मंडी। शिक्षा के घोर व्यवसायीकरण के इस दौर में राहत भरी खबर यह है कि अब प्राइवेट स्कूलों से अब बच्चों का पलायन सरकारी स्कूलों की ओर होने लगा है। जिससे लगता है कि न केवल सरकारी स्कूलों पर अभिभावकों और छात्रों का विश्वास बढने लगा है बल्कि निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगना शुरू हो गया है। इस बार स्कूलों में हो रही एडमिशन के दौरान प्राइवेट से सरकारी स्कूलों की
ओर छात्रों के पलायन का रूझान देखने में आ रहा है। हालांकि अभी भी लोगों का निजी स्कूलों से पूरी तरह मोह भंग नहीं हुआ है। भेड चाल के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश लेने की भीड कम नहीं हुई है। ऐसा लगता है कि सरकारी स्कूलों को अपनी विश्वसनीयता वापिस लेने के लिए अभी और भागीरथी प्रयास करने होंगे। इस प्रवेश सत्र में जिला के सदर शिक्षा खंड की राजकीय माध्यमिक पाठशाला सांबल में
पंडोह के नामी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों ने अपने स्कूल छोड कर प्रवेश लिया है। इसी तरह के रूझान जिला के विभिन्न सरकारी स्कूलों में देखने को आ रहे हैं जहां पर बच्चों ने प्राइवेट स्कूल छोड कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन ली है। सांबल स्कूल में छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा में छात्रों ने प्राइवेट स्कूल छोड कर प्रवेश लिया है। पाठशाला के मुखयध्यापक राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों से
सरकारी स्कूलों को छात्रों का पलायन लगातार जारी है। उन्होने कहा कि सरकारी स्कूलों के स्टाफ की कडी मेहनत का ही नतीजा है कि अब सरकारी स्कूल अपना खोया हुआ गौरव हासिल करने लगे हैं। जिसके चलते अब सरकारी स्कूल अभिभावकों और छात्रों का ध्यान अपनी ओर आर्कषित करने में सफल रहे हैं। उन्होने कहा कि शिक्षा विभाग की तरफ से सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं और इसके अलावा स्कूल प्रबंधन कमेटी के परिसर में मौजूद रहने के कारण स्कूलों का स्तर बढा है। वहीं पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों मिडियम स्कूलों में उपलब्ध होने के कारण भी अभिभावक व छात्र सरकारी स्कूलों की ओर प्रेरित हुए हैं। इधर अभिभावकों मनीष, दीपक, वीरेन्द्र, हुक्म चंद, हेम सिंह, दुर्गा दास तथा अन्यों का कहना है कि भारी महंगाई के बीच फीसों के लगातार बढने के कारण प्राइवेट स्कूलों का खर्चा वहन कर पाना अभिभावकों की क्षमता से बाहर होता जा रहा है। जबकि सरकारी स्कूलों में भी गुणात्मक शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है। ऐसे में छात्र प्राइवेट से सरकारी स्कूलों की ओर पलायन कर रहे हैं।
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