Sunday, 15 November 2015

हिमाचल के इतिहास में सबसे बड़ा अग्रिकांड का दर्द, आंखों के सामने खाक हो गई करोड़ों की संपत्ति


कुल्लू (एमबीएम न्यूज) : हिमाचल प्रदेश के इतिहास में सबसे बड़े भीषण अग्निकांड ने प्रदेश को हिला कर रख दिया है। रविवार का दिन देवभूमि कुल्लू में अमावस्या की काली रात साबित हुchhmahuआ। आज एक ऐतिहासिक धरोहर गांव का इतिहास मिट गया है। जिला कुल्लू के ऐतिहासिक गांव कोटला में भीषण अग्रिकांड ने 100 परिवारों के 80 मकानों को देखते ही देखते राख के ढेर में बदल दिया है। तबाही की यह आग करीब 4:45 बजे सुलगी और चंद मिनटों में घनी आवादी वाले पूरे गांव के मकानों को अपनी चपेट में लिया। इस भीषण अग्रिकांड में सराज घाटी के अराध्य देवता देव बड़ा छमाहूं के 6 मंजिला भव्य मंदिर के अलावा धामणी छमाहूं का मंदिर, देवता भूहणी का मंदिर, धामणी छमाहूं का भंडार, देवता बड़ा छमाहूं का करोड़ों रुपए के सोने चांदी के आभूषण सहित 80 मकान जलकर राख हो गए हैं। इस भीषण अग्रिकांड में दर्जनों मवेशी सहित स्थानीय ग्रामीणों की करोड़ों रुपए की संपत्ति भी पूरी तरह से तबाह हो गई है। अग्रिकांड शुरू होते ही यहां पर रह रहे 100 परिवारों ने भागकर अपनी जान बचाई है और अफरा-तफरी में पहने हुए कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा पाए हैं। यह अग्रिकांड प्रदेश का सबसे बड़ा अग्रिकांड माना जा रहा है। गांव को बचाने के लिए एक घंटे के अंदर ही वहां पर हजारों लोग एकत्रित हो गए थे, लेकिन इस भीषण अग्रिकांड ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया था और वहां पर एकत्रित हजारों लोग किसी भी मकान को बचाने के लिए गांव के अंदर प्रदेश नहीं कर पाए। इस अग्रिकांड से जहां गांव में अफरा-तफरी का माहौल मच गया, वहीं हडकंप में कई महिलाएं बेसुध भी हो गई। चीख पुकारों से गांव गूंजता रहा और अग्रि शांत नहीं हुई। इस अग्रिकांड ने जहां हरेक का दिल दहलाकर रख दिया है, वहीं सौ परिवारों को देखते ही देखते बेघर कर दिया है। जिंदगी भर की कमाई जिन घरौंदों में एकत्रित की थी, वे आशियाने पल भर में धू-धू कर जल गए हैं और राख के ढेर में बचा तो सिर्फ यादें। इस अग्रिकांड से देवता बड़ा छमाहूं का ऐतिहासिक एवं धरोहर गांव पूरी तरह से मिट गया है। अब सिर्फ बड़ा छमाहूं व धामणी छमाहूं के रथ ही बच पाए है। ग्रामीणों के अनुसार देवता बड़ा छमाहू व धामणी छमाहू अपने हारियान के वहां निमंत्रण पर बालीचौकी गए हुए थे। बालीचौकी में देवरथों के समक्ष देव आयोजन हो रहा था और उसी समय यह घटना कोटला में घटी है और पूरे हिमाचल प्रदेश को इस दर्दनाक घटना ने दहला कर रख दिया है। इस गांव में जहां देवता भूहणी का मंदिर था वहीं देवता बड़ा छमाहूं का विशाल मंदिर जिसे कोट कहा जाता है विराजमान था। इसी कोट में देवता बड़ा छमाहूं का रथ विराजमान होता था। इसके अलावा देवता धामणी छमाहू का मंदिर भी इसी गांव में था, जो अब राख हो गया है। देवता बड़ा छमाहूं व धामणी छमाहूं के करोड़ों रुपए के सोने चांदी के आभूषण भी वहीं देव भंडार में मौजूद थे, जो जलकर राख हो गए हैं। इसके अलावा 100 परिवारों की संपत्ति का भी चंद मिनटों में नामोनिशां मिट गया है। देवता बड़ा छमाहूं की यह प्राचीन धरती थी और दलियाड़ा गांव के बाद कोटला गांव में ही देवता वास करता था। कोटला गांव सिर्फ बड़ा छमाहूं का ही धरोहर गांव नहीं था बल्कि यहां का इतिहास चारों छमाहूं देवताओं से जुड़ा हुआ है। अग्रिकांड की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की दल भी मौके पर पहुंच चुका है। जबकि दमकल विभाग भी समय पर नहीं पहुंचा काफी समय बाद पहुंची दमकल विभाग की टीम भी पंगु सावित हुई। सृष्टि के रचयिता है देव बड़ा छमाहूं देवता बड़ा छमाहूं सृष्टि के रचनाकार माने जाते हैं। देवता बड़ा छमाहूं ओम शब्द से प्रकट हुए हैं। छमाहूं का अर्थ है छ जमा मुंह यानि कि छह समूहों का एक देवता। छ समूह में ब्रह्मा, विष्णु महेश, आदी, शक्ति, शेष नाग शामिल है। यानि कि सृष्टि के ये अनंत देवता सृष्टि की रचना करते हैं और इनके बिना सृष्टि अधूरी है। देव इतिहास के मुताबिक जब महा प्रलय आई थी तो उसके बाद सृष्टि की पुन: रचना के लिए देव बड़ा छमाहूं ने अवतार लिया था। लेकिन आज अपनी ही बसी बसायी दुनिया समाप्त कर डाली है। इनके जले आशियाने गांव के राम सिंह, सोहन सिंह, उत्तम सिंह, टेक सिंह, तुले राम, ध्यान सिंह, मोहर सिंह, दलीप सिंह, तेेज राम, टिकम राम, गुलाब सिंह, दीवान सिंह, गिरजानंद, जगत सिंह, रत्न, ज्ञान चंद, वेद व्यास, राज कुमार, नीरत सिंह, ज्ञान चंद, जोग राज, गिरधारी लाल, जगत राम, दसमी राम, फते चंद, राम चंद, उत्तम सिंह, सोहन सिंह, गिरधारी लाल, देवी सिंह, ध्यान सिंह, दीवान सिंह, बलदेव सिंह, नोक सिंह, गुलाब सिंह, टिकम राम, निमा राम सहित ग्रामीणों के घर जलकर राख हुए हैं।
न्युज कुल्लू (एमबीएम न्यूज) से और पिक्चर फेसबुक से साभार
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