मंडी। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी मनाली आने वाले पर्यटकों के लिए कुल्लू और मंडी जिला में ब्यास नदी के तट पर बने नेचर पार्क पर्यटकों के आकर्षण बने हुए हैं। हाल ही में कुछ नेचर पार्कों में सपरिवार जाने का मौका मिला तो लगा कि यह एक हल हो सकता है पर्यावरण संकट से बचने और सस्टेनेबल डिवेलपमेंट करने का। मंडी जिला के झीडी में बने नेचर पार्क के पास पर्यटकों का भारी जमावडा देखा जा सकता है। दरअसल इस जगह पर राफ्टिंग प्वाइंट है और साथ ही नेचर पार्क का रूप देकर बच्चों को आकर्षित करने के लिए झूले आदि की व्यवस्था की गई है। देवदार के पेडों के बीच गलेशियर पिघलने से ब्यास नदी की शीतल जलधारा से उठते हवाओं के झोंके पर्यटकों को अभिभूत कर जाते हैं। उसी तरह कुल्लू जिला के मौहल स्थित नेचर पार्क भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेरे भाई यशकांत बता रहे थे कि कभी इस जगह को डंपिंग साइट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद अब वन विभाग ने यहां पर काफी भूमी पर ब्यास नदी के तट किनारे यह नेचर पार्क बनाया है। यहां भी विभन्न किस्मों के पेडों को विकसित करके इस क्षेत्र को हरा-भरा बनाने की कोशीश की जा रही है। नेचर पार्क में प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति 10 रूपये का शुल्क लिया जाता है। इनमें रेस्टोरेंट आदि की भी व्यवस्था होती है। सुकून की तलाश में पर्यटकों के लिए यह नेचर पार्क शांति स्थली बन जाते हैं। इस तरह के अधिक से अधिक नेचर पार्क ब्यास नदी के किनारे बनाए जाने चाहिए। जिससे पर्यटक सुरक्षित रूप से घाटी के अपार सौंदर्य का आनंद उठा सकें। बेरोजगार युवाओं को सरकारी जमीन पर पार्क बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जिससे उनकी जीविका भी चल सके और पर्यावरण को हरितमा प्रदान करने की दिशा में भी कार्य किया जा सके।
Thursday, 30 April 2015
पर्यटकों का आकर्षण बन रहे मंडी-कुल्लू के नेचर पार्क
मंडी। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी मनाली आने वाले पर्यटकों के लिए कुल्लू और मंडी जिला में ब्यास नदी के तट पर बने नेचर पार्क पर्यटकों के आकर्षण बने हुए हैं। हाल ही में कुछ नेचर पार्कों में सपरिवार जाने का मौका मिला तो लगा कि यह एक हल हो सकता है पर्यावरण संकट से बचने और सस्टेनेबल डिवेलपमेंट करने का। मंडी जिला के झीडी में बने नेचर पार्क के पास पर्यटकों का भारी जमावडा देखा जा सकता है। दरअसल इस जगह पर राफ्टिंग प्वाइंट है और साथ ही नेचर पार्क का रूप देकर बच्चों को आकर्षित करने के लिए झूले आदि की व्यवस्था की गई है। देवदार के पेडों के बीच गलेशियर पिघलने से ब्यास नदी की शीतल जलधारा से उठते हवाओं के झोंके पर्यटकों को अभिभूत कर जाते हैं। उसी तरह कुल्लू जिला के मौहल स्थित नेचर पार्क भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेरे भाई यशकांत बता रहे थे कि कभी इस जगह को डंपिंग साइट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद अब वन विभाग ने यहां पर काफी भूमी पर ब्यास नदी के तट किनारे यह नेचर पार्क बनाया है। यहां भी विभन्न किस्मों के पेडों को विकसित करके इस क्षेत्र को हरा-भरा बनाने की कोशीश की जा रही है। नेचर पार्क में प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति 10 रूपये का शुल्क लिया जाता है। इनमें रेस्टोरेंट आदि की भी व्यवस्था होती है। सुकून की तलाश में पर्यटकों के लिए यह नेचर पार्क शांति स्थली बन जाते हैं। इस तरह के अधिक से अधिक नेचर पार्क ब्यास नदी के किनारे बनाए जाने चाहिए। जिससे पर्यटक सुरक्षित रूप से घाटी के अपार सौंदर्य का आनंद उठा सकें। बेरोजगार युवाओं को सरकारी जमीन पर पार्क बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जिससे उनकी जीविका भी चल सके और पर्यावरण को हरितमा प्रदान करने की दिशा में भी कार्य किया जा सके।
Wednesday, 29 April 2015
प्रसिद्ध संगीतकार एस डी कश्यप के बेटे सन्नी की शादी धूमधाम से संपन्न
मंडी। हिमाचली लोक संगीत के क्षेत्र में गुरू जी के रूप में मशहूर संगीतकार एस डी कश्यप व प्रसिद्ध गायिका रवि कांता कश्यप जी के सुपुत्र सन्नी कश्यप पनारसा गांव में मीरा ठाकुर के साथ परिणय सुत्र में बंध गए। सन्नी इन दिनों बतौर संगीतकार कार्यरत है। जबकि मीरा ठाकुर टकोली ग्राम पंचायत के उप प्रधान ज्ञान चंद ठाकुर की सुपुत्री और भाग चंद ठाकुर की पौत्री हैं। बालीवुड में सबसे कम उम्र की संगीत निर्देशक बनने वाली सन्नी की छोटी बहन शिवी. आर. कश्यप (शिवांगी) इस शादी समारोह में आर्कषण का केन्द्र रही। उल्लेखनीय है कि नब्बे के दशक के पुर्वाध में बालीवुड में संगीत निर्देशन के दौरान संगीतकार एस डी कश्यप ने प्रसिद्ध पाश्र्व गायिका सविता साथी के साथ हिमाचली गीतों की कैसेट डिस्को नाटी रिलीज की थी। इस कैसेट को बेहद लोकप्रियता मिली थी। मुम्बई के बेहतरीन कैरियर को छोड उन्होने हिमाचली लोक संगीत के क्षेत्र में संगीत साधना करने का निर्णय लिया और प्रदेश के पहले रिकार्डिंग स्टुडियो की शुरूआत की। हिमाचली लोक संगीत के क्षेत्र में गुरू जी के रूप में सममानित एस डी कश्यप के गुरूत्व में प्रदेश की अनेकों प्रतिभाएं चमक कर निखरी हैं और देश विदेश में अपने संगीत की खूशबू बिखेर रही हैं। ऐसे में सन्नी की शादी में प्रदेश भर के कला धर्मियों का जमावडा लगना लाकिाम ही था। वहीं पर क्षेत्र के गणमान्य नागरिक, स्थानीय वासी और रिश्तेदार भी शादी के समारोह में मौजूद रहे।
Monday, 27 April 2015
किगस पंचायत में लोगों को पढ़ाया कानूनी पाठ
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मंडी। जाति-पाति की जडें समाज को अभी भी कितने गहरे से जकडे हुई हैं इसके प्रमाण अक्सर सामने आते रहते हैं। समाज में गहरी समाई परंपरागत जाति...