मंडी। चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी कर दिया। आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित न होने के कारण उसे बरी करने का फैसला सुनाया गया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (2) पी पी रांटा की विशेष अदालत ने सदर तहसील के सोलंग (शेगली) निवासी राम सिंह उर्फ दया राम पुत्र राधु राम के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार विजिलेंस एवं एंटी करप्शन ब्युरो की टीम 9 दिसंबर 2009 को रागस नाला के पास गश्त पर तैनात थी। इसी दौरान कटौला की ओर जा रहे एक व्यक्ति ने पुलिस दल को देखकर भागने की कोशीश की। जिस पर पुलिस ने आरोपी को शक के आधार पर काबू करके उसकी तलाशी ली। आरोपी के बैग की तलाशी लेने पर इसमें से 500 ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोग के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 9 गवाहों के बयान कलमबध करवाए गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता समीर कश्यप का कहना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किये गए गवाहों ने आपस में विरोधाभासी ब्यान दिये हैं। इसके अलावा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित नहीं होता। अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को स्वीकारते हुए अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अभियोग को संदेह की छाया से दूर साबित नहीं कर सका। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया। Wednesday, 5 June 2013
साक्ष्यों के अभाव में चरस रखने का आरोपी बरी
मंडी। चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी कर दिया। आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित न होने के कारण उसे बरी करने का फैसला सुनाया गया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (2) पी पी रांटा की विशेष अदालत ने सदर तहसील के सोलंग (शेगली) निवासी राम सिंह उर्फ दया राम पुत्र राधु राम के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार विजिलेंस एवं एंटी करप्शन ब्युरो की टीम 9 दिसंबर 2009 को रागस नाला के पास गश्त पर तैनात थी। इसी दौरान कटौला की ओर जा रहे एक व्यक्ति ने पुलिस दल को देखकर भागने की कोशीश की। जिस पर पुलिस ने आरोपी को शक के आधार पर काबू करके उसकी तलाशी ली। आरोपी के बैग की तलाशी लेने पर इसमें से 500 ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोग के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 9 गवाहों के बयान कलमबध करवाए गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता समीर कश्यप का कहना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किये गए गवाहों ने आपस में विरोधाभासी ब्यान दिये हैं। इसके अलावा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित नहीं होता। अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को स्वीकारते हुए अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अभियोग को संदेह की छाया से दूर साबित नहीं कर सका। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया।
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