मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने महामहिम राज्यपाल और प्रदेश सरकार से जनहित में संशोधित टीसीपी एक्ट को कानूनी जामा पहनाने की मांग की है। समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, संयोजक उत्तम चंद सैनी, हितेन्द्र शर्मा, चंद्रमणी वर्मा, हरमीत सिंह बिट्टू, प्रदीप परमार और समीर कश्यप ने संयुक्त ब्यान में कहा कि इस प्रस्तावित अध्यादेश के बारे में भ्रान्तियां फैला कर अवैध और अनियमित भवनों के अंतर को मिटाते हुए इसे कानूनी रूप देने से रोकने की कोशीस की जा रही है। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक पहाडी राज्य है और यहां कई पुराने शहर और आबादियां हैं। लेकिन मौजूदा टीसीपी कानून के प्रावधान पहाडी क्षेत्र की आवश्यकताओं और लोगों की जरूरतों के मुताबिक नहीं हैं। इन नियमों को नयी बनायी जा रही कालौनियों व शहरों में लागू किया जाना चाहिए। पुराने शहरों के लोगों ने अपनी मलकियत जमीन के छोटे-2 रकबों पर मकान तो किसी तरह बना दिये हैं लेकिन जटिल टीसीपी कानूनों के चलते वह इनका नियमितीकरण नहीं करवा पाए हैं। जिससे वह बिजली पानी जैसी सुविधाओं से वंचित हो गए हैं। समिति ने अनाधिकृत भवनों के मालिकों को असभय और गैर ईमानदार कहने वालों की कडे शब्दों में निंदा की है। समिति का कहना है कि 25 अप्रैल 2012 में नियमितिकरण की फीसें इतनी अधिक कर दी गई हैं जो मकान के निर्माण की कीमत से भी ज्यादा है। ऐसे में गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इन भारी भरकम फीसों को अदा न कर पाने के कारण अनाधिकृत घोषित किये गए हैं। इन भवन मालिकों की भारी भरकम फीस अदा न कर पाना असभयता या गैर ईमानदारी नहीं बल्कि इसके आर्थिक कारण हैं। इन फीसों को अमीर व उच्च मध्यम वर्ग ही अदा कर सकता था। यह आम लोगों की पहुंच से बाहर थी। इस बीच अनेकों बार टीसीपी में संशोधन लाए गए। लेकिन फीस अदा न कर पाने की सूरत में नागरिक इनका लाभ नहीं उठा सके। समिति का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में सरकार से अनेकों बार मांग की गई है कि एकमुश्त पालिसी ला कर छोटे रकबे होने के कारण सैटबैक आदि की शर्तें हटाकर कम से कम शुल्क पर भवनों का नियमितिकरण किया जाए। जिससे अनाधिकृत भवनों के मालिकों को बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को प्राप्त करने की राहत मिल सके। समिति का कहना है कि वह अवैध निर्माण को नियमित करने की मांग नहीं करती है। अगर किसी ने सरकारी भूमी पर कब्जा करके निर्माण किया है तो उसके खिलाफ न्यायसंगत कार्यवाही अमल में लायी जाए।
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