मंडी। चैक बाउंस का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को एक साल के साधारण कारावास और 1,28,000 रूपये हर्जाने की सजा सुनाई है। यह हर्जाना राशि शिकायतकर्ता के पक्ष में अदा की जाएगी। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने सदर तहसील के चनाला (कमांद) गांव निवासी किरत राम पुत्र हुक्मे राम की शिकायत पर निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत चलाए गए अभियोग के साबित होने पर सरकाघाट तहसील के टिक्करी (भांबला) गांव निवासी हरी सिंह पुत्र सुंदर लाल के खिलाफ उक्त सजा का फैसला सुनाया। अधिवक्ता ललित ठाकुर के माध्यम से आरोपी हरी सिंह वर्ष 2007 में उपायुक्त कार्यालय मंडी में बतौर लिपिक तैनात था। आरोपी ने शिकायतकर्ता किरत राम से दोस्ती होने के कारण वितिय सहायता मांगी। जिसके चलते किरत राम ने उसे 1,28,000 रूपये की राशि दी थी। इस राशि का भुगतान करने के लिए आरोपी ने उन्हे एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब इस चैक को भुगतान के लिए लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को 15 दिनों का नोटिस जारी करके राशि की मांग की थी। लेकिन आरोपी ने न तो नोटिस का जवाब दिया और न ही राशि का भुगतान किया। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अदालत में शिकायत दायर की थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और हर्जाना राशि अदा करने का फैसला सुनाया है। Wednesday, 6 November 2013
चैक बाउंस के आरोपी को एक वर्ष की कैद और 1,28,000 रूपये हर्जाने की सजा
मंडी। चैक बाउंस का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को एक साल के साधारण कारावास और 1,28,000 रूपये हर्जाने की सजा सुनाई है। यह हर्जाना राशि शिकायतकर्ता के पक्ष में अदा की जाएगी। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने सदर तहसील के चनाला (कमांद) गांव निवासी किरत राम पुत्र हुक्मे राम की शिकायत पर निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत चलाए गए अभियोग के साबित होने पर सरकाघाट तहसील के टिक्करी (भांबला) गांव निवासी हरी सिंह पुत्र सुंदर लाल के खिलाफ उक्त सजा का फैसला सुनाया। अधिवक्ता ललित ठाकुर के माध्यम से आरोपी हरी सिंह वर्ष 2007 में उपायुक्त कार्यालय मंडी में बतौर लिपिक तैनात था। आरोपी ने शिकायतकर्ता किरत राम से दोस्ती होने के कारण वितिय सहायता मांगी। जिसके चलते किरत राम ने उसे 1,28,000 रूपये की राशि दी थी। इस राशि का भुगतान करने के लिए आरोपी ने उन्हे एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब इस चैक को भुगतान के लिए लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को 15 दिनों का नोटिस जारी करके राशि की मांग की थी। लेकिन आरोपी ने न तो नोटिस का जवाब दिया और न ही राशि का भुगतान किया। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अदालत में शिकायत दायर की थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और हर्जाना राशि अदा करने का फैसला सुनाया है।
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