Thursday, 17 March 2016

गोविंद हत्याकांड के आरोपियों की उम्र कैद की सजा निरस्त



मंडी। प्रदेश उच्च न्यायलय ने मंडी के गोविंद हत्याकांड के आरोपियों की उम्र कैद की सजा को निरस्त करते हुए उन्हे बरी करने का फैसला सुनाया है। उच्च न्यायलय ने आरोपियों की अपील को स्वीकारते हुए उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण उन्हे संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के आदेश दिये हंै। इन आदेशों की अनुपालना करते हुए अब आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया है। प्रदेश उच्च न्यायलय के न्यायधीश राजीव शर्मा और सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने इस मामले के आरोपी रितेश हांडा निवासी पुरानी मंडी और दिवेश वैद्या उर्फ मुखिया निवासी दरमयाना मुहल्ला की अपीलों को स्वीकारते हुए उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया है। उच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष का केस पारिस्थितिक साक्ष्यों पर आधारित था। ऐसे मामलों में अपराध करने की मंशा की महत्वपुर्ण भूमिका होती है। मामले के तथ्यों के मुताबिक आरोपी और मृतक की कोई दुश्मनी नहीं थी। अभियोजन पक्ष के तथ्यों से यह भी जाहिर नहीं होता कि मौकास्थल पर कोई झगडा हुआ था। अगर कोई झगडा हुआ होता तो अवश्य ही आसपास के लोगों ने इसे देखा होता। गवाहों के बयानों के मुताबिक घटनास्थल घनी आबादी से घिरा हुआ क्षेत्र है। कर्मशाला में जहां मौकास्थल है वह मौके के गवाह के घर से दिखाई नहीं देती। ऐसे में गवाह केदारनाथ का यह कहना कि आरोपियों को सराय में घुसते हुए उन्होने अपने क्वाटर से देखा था को स्वीकारा नहीं जा सकता। अपराध में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी भी संदिगध है। गवाह के कवाटर से सराय न दिखाई पडने के कारण यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपियों को अंतिम बार सराय में देखा गया था। उच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में घटनाओं की कडियों को जोडने में असफल रहा है। पारिस्थितिक साक्ष्य बेहद कमजोर और संदेह से भरे हुए हैं और इनके आधार पर सजा की बुनियाद नहीं रखी जा सकती। अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं कर पाया है। जिसके चलते उच्च न्यायलय ने आरोपियों की अपीलों को स्वीकारते हुए उन्हे निचली अदालत में सुनाई गई उम्र कैद की सजा को निरस्त करने का फैसला सुनाया। अदालत ने दोनों आरोपियों को जेल से रिहा करने के आदेश दिये हैं। इन आदेशों के तहत दोनों आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि कचरा इकठा करने वाला गोविंद मंडी के हनुमान घाट सराय में रहता था। जिसकी 20 अप्रैल 2013 को हत्या हो गई थी। पुलिस ने आरोपियों को इस मामले में हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। निचली अदालत ने गत वर्ष जून माह में आरोपियों को गोविंद हत्याकांड का दोषी करार देते हुए उन्हे उम्र कैद की सजा सुनायी थी। इस फैसले को आरोपियों ने उच्च न्यायलय में अपील दायर करके चुनौती दी थी। अपीलों को स्वीकारते हुए उच्च न्यायलय ने उक्त सजा के फैसले को निरस्त करते हुए आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है।
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