मंडी। छोटी काशी मंडी की धरोहर ऐतिहासिक विक्टोरिया पुल की मुरम्मत का काम इन दिनों जोरों पर है। इस कार्य के चलते पुल से इन दिनों ट्रैफिक बंद की गई है। ऐसे में खलयार और पुरानी मंडी से आने वाले लोगों को भ्युली पुल होते हुए मंडी पहुंचना पड रहा है। उसी तरह मंडी से खलयार और पुरानी मंडी जाने वाले लोगों को भी भ्युली पुल होते हुए ही गंतव्य तक पहुंचना पड रहा है। इस नयी मुसीबात से दो चार होने पर कुछ लोग तो जल्दी पहुंचने के सिलसिले में दरिया को लांघने पर आमदा हो गये थे। लेकिन व्यास लांघते लोगों के चित्र जब सुर्खियों में आए तो प्रशासन ने कवायद करते हुए लोगों का व्यास नदी लांघना बंद करवा दिया है। दरअसल गत वर्ष शिवरात्री के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने विक्टोरिया पुल के साथ ही नया पुल बनाने का शिलान्यास किया है। इस पुल के सर्वे आदि के कार्य के लिए नदी में मशीनों को आरपार ले जाने के लिए एक अस्थाई रास्ता बनाया हुआ था। विक्टोरिया पुल के बंद होने के बाद लोगों ने इस अस्थाई रास्ते को अपनाते हुए व्यास नदी पार करनी शुरू कर दी थी। लेकिन लोगों को जान जोखिम में डाल व्यास नदी पार करते लोगों को रोकने के लिए प्रशासन ने अब वहां से सर्वे की मशीनें हटा दी हैं और वहां पर अस्थाई पुल के पत्थर भी हटा दिये हैं। जिससे इस रास्ते से लोगों का व्यास नदी पार करना बंद हो जाए। अस्थाई पुल के हटने के साथ ही लोगों का व्यास नदी पार करना तो फिलहाल बंद हो गया है। लेकिन प्रशासन की ओर से अपने स्तर पर अस्थाई पुल बनाने की दिशा में कोई कदम सामने आता हुआ नहीं दिखाई दिया है। विक्टोरिया पुल के बंद होने से इस क्षेत्र के व्यवसायियों को भारी मंदी का सामना करना पड रहा है। सैंकडों लोगों की आवाजाही वाले इस क्षेत्र से कोई नहीं गुजर रहा है। हालांकि प्रशासन ने लोगों की सुविधा के लिए एक मुद्रिका बस चलाई है। लेकिन क्या एक बस लोगों की समस्या को सुलझाने के लिए काफी है। ऐसी आपात स्थिति में आटो वालों की बन आई है। सेरी मंच से खलयार जाने के सौ रूपये मांगते हैं और वह देने पड रहे हैं। खलयार, पुरानी मंडी के लिए आटो की कतारें लगी हैं जबकि लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की खामियों के चलते भारी राशि अदा करनी पड रही है। यह भी सवाल उठ रहा है कि पुल का इतने लंबे दिनों तक कार्य चलना निश्चत होने के बावजूद अस्थाई पैदल पुल की व्यवस्था न करना अदूरदर्शिता नहीं तो और क्या है। क्या लोग प्रशासन के फैसलों से पीडित होने के लिए बाध्य हैं क्या किसी कार्य को करने से पहले लोगों को वैक्लपिक व्यवस्था मुहैया नहीं करवानी चाहिए। इन तमाम सवालों के साथ मंडी वासी इन दिनों अचानक अपने आप को संचार व्यवस्था के लिए जदोजहद करते दिख रहे हैं। वहीं पर मंडी के विकास के मानदंडों का आकलन करने पर भी विवश हुए हैं। सन 1875 में बने 141 साल के बुजुर्ग विक्टोरिया पुल की भारी ट्रैफिक से बोझ से जख्मी पीठ की मरहम पट्टी के लिए बेड रेस्ट पर जाना मंडी वासियों के लिए अभूतपुर्व घटना है। यह घटना इसलिए भी याद रहेगी कि विक्टोरिया के विकल्प के रूप में हम आजादी के बाद से अभी तक कोई अन्य पुल नहीं बना पाए हैं। इससे ज्यादा विडंबना क्या होगी कि बडे पुल की बात तो रहने ही दें अभी तक पुरानी मंडी और खलयार को जोडने वाला एक अदद पैदल चलने योग्य एक पुल भी हमारे निति निर्माता नहीं बना पाए हैं।
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