Wednesday, 6 July 2016

छोटे मकानों को रेगुलर करने की फीस कम करे सरकार



मंडी। भवन नियमितिकरण संघर्ष समिति मंडी ने प्रदेश सरकार के अध्यादेश में छोटे मकानों को नियमित करने की दरों में कमी लाने की मांग की है। समिति के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को इस बारे में नगर नियोजक को अपने सुझाव प्रस्तुत किये हैं। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी, हितेन्द्र शर्मा, हरमीत सिंह बिट्टू, समीर कश्यप और किसान बचाओ मोर्चा के संयोजक देशराज शर्मा ने बताया कि सोमवार को नगर नियोजक दिनेश लता गुलेरिया और सहायक नगर नियोजक रीता महेन्द्रु को समिति की ओर से सुझाव दिये गए हैं कि नियमितिकरण की दरों को कम किया जाए, 30 प्रतिशत ओपन स्पेस की शर्त को भीड भरे शहरी क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाए और आवेदन करने की समय सीमा 45 दिनों से बढा कर कम से कम 6 महीना की जाए। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि सरकार की ओर से जारी नियमितिकरण की पॉलिसी अभी भी आम जनता की पहुंच से दूर है। समिति का मानना है कि छोटे घरों के मालिक व छोटे व्यवसायिक परिसरों वाले लोग अभी भी इस एकमुश्त नियमितिकरण पालिसी का फायदा नहीं उठा पाएंगे। उन्होने बताया कि मंडी व अन्य शहरों के कोर टाउन एरिया में बने 160 वर्ग मीटर तक के रकबे वाले छोटे भवनों के सेटबैक में 30 प्रतिशत ओपन स्पेस की शर्त को पूरा नहीं कर सकते। क्योंकि इस शहरों में घरों के साथ सटे हुए घर हैं जिसके चलते 30 प्रतिशत ओपन स्पेस रखने की शर्त को यहां पर लागू करना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार को अध्यादेश से इस शर्त को हटा कर शत प्रतिशत डेविएशन को अनुमति देनी चाहिए। अध्यादेश में नियमितिकरण की दरें अभी भी बहुत ज्यादा हैं और छोटे घरों व व्यवसायिक इकाइयों वाले लोगों की क्षमता से बहुत दूर हैं। जिससे वह इस पालिसी का फायदा उठाने से वंचित रह जाएंगे। समिति के सदस्यों ने बताया कि मौजूदा पालिसी के मुताबिक अगर किसी का मकान 160 वर्ग मीटर (चार बिस्वा) में बना है तो इसके ग्राउंड फलोर के सैटबैक की 70 प्रतिशत डेविएशन के लिए करीब एक लाख नौ हजार रूपये की फीस अदा करनी होगी। इसके अलावा 54 हजार रूपये प्रति मंजिल के हिसाब से अन्य फलोरों की फीस निर्धारित की गई है। इस तरह से नगर परिषद क्षेत्र में इस रकबे के लिए कुल फीस करीब 2.18 लाख रूपये के करीब तय की गई है जो आम नागरिक की पहुंच से बहुत दूर है। उसी तरह नप क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर तक की नियमितिकरण फीस 1.5 लाख निर्धारित की है जबकि तीन मंजिलों तक यह 4.5 लाख रूपये बनती है। आम नागरिकों के लिए इतनी अधिक फीस जमा करवाना उनकी पहुंच से दूर है। समिति ने मांग की है कि 160 वर्ग मीटर तक छोटे भवनों और 80 वर्ग मीटर तक की व्यवसायिक इकाईयों की नियमितिकरण की फीस मौजूदा दर से 60 प्रतिशत कम की जाए। व्यवसायिक, होटल, पर्यटन, उद्योग के प्रयोग के लिए फीस सौ फीसदी बढाई गई है। लेकिन इस बढौतरी को दो बिस्वा तक की व्यवसायिक ईकाइयों पर लागू नहीं किया जाए और उन्हे इससे पूरी छूट दी जाए। समिति ने बीपीएल व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की फीस 50 फीसदी कम करने का स्वागत किया है। समिति का मानना है कि एक अन्य श्रेणी इजाद की जानी चाहिए जिसमें चार बिस्वा के भवनों व दो बिस्वा तक के व्यवसायिक इकाइयों को शामिल करके उनकी फीस कम की जानी चाहिए। अन्यथा इस पालिसी का फायदा सिर्फ अमीर लोग ही उठा पाएंगे जबकि गरीब व आम लोग इसका समुचित फायदा उठाने से वंचित रह जाएंगे। समिति के अनुसार प्रदेश में अलग-2 जिलों के शहरों के लिए अलग-2 डिवेलपमेंट प्लान बनाए गए हैं। जिनमें मंजिलों की संखया और सेट बैक के लिए अलग-2 नियम लागू किये गए हैं। शिमला में जहां फ्रंट सेटबैक 2 मीटर है और अन्य 1.5 मीटर तो वहीं पर मंडी में 3 मीटर और 2 मीटर के सैटबैक नियम हैं। उसी तरह मंजिलों की संखया में भी विसंगति है। समिति ने मांग की है कि पूरे प्रदेश के लिए एक समान प्लान लागू किये जाएं और इनके नियमों में भी एकरूपता लायी जाए। इस अवसर पर शिव पाल परमार, वाई एल शर्मा, घनश्याम ठाकुर और स्थानीय लोगों की अगुवाई में तल्याहड क्षेत्र के लोगों ने भी नये अध्यादेश के बारे में अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई। इधर, नगर नियोजक दिनेश लता गुलेरिया ने समिति तथा तल्याहड निवासियों की समस्याओं से विभाग को अवगत करवाने और उन्हे सुलझाने का आश्वासन दिया है।
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