मंडी। चैक बाउंस के एक आरोपी को अदालत ने एक साल के साधारण कारावास और 5,00,000 रूपये हर्जाने की सजा सुनाई है। स्पैशल जुडिशियल मैजिस्ट्रेट रघुबीर सिंह के न्यायलय ने गुटकर स्थित मैसर्ज इंपोर्ट शाप के मालिक विजय कुमार की शिकायत को उचित मानते हुए विस्को रिजोर्ट के समीप रहने वाले जसवंत सिंह के खिलाफ उक्त फैसला सुनाया। अधिवक्ता सतीश कौशल के माध्यम से निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट की धारा 138 के तहत दायर शिकायत के अनुसार उक्त आरोपी जसवंत सिंह ने विजय कुमार से 3,50,000 रूपये की राशि जल्दी ही वापिस लौटाने की बात कह कर उधार ली थी। विजय कुमार के राशि की मांग करने पर आरोपी ने उन्हे राशि अदा नहीं की। बल्कि इसके बदले उन्हे बैंक आफ इंडिया का एक चैक जारी कर दिया। शिकायतकर्ता ने जब इस चैक को भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को कानूनी नोटिस जारी किया था। नोटिस के जवाब में आरोपी का कहना था कि वह शिकायतकर्ता को नहीं जानता है ऐसे में राशि उधार देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अदालत में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत पर चलाए गये अभियोग के दौरान आरोपी का कहना था कि शिकायतकर्ता उनका दोस्त था और उन्होने आरोपी के ड्रायर से चैक निकाल कर इसे बैंक में लगाया है। अदालत ने आरोपी की दलीलों को अस्वीकारते हुए शिकायतकर्ता द्वारा पेश किये गए साक्ष्यों के आधार पर अभियोग साबित होने पर आरोपी को चैक बाउंस का दोषी करार दिया। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया। Thursday, 11 July 2013
चैक बाउंस मामले मे कारावास, पांच लाख हर्जाना
मंडी। चैक बाउंस के एक आरोपी को अदालत ने एक साल के साधारण कारावास और 5,00,000 रूपये हर्जाने की सजा सुनाई है। स्पैशल जुडिशियल मैजिस्ट्रेट रघुबीर सिंह के न्यायलय ने गुटकर स्थित मैसर्ज इंपोर्ट शाप के मालिक विजय कुमार की शिकायत को उचित मानते हुए विस्को रिजोर्ट के समीप रहने वाले जसवंत सिंह के खिलाफ उक्त फैसला सुनाया। अधिवक्ता सतीश कौशल के माध्यम से निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट की धारा 138 के तहत दायर शिकायत के अनुसार उक्त आरोपी जसवंत सिंह ने विजय कुमार से 3,50,000 रूपये की राशि जल्दी ही वापिस लौटाने की बात कह कर उधार ली थी। विजय कुमार के राशि की मांग करने पर आरोपी ने उन्हे राशि अदा नहीं की। बल्कि इसके बदले उन्हे बैंक आफ इंडिया का एक चैक जारी कर दिया। शिकायतकर्ता ने जब इस चैक को भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण यह बाउंस हो गया। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को कानूनी नोटिस जारी किया था। नोटिस के जवाब में आरोपी का कहना था कि वह शिकायतकर्ता को नहीं जानता है ऐसे में राशि उधार देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अदालत में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत पर चलाए गये अभियोग के दौरान आरोपी का कहना था कि शिकायतकर्ता उनका दोस्त था और उन्होने आरोपी के ड्रायर से चैक निकाल कर इसे बैंक में लगाया है। अदालत ने आरोपी की दलीलों को अस्वीकारते हुए शिकायतकर्ता द्वारा पेश किये गए साक्ष्यों के आधार पर अभियोग साबित होने पर आरोपी को चैक बाउंस का दोषी करार दिया। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया।
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