मंडी। राशन कार्ड देरी से बनाना नगर परिषद मंडी को उस समय महंगा साबित हुआ जब जिला उपभोक्ता फोरम ने परिषद को उपभोक्ता के पक्ष में दस हजार रूपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया। हालांकि फोरम ने कार्ड में देरी के लिए नगर परिषद अध्यक्ष की भूमिका को नामंजूर करते हुए उन्हे व्यक्तिगत रूप से सेवाओं में कमी का दोषी नहीं माना। इसके अलावा फोरम ने नगर परिषद को उपभोक्ता के पक्ष में 4000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष पुरेन्द्र वैद्य और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने मंडी के अस्पताल मार्ग निवासी विनोद कुमार पुत्र विजय कुमार की शिकायत को उचित मानते हुए नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी को उक्त हर्जाना राशि और शिकायत व्यय अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता कैलाश बहल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने अपने परिवार के एपीएल उपभोक्ता कार्ड के नवीनीकरण के लिए एक नवंबर 2012 को आवेदन किया था। हालांकि कार्यकारी अधिकारी ने राशन कार्ड बना दिया था लेकिन नगर परिषद की अध्यक्ष सुशीला सोंखला ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए। जिसके कारण उनके कार्ड का नवीनीकरण न होने से उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पडा। ऐसे में उपभोक्ता ने नप अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाते हुए परिषद के खिलाफ फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से यह साबित नहीं हुआ है कि नगर परिषद अध्यक्षा सुशीला सोंखला ने जानबूझ कर उपभोक्ता के राशन कार्ड पर हस्ताक्षर नहीं किये थे। लेकिन तथ्यों से जाहिर होता है कि नगर परिषद की ओर से उपभोक्ता को 30 सितंबर 2013 को आवेदन के 11 महीनों के बाद राशन कार्ड जारी किया गया। जबकि हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विसेस गारंटी एक्ट के प्रावधानों के तहत आवेदन के 15 दिनों में कार्ड जारी करना चाहिए था। फोरम ने कार्ड जारी करने में भारी देरी करने को नगर परिषद की सेवाओं में कमी करार देते हुए कार्यकारी अधिकारी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त हर्जाना और शिकायत व्यय अदा करने का फैसला सुनाया है।
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