मंडी। धोखाधडी, जालसाजी और आपराधिक षडयंत्र का अभियोग साबित होने पर अदालत ने पांच आरोपियों को एक-एक साल के साधारण कारावास और 50 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपियों के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। अतिरिक्त मुखय न्यायिक दंडाधिकारी विवेक खनाल के न्यायलय ने गोविंद राम, मथुरा देवी, दीना नाथ,
शांती देवी और राम सिंह को उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अदालत ने आरोपी गोविंद राम, दीना नाथ और मथुरा देवी को भादंस की धारा 419, 467, 465 और 468 के तहत धोखाधडी, किसी अन्य वयक्ति को प्रस्तुत करके जालसाजी करके धोखा देने का अभियोग साबित होने पर उन्हे सभी धाराओं के तहत एक-एक साल के साधारण कारावास और पांच-2 हजार रूपये की सजा सुनाई है। एक सजा पूरी हो जाने के
बाद आरोपियों को दूसरी धाराओं में दी गई सजाएं काटनी होंगी। आरोपी शांती देवी और राम सिंह पर धारा 419, 467, 468, 465 और 120 के तहत धोखाधडी व जालसाजी के आपराधिक षडयंत्र में शामिल होने का अभियोग साबित होने पर उन्हे क्रमश: छह-2 माह और पांच-पांच हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। हालांकि इन आरोपियों की सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। इस मामले में नामजद एक अधिवक्ता के
खिलाफ मामला साबित न होने के कारण उन्हे बरी कर दिया गया। अभियोजन के अनुसार 6 मार्च 2000 को शिकायतकर्ता बेली राम ने बल्ह पुलिस थाना में शिकायत की थी। शिकायतकर्ता के मुताबिक उनकी बहन हिमी देवी और मोहिनी देवी को पता चला कि उनकी संदेहडा मुहाल में स्थित जमीन को एक भाई गोविंद राम के नाम पर सुमोचन कर दिया गया है। जबकि वह अपने दूसरे भाई को भी बराबर हिस्सा देना चाहती
हैं। पुलिस तहकीकात में यह सामने आया कि गोविंद राम ने अपने बेटे दीना नाथ के साथ षडयंत्र रच कर एक जाली पावर आफ अटार्नी तैयार की जिसे मोहिनी देवी द्वारा दीना नाथ के पक्ष में जारी किया गया बताया गया था। जबकि दस्तावेज बनाते समय मथुरा देवी को प्रस्तुत किया गया था। इसके आधार पर दीना नाथ ने मोहिनी देवी का हिस्सा अपने पिता गोविंद राम के नाम कर दिया। जबकि इसी तरह का एक अन्य दस्तावेज गोविंद राम ने राम सिंह, शांती देवी के षडयंत्र करके बनाया और मथुरा देवी को प्रस्तुत करके हिमी देवी का हिस्सा भी अपने नाम समोचन कर लिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक लोक अभियोजक अजय ठाकुर ने मामले की पैरवी की। अभियोग को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से 18 गवाहों के बयान कलमबंद किये गए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ धोकाधडी, जालसाजी और आपराधिक षडयंत्र का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।
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