
आज ही के दिन सन 2004 में शिवरात्री के समापन पर सुबह जब देवता चौहट्टा जातर में शामिल होने के लिए के लिए कूच कर रहे थे। उसी समय भोले नाथ के इस गण की बारात का काफिला सुंदरनगर के शीतला मंदिर की ओर रवाना हो रहा था। शिवरात्री के प्रसाद के रूप में मुझे सोनाली कश्यप जैसा जीवनसाथी मिला। आज इस खुबसूरत संयोग का एक दशक पूरा हो चुका है। इस बीच चिन्मया और मितुल ने हमारे दांपत्य जीवन को खुशियां और गंभीरता प्रदान की है। सोनाली को यह श्रेय देना चाहता हुं कि उसने मुझे समझते हुए इस कठिन जीवनयात्रा को बेहद सुगम और सरल बना दिया है।
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