गुम हुआ वह
-दीनू कश्यप
इस शहर में एक लड़का था
सुंदर, मृदुभाषी, तार्किक और जोशीला
हरे को हरा, लाल को लाल
पीले को पीला कहने वाला
अपनी पूरी ताकत के साथ
कहीं दीखता नहीं अब।
बेहद प्यासी इस दुनिया में
क्या पी गई उसे गहनों में लदी-फदी
महानगर की एेय्याश औरतें
ठंडी-मीठी बावडियों के भ्रम में
क्या वह जा डूबा
कोकाकोला या लहर पेप्सी के
अंधेरे पानी में।
उसके गुम होने की खबर
कहीं नहीं समाचार पत्रों में
न ही उसका फोटो है
दूरदर्शन पर गुमशुदा की फेहरिस्त में
सी.बी.आई. ने नहीं दी कोई हाँक
उसे तलाशने पर इनाम-इकराम की
कहां गया ?
क्यों गया ?
कौन ले गया ?
ये प्रश्न प्रासांगिक नहीं
सम्पादकीय के लिए
तथाकथित बुद्धिजीवियों की चर्चा और
सत्ता के चाटुकार जमावड़े के लिए।
सचमुच
इस शहर में
एक लड़का था
एक विचार की तरह।
क्या इस शहर के
पार्षदों-विधायकों-धार्मिकों के
सेवा भाव से उठ गया था
उसका विश्वास ?
क्या इस शहर के
कवियों-लेखकों-विचारकों के
दोगले जीवन की
कलई खुलने पर
उसने पाया था खुद को बेसहारा ?
कोई भी नहीं है परेशां
सुंदर पहने, ओढ़े
स्वादिष्ट खाते-पीते सभी
धंस चुके हैं
अपनी-अपनी खोह में
माताओं के लिए है
एक धर्मस्थल का पता
जहां सिर पटकते-पटकते
वे बढ़ सकती हैं तेजी से
एक वृहद शून्य की ओर
रंगों की इस दुनिया में
रंगों को पहचानने वाला
गुम हुआ वह रंगरेज।
इस शहर में
एक लडका था
एक विचार की तरह।
दीनू कश्यप हिमाचल प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष हैं और प्रसिद्ध कवि हैं। इनकी कविताएं देश भर की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। हालांकि इनका अभी तक कोई संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ है। लेकिन इनकी कविताओं से पाठक वर्ग सुपरिचित है। रविवार को मंडी जिला के भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित बहुभाषी कवि सम्मेलन में उन्होने अपनी यह कविता सुनाई। उनकी अनुमति से कविता आपके साथ शेयर कर रहा हुं।- समीर कश्यप
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