मंडी। आखिरकार भारी जदोजहद के बाद एक मिस्त्री को जातिगत आधार पर प्रताडित करने का मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया है। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इसकी जांच का जिममा राजपत्रित अधिकारी को सौंपा गया है। जानकारी के मुताबिक अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाला मराथू गांव का एक मिस्त्री नागेन्द्र पाल पुत्र सावणु गत वर्ष 29 जून 2016 को सदर तहसील के गोखडा (बलोह) गांव में मोहन लाल के घर की रसोई की मुरममत का कार्य कर रहा था। इसी दौरान आरोपी योगेन्द्र पाल, जीवन लाल और लेख राज ने उसे कार्य करने से रोका और कहा कि अगर काम बंद नहीं किया तो उसे जान से मार देंगे। इसके बाद से आरोपी उक्त मिस्त्री का पीछा कर रहे थे और उसे धमकियां दे रहे थे। हालांकि मिस्त्री ने उन्हें कहा कि वह मिस्त्री का काम रोजी रोटी कमाने और परिवार को पालने के लिए करता है। लेकिन 8 जुलाई को तीनों आरोपी उसके घर में आए और उसे जातिसूचक संबोधन कह कर डराना धमकाना शुरू कर दिया और उसे जान से खत्म करने की धमकी देने लगे। आरोपियों का कहना था कि अगर मोहन लाल के घर का काम किया तो वह उसकी टांगें तोड देंगे। इसके बाद 11 जुलाई को भी जब वह मोहन लाल के घर में कार्य कर रहा था तो आरोपियों ने उसे जातिसूचक शब्द कह कर धमकियां दी। काम से वापिस लौटते समय शाम को आरोपी लेखराज के घर के नजदीक उक्त आरोपियों ने उसे फिर से जातिसूचक शब्दों के साथ डराया-धमकाया। ऐसे में मिस्त्री ने 12 जुलाई को जिला पुलिस अधीक्षक को शिकायत देकर मामला दर्ज करने की अर्जी दी थी। लेकिन 12 अगस्त को पुलिस की ओर से मिस्त्री को उसके घर के नीचे नाले में आने को कहा। जब मिस्त्री वहां पहुंचा तो पुलिस ने उसे ही आरोपियों की मौजूदगी में धमकाना शुरू कर दिया और जबरन समझौतानामा लिखवा कर विरोध करने के बावजूद भी उसे 1000 रूपये दे दिये। पुलिस का कहना था कि उसे केस के लिए गवाह पेश करने होंगे जो अनुसूचित जाति या ब्राह्मण जाति से न हों। इस तथ्य की जानकारी मिस्त्री ने जिला पुलिस अधीक्षक को 16 अगस्त को एक लिखित अर्जी में दे कर आरोपियों पर कार्यवाही की फिर से गुहार लगाई थी। इसके अगले दिन मिस्त्री को थाना में बुलाया गया और उस पर समझौता करने के लिए दबाब बनाया गया पर उसकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। सदर थाना की ओर से कार्यवाही न होने पर मिस्त्री ने सूचना के अधिकार के तहत केस की प्रगति की सूचना मांगी। सूचना से पता चला कि थाना प्रभारी ने मिस्त्री की अर्जी को बिना जांच के खारिज कर दिया है। करीब एक दर्जन बार लिखित व मौखिक शिकायतें करने के बावजूद भी सदर थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया। बल्कि संज्ञान लिये जाने योगय आरोपों की शिकायत को तहकीकात किये बिना ही खारिज कर दिया गया। लेकिन शिकायतकर्ता मिस्त्री ने हार न मानते हुए एक बार फिर से 28 मार्च 2017 को अर्जी देकर प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया था। इसके बाद मिस्त्री ने सूचना के अधिकार के तहत इस अर्जी पर हुई कार्यवाही के बारे में जिला पुलिस अधीक्षक से जानकारी मांगी थी। सूचना में जाहिर हुआ है कि पुलिस ने मिस्त्री की शिकायत पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धारा 3(1) और भादंस की धारा 504 व 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है और अब मामले को अन्वेषण के लिए राजपत्रित अधिकारी को सौंपा गया है।
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