Wednesday, 31 August 2016

चेक बाउंस मामले में दोषी को 6 महीने कैद



मंडी। चेक बाउंस का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को 6 माह के साधारण कारावास और 60 हजार रूपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है। आरोपी के समय पर हर्जाना अदा न करने पर उसे एक माह के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। अतिरिक्त मुखय न्यायिक दंडाधिकारी विवेक खनाल के न्यायलय ने उप तहसील औट के थांसी गांव निवासी माघेन्द्र शर्मा पुत्र जगदीश्वर दत्त की शिकायत पर चलाए गए अभियोग के साबित होने पर ईलाका ज्वालापुर के फलबेहड (कोटखमराधा) निवासी भूपिन्द्र कुमार पुत्र नरोतम राम को उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता ललित कपूर के माध्यम से निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत दायर शिकायत के मुताबिक शिकायतकर्ता माघेन्द्र शर्मा ने जुलाई 2007 में आरोपी भूपिन्द्र को अपने सेब के बगीचे की फसल 1,11,000 रूपये में बेची थी। आरोपी ने 40 हजार रूपये की राशी का नगद भुगतान कर दिया था जबकि 70 हजार रूपये का चेक शिकायतकर्ता को जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब इस चेक को भुगतान के लिए अपने बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया। जिस पर शिकायतकर्ता ने आरोपी को 15 दिनों का कानूनी नोटिस जारी करके राशि अदा करने को कहा था। लेकिन इसके बावजूद भी राशि अदा न करने व नोटिस का जवाब न देने के कारण शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ अदालत में अभियोग चलाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ चेक बाउंस का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है।
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चरस तस्करी के दोषी को 10 साल कारावास की सजा




मंडी। चरस तस्करी का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को 10 साल के कठोर कारावास और एक लाख रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपी के जुर्माना राशि को समय पर अदा न करने की सूरत में उसे दो साल के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश कृष्ण कुमार की विशेष अदालत (तीन) ने नेपाल के जिला जाजर के तोलखान (तिमसा) गांव निवासी नरेश बहादुर पुत्र मन बहादुर के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 8 फरवरी 2015 को बल्ह थाना पुलिस के प्रभारी चेत सिंह भंगालिया की अगुवाई में एक पुलिस दल नागचला के पास तैनात था। इसी दौरान बगला की ओर से पैदल आ रहे एक व्यक्ति ने पुलिस दल को देखकर भागने की कोशीश की। पुलिस दल ने संदेह होने पर आरोपी को काबू करके उसके बैग की तलाशी ली तो इसमें से एक किलो 600 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए गीतरंजन भारद्वाज ने 8 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपी पर अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ चरस तस्करी का अभियोग संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी से बरामदशुदा चरस की मात्रा व्यवसायिक होने के कारण उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।
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Tuesday, 30 August 2016

भगत सिंह के लेख ‘भगवान और धर्म’ की रोशनी में ‘प्रार्थनाएँ बंद करो’ का पाठ








भगत सिंह के लेख ‘भगवान और धर्म’ की रोशनी में ‘प्रार्थनाएँ बंद करो’ का पाठ

--समीर कश्यप

करीब तीन दशक पहले पढ़ी ज्ञानेन्द्रपति की कविता ‘प्रार्थनाएँ बंद करो’ को हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। कविता पर एक साथी का कमेंट था कि इन व्यक्त उद्गारों के पीछे छिपा दर्शन समझ से परे है और स्थापित मूल्यों के विरोध के अतिरिक्त और कुछ भी सिद्ध नहीं करता। यह केवल तोड़ने की पालिसी का द्योतक है सोच की स्वतंत्रता का परिचायक नहीं। क्योंकि यह कमेंट एक उच्च शिक्षित साथी का है इसलिए कविता के दर्शन को समझने और समझाने को अपना दायित्व मान कर कुछ लिखने की कोशीश में हुं। इन्हीं दिनों जब यह कविता पोस्ट की थी तो उसी दौरान भगत सिंह के ‘किरती’ में मई से अगस्त 1928 के दौरान लिखे ‘अराजकतावाद क्या है’ लेखमाला को पढ़ रहा था जो उसी दर्शन की बात कर रहा है जिसके बारे में कविता बात करती है। कविता के दर्शन से अनभिज्ञों को इसके कथ्य को समझने में यह लेख सहायक साबित हो सकता है। इसलिए इस लेखमाला के कुछ अंशों को यहां रखना आवश्यक समझ रहा हुं। ‘भगवान और धर्म’ लेख में भगत सिंह लिखते हैं कि हिन्दुस्तान में भी अब इन दोनों भूतों (भगवान और धर्म) के विरूद्ध आवाज़ उठ रही है, लेकिन यूरोप में तो पिछली सदी से ही इसके विरूद्ध विद्रोह उठ खड़ा हुआ था। पुराने युग में जनता का ज्ञान बहुत ही कम था। उस समय वह प्रत्येक चीज़ से, विशेषकर दैवी शक्तियों से डरते थे। उनमें आत्मविश्वास कतई न था। वे स्वयं को ‘खाक का पुतला’ कहते थे। जबकि धर्म और दैवी शक्तियां अज्ञानता का परिणाम हैं। इसलिए उनके अस्तित्व का भ्रम मिटा देना चाहिए। साथ ही यह भी कि हम छुटपन से बच्चों को यह बताना शुरू कर देते हैं कि सब कुछ भगवान है, मनुष्य तो कुछ भी नहीं। अर्थात मिट्टी का पुतला है। इस तरह के विचार मन में आने से मनुष्य में आत्मविश्वास की भावना मर जाती है। उसे मालूम होने लगता है कि वह बहुत निर्बल है। इस तरह वह भयभीत रहता है। जितने समय यह भय मौजूद रहेगा उतनी देर पूर्ण सुख और शान्ति नहीं हो सकती। भगत सिंह लिखते हैं कि हिन्दुस्तान में महात्मा बुद्ध ने पहले भगवान के अस्तित्व से इन्कार किया था। उनकी ईश्वर में आस्था नहीं थी। अब भी कुछ साधु ऐसे हैं जो भगवान के अस्तित्व को नहीं मानते। बंगाल के सोहमा स्वामी भी उनमें हैं। वैज्ञानिक युग में ईश्वर के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है जिससे धर्म का भी नामोनिशान मिट जाएगा। अराजकतावादियों के सिरमौर बैकुनिन ने अपनी किताब ‘गॉड एंड स्टेट’ में ईश्वर को अच्छा लताडा है। उन्होने एंजील की कहानी सामने रखी और कहा कि ईश्वर ने दुनिया बनायी और इंसान को अपने जैसा बनाया। बहुत मेहरबानी की। लेकिन साथ ही यह भी कह दिया कि देखो, बुद्धि के पेड़ का फल मत खाना। असल में ईश्वर ने अपने मन बहलाव के लिए मनुष्य और वायु को बना तो दिया मगर वह चाहता था कि वे सदा उसके गुलाम बने रहें और उसके विरूद्ध सर ऊंचा न कर सकें। इसलिए उन्हें विश्व के समस्त फल तो दिये लेकिन अक्ल नहीं दी। यह स्थिति देखकर शैतान आगे बढ़ा। यानी, दुनिया के चिर विद्रोही, प्रथम स्वतन्त्रचेता और दुनिया को स्वतंत्र करने वाले शैतान- आदि आगे बढ़े, आदमी को बग़ावत सिखायी और बुद्धि का फल खिला दिया। बस, फिर सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञाता परमात्मा किसी निम्न दर्जे की कमीनी मानसिकता की भाँति क्रोध में आ गया और स्वनिर्मित दुनिया को स्वयं ही बद्दुआएँ देने लग पड़ा। खूब! प्रश्न उठता है कि ईश्वर ने यह दुखभरी दुनिया क्यों बनायी? क्या तमाशा देखने के लिए? तब तो वह रोम के क्रूर शहंशाह नीरो से भी अधिक ज़ालिम हुआ। क्या यह उसका चमत्कार है? इस चमत्कारी ईश्वर की क्या आवश्यकता है? हमेशा से स्वार्थियों ने, पूँजीपतियों ने धर्म को अपनी-अपनी स्वार्थ- सिद्धि के लिए इस्तेमाल किया है। इतिहास इसका साक्षी है। ‘ धैर्य धारण करो! अपने कर्मों को देखो! ऐसे दर्शन ने जो यातनाएँ दी हैं, वे सबको मालूम ही हैं। लोग कहते हैं कि ईश्वर के अस्तित्व को अगर नकारा जाये तो क्या होगा? दुनिया में पाप बढ़ जाएगा। अन्धेरगर्दी मच जायेगी। लेकिन अराकतावादी कहते हैं कि उस समय मनुष्य इतना अधिक ऊँचा हो जायेगा कि स्वर्ग का लालच और नरक का भय बताये बिना ही वह बुरे कार्यों से दूर हो जायेगा और नेक काम करने लगेगा। वास्तव में बात यह है कि हिन्दुस्तान में श्रीकृष्ण निष्काम कर्म करने का बहुत उपदेश दे गये हैं। गीता दुनिया की एक प्रमुख पुस्तक मानी जाती है, लेकिन श्रीकृष्ण निष्काम भाव के साथ कर्म की प्रेरणा देते हुए भी अर्जुन को मृत्योपरान्त स्वर्ग और विजय प्राप्त कर राजभोग का लालच देने से पीछे न रहे। लेकिन आज हम अराजकतावादियों के बलिदान देखते हैं तो मन में आता है कि उनके पैर चूम लें। साको और वेंजरी की कहानियाँ हमारे पाठक पढ़ ही चुके हैं। न ईश्वर को प्रसन्न करने का कोई लालच है और न स्वर्ग में जाकर मौज़ मारने का लोभ, न पुनर्जन्म में सुख मिलने की आशा। लेकिन फिर भी हँसते-हँसते लोगों के लिए, सत्य के लिए जीवन न्योछावर कर देना क्या कोई मामूली बात है। अराजकता
वादी तो कहते हैं कि एक बार मनुष्य स्वतन्त्र हुआ तो उसका जीवन बहुत ऊँचा हो जाएगा। इस लेख के दर्शन की रोशनी में अगर ‘प्रार्थनाएँ बंद करो’ कविता को पढा जाए तो शायद कविता का कथ्य अधिक सपष्टता से समझा जा सकता है। खैर, यह बात तो हुई कविता और लेख के बारे में। इस समय हम 21 वीं सदी से गुज़र रहे हैं लेकिन हमारी वैज्ञानिकता कहां है यह एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है। वह वैज्ञानिकता जिसके लिए भगत सिंह सन 1928 में लिखे अपने लेख में उन्निसवीं सदी के क्रांतीकारियों से प्रेरणा लेते हुए दिखते हैं वह अब कहां है। देश में पूंजीवाद बढ़ा है तो सामंतवाद भी मौजूद है। यहां पूंजीवाद बिना किसी प्रबोधन काल के उपनिवेश के रूप में सामंतवाद को साथ लेकर पनपा है। दुनिया भर के अधिकांश वैज्ञानिकों में जहां नास्तिकता का बाहुल्य देखा जाता है वहीं पर भारत जैसे देश में हास्यास्पद रूप से किसी वैज्ञानिक खोज के शुभारंभ के अवसर पर सबसे पहले ईश्वर पूजा की रस्मअदायगी होती है।

संदर्भ और साभार- भगत सिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़, राहुल फ़ाउण्डेशन, लखनऊ।
। प्रार्थनाएँ बन्द करो।।
--
ज्ञानेन्द्रपति
बन्द करो ये प्रार्थनाएँ
बच्चों के स्कूलों में होने वाली प्राथनाएँ
बच्चों की किताबों में छपने वाली प्रार्थनाएँ
बच्चों को याद करायी जाने वाली प्रार्थनाएँ
बन्द करो
सामन्तों के गढ़े हुए ईश्वर को
पूँजीपतियों के पोसे हुए ईश्वर को
अत्याचारियों के अत्याचारों को ढँकने वाले
ईश्वर को
अत्याचारों के खिलाफ जब जंग हुई है तेज़
इस विप्लव-वेला में भाग रहे ईश्वर को
बच्चों के मस्तिष्क में मत टिकाने दो पैर
बच्चों का मस्तिष्क है हमारी पृथ्वी का सबसे
उर्वर टुकड़ा
बच्चों का मस्तिष्क है हमारी पृथ्वी का भविष्य
बच्चों के मस्तिष्क में इस ईश्वर को मत
आने दो
उसे मत दो छुपने की जगह बच्चों के मस्तिष्क
में
उनकी बुद्धि पर विवेक पर हांफते हुए ईश्वर को
मत बैठने दो
उनके मस्तिष्क के पिछले हिस्से में थके हुए
ईश्वर को मत लेटने दो
उनकी सोचने वाली शिराओं पर काई की
तरह मत फैलाने दो सड़े हुए ईश्वर को
उनके मस्तिष्क में जहां अग्नि का बीज है
वहां मत रखने दो धूर्त ईश्वर को अपना
ठण्ड़ा काइयाँ हाथ
अत्याचार- अन्याय- शोषण- उत्पीड़न को
ढँकने
जुल्मों को ढँकने
उनकी उमर बढ़ाने के लिए
इस संसार में जिस पाखण्डी ईश्वर
ने अत्याचारों के बीच से लिया था जन्म
इस संसार से भाग रहे उस ईश्वर को
बच्चों के मस्तिष्क में मत टिकाने दो
पैर
बच्चों के मस्तिष्क में मत फैलाने दो पैर
बच्चों के मस्तिष्क के किसी एक कोने
में भी मत होने दो उसका प्रवेश
ये प्रार्थनाएँ बन्द करो
बच्चों के स्कूलों में होने वाली प्रार्थनाएँ बन्द
करो
बच्चों से गवायी जाने वाली प्रार्थनाएँ बन्द करो
बच्चों के हाथ मत जुडने दो
बच्चों के हाथ जो उठेंगे उन अत्याचारियों पर
करने अन्तिम चोट
जिनके आगे-आगे
उनकी छाया की तरह भाग रहा है उनका ईश्वर
---sameermandi.blogspot.com



Sunday, 28 August 2016

जिला विधिक प्राधिकरण ने किया गंधर्व जंगल में पौधरोपण



मंडी। राज्य विधिक प्राधिकरण के निर्देशों के तहत जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से शनिवार को शहर के साथ लगते डीपीएफ गंधर्व जंगल में पौधारोपण किया गया। इस पौधारोपण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला एवं सत्र न्यायधीश सी एल कोछड़ ने देवदार के पौधे का रोपण किया। उन्होने इस अवसर पर कहा कि राज्य विधिक प्राधिकरण के निर्देशों के तहत जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से वन विभाग और स्कूली बच्चों के माध्यम से करीब 20 पौधों का रोपण किया गया है। उन्होने बताया कि वृक्षों का मानव जीवन में बहुत महत्व है। यह न केवल पर्यावरण संतुलन का काम करते हैं बल्कि हमें शुद्ध वायु भी प्रदान करते हैं। इसके अलावा ईंधन, चारे और इमारती लकडी के रूप में वृक्ष मानव समाज के लिए उपयोगी हैं। वहीं पर जंगली जीव जन्तुओं के लिए वन उनके अभयारण्य के रूप में शरण स्थल हैं। उन्होने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 51 (क )में प्राकृतिक पर्यावरण के तहत वन, झील, नदी और वन्य जीवों की रक्षा और संवर्धन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य निर्देशित किया गया है। मंडी वृत की वन अरण्यपाल उपासना पटियाल ने कहा कि इस वर्ष विभाग की ओर से करीब एक हजार हेक्टेयर में पौधारोपण किया गया है। शहर के नजदीक पर्यावरण संतुलन के लिए नुकीले तथा चौडे पतों वाले वृक्ष रोपित किये जा रहे हैं। उन्होने बताया कि देवदार, चील के अलावा सागवान के पौधे भी लगाए जा रहे हैं। इस मौके पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (दो) कृष्ण कुमार, मुखय न्यायिक दंडाधिकारी राजेश चौहान, अतिरिक्त मुखय न्यायिक दंडाधिकारी विवेक खनाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कपिल शर्मा, मोबाइल ट्रैफिक मैजिस्ट्रेट संदीप सिंह सिहाग, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन अनिता शर्मा, कोर्ट नंबर चार शिखा लखनपाल, वनमंडलाधिकारी अजीत ठाकुर सहित वन विभाग के कर्मी भी मौजूद रहे।
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Saturday, 27 August 2016




।। प्रार्थनाएँ बन्द करो।।
                                                               --ज्ञानेन्द्रपति
बन्द करो ये प्रार्थनाएँ
बच्चों के स्कूलों में होने वाली प्राथनाएँ
बच्चों की किताबों में छपने वाली प्रार्थनाएँ
बच्चों को याद करायी जाने वाली प्रार्थनाएँ
बन्द करो

सामन्तों के गढ़े हुए ईश्वर को
पूँजीपतियों के पोसे हुए ईश्वर को
अत्याचारियों के अत्याचारों को ढँकने वाले
ईश्वर को
अत्याचारों के खिलाफ जब जंग हुई है तेज़
इस विप्लव-वेला में भाग रहे ईश्वर को
बच्चों के मस्तिष्क में मत टिकाने दो पैर

बच्चों का मस्तिष्क है हमारी पृथ्वी का सबसे
उर्वर टुकड़ा
बच्चों का मस्तिष्क है हमारी पृथ्वी का भविष्य
बच्चों के मस्तिष्क में इस ईश्वर को मत
आने दो
उसे मत दो छुपने की जगह बच्चों के मस्तिष्क
में
उनकी बुद्धि पर विवेक पर हांफते हुए ईश्वर को
मत बैठने दो
उनके मस्तिष्क के पिछले हिस्से में थके हुए
ईश्वर को मत लेटने दो
उनकी सोचने वाली शिराओं पर काई की
तरह मत फैलाने दो सड़े हुए ईश्वर को
उनके मस्तिष्क में जहां अग्नि का बीज है
वहां मत रखने दो धूर्त ईश्वर को अपना
ठण्ड़ा काइयाँ हाथ

अत्याचार- अन्याय- शोषण- उत्पीड़न को
ढँकने
जुल्मों को ढँकने
उनकी उमर बढ़ाने के लिए
इस संसार में जिस पाखण्डी ईश्वर
ने अत्याचारों के बीच से लिया था जन्म

इस संसार से भाग रहे उस ईश्वर को
बच्चों के मस्तिष्क में मत टिकाने दो
पैर
बच्चों के मस्तिष्क में मत फैलाने दो पैर
बच्चों के मस्तिष्क के किसी एक कोने
में भी मत होने दो उसका प्रवेश

ये प्रार्थनाएँ बन्द करो
बच्चों के स्कूलों में होने वाली प्रार्थनाएँ बन्द
करो
बच्चों से गवायी जाने वाली प्रार्थनाएँ बन्द करो
बच्चों के हाथ मत जुडने दो
बच्चों के हाथ जो उठेंगे उन अत्याचारियों पर
करने अन्तिम चोट
जिनके आगे-आगे
उनकी छाया की तरह भाग रहा है उनका ईश्वर

---ज्ञानेन्द्रपति
...यह कविता सन 1997 में एचपीयू, समरहिल शिमला में डायरी के पन्नों पर अंकित की थी। आज इसे ब्लॉग में संजो रहा हुं।
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Thursday, 25 August 2016

ऐतिहासिक गणपति मंदिर में गणपति उत्सव 5 से 14 सितंबर तक



मंडी। राष्ट्रीय एकता का प्रतीक गणेश महोत्सव प्रति वर्ष की भांती इस साल भी ऐतिहासिक सिद्ध गणपति मंदिर में 5 से 14 सितंबर तक मनाया जाएगा। श्री सिद्ध गणपति मंदिर ट्रस्ट केप्रधान उतम चंद सैनी ने बताया कि भगवान गणपति का जन्म दिवस (गणेश चतुर्थी) का महोत्सव सन 1686 ई. में स्थापित ऐतिहासिक सिद्ध गणपति मंदिर में धूमधाम से आयोजित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि उत्सव के दौरान 5 से 14 सितंबर तक प्रतिदिन सुबह 8 बजे सिद्ध गणपति पूजन होगा। जबकि सायं 2.30 बजे से 5.30 बजे तक गणपति अथर्वशीर्ष पाठ व सवा लाख जाप होगा। वहीं पर भागवत कथा के विद्वान आचार्य योगेश श्रीमद भागवत कथा का पाठ करेंगे। उन्होने बताया कि गणेशोत्सव के समापन पर 14 सितंबर को सुबह 8 बजे हवन और पाठ होगा। जबकि 11.30 बजे पूर्ण आहुति होगी। इसके बाद दोपहर 12 बजे से सांय 4 बजे तक भंडारे के बाद शोभा यात्रा का आयोजन किया जाएगा। रंगारंग झांकियों, कीर्तन, देवी-देवताओं व वाद्य यंत्रों के साथ शोभा यात्रा नगर परिक्रमा करती हुई देव माधव राय मंदिर में पहुंचेगी। जहां पर दर्शनों के बाद सायं 6 बजे व्यास नदी के किनारे स्थित हनुमान घाट में मूर्ति विर्सजन किया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के प्रधान उत्तम चंद सैनी, पदाधिकारी टी सी पटयाल, मुरारी लाल शर्मा, नारायण दास सैनी, अशोक गुप्ता, दीना नाथ शास्त्री और दलीप सैनी ने सभी लोगों से गणेशोत्सव आयोजन में बढ़चढ़ कर भाग लेने का आहवान किया है।
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Tuesday, 23 August 2016

घायल गाय की सेवा सुषुश्रा में जुटा युवक मंडल ननावां



मंडी। ...भले ही गौरक्षकों की गतिविधियां इस समय विवाद में हों लेकिन इन विवादों से बहुत दूर एक घायल गाय की सेवा सुषुश्रा में गांव के स्थानीय युवक मंडल ने अपनी जी जान लगा रखी है। ग्राम पंचायत मराथू के ननावां में स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला परिसर के पास विगत करीब दो सालों से लावारिस गायों को छोड़े जाने का सिलसिला जारी है। नेहरू युवा मंडल ननावां के पदाधिकारी राजीव कुमार और भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मंडल के सदस्यों ने इन लावारिस गायों को गौसदन में भिजवाने का बीडा उठाया है और पहले भी गायों को गौसदन में पहुंचा चुके हैं। उन्होने बताया कि करीब एक माह पूर्व एक लावारिस गाय के ढांक से गिरने के कारण उसकी टांग टूट गई है। युवक मंडल के सदस्य करीब एक माह से वैटनरी विभाग और स्थानीय पंचायत के साथ इस घायल गाय की टांग पर पलस्तर करवा कर नियमित रूप से दवाइयां दे रहे हैं। युवा मंडल के सदस्यों कुशाल ठाकुर, राजीव कुमार, भूपेन्द्र सिंह, हेम राज, बलवंत, अमित कुमार, अभिनय, हेमंत, केसरी सिंह, जटिया राम और श्रवण कुमार ने प्रशासन से मांग की है कि चोट से उबर चुकी इस गाय को अब गौसदन में भेजने की व्यवस्था की जाए।
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भवन नियमितीकरण की दरें कम की जाएः संघर्ष समिति




मंडी। प्रदेश सरकार के प्रस्तावित टीसीपी संशोधन को लेकर चल रही बहस पर संज्ञान लेते हुए मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने आपात बैठक आयोजित की। टीसीपी संशोधन को कैबिनेट में मंजूरी के बाद विधानसभा पटल पर रखने की तैयारियों के बीच सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस का संज्ञान लेते हुए समिति ने इस बैठक का आयोजन किया। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी, अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, पदाधिकारी हितेन्द्र शर्मा, हरमीत सिंह बिट्टू, प्रदीप परमार, चंद्रमणी वर्मा और समीर कश्यप ने बताया कि समिति उन अवैध भवनों को नियमित करने के हक में नहीं है जिनको सरकारी भूमी पर या रास्ता रोक कर बनाया गया हो। इन तमाम अवैध भवनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके उनकी बेदखली की कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्होने बताया कि समिति की शुरू से यही मांग रही है कि आम व साधारण नागरिक जिन्होने अपने परिवार की जरूरत के अनुसार अपनी मलकियत चार बिस्वा भूमी तक के रकबे पर नक्शे बगैर या नक्शे के बदलाव के साथ मकान बनाए हैं उन्हे नियमित करने की एकमुश्त पॉलिसी लायी जाए। समिति का कहना है कि सरकार का प्रस्तावित टीसीपी संशोधन एक स्वागत योगय सराहनीय कदम है। हालांकि समिति का यह मानना है कि सरकार के प्रस्तावित संशोधन में नियमितीकरण की दरें अभी भी बहुत ज्यादा हैं और आम नागरिकों की पहुंच से बाहर हैं। इस संशोधित टीसीपी अधिनियम के तहत नियमितिकरण की दरें अभी भी सामान्य दरों से 6 हजार से 12 हजार प्रतिशत अधिक प्रस्तावित हैं। समिति की मांग है कि नियमितीकरण की फीस साधारण दरों से 1000 प्रतिशत तक निर्धारित की जाए। तभी आम नागरिक इस पॉलिसी का समुचित फायदा उठा पाएंगे। समिति ने प्रदेश सरकार तथा विधानसभा के सभी विधायकों से अनुरोध किया है कि आम नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नियमितीकरण पालिसी के प्रस्ताव को समिति की ओर से सुझाये गए संशोधन सहित पास किया जाए।
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Sunday, 21 August 2016

दलित अधिकारों पर अधिवक्ताओं ने की चर्चा



मंडी। एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून के क्रियान्वयन व दलित अधिकारों को लेकर अधिवक्ताओं की राज्य स्तरीय बैठक मंडी के साक्षरता भवन में रविवार को आयोजित हुई। जिसकी अध्यक्षता प्रदेश बार कौंसिल के अध्यक्ष देश राज शर्मा ने की। इस अवसर पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को न्याय हासिल करने में सामने आ रही दिक्कतों तथा इन समस्याओं के निराकरण को लेकर रणनिती बनाने की चर्चा की गई। वहीं पर अत्याचार निरोधक अधिनियम के 2015 में संशोधित प्रावधानों के बारे में भी अवगत करवाया गया जिससे न्याय हासिल करने के लिए इन प्रावधानों का समुचित प्रयोग किया जा सके।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...