मंडी। तीन ग्राम स्मैक बरामद होने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक रमणीक शर्मा के न्यायलय ने सरकाघाट उपमंडल की उप तहसील धर्मपुर के सिहन (हियुन पैहड) गांव निवासी भूप सिंह पुत्र सूरज सिंह के खिलाफ मादक एवं नशीला पदार्थ अधिनियम की धारा 21 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 22 सितंबर 2008 को सदर थाना के पुलिस कर्मी आरोपी को चोरी के एक मामले में पुछताछ के लिए थाना लाए थे। पुलिस ने जब आरोपी की गिरफतारी के समय उसकी तलाशी ली तो उसकी पेंट की जेब में रखे पर्स में से तीन ग्राम स्मैक बरामद हुई थी। पुलिस ने स्मैक बरामद होने का मामला भी दर्ज करके आरोपी को हिरासत में लेने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 7 गवाहों के बयान कलमबंद किये गये। जबकि इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता समीर कश्यप का कहना था कि अभियोजन के गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिये हैं। इसके अलावा पुलिस ने तहकीकात के दौरान अधिनियम की धारा 50 के आवश्यक प्रावधानों की अनुपालना भी नहीं की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया। Sunday, 23 June 2013
स्मैक बरामद होने का अभियोग साबित न होने पर आरोपी बरी
मंडी। तीन ग्राम स्मैक बरामद होने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक रमणीक शर्मा के न्यायलय ने सरकाघाट उपमंडल की उप तहसील धर्मपुर के सिहन (हियुन पैहड) गांव निवासी भूप सिंह पुत्र सूरज सिंह के खिलाफ मादक एवं नशीला पदार्थ अधिनियम की धारा 21 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 22 सितंबर 2008 को सदर थाना के पुलिस कर्मी आरोपी को चोरी के एक मामले में पुछताछ के लिए थाना लाए थे। पुलिस ने जब आरोपी की गिरफतारी के समय उसकी तलाशी ली तो उसकी पेंट की जेब में रखे पर्स में से तीन ग्राम स्मैक बरामद हुई थी। पुलिस ने स्मैक बरामद होने का मामला भी दर्ज करके आरोपी को हिरासत में लेने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 7 गवाहों के बयान कलमबंद किये गये। जबकि इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता समीर कश्यप का कहना था कि अभियोजन के गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिये हैं। इसके अलावा पुलिस ने तहकीकात के दौरान अधिनियम की धारा 50 के आवश्यक प्रावधानों की अनुपालना भी नहीं की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया।
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