मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता के वाहन की 2,74,500 रूपये की मुआवजा राशि 30 दिनों के भीतर अदा करने के आदेश दिये। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने सुंदरनगर तहसील के डडोह (बहली) निवासी देवेन्द्र कुमार पुत्र मुन्नी लाल की शिकायत को उचित मानते हुए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त राशि का चैक उपभोक्ता के पक्ष में 30 दिनों के भीतर जारी करने के आदेश दिये। अधिवक्ता आर के ठाकुर के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने अपने वाहन को कंपनी के पास बीमाकृत करवाया था। बीमा अवधि के दौरान ही वाहन सडक दुर्घटना में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। उपभोक्ता ने अपने वाहन के दस्तावेज कंपनी को मुहैया करवाकर मुआवजे की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने मुआवजा अदा करने में देरी की। इस बीच उपभोक्ता ने वाहन खरीदने के लिए लिया ऋण भी वापिस कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी बीमा कंपनी ने मुआवजे की राशि उपभोक्ता को अदा करने के बजाय इसे टाटा मोटरस फाईनैंस को जारी कर दिया और इसे उपभोक्ता को देने से इंकार कर दिया। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि टाटा मोटरस की ओर से 20 अप्रैल 2012 को जारी पत्र से जाहिर हुआ है कि उपभोक्ता ने उन्हे ऋण राशि लौटा दी है। इसके अलावा ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया है कि ऋण राशि चुका देने के बारे में कंपनी को सूचना दी गई थी। ऐसे में वितिय कंपनी के नाम पर बीमा कंपनी के चैक जारी करने पर गल्त नहीं ठहराया जा सकता। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि चुंकि उपभोक्ता ने टाटा मोटरस की सारी देनदारी दे दी है इसलिये उपभोक्ता इस राशि को प्राप्त करने में सक्षम है। जिसके चलते फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि की अदायगी करने के आदेश दिये। Friday, 22 February 2013
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 2,74,500 रूपये अदा करने के आदेश
मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता के वाहन की 2,74,500 रूपये की मुआवजा राशि 30 दिनों के भीतर अदा करने के आदेश दिये। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने सुंदरनगर तहसील के डडोह (बहली) निवासी देवेन्द्र कुमार पुत्र मुन्नी लाल की शिकायत को उचित मानते हुए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को उक्त राशि का चैक उपभोक्ता के पक्ष में 30 दिनों के भीतर जारी करने के आदेश दिये। अधिवक्ता आर के ठाकुर के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने अपने वाहन को कंपनी के पास बीमाकृत करवाया था। बीमा अवधि के दौरान ही वाहन सडक दुर्घटना में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। उपभोक्ता ने अपने वाहन के दस्तावेज कंपनी को मुहैया करवाकर मुआवजे की मांग की थी। लेकिन कंपनी ने मुआवजा अदा करने में देरी की। इस बीच उपभोक्ता ने वाहन खरीदने के लिए लिया ऋण भी वापिस कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी बीमा कंपनी ने मुआवजे की राशि उपभोक्ता को अदा करने के बजाय इसे टाटा मोटरस फाईनैंस को जारी कर दिया और इसे उपभोक्ता को देने से इंकार कर दिया। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि टाटा मोटरस की ओर से 20 अप्रैल 2012 को जारी पत्र से जाहिर हुआ है कि उपभोक्ता ने उन्हे ऋण राशि लौटा दी है। इसके अलावा ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया है कि ऋण राशि चुका देने के बारे में कंपनी को सूचना दी गई थी। ऐसे में वितिय कंपनी के नाम पर बीमा कंपनी के चैक जारी करने पर गल्त नहीं ठहराया जा सकता। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि चुंकि उपभोक्ता ने टाटा मोटरस की सारी देनदारी दे दी है इसलिये उपभोक्ता इस राशि को प्राप्त करने में सक्षम है। जिसके चलते फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि की अदायगी करने के आदेश दिये।
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