ब्यास नदी घाटी...
मैंने देखा
बयास नदी को बंधते
पंडोह और लारजी बांध में
रोके हुए पानी को फैंकने से
पैदा हुई बिजली की चमकती
रोशनियों के बीच।
मैंने देखा
खूबसूरत झरने,
सुंदर अगिनत वनस्पति
फूल, पौधे, जीव,जन्तु
दूधिया हरे रंग में
बार बार निहारने को
विवश करती कल कल बहती
शांत सुरम्य बयास नदी
और इसकी सुरम्य घाटी।
पहाडों को काट कर बनी
सडकें, तीखी धुमावदार,
ऊंची-नीची, ढलानदार
रास्ते के देवस्थल
कठिन यात्रा के पहरेदार।
कितने साल लगे होंगे
बयास नदी को इस
संकरी घाटी को चीरने में
काटने में, घिसने में
और फिर आगे बढने में।
नदी किनारे की बडी बडी
चट्टानें लुढकाने में,
डवार तथा कंदराएं बनाने में।
नदी किनारे का ताजा बालू
एकबारगी सिहरन पैदा करता
याद दिलाता
8 जून 2014।
हैदराबाद के इंजिनियरिंग
कालेज के 24 युवा
छात्रों का दल
नदी की खूबसूरती
से वशीभूत
चट्टानों पर
गर्मी के मौसम में
ठंडी ब्यारों के आगोश में
पर्यटन का आनंद उठाता।
अचानक
लारजी बांध से आए
फलैश फल्ड का जलप्रवाह
सभी जिंदगियों को
साक्षात मौत से कडे संघर्ष
और जदोजहद के बाद
लीलता जाता।
हादसे को हो गए कई माह
तो भी नहीं बदली है राह
मौका पर तारें लगा दी हैं
कई जगह चेतावनी दर्शा दी है
पर नदी तट के सौंदर्य
का क्या करें, वह तो
अटखेलियां को हर बार
भरमाता,
सम्मोहन में खींचा सा हर कोई
रेत-बजरी माफिया के बनाए रास्तों से
नदी तट में उतरता जाता।
नहीं समझ पाता कि
भाई यह जीवनदायनी
नदियों की मर्यादा
हनन का दौर है।
बयास नदी विपाशा है
पाश को विपाश करने वाली।
और माना कि बांध आधुनिक
विज्ञान के मानवीय
आविष्कार हैं।
पर मानव जीवन की
सुरक्षा को यहां
लापरवाहीपुर्ण अवैज्ञानिक
सरोकार हैं।
22-10-2014
sameermandi.blogspot.com
9816155600
एडिट- 3अगस्त2015
मैंने देखा
बयास नदी को बंधते
पंडोह और लारजी बांध में
रोके हुए पानी को फैंकने से
पैदा हुई बिजली की चमकती
रोशनियों के बीच।
मैंने देखा
खूबसूरत झरने,
सुंदर अगिनत वनस्पति
फूल, पौधे, जीव,जन्तु
दूधिया हरे रंग में
बार बार निहारने को
विवश करती कल कल बहती
शांत सुरम्य बयास नदी
और इसकी सुरम्य घाटी।
पहाडों को काट कर बनी
सडकें, तीखी धुमावदार,
ऊंची-नीची, ढलानदार
रास्ते के देवस्थल
कठिन यात्रा के पहरेदार।
कितने साल लगे होंगे
बयास नदी को इस
संकरी घाटी को चीरने में
काटने में, घिसने में
और फिर आगे बढने में।
नदी किनारे की बडी बडी
चट्टानें लुढकाने में,
डवार तथा कंदराएं बनाने में।
नदी किनारे का ताजा बालू
एकबारगी सिहरन पैदा करता
याद दिलाता
8 जून 2014।
हैदराबाद के इंजिनियरिंग
कालेज के 24 युवा
छात्रों का दल
नदी की खूबसूरती
से वशीभूत
चट्टानों पर
गर्मी के मौसम में
ठंडी ब्यारों के आगोश में
पर्यटन का आनंद उठाता।
अचानक
लारजी बांध से आए
फलैश फल्ड का जलप्रवाह
सभी जिंदगियों को
साक्षात मौत से कडे संघर्ष
और जदोजहद के बाद
लीलता जाता।
हादसे को हो गए कई माह
तो भी नहीं बदली है राह
मौका पर तारें लगा दी हैं
कई जगह चेतावनी दर्शा दी है
पर नदी तट के सौंदर्य
का क्या करें, वह तो
अटखेलियां को हर बार
भरमाता,
सम्मोहन में खींचा सा हर कोई
रेत-बजरी माफिया के बनाए रास्तों से
नदी तट में उतरता जाता।
नहीं समझ पाता कि
भाई यह जीवनदायनी
नदियों की मर्यादा
हनन का दौर है।
बयास नदी विपाशा है
पाश को विपाश करने वाली।
और माना कि बांध आधुनिक
विज्ञान के मानवीय
आविष्कार हैं।
पर मानव जीवन की
सुरक्षा को यहां
लापरवाहीपुर्ण अवैज्ञानिक
सरोकार हैं।
22-10-2014
sameermandi.blogspot.com
9816155600
एडिट- 3अगस्त2015
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