिक्षा की ओर अग्रसर करने का आहवान किया। इस मौके पर बाल विकास परियोजना विभाग के प्रतिनिधी ने भी विभाग की ओर से चलायी जा रही चाइल्ड हैल्प लाइन सहित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। इस शिविर में अधिवक्ता, पैरा लीगल वालंटियर तथा अदालत में उपस्थित लोगों ने भाग लिया।
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