मंडी। चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण अदालत ने उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के आदेश दिये। जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला के न्यायलय ने धर्मपुर निवासी रंजीत सिंह पुत्र भागमल के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित ने होने पर उसे बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार जोगिन्द्रनगर थाना पुलिस का दल 2 दिसंबर 2009 को गलू के पास नाकाबंदी पर तैनात था। इसी दौरान मंडी से जोगिन्द्रनगर की ओर जाने वाली एक बस को तलाशी के लिए रोका गया। तलाशी के दौरान सीट नंबर 12 पर बैठे आरोपी के कब्जे से एक पालीथीन के लिफाफे में 400 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 8 गवाहों के बयान कलमबंद किये गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अजय ठाकुर का इस मामले में कहना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिये हैं। जिससे आरोपी से चरस की बरामदगी का तथ्य साबित नहीं होता। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं होता। ऐसे में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।
Tuesday, 19 November 2013
साक्ष्यों के अभाव में चरस रखने का आरोपी बरी
मंडी। चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने एक आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण अदालत ने उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के आदेश दिये। जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला के न्यायलय ने धर्मपुर निवासी रंजीत सिंह पुत्र भागमल के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित ने होने पर उसे बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार जोगिन्द्रनगर थाना पुलिस का दल 2 दिसंबर 2009 को गलू के पास नाकाबंदी पर तैनात था। इसी दौरान मंडी से जोगिन्द्रनगर की ओर जाने वाली एक बस को तलाशी के लिए रोका गया। तलाशी के दौरान सीट नंबर 12 पर बैठे आरोपी के कब्जे से एक पालीथीन के लिफाफे में 400 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 8 गवाहों के बयान कलमबंद किये गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अजय ठाकुर का इस मामले में कहना था कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिये हैं। जिससे आरोपी से चरस की बरामदगी का तथ्य साबित नहीं होता। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं होता। ऐसे में अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।
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