मंडी। उदघोषित अपराधी के खिलाफ अभियोग साबित होने पर अदालत ने उसे एक वर्ष के कारावास की सजा का फैसला सुनाया है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक रमणीक शर्मा के न्यायलय ने जिला कुल्लू के डोभी गांव निवासी चंदरू राम पुत्र जोग राज के खिलाफ भादंस की धारा 174-ए के तहत अभियोग साबित होने पर उसे उक्त सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी के खिलाफ 18 जून 2002 को भादंस की धारा 279, 337 के तहत मामला दर्ज हुआ था। यह मामला न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन के न्यायलय में लंबित था। लेकिन आरोपी के अदालत के समक्ष उपस्थित न होने के कारण उसे 19 जुलाई 2010 को उदघोषित अपराधी घोषित कर दिया गया था। आरोपी की तलाश में मुखय आरक्षी अशोक कुमार को जिला कुल्लू के लिए रवाना किया गया था। इसी दौरान 21 अप्रैल 2013 को कुल्लू के शीशामाटी में आरोपी घूमता हुआ बरामद हुआ था। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर भादंस की धारा 174-ए के तहत मामला दर्ज करके अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक विवेक डोगरा ने 7 गवाहों के ब्यान कलमबंद करके आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास की सजा का फैसला सुनाया है। Friday, 29 November 2013
उदघोषित अपराधी को एक साल की सजा
मंडी। उदघोषित अपराधी के खिलाफ अभियोग साबित होने पर अदालत ने उसे एक वर्ष के कारावास की सजा का फैसला सुनाया है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक रमणीक शर्मा के न्यायलय ने जिला कुल्लू के डोभी गांव निवासी चंदरू राम पुत्र जोग राज के खिलाफ भादंस की धारा 174-ए के तहत अभियोग साबित होने पर उसे उक्त सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी के खिलाफ 18 जून 2002 को भादंस की धारा 279, 337 के तहत मामला दर्ज हुआ था। यह मामला न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन के न्यायलय में लंबित था। लेकिन आरोपी के अदालत के समक्ष उपस्थित न होने के कारण उसे 19 जुलाई 2010 को उदघोषित अपराधी घोषित कर दिया गया था। आरोपी की तलाश में मुखय आरक्षी अशोक कुमार को जिला कुल्लू के लिए रवाना किया गया था। इसी दौरान 21 अप्रैल 2013 को कुल्लू के शीशामाटी में आरोपी घूमता हुआ बरामद हुआ था। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर भादंस की धारा 174-ए के तहत मामला दर्ज करके अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक लोक अभियोजक विवेक डोगरा ने 7 गवाहों के ब्यान कलमबंद करके आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास की सजा का फैसला सुनाया है।
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