मंडी। रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकडे गए क्लर्क को अदालत ने तीन साल के कठोर कारावास और पांच हजार जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने
पर उसे तीन माह के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। जिला एवं सत्र न्यायधीश बलदेव सिंह की विशेष अदालत ने देवधार गांव निवासी नीरज कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम
की धारा 7, 13(1)(डी)(2) के तहत अभियोग साबित होने पर उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार शिकायतकर्ता दीपक गुलेरिया ने व्यापार के सिलसिले में आबकारी एवं काराधान
विभाग से वर्ष 2005 में सीएसटी नंबर लिया हुआ था। वर्ष 2010 में उन्हे ईटीओ और आरोपी ने वार्षिक रिर्टन भरने के लिए नोटिस जारी किया। जिस पर उन्होने ईटीओ से बात की कि उन्होने कोई सामान
बाहर से नहीं मंगवाया है इसलिए उनकी टैक्स रिर्टन निल है। लेकिन ईटीओ और आरोपी ने कहा कि बाहर से सामान लाया हो या नहीं लेकिन उन्हे पांच सौ रूपये प्रति वर्ष के भरने होंगे। ऐसा न करने पर
उन्हे बीस हजार रूपये जुर्माना अदा करना होगा। शिकायतकर्ता के अनुसार ईटीओ और आरोपी ने उसके मामले को सुलझाने के लिए सात हजार रूपये की मांग की लेकिन बाद में चार हजार रूपये देने तय
किये गए। जिसमें से तीन हजार रूपये ईटीओ को और एक हजार रूपये आरोपी को देने थे। इसी बीच शिकायतकर्ता ने विजिलैंस को इस बारे में शिकायत दी। विजिलैंस ने उन्हे फिनालफथीन पाउडर लगाए गए
चार हजार रूपये ईटीओ और आरोपी को देने को कहा। जैसे ही ईटीओ और आरोपी ने यह राशि शिकायतकर्ता से ली उसी समय विजिलैंस की टीम ने दोनों को रंगे हाथ रिश्वत लेते दबोच लिया। ईटीओ के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद कंपीटेंट अथारटी की ओर से अभियोग की अनुमति नहीं दी गई। जबकि आरोपी के खिलाफ अथारटी से अनुमति मिलने के कारण अदालत में अभियोग चलाया गया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी आर के कौशल ने 16 गवाहों के बयान कलमबंद करके आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई है जो समाज को दीमक की तरह खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार देश की सुरक्षा और आर्थिकी के लिए भी चेतावनी है। ऐसे में अदालत ने आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित होने पर उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।
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