Monday, 20 April 2015

विस्थापन की चिंता में डूबे बगला गांव के सैंकडों परिवार


मंडी। कीरतपुर-मनाली राष्ट्रिय राजमार्ग के निर्माण के चलते बल्ह क्षेत्र के बगला गांव में करीब सौ परिवारों के लगभग एक हजार सदस्य इन दिनों संभावित विस्थापन के दर्द की वेदना को झेल रहे हैं। उनकी दिन रात की यही चिंता है कि जमीन-मकान का अधिग्रहण हो जाने पर वह कहां जाएंगे। हालांकि इस विस्थापन को रोकने के लिए वह सभी जगह गुहार लगा रहे हैं लेकिन कहीं से कोई आशा दिखाई नहीं पड रही है। इस विस्थापन को रोकने के प्रयासों में जुटी फोरलेन विस्थापित समिति बगला (दौहन्दी) ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर नागचला से बगला तक बाईपास बनाने की मांग की है। समिति का कहना है कि कीरतपुर-मनाली राष्ट्रिय राजमार्ग को फोरलेन बनाने के लिए कई जगहों पर बाई पास का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन बल्ह क्षेत्र के गांव दौहन्दी बगला से वैली व्यु होटल तक मात्र एक किलोमीटर के क्षेत्र में पुराने एनएच को ही 40 मीटर तक चौडा करके बनाया जा रहा है। जो किसी भी लिहाज से तर्कसंगत नहीं है। इस निर्माण से गांव के पुश्तैनी मकान, छोटी-छोटी दुकानें, जमीनें और उद्योग उजड रहे हैं। इनमें से अधिकांश लोगों के पास नये मकान, जमीन, दुकान या उद्योग को फिर से स्थापित करने के लिए दूसरी जगह उपलब्ध नहीं है। जिससे वह अपनी रोजी रोटी कमा सकें और अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकें। विस्थापित होने वालों में 90 फीसदी लोग अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछडा वर्ग से हैं। इनमें से अनेकों 70 से 90 साल की उम्र पार कर चुके बुजुर्ग हैं। उम्र की इस ढलान में वह नये मकान बनाने की स्थिति में नहीं हैं। विस्थापित समिति के अध्यक्ष देवी सिंह सैनी, सचिव गंगा राम वालिया और कोषाध्यक्ष हरि सिंह सैनी ने बताया कि वह सभी राजनेताओं और अधिकारियों से मिल कर इस विस्थापन को रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होने बताया कि फोरलेन के लिए डडौर से नागचला और चक्कर से मलोरी के लिए बाईपास बनाया जा रहा है। हालांकि यह बाढग्रस्त क्षेत्र है। लेकिन बगला से वैली व्यु तक मात्र एक किलोमीटर के क्षेत्र से राजमार्ग ले जाने की जरूरत समझ नहीं आ रही है। यह राजमार्ग नागचला से सीधा चक्कर को जोड देना चाहिए। यह क्षेत्र बाढग्रस्त भी नहीं है। इससे मार्ग की लंबाई भी कम होगी और लोगों का भारी पैमाने पर विस्थापन भी रूक जाएगा। हालांकि फेस-1 में फोरलेन के लिए सरकारी रकबा को चिन्हित करके राजपत्र में प्रकाशित किया गया था। लेकिन बाद में फेस-2 में करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित बगला गांव को विस्थापित कर लोगों की रोजी रोटी छिनने और आशियाने छीनने का निर्णय लिया गया है। जो बेहद दुर्भागयपुर्ण है। समिति ने उपायुक्त मंडी संदीप कदम से मांग की है कि बगला क्षेत्र की गरीब जनता की वेदना की पुकार को सुनते हुए इस अति महत्वपुर्ण फोरलेन मार्ग को राष्ट्रीय हित में नागचला से सीधे बाईपास के जरिए चक्कर में मिलाया जाए। समिति ने आग्रह किया है कि अगर यह विस्थापन न रोका गया तो क्षेत्र की जनता को मजबूरन आंदोलन का रूख अखितयार करना पडेगा।

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