Friday, 31 March 2017

बीमा कंपनी को पौने दो लाख ब्याज सहित लौटाने के आदेश




मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 1,75,000 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 10 हजार रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष पुरेन्द्र वैद्य और सदस्यों विभूती शर्मा व आकाश शर्मा ने सोलन जिला की अर्की तहसील के बागा (कंधार) निवासी साधु राम पुत्र लोभी राम की शिकायत को उचित मानते हुए एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ बीमा कंपनी को उक्त राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अभिषेक लखनपाल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार कंपनी की ओर से उपभोक्ता को संपर्क करके एचडीएफसी वैल्थ प्लान बिल्डर स्कीम लेने को कहा गया। इस स्कीम के तहत उपभोक्ता को 2,50,000 रूपये की तीन किश्तें देनी थी और उन्हे 12,50,000 रूपये के लिए बीमाकृत किया जाना था। बुजुर्ग और कम शिक्षित होने तथा पालिसी का ज्ञान न होने के कारण उपभोक्ता ने तीन किस्तें जमा करवाते हुए 7,50,000 रूपये की राशि कंपनी को अदा की। बाद में उपभोक्ता को राशि की जरूरत पडने पर उन्होने पालिसी को सरंडर किया तो उन्हें कंपनी की ओर से मात्र 5,75,000 रूपये की राशि ही अदा की गई। ऐसे में उपभोक्ता ने कंपनी की धोखाधडी को भांपते हुए फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। उपभोक्ता के अधिवक्ता की ओर से फोरम में पैरवी करते हुए राज्य उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग चंडीगढ की ओर से दी गई व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा गया कि उपभोक्ता की सालाना आमदनी 3,60,000 रूपये है जबकि उपभोक्ता से 2,50,000 रूपये बतौर प्रीमियम ही वसूल कर लिया गया। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि आयोग के उपरोक्त मामले की व्यवस्था की तरह ही इस मामले के तथ्यों से जाहिर हुआ है कि उपभोक्ता के बुजुर्ग और कम शिक्षित होने के कारण कंपनी ने उन्हें यह पालिसी बेच कर धोखाधडी की है। कंपनी ने उपभोक्ता से 7,50,000 रूपये की राशि बतौर प्रीमियम ली थी। जबकि उन्हे 5,75,000 रूपये ही लौटाए गए। ऐसे में फोरम ने कंपनी को उपभोक्ता के प्रीमियम की बकाया 1,75,000 रूपये की राशि ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक यंत्रणा के बदले 10 हजार रूपये हर्जाना और तीन हजार रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।
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भवनों के नियमितीकरण की अवधि बढ़ाए सरकारः संघर्ष समिति




मंडी। भवन नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने टीसीपी अधिनियम के तहत भवनों के नियमितीकरण की अवधि तीन महिने और बढाने की मांग की है। समिति का कहना है कि लोगों को नियमितीकरण की प्रक्रिया के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में बहुत समय लग रहा है। भवन नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने बुधवार को आयोजित आपात बैठक में सरकार की ओर से इन दिनों चल रही भवनों के नियमितीकरण की आवेदन प्रक्रिया पर चर्चा की गई। समिति के उत्तम चंद सैनी, अमर चंद वर्मा, हितेन्द्र शर्मा, मुरारी लाल शर्मा और समीर कश्यप ने बताया कि प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें औपचारिकताएं पूरी करने में भारी परेशानियों आ रही है। राजस्व अधिकारियों के न मिल पाने के कारण वह अपना स्ट्रचर सर्टिफिकेट नहीं बना पा रहे हैं। इसके अलावा उन्हें अनेकों विभाग से अनापती प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए दौड धूप करनी पड रही है। नियमितीकरण के आवेदन की अंतिम तिथी 31 मार्च निर्धारित की गई है। ऐसे में अधिकांश लोग नियमितीकरण की इस एकमुश्त पालिसी का लाभ उठाने से वंचित रह गए हैं। समिति ने मांग की है कि आवेदन की प्रक्रिया कम से कम तीन महिने तक बढाई जाए। जिससे लोग नियमितीकरण की सारी औपचारिकताएं पूरी कर सकें। समिती का यह भी कहना है कि प्रदेश सरकार ने नियमितीकरण की दरें बहुत ज्यादा निर्धारित की हैं। इतनी भारी भरकम दरें अदा करना गरीब तथा मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए संभव नहीं है। सरकार की ओर से प्रस्तावित पालिसी का लाभ सिर्फ बडे बिल्डर और निर्माता ही ले सकेंगे। यही कारण है कि अभी तक मंडी जिला के नगर निकायों व टीसीपी क्षेत्र में मात्र करीब दो सौ आवेदन ही टीसीपी विभाग व नगर निकायों के पास आए हैं। समिति ने सरकार से मांग की है कि जनहित में नियमितीकरण के आवेदन की अवधि तीन माह तक और बढाई जाए और इसकीदरें न्युनतम की जाएं।
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एचआरटीसी कर्मियों को पढ़ाया कानून का पाठ





मंडी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से बुधवार को यहां के बस स्टैंड में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (दो) कृष्ण कुमार ने की। इस अवसर पर हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मियों को विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं तथा कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर अधिवक्ता समीर कश्यप ने सूचना का अधिकार, मिडिएशन, लोक अदालत और ग्रामीण विधिक संरक्षण एवं सहायता केन्द्रों के बारे में जानकारी दी। जबकि अधिवक्ता ललित ठाकुर ने मोटर वाहन अधिनियम, उपभोक्ता कानून तथा गिरफतार व्यक्ति के अधिकारों व कानूनी प्रावधानों के बारे में बताया। शिविर में मंडी बस स्टैंड के अड्डा इंचार्ज मुखय निरिक्षक जितेन्द्र पाल, सहायक निरिक्षक कृष्ण चंद सहित निगम के चालक-परिचालक व स्टाफ तथा जिला विधिक प्राधिकरण के कर्मी मौजूद थे।
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Wednesday, 29 March 2017

एलईडी टीवी निर्माता, विक्रेता और केयर सेंटर को 5 हजार रूपये हर्जाना




मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने एलईडी टीवी के निर्माता, विक्रेता और केयर सेंटर को उपभोक्ता के पक्ष में 5000 हजार रूपये हर्जाना और 3000 रूपये शिकायत व्यय अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा उपभोक्ता का एलईडी टीवी सैट 20 अप्रैल तक निशुल्क ठीक करने के आदेश भी दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष पुरेन्द्र वैद्य और सदस्यों विभूती शर्मा व आकाश शर्मा ने मंडी के जवाहर नगर निवासी अनूप धवन पुत्र इंद्रजीत धवन की शिकायत को उचित मानते हुए विश्वकर्मा मंदिर के नजदीक स्थित पठानिया ई जोन, नेरचौक स्थित हाटेश्वरी केयर सेंटर और दिल्ली स्थित सोनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ उक्त फैसला सुनाया है। फोरम ने विक्रेता, केयर सेंटर और निर्माता को उपभोक्ता के एलईडी टीवी में यूएसबी कुनेक्शन और पिक्चर फोरमेट की खराबी 20 अप्रैल तक निशुल्क ठीक करने के आदेश दिये हैं। ऐसा न करने पर उन्हें एलईडी की कीमत 12,800 रूपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित उपभोक्ता को लौटानी होगी। फोरम में याचिका की पैरवी स्वयं करने वाले उपभोक्ता अनूप धवन ने सोनी ब्रांड का एलईडी टीवी विक्रेता पठानिया ई जोन से खरीदा था। लेकिन एलईडी टीवी को लगाने के कुछ ही देर बाद जब उपभोक्ता ने यूएसबी पोर्ट को कुनेक्ट करना चाहा तो इसने ठीक ढंग से कार्य नहीं किया। ऐसे में उपभोक्ता ने विक्रेता को इस खराबी के बारे में जानकारी दी। तकनीकी विशेषज्ञों से चैक करवाने के बावजूद भी खराबी ठीक नहीं हुई। केयर सेंटर की ओर से भी वरिष्ठ अभियंता ने टीवी को चैक किया। लेकिन वह भी ठीक नहीं कर पाए। जिसके चलते उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि विक्रेता, केयर सेंटर व निर्माता की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को फोरम में शिकायत दायर करनी पडी। जिसके चलते फोरम ने उन्हें उपभोक्ता के पक्ष में उक्त हर्जाना और शिकायत व्यय अदा करने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा उपभोक्ता की एलईडी को भी तत्काल निशुल्क ठीक करने का फैसला सुनाया है।
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इप्टा ने मनाया विश्व रंग दिवस



मंडी। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर रंगकर्मियों ने गोष्ठी का आयोजन करके रंगमंच की विधा पर चर्चा की। इस गोष्ठी का आयोजन इंडियन पीपलस थियेटर एसोसिएशन और सोसायटी फार दी एंपावरमेंट आफ कलचर डिवेलपमेंट के तत्वाधान से किया गया। इस मौके पर नाटक निर्देशक वेद कुमार ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि नाटक की विधा बहुत सशक्त विधा है और इसका भविष्य उज्जवल है। हालांकि इंटरनेट, टीवी, रेडियो और अखबार जैसे अनेकों माध्यम मौजूद हैं लेकिन अपनी संप्रेषणता की खूबियों के कारण इसके बावजूद भी दुनिया भर के तमाम देशों में रंगमंच हो रहा है। बदलते हुई सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक परिस्थितियों में रंगमंच में भी बदलाव हो रहा है और इसकी जरूरत समाज का आज पहले से ज्यादा हो गई है। इस अवसर पर इप्टा के सचिव समीर कश्यप, कमल देव, अंजली, रूपेश, दुनी चंद, भूपेन्द्र, चंद्र सिंह, गंगा और लतेश मौजूद थे।
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शेगली पंचायत में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित



मंडी। जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से रविवार को ग्राम पंचायत शेगली में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश (दो) कृष्ण कुमार ने की । इस अवसर पर उन्होने कहा कि इन शिविरों का उदेश्य लोगों को रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाले कानूनी प्रावधानों की जानकारी देना होता है। उन्होने बताया कि शिविर के माध्यम से लोगों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया जाता है। उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि सभी महिलाओं, अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों, अपंग, फैक्टरी मजदूरों और आपदा प्रभावित लोगों को प्राधिकरण की ओर से मुफत कानूनी सहायता दी जाती है। उसी तरह से सामान्य श्रेणी के लोगों को जिनकी वार्षिक आय एक लाख रूपये और वरिष्ठ नागरिकों को जिनकी आय दो लाख रूपये तक हो उनको भी मुफत कानूनी सहायता दी जाती है। उन्होने कहा कि यह सहायता प्राप्त करने के लिए सादे कागज पर आवेदन करना होता है। जिसके बाद प्राधिकरण की ओर से वकील तथा कागजों व गवाहों का खर्चा दिया जाता है। इसके अलावा लोक अदालतों व मिडिएशन के माध्यम से भी मामलों के शीघ्र निस्तारण को सुनिश्चित बनाया जा रहा है। इस मौके पर उन्होने एनडीपीएस एक्ट, दहेज प्रथा और सूचना के अधिकार के बारे में लोगों को अवगत करवाया। अधिवक्ता ललित ठाकुर ने लोगों को गुजारा भत्ता, गिरफतार व्यक्ति के अधिकार, घरेलू हिंसा और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बारे में जानकारी दी। जबकि अधिवक्ता नवीन शर्मा ने मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के बारे में लोगों को बताया। इस मौके पर स्थानीय पंचायत के प्रधान हरी सिंह ठाकुर ने मुखय अतिथि तथा विशेष अतिथियों का पंचायत में शिविर आयोजित करने पर आभार और धन्यावाद किया। शिविर में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर (तीन) अशोक कुमार, पंचायत उपप्रधान गोपाल ठाकुर, सचिव मोहन लाल, प्राधिकरण के कर्मी हेम सिंह, प्रकाश तथा स्थानीय निवासी मौजूद रहे।
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Wednesday, 22 March 2017

मैं नास्तिक क्यों हुं ? को पढते हुए



मैं नास्तिक क्यों हुं ? को पढते हुए


क्यों नहीं आज ही

ईश्वर की उपस्थिती पर

तर्कपूर्ण सवाल खडे किये जाएं

क्यों नहीं संसार और मनुष्य के जन्म

और निर्माण की प्रक्रिया के तत्व खंगाले जाएं

मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना से

क्यों नहीं जवाब तलब किये जाएं

मनुष्य की दीनता और शोषण पर आंख मुंद लेने वाले

सर्वशक्तिमान पर क्यों नहीं विश्वास करना छोड दिया जाए

क्यों नहीं ईश्वर के अस्तित्व के बारे में

उदारतापूर्वक सोच विचार कर उसकी आलोचना शुरू की जाए।

ना और अधिक रहस्यवाद ना और अधिक अंधविश्वास

क्यों ना यथार्थवाद को अपना आधार बनाया जाए

क्यों ना सर्वशक्तिमान परम आत्मा की बात

ब्रह्मांड के सृजक, दिग्दर्शक और संचालक को

एक कोरी बकवास मान लिया जाए

क्यों नहीं अनासक्त भाव से अपने जीवन को

मानव स्वतंत्रता के ध्येय पर समर्पित कर दिया जाए।

मानवता की गर्दन से दासता का जुआ उतार फैंक

मुक्ति और शांति का मार्ग क्यों नहीं अपनाया जाए।

क्यों नहीं रूढिगत विश्वासों को चुनौती देकर

प्रचलित मतों को तर्क की कसौटी पर कसा जाए।

क्यों नहीं चेतन परम आत्मा का

प्रकृति की गति के दिग्दर्शन और संचालन में

कोई अस्तित्व नहीं है पर विश्वास किया जाए।

क्यों नहीं सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक और सर्वज्ञानी ईश्वर से

असंख्य दुखों के शाश्वत अनन्त गठबंधनों से ग्रसित

दुनिया की रचना करने पर सवाल किया जाए।

उस शाश्वर नीरो को, जो हर दिन, हर घंटे और हर मिनट

असंख्य दुख देता रहा और अभी भी दे रहा है

न्यायोचित ठहराना कैसे स्वीकार किया जाए।

काल कोठरियों से लेकर झोपडियों की बस्तियों तक

भूख से तडपते लाखों इन्सानों, मजदूरों,

पूंजीवादी पिशाच द्वारा खून चूसने की क्रिया को

धैर्यपूर्वक निरूत्साह से चुप्पी साधे

देखते रहने पर क्यों नहीं सवाल किया जाए।

क्यों नहीं श्रद्धा को एक ओर फैंक कर

सभी कष्टों, परेशानियों का पुरूषत्व से सामना किया जाए।

ईश्वर में विश्वास और रोज़-ब-रोज़ की प्रार्थना को

मनुष्य के लिए सबसे स्वार्थी और

गिरा हुआ काम माना जाए।

क्यों नहीं शहीदे-आज़म भगत सिंह की तरह

विपदाओं का बहादुरी से सामना करने वाले

नास्तिकों के बारे में पढा जाए।

स्वार्थी कारणों से मैं प्रार्थना नहीं करूंगा पाठको और दोस्तो

अगर यह अहंकार है तो क्यों न स्वीकार किया जाए।

(भगत सिंह के लेख मैं नास्तिक क्यों हुं ? को पढते हुए इस कविता का सृजन हुआ है)

समीर कश्यप

29-9-2013

sameermandi@gmail.com

Saturday, 18 March 2017

भवन नियमितीकरण की दरें घटाए सरकार




मंडी। भवन नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने टीसीपी अधिनियम में भवनों के नियमितीकरण की दरें घटाने की मांग की है। समिति का कहना है कि भारी भरकम फीसें होने के कारण लोग अपने मकानों को नियमित करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। जिससे नियमितीकरण का यह प्रयास भी असफल होने के कगार पर है। समिती का मानना है कि नियमितिकरण की इतनी भारी भरकम फीस बिल्डर तो अदा कर सकते हैं पर आम लोगों के लिए यह फीसें अदा करना संभव नहीं है। भवन नियमितिकरण संघर्ष समिति (मंडी) के उत्तम चंद सैनी, अमर चंद वर्मा, हितेन्द्र शर्मा, मुरारी लाल शर्मा, हरमीत सिंह बिट्टू, प्रदीप परमार और समीर कश्यप ने समिति की बैठक के बाद प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि टीसीपी एक्ट में नियमितीकरण की दरें बहुत ज्यादा निर्धारित की गई है। समिति की मांग है कि नक्शों में बदलाव के साथ बनाए गए छोटे घरों व व्यवसायिक संस्थानों की दरें नगर परिषद क्षेत्र में 100 रूपये और नप क्षेत्र से बाहर 50 रूपये प्रति वर्ग मीटर तय की जाए। जबकि बिना योजना अनुमति के बनाए गए भवनों में यह दरें क्रमश: 200 रूपये और 100 रूपये की जाए। समिति का कहना है कि एक्ट में दरें सामान्य शुल्क की दरों से 6000 से 12000 प्रतिशत अधिक तक निर्धारित की गई हैं। इन दरों को अदा करना गरीब तथा मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए संभव नहीं है। सरकार की ओर से प्रस्तावित पालिसी का लाभ सिर्फ बडे बिल्डर और निर्माता ही ले सकेंगे। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि अधिसूचना होने के बाद अभी तक मंडी जिला के नगर निकायों व टीसीपी क्षेत्र में मात्र करीब दो सौ आवेदन ही टीसीपी विभाग व नगर निकायों के पास आए हैं। जबकि 90 फीसदी से अधिक भवन जिनका नियमितीकरण होना है वह लाखों रूपये की फीस होने के कारण आवेदन नहीं कर रहे हैं। इस अतार्किक फीस के कारण लोग अपने भवनों को नियमित करने से एक बार फिर वंचित हो गए हैं। समिति ने प्रदेश सरकार मांग की है कि टीसीपी एक्ट की मौजूदा दरों को निरस्त करके नियमितीकरण की आंशिक दरें वसूल की जाएं। तभी आम जनता इस एकमुश्त पालिसी का फायदा उठा पाएगी। इसके अलावा नियमितीकरण की अवधी को बढाया जाये ताकि लोगों को अपने दस्तावेज एकत्र करने के लिए समय मिल सके। वहीं पर नियिमितीकरण की प्रक्रिया को सरल किया जाए क्योंकि मौजूदा नियमों के तहत औपचारिकताएं पूरी करने के लिए लोगों को विभिन्न कार्यालयों के चक्कर काटने पड रहे हैं। ऐसे में सिंगल विंडो की प्रक्रिया शुरू की जाए जिससे लोगों को एक ही कार्यालय में नियमितिकरण से संबंधित सभी सुविधाएं मिल सकें।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...