मंडी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शहरी इकाई ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफतारी की कडे शब्दों में निंदा की है। भाकपा ने कन्हैया की तत्काल बिना शर्त रिहाई तथा जे.एन.यू. कैंपस से पुलिस हटाने की मांग की है। भाकपा ने देश विरोधी नारेबाजी करने वाले असली गुनहगारों को गिरफतार करने की भी मांग की है। यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा की शहरी इकाई के सचिव समीर कश्यप ने कहा कि जेएनयू में हुये कार्यक्रम के दौरान कुछ तत्वों ने अवांछित नारे लगाये थे जिनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। उन्होने कहा कि कन्हैया ने गिरफतारी से एक दिन पहले टी. वी. चैनल्स पर साफ कर दिया था कि इस तरह के नारे लगाने वालों से उनका कोई संबंध नहीं और उन्होने ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी की थी। भाकपा सचिव ने कहा कि कन्हैया कुमार वामपंथी छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) से संबधित हैं। एआईएसएफ देश का पहला छात्र संगठन है जो 1936 में बना था। इस संगठन की आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है और सदैव ही यह संगठन छात्र एवं शैक्षिक हितों के लिये काम करता रहा है। गत दिनों इस संगठन ने अन्य छात्र संगठनों के साथ मिल कर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पर तथा हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की हत्या के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया है, जिससे केंद्र सरकार बौखलाई हुई है। उन्होने कहा कि केंद्र सरकार और उसका जनक संघ परिवार वामपंथी, दलित, अल्पसंखयक और अन्य मेहनतकश तबकों को तबाह कर कार्पोरेट्स के हितों को साधने में लगे हैं और इसके लिये वे प्रतिरोध की आवाज को दबाना चाहते हैं। उन्होने कहा कि पहले दाभोलकर, पंसारे और कालबुर्गी की हत्यायें की गयी और अब जेऐनयू, ए.एम.यू., लखनऊ, हैदराबाद और इलाहाबाद जैसे विश्वविद्यालयों की स्वायत्त्तता को निशाना बनाया जा रहा है। भाकपा सचिव ने कहा कि जो सरकार आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह विफल रही है वह ऐसे लोगों को देशद्रोही करार देने पर उतारु है जो आतंकवाद और सांप्रदायिकता से जूझते रहे हैं। उन्होने कहा कि वामपंथ पर यह हमला इस बात का संकेत दे रहा है कि फासीवाद पैर पसारने को मचल रहा है। भाकपा ने सभी जनवादी ताकतों से अपील की है कि वे केंद्र सरकार के इन तानाशाहीपूर्ण कदमों के खिलाफ कडा प्रतिवाद दर्ज करायें।
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