मंडी। अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर मेला कमेटी की ओर से साहित्य चूडामणी पंडित भवानी दत शास्त्री की याद में बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के मुख्य अतिथी संदीप कदम ने कहा कि साहित्य हमेशा से समाज को दिशा प्रदान करता आया है। ऐसे में यह साहित्यकारों का दायित्व बन जाता है कि वह अपने समय के घटनाक्रम और समाज के विविध स्वरूपों को अपने साहित्य के माध्यम से उजागर करके सकारात्मक दिशा प्रदान करे। सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि और प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष दीनू कश्यप ने की। कार्यक्रम का आयोजन लवण ठाकुर ने किया। जबकि कवि सम्मेलन का संचालन लेखिका रूपेश्वरी शर्मा ने किया। इस अवसर पर पंडित भवानी दत्त शास्त्री की शिष्याओं ने उनके गीता के मंडयाली अनुवाद का गायन किया। सम्मेलन में सुरेश सेन निशांत, यादवेंद्र शर्मा, मुरारी शर्मा, हरिप्रिया शर्मा, हमीरपुर की शायरा, रवि सिंह राणा, प्रकाश पंत, कमल के प्यासा, पंछी, विनोद भावुक, राकेश कपूर, संध्या शर्मा, आशा ठाकुर, सरिता हांडा, कृष्णा ठाकुर, समीर कश्यप, रंगारंग सिंह, पूर्णेश गौतम, कर्नल जे कुमार, तिलक राज कौशिक तथा अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। Thursday, 19 February 2015
अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में बहुभाषी कवि सम्मेलन आयोजित
मंडी। अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर मेला कमेटी की ओर से साहित्य चूडामणी पंडित भवानी दत शास्त्री की याद में बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के मुख्य अतिथी संदीप कदम ने कहा कि साहित्य हमेशा से समाज को दिशा प्रदान करता आया है। ऐसे में यह साहित्यकारों का दायित्व बन जाता है कि वह अपने समय के घटनाक्रम और समाज के विविध स्वरूपों को अपने साहित्य के माध्यम से उजागर करके सकारात्मक दिशा प्रदान करे। सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि और प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष दीनू कश्यप ने की। कार्यक्रम का आयोजन लवण ठाकुर ने किया। जबकि कवि सम्मेलन का संचालन लेखिका रूपेश्वरी शर्मा ने किया। इस अवसर पर पंडित भवानी दत्त शास्त्री की शिष्याओं ने उनके गीता के मंडयाली अनुवाद का गायन किया। सम्मेलन में सुरेश सेन निशांत, यादवेंद्र शर्मा, मुरारी शर्मा, हरिप्रिया शर्मा, हमीरपुर की शायरा, रवि सिंह राणा, प्रकाश पंत, कमल के प्यासा, पंछी, विनोद भावुक, राकेश कपूर, संध्या शर्मा, आशा ठाकुर, सरिता हांडा, कृष्णा ठाकुर, समीर कश्यप, रंगारंग सिंह, पूर्णेश गौतम, कर्नल जे कुमार, तिलक राज कौशिक तथा अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।
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