मंडी। पधर तहसील के कुन्नू (द्रंग) में तैनात आंगनवाडी कार्यकर्ता की नियुक्ति को अनुचित ठहराते हुए अदालत ने उनके स्थान पर याचिकाकर्ता की तैनाती करने के आदेश दिये हैं। अदालत ने तैनात की गई कार्यकर्ता की आमदनी सीमा से अधिक होने के कारण उनकी तैनाती को निरस्त कर दिया। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी पंकज राय के न्यायलय ने पधर तहसील के बल्ह गांव निवासी बिमला देवी पत्नी चंदन लाल की याचिका को स्वीकारते हुए उक्त फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता बिमला देवी आंगनवाडी कार्यकर्ता के पद के लिए योगयता रखती है जिसके कारण उन्हे इस पद के लिए चयनित किया जाना चाहिए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता के दस्तावेजों की पडताल के बाद उन्हे इस पद पर नियुक्त किया जाए। अदालत ने सीडीपीओ द्रंग को आदेश की प्रति प्रेषित करके इस नियुक्ति के बारे में आवश्यक कार्यवाही करने के आदेश दिये हैं। अधिवक्ता आर के चावला के माध्यम से अदालत में दायर अपील में इस पद 8 अक्तूबर 2010 को नियुक्त की गई आंगनवाडी कार्यकर्ता के चयन को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस अपील के माध्यम से नियुक्ति के लिए निर्धारित आमदनी और फीडर एरिया के आधार पर चुनौती दी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चयन कमेटी ने इस मामले में गल्त चयन किया है। यह नियुक्ति फीडर एरिया के बाहर के प्रत्याशी को दी गई जबकि फीडर एरिया में योगय प्रत्याशी मौजूद था। यही नहीं मेरिट सूचि में दूसरे स्थान पर रही प्रत्याशी भी फीडर एरिया से संबंध नहीं रखती। ऐसे में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चयनित प्रत्याशी की आमदनी वांछित सीमा से अधिक साबित हुई है और इसके अलावा वह फीडर एरिया के बाहर की रहनी वाली है। जिसके चलते अदालत ने नियुक्ति को निरस्त करने के आदेश सहित याचिकाकर्ता को आंगनवाडी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्त करने का फैसला सुनाया। Saturday, 16 February 2013
आंगनवाडी कार्यकर्ता की नियुक्ती को अनुचित ठहराया
मंडी। पधर तहसील के कुन्नू (द्रंग) में तैनात आंगनवाडी कार्यकर्ता की नियुक्ति को अनुचित ठहराते हुए अदालत ने उनके स्थान पर याचिकाकर्ता की तैनाती करने के आदेश दिये हैं। अदालत ने तैनात की गई कार्यकर्ता की आमदनी सीमा से अधिक होने के कारण उनकी तैनाती को निरस्त कर दिया। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी पंकज राय के न्यायलय ने पधर तहसील के बल्ह गांव निवासी बिमला देवी पत्नी चंदन लाल की याचिका को स्वीकारते हुए उक्त फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता बिमला देवी आंगनवाडी कार्यकर्ता के पद के लिए योगयता रखती है जिसके कारण उन्हे इस पद के लिए चयनित किया जाना चाहिए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता के दस्तावेजों की पडताल के बाद उन्हे इस पद पर नियुक्त किया जाए। अदालत ने सीडीपीओ द्रंग को आदेश की प्रति प्रेषित करके इस नियुक्ति के बारे में आवश्यक कार्यवाही करने के आदेश दिये हैं। अधिवक्ता आर के चावला के माध्यम से अदालत में दायर अपील में इस पद 8 अक्तूबर 2010 को नियुक्त की गई आंगनवाडी कार्यकर्ता के चयन को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस अपील के माध्यम से नियुक्ति के लिए निर्धारित आमदनी और फीडर एरिया के आधार पर चुनौती दी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चयन कमेटी ने इस मामले में गल्त चयन किया है। यह नियुक्ति फीडर एरिया के बाहर के प्रत्याशी को दी गई जबकि फीडर एरिया में योगय प्रत्याशी मौजूद था। यही नहीं मेरिट सूचि में दूसरे स्थान पर रही प्रत्याशी भी फीडर एरिया से संबंध नहीं रखती। ऐसे में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चयनित प्रत्याशी की आमदनी वांछित सीमा से अधिक साबित हुई है और इसके अलावा वह फीडर एरिया के बाहर की रहनी वाली है। जिसके चलते अदालत ने नियुक्ति को निरस्त करने के आदेश सहित याचिकाकर्ता को आंगनवाडी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्त करने का फैसला सुनाया।
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