Tuesday, 31 May 2011
बीडीओ गोपालपूर को हर्जाने के आदेश
जिला एवं सत्र न्यायधीश के सम्मान में बैठक आयोजित
डिभा बावडी का असतित्व संकट में
Sunday, 29 May 2011
डिभा बावडी का जल पूरी तरह से प्रदूषित
Saturday, 28 May 2011
उपभोकता की 2,53,000 रूपये की मुआवजा राशी बयाज सहित अदा करने के आदेश
Friday, 27 May 2011
बार कौंसिल के चुनावों की सरगर्मी बढ
Thursday, 26 May 2011
चुरा पोस्त रखने के दो आरोपी बरी
Wednesday, 25 May 2011
एन ओ सी एक माह में जारी करने के आदेश
Tuesday, 24 May 2011
पत्नी की हत्या का आरोपी बरी
Monday, 23 May 2011
सांसद डा. राजन सुशान्त ने हिमाचलियत बचाने का आहवान किया
घूस लेने के मामले में दो पटवारी बरी
Saturday, 21 May 2011
न्यायलय में एंटी टेरोरिजम डे मनाया जाएगा
न्यायलय में एंटी टेरोरिजम डे मनाया गया
चरस तस्करी के आरोपी को 15 साल की कठोर कारावास
मंडी। चरस तसकरी के एक आरोपी को अदालत ने 15 साल के कठोर कारावास और डेढ लाख रूपये जुर्माने का फैसला सुनाया है। आरोपी के जुर्माना राशी निश्चित समय में अदा न करने पर उसे दो साल की अतिरिकत साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। जबकि उसके दवारा काट ली गई सजा को उकत अवधी में से कम कर लिया जाएगा। अतिरिकत जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला के न्यायलय ने मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत चलाए गए अभियोग में दोष साबित होने पर हरियाणा के जिला पानीपत के ओबरा खेडी गांव निवासी राजू पूत्र इलम सिंह को उकत सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार सुंदर नगर पुलिस का दल 23 दिसंबर 2009 को नरेश चौक के पास गश्त पर तैनात था। इसी दौरान मनाली की ओर से चंडीगढ जा रही एक पंजाब रोडवेज बस को तलाशी के लिए रोका गया। तलाशी के समय सीट नं 36 पर बैठे आरोपी के घबरा जाने पर पुलिस ने उसकी गोद में रखे बैग की तलाशी ली तो इसमें से 5 किलो 500 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले को साबित करने के लिए उप जिला न्यायवादी एस एस कौंडल ने 14 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। अदालत ने आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के कारण उसे चरस तसकरी को दोषी करार दिया। शनिवार को सजा की अवधी पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने आरोपी का पहला अपराध होने के कारण नरम रूख अपनाने की अपील की। जबकि अभियोजन का कहना था कि आरोपी को कडी सजा दी जाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन अपराधों के समाज पर होने वाले असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में अदालत ने उसे उकत कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया।
Thursday, 19 May 2011
उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश ने मंडी के वकीलों से मुलाकात की
मंडी। उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश सवतंत्र कुमार ने वीरवार को जिला एवं सत्र न्यायलय के अधिवकताओं से मुलाकात की। यहां के बार रूम में अधिवकताओं को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि वकीलों की समाज के निर्माण में अहम भूमिका होती है। उन्होने कहा कि इतिहास गवाह है कि आजादी के आंदोलन से लेकर जब कभी भी सामाजिक बदलाव हुए उसमें अधिवकताओं ने अहम भूमिका रही है। उन्होने कहा कि अधिवकता वर्ग समाज और न्यायप्रणाली के बीच सेतु का काम करता है। उन्होने कहा कि देश के गरीब से गरीब व्यकित तक न्याय पहुंचाने में अधिवकता वर्ग को तत्पर रहना चाहिए। उन्होने कहा कि अधिवकता वर्ग का समाज में विशेष प्रभाव होता है और लोग उनकी बातों पर अमल करते हैं। ऐसे में अधिवकता सामाजिक मुल्यों की रक्षा करते हुए समाज के प्रति अपनी भूमिका को ज्यादा कारगर ढंग से निभा सकते हैं। न्यायधीश के सममान में जिला बार एसोसिएशन की ओर से बार रूम में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिला बार एसोसिएशन के महासचिव समीर कश्यप ने बताया कि इस अवसर पर एसोसिएशन के प्रधान ललित कपुर ने न्यायधीश सवतंत्र कुमार को बार रूम में आने और अधिवकताओं से मिलने पर धन्यावाद किया। जिला एवं सत्र न्यायधीश सी बी बारोवालिया ने भी न्यायधीश का जिला एवं सत्र न्यायलय में आने पर उनका सवागत किया। बैठक में जिला उपभोकता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारदवाज, अतिरिकत जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला, फासट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी जे एन यादव, मुखय न्यायिक दंडाधिकारी डी आर ठाकुर और सभी न्यायिक दंडाधिकारी और जिला बार एसोसिएशन के सदसय मौजूद थे। इसके बाद जिला बार एसोसिएशन की ओर से न्यायधीश सवतंत्र कुमार के सममान में एक लंच भी आयोजित किया गया।
उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश का है मंडी से विशेष नाता
समीर कश्यप
मंडी। उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश एवं मुमबई उच्च न्यायलय के पूर्व मुखय न्यायधीश सवतंत्र कुमार जब मंडी न्यायलय में पहुंचे तो कई पुरानी यादों में खो गए। न्यायधीश सवतंत्र कुमार का मंडी से एक विशेष नाता रहा है। उनके पिता ओ पी शर्मा यहां पर जिला एवं सत्र न्यायधीश के तौर पर अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। अपने पिता के सेवाकाल के दौरान न्यायधीश सवतंत्र कुमार विजय सीनीयर सेकैन्डरी पाठशाला के छात्र रहे हैं। न्यायधीश के मंडी शहर में बहुत से बचपन के दोसत भी हैं। जिनमें से प्रो. रवि, प्रो. डी.एन कपूर और प्रो. कृपाल के नाम शुमार हैं। मंडी में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होने पिता के नकशे कदम पर चलते हुए कानून की पढाई करके उन्होने साल 1971 में दिल्ली में अपनी प्रैकटिस शुरू की। उच्चतम न्यायलय और कई उच्च न्यायलयों में प्रैकटिस के बाद साल 1983 में उन्होने मंडी में अतिरिकत जिला एवं सत्र न्यायधीश का पद भार संभाला तो उन्हे एक बार फिर अपने बचपन के जवान हो चुके दोसतों और मंडी शहर के साथ समय बिताने का मौका मिला। इसके बाद उन्हे दिल्ली उच्च न्यायलय में अतिरिकत न्यायधीश के रूप में तैनात किया गया। यहां से उन्हे सथाई न्यायधीश के तौर पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायलय में तैनात किया गया। साल 2004 में उनका तबादला को दिल्ली हो गया । उन्हे साल 2007 में मुमबई उच्च न्यायलय का मुखय न्यायधीश तैनात किया गया । यहीं से उन्हे साल 2009 में उच्चतम न्यायलय का न्यायधीश नियुकत किया गया। न्यायधीश सवतंत्र कुमार 31 दिसंबर 2012 को सेवानिवृत होंगे। इधर मंडी प्रवास के दौरान भी न्यायधीश अपनी यादों को ताजा करने का मोह नहीं त्याग पाए। वीरवार को जब वह जिला बार एसोसिएशन के बुलावे पर न्यायलय परिसर में पहुंचे। जैसे ही वह अपने वाहन से बाहर निकले तो अधिवकताओं ने उनका गर्मजोशी के साथ सवागत किया। न्यायधीश बहुत ही तत्परता और आत्मियता के साथ अपने समकालीनों, सीनीयरों और युवा अघिवकताओं से मिले। अपनी बातचीत के दौरान वे कई बार अपनी पुरानी यादों में खो गए।
मंडी। उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश एवं मुमबई उच्च न्यायलय के पूर्व मुखय न्यायधीश सवतंत्र कुमार जब मंडी न्यायलय में पहुंचे तो कई पुरानी यादों में खो गए। न्यायधीश सवतंत्र कुमार का मंडी से एक विशेष नाता रहा है। उनके पिता ओ पी शर्मा यहां पर जिला एवं सत्र न्यायधीश के तौर पर अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। अपने पिता के सेवाकाल के दौरान न्यायधीश सवतंत्र कुमार विजय सीनीयर सेकैन्डरी पाठशाला के छात्र रहे हैं। न्यायधीश के मंडी शहर में बहुत से बचपन के दोसत भी हैं। जिनमें से प्रो. रवि, प्रो. डी.एन कपूर और प्रो. कृपाल के नाम शुमार हैं। मंडी में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होने पिता के नकशे कदम पर चलते हुए कानून की पढाई करके उन्होने साल 1971 में दिल्ली में अपनी प्रैकटिस शुरू की। उच्चतम न्यायलय और कई उच्च न्यायलयों में प्रैकटिस के बाद साल 1983 में उन्होने मंडी में अतिरिकत जिला एवं सत्र न्यायधीश का पद भार संभाला तो उन्हे एक बार फिर अपने बचपन के जवान हो चुके दोसतों और मंडी शहर के साथ समय बिताने का मौका मिला। इसके बाद उन्हे दिल्ली उच्च न्यायलय में अतिरिकत न्यायधीश के रूप में तैनात किया गया। यहां से उन्हे सथाई न्यायधीश के तौर पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायलय में तैनात किया गया। साल 2004 में उनका तबादला को दिल्ली हो गया । उन्हे साल 2007 में मुमबई उच्च न्यायलय का मुखय न्यायधीश तैनात किया गया । यहीं से उन्हे साल 2009 में उच्चतम न्यायलय का न्यायधीश नियुकत किया गया। न्यायधीश सवतंत्र कुमार 31 दिसंबर 2012 को सेवानिवृत होंगे। इधर मंडी प्रवास के दौरान भी न्यायधीश अपनी यादों को ताजा करने का मोह नहीं त्याग पाए। वीरवार को जब वह जिला बार एसोसिएशन के बुलावे पर न्यायलय परिसर में पहुंचे। जैसे ही वह अपने वाहन से बाहर निकले तो अधिवकताओं ने उनका गर्मजोशी के साथ सवागत किया। न्यायधीश बहुत ही तत्परता और आत्मियता के साथ अपने समकालीनों, सीनीयरों और युवा अघिवकताओं से मिले। अपनी बातचीत के दौरान वे कई बार अपनी पुरानी यादों में खो गए।
Tuesday, 17 May 2011
भुक्की रखने के 4 आरोपी बरी
Saturday, 14 May 2011
न्यायिक कर्मचारियों ने सरकार को दिया 30 दिन का अल्टीमेटम
Friday, 13 May 2011
अधिवक्ताओं की समस्या पर बैठक बुलाई
मंडी। खुले आसमान के नीचे बैठने वाले जिला बार एसोसिएशन के अधिवकताओं के बैठने की समसया को लेकर जिला एवं सत्र न्यायधीश सी बी बारोवालिया ने पहल की है। जिला एवं सत्र न्यायधीश ने इस समसया को लेकर शुक्रवार को जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक तय की है। जिससे अपनी बैठने की समसया से जूझ रहे अधिवकताओं में उनकी परेशानी दूर होने की उममीद जगी है। उल्लेखनीय है कि जिला एवं सत्र न्यायलय परिसर में नए भवन के निर्माण के दौरान पुराने भवन के बरामदे में बैठने वाले अधिवकताओं को शिफट कर दिया गया था। लेकिन जिस जगह अधिवकता शिफट किए गए वहां पर कुछ जगह पर तो टिन के शैड बना दिए गए। लेकिन करीब दो दर्जन अधिवकताओं को शैड नसीब न होने के कारण उन्हे खुले आसमान के नीचे बैठ कर कार्य करना पड रहा है। भारी गर्मी, सर्दी, बरसात और आंधी-तूफान के कारण अधिवकताओं और उनके पास कार्य करवाने आए याचिकाकर्ताओं को भारी कठिनाइयों का सामना करना पडता है। इस समसया के भुगत भोगी अधिवकता वीरेन्द्र, नरेन्द्र, रमा, दीपक, देशराज, मनीष कटोच, देवेन्द्र शर्मा, पुषप राज शर्मा, टी आर पठानिया, अजय ठाकुर, विक्रांत शर्मा, राजकुमार चावला, रतन लाल वर्मा, कुलदीप ठाकुर, दीपक शर्मा, गीतांजली शर्मा, शैलजा शर्मा और राजेश्वर शर्मा ने बताया कि खुले आसमान के नीचे कार्य करके न केवल उनके काम प्रभावित हो रहा है बल्कि इसका उनके सवासथय पर भी बुरा प्रभाव पड रहा है। इधर, जिला बार एसोसिएशन के महासचिव समीर कश्यप ने इस समसया के बारे में शुक्रवार को बैठक होने की पुषिट की है। उन्होने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायधीश की पहल कदमी से उन्हे इस समसया का समाधान होने की उममीद बंधी है।
जिला न्यायधीश ने दिया अधिवक्ताओं को आश्वासन
Wednesday, 11 May 2011
अंधेरे से मिली निजात बालीचौकी के 102 घरों को रोशनी की सौगात, पुराने पोल बदलने का काम शुरू
आजादी के पिछले छह दशक से अंधरों का शिकार रहे बालीचौकी उप तहसीत के 102 परिवारों को आखिर रोशनी की सौगात मिली है। प्रदेश बिजली बोर्ड की ओर से उन सभी परिवारों को बिजली उपलब्ध करवा दी गई है । यहां दशकों पुराने पोल बदनने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। एल्टी लाईन के 50 और एचटी लाईन के 21 पोल बदलने के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। बिजली बोर्ड के लारजी सब डिविजन के सहायक अभियंता के अनुसार बिजली के मीटर लगाने के जितने भी आवेदन विभाग को आए थे, सबको बिजली उपलब्ध करवा दी गई है। बता दें कि पंचायती राज मंत्री जयराम ठकाुर के गृह विधानसभा क्षेत्र में सैंकड़ों परिवारों को आवेदन के बावजूद बिजली ने मिलने की खुलासा आरटीआई के तहत सूचना जुटाकर कर कामगार मजदूर संगठन के अध्यक्ष संत राम ने किया था और सरकार के शत प्रतिशत विद्युतिकरण के दावों की पोल खोली थी। पता चला था कि बालीचौकी के अंतर्गत खलवाहण पंचायत के 34 परिवार, देवधार के नौ परिवारों को बिजली को बिजली उपलब्ध नहीं हैऔर विद्युत अनुभाग लारजी के अंतर्गत आने वाले 59 परिवारों को भी बिजली नहीं मिल रही है। यह भी खुलासा हुआ था कि इस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के लिए बिजली की लाइनें लकड़ी के पोलों पर बिछाई गई हैं। लारजी स्थित बिजली बोर्ड़ के सहायक अभियंता श्याम लाल ने बताया कि जहां लोगों को बिजली उपलब्ध नहीं करवाई गई थी उन्हें बिजली उपलब्ध करवाई करवा दी गई है जबकि यहां पोल बदलने का काम जारी है।
एक साल बाद मिला मिट़टी का तेल
खाद्य एवं आपर्ति विभाग आया हरकत में , जांच भी जारी
बालीचौकी की जिन आधा दर्जन पंचायतों को जिस मिट्टी के तेल की एक साल से आपूर्ति नहीं हो पा रही थी, वहां अब मिट्टी के तेल की आपूर्ति कर दी गई । खाद्य एवं आपूर्ति विभाग हरकत में आ गया है। बालीचौकी के उन सभी डिपुओं को मिट्टी का तेल उपलब्ध करवा दिया गया है, जिसके बारे में विभाग को जांच का जिम्मा सौंपा था। बालीचौकी की आधा दर्जन पंचायतों में गरीबों को सस्ती दरों पर मिलने वाले मिट्टी के तेल सालभर से नहीं मिल रहा था। बीते शुक्रवार को मजदूर कामगार संगठन के अध्यक्ष संतराम ने इस बारे में एडीसी हंसराज को ज्ञापन दिया था और हरकत में आते हुए जिला प्रशासन ने जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक सुरेंद्र सिंह पठानिया को जांच करने के आदेश दिए थे। इस मामले में जहां एक तरफ विभाग जहां एक साल से मिट्टी के तेल की आपूर्ति नहीं हुई, इसकी जांच कर रहा है, वहीं दूसरी ओर मिट्टी के तेल की आपूर्ति कर दी गई है। खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक सुरेंद्र पठानिया ने बताया कि बालीचौकी में मिट़्टी के तेल की आपूर्ति कर दी गई है। उधर इस बारे में शिकायत करने वाले कामगार मजदूर संगठन के अध्यक्ष एवं आरटीआई ब्यूरो के सदस्य संत राम का कहना है कि आखिर किस कारण से मिट्टी के तेल की आपूर्ति नहीं की गई, इसकी जल्द जांच कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
छोटी काशी की धरोहरें संकट में, डिभा बावडी का पानी प्रदूषित हुआ
लोगों की सदियों से अपने मीठे जल से प्यास बुझाने वाली भगवाहन मुहल्ला में सथित डिभा बावडी का असतित्व इन दिनोंसंकट में है। पिछले करीब एक सप्ताह से इस बावडी से प्रदूषित जल प्रवाहित हो रहा है। जिससे बीमारियां फैलने की आशंका हो गई है। यह माना जा रहा है कि बावडी के अगोर(आस पास के खाली क्षेत्र) में नगर परिषद के सौन्दर्यीकरण के नाम पर निर्माण से हुई छेडछाड के कारण ही यह जल प्रदूषित हुआ है। नगर परिषद ने बावडी को जाने के लिए बनाई गई पुरातन सीढीयों को तोड कर बावडी के अगोर क्षेत्र का बुरी तरह से खनन करके एक विशालकाय डंगा निर्मित कर दिया है। जिससे अब बावडी के ऊपर से बहने वाली नाली और साथ ही बना दिए गए सीवरेज के टैंक का पानी बावडी में मिल कर इस प्रदुषित कर रहा है। सदियों पहले बनी यह बावडी एक ऐतिहासिक धरोहर है। बावडी के ऊपरी भाग में निर्मित गुंबद और मंडप इसके लंबे समय तक उपयोग में रहने का प्रमाण देते हैं। बावडी के तल तक पहुंचने के लिए सीढियां बनाई गई हैं। इन सीढियों पर लगाए गए पत्थर की यह खासियत है कि इसमें काई नहीं जम पाती। जो अदभुत कला का उदाहरण पेश करती है। यह बावडी तीन तरफ से दीवारों से घिरी हुई है। इन दीवारों में आले बने हुए हैं जिनमें खूबसूरत प्रतिमाएं रखी गई हैं। जबकि पूर्व दिशा में प्रवेश दवार है। जहां बाद में लोहे का एक दरवाजा लगा दिया गया है। प्रवेश दवार की देहली पर गणेश की प्रतिमा है। बावडी के भवन के तीन ओर एक परिक्रमा निर्मित है। नगर परिषद में हाल ही में इस ऐतिहासिक धरोहर के ठीक सामने एक छतनुमा निर्माण कर दिया है जिससे इस बावडी का विहंगम दृश्य ही लोप हो गया है।
ऐसा लगता है कि इस पुरातन शहर में सथित ऐतिहासिक धरोहरों की किसी को चिंता नहीं है। कुछ धरोहरें अपने असतित्व के लिए जूझ रही हैं तो कुछ पर लोगों ने अपने सवार्थ के चलते कबजा कर लिया है। शहर के कई सत्रोत पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में आ चुके हैं तो कुछ इसकी कगार पर हैं। बावडियों के पास रहने वाले लोगों ने कई जगह इन सत्रोतों पर ही मकान खडे कर दिए हैं। घर के गंदे पानी की निकासी के पाइप इन जलाशयों की ओर मोड दिए हैं। शहर की कुछ बावडियों के तो सिर्फ नाम ही रह गए हैं।
जल को बचाने और उसके असीमित दोहन को रोकने के लिए जल प्रबंधन की निती होनी चाहिए। जिसके अनुसार कार्य किया जा सके। साथ ही जल संरक्षण एकट भी बनाया जाना चाहिए। जब, बडे-2 बांध,नहरें आदी नहीं थी तथा आधुनिक ढंग के नलकूप और नल आदी जल सत्रोत नहीं थे तब बावडियां और नौण आदि ही जल के महत्वपूर्ण सत्रोत थे। भूतल पर सुदृढता से निर्मित बावडियां पेयजल, सनान और सिंचाई आदि के लिए काम में आती थी। वर्तमान समय में ये अतयंत उपेक्षित एवं जर्जर अवसथा में पडी हुई हैं। इनका समुचित उपयोग न होने से इनका जल मलिन होता जा रहा है। झाड-झंखाड उग आए हैं। प्रदुषण से जल की गुणवता प्रभावित हो गई है। बावडी जैसे जल सत्रोतों का समय समय पर होने वाले धार्मिक आयोजनों में भी विशेष महत्व होता है। शादी विवाह और ब'चों के जन्म के बाद बावडी पूजन की रसम की जाती है। जल संकट के भीषण दौर में शहर के प्राचीन जलाशय बहुत बडा सहारा बन सकते हैं। इनसे पाइप लाइन जोड कर पेयजल आपूर्ती की जा सकती है। यही नहीं शहर की सांसकृतिक पहचान बनी इन बावडियों और नौणों की मौलिकता को संरक्षित कर शहर के सौन्दर्य को चार चांद लगाए जा सकते हैं। इसलिए वाटर रिर्सोस के लिए अलग से नोडल एजेंसी बननी चाहिए।
इस वर्ष वल्र्ड हेरिटेज डे के लिए वाटर हेरिटेज को सब थीम बनाया गया है। एक तरफ दुनिया भर में पानी के हैरिटेज सत्रोतों को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं धरोहर नगरी मंडी में पुराने जल सत्रोतों में डिभा बावडी सहित कई सत्रोत अपने असतित्व के लिए जूझ रहे हैं। बुर्जुगों का कहना है कि सथानिय आबोहवा और जल ही वहां के लोगों का निर्धारक तत्व है। उनकी यह सथापना किसी हद तक संसकृति के नृतत्वशासत्रीय अध्ययन से मेल खाती है। इसका तर्क यह है कि अलग अलग भूमि सत्रोतों में विभिन्न प्रकार के तत्वों में से कुछ हमारे अनुकूल नहीं होते। इन सबसे अलावा पाइप लाइन बिछाने वाला यह विकसित दिमागधारी समाज भूल ही गया कि आखिर पाइप लाइन में भी पानी कहां से आएगा। कया उसी व्यास नदी से जिसकी धारा को बांधों में बांध दिया गया है और जिसके बचे हुए जल को दूषित करने में हमने कोई कसर नहीं रखी है। प्रसिध कवि दीनू कश्यप की एक कविता का मर्म कुछ यूं बयां करता है ( ओ आकाश, युध के इस ऊसर मैदान में, तुम वैसे ही नजर आते हो, जैसे घर के छोटे से आंगन से, फर्क तो सिर्फ है इतना, इस मरू प्रदेश में ठंडे पानी की बावडियां नहीं हैं।
विकलांगों के लिए प्रशिक्षण शिविर
मंडी में विकलांगों के लिए पहली बार अपनी तरह की अनूठी पहल की जा रही है। विकलांगता केा अभिशाप मान कर अपने नसीब पर रोने की जगह यहां विकलांगों को अपने पांवों पर खड़े होने के गुर सिखाने की पहल मां शक्ति स्वयं सेवी संस्था ने की है। मंडी के पड्डल गुरूद्वारा में दस दिन तक चलते वाले प्रशिक्षण शिविर में जहां अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी वहीं प्रदेश के हस्तशिल्प के विकास के लिए भी प्रयास होंगे। दस दिन चलने वाले प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ लोक निर्माण एवं राजस्व मंत्री ठाकुर गुलाब सिंह करेंगे। हिमालयन विकलांग संघ की अध्यक्ष हेमलता पठानिया का कहना है कि यह संस्था की एक अच्छी पहल है और ऐसे प्रशिक्षण शिविर प्रदेश के हा जिलों में लगने चाहिए।
मांं शक्ति संगठन के राज्य निदेशक हेमराज का कहना है कि विकलांगों को प्रशिक्षण देने के पीछे संस्था का उद्देश्य विकलांगों को अपने पांवों पर खड़ा करना है। प्रशिक्षण शिविर के दौरान विकलांगों को कुलवी टोपी, जैक्ट, बैग, सॉफ्ट टॉय, सफ आदि बनाने के गुर सिखाए जाएंगे। प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण हासिल करने वाले विकलंागों को प्रशिक्षण के बाद अपना रोजगार शुरू करने के भी संंसथा की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान करवाने में मदद की जाएगी।
न्यायिक कर्मचारियों की बैठक 14 मई को
मंडी। हि.प्र. न्यायिक कर्मचारी महासंघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक 14 मई को मंडी के गांधी भवन में आयोजित की जाएगी। जिसकी अध्यक्षता महासंघ के प्रधान सुरेश ठाकुर करेंगे। महासंघ के राज्य सचिव ओ. एल. चौहान ने बताया कि बैठक में शेटटी कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने के बारे में चर्चा की जाएगी। उन्होने बताया कि साढे दस बजे शुरू होने वाली इस बैठक में प्रदेश भर के कार्यकारिणी सदसय शामिल होंगे।
Saturday, 7 May 2011
कौल सिंह ठाकुर ने सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में अफीम की खेती की पैरवी की
कौल सिंह ठाकुर ने सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में अफीम की खेती की पैरवी की
नाहन: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने पार्टी की सरकार बनते ही मौजूदा सरकार के जनविरोधी फैसलों की जांच करवाने के बाद उचित कार्रवाई करने की बात कही है। आज शाम नाहन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार से लोगों का मोह भंग हो चुका है। लिहाजा भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मौजूदा सरकार के समक्ष भ्रष्टाचार के कई मामले उजाकर किए लेकिन सरकार ने इन मामलों पर आंखे मूंद रखी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को विकास के मसलों पर सरकार का साथ देने में कोई आपति नहीं है लेकिन सरकार को भी चाहिए कि केंद्र से मिल रही धन राशी पर कम से कम केंद्र सरकार को धन्यवाद प्रस्ताव तो भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि वह पार्टी को केवल सता में वापिस लाने की कोशिष कर रहे हैं साथ ही कहा कि वो मुख्यमंत्री पद के वो दावेदार नहीं है। कौल सिंह ठाकुर ने सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में अफीम की खेती की पैरवी करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मसले को काफी लंबे समय से उठाती रही है। उन्होंने कहा कि साठ के दषक तक क्षेत्र में अफीम की खेती पर प्रतिबंध नहीं था। सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र में अफीम की खेती की वकालत कर रहे शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद वीरेंद्र कष्यप के सूर से कांग्रेस ने भी सूर मिला लिए है साथ ही कांग्रेस की सरकार की सत्ता वापसी भाजपा के जनविरोधी फैसलों की जांच के बाद उचित कार्रवाई का एलान भी किया है। इसके अलावा कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने के आरोप प्रदेष की भाजपा सरकार पर लगाए है। हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि गुणवत्ता युक्त अफीम की खेती पर कांग्रेस को कोई ऐतराज नहीं है क्योंकि इससे गिरिपार क्षेत्र के किसानों को आर्थिक संपत्ता मिलेगी। इस बारे वीरेंद्र कष्यप की वकालत के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि अफीम की खेती पर से प्रतिबंध हटाए जाने की मांग कांग्रेस काफी समय से कर रही है। लेकिन अंर्तराष्ट्रीय दबाव की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि छोटे से पहाडी राज्य में 18 से अधिक विष्वविद्यालयों को मंजूरी प्रदान की गई है जो व्यवहारिक नहीं है। प्रदेष में कांग्रेस सरकार काबिज होते ही इस कानून का संषोधन किया जाएगा। कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष ने पांवटा साहिब के तिरहे हत्याकांड में प्रषासन व सरकार की लापरवाही का आरोप भी लगाया है साथ ही इस घटना की हिमाचल प्रदेष हाई कोर्ट के न्यायाधीष से न्यायिक जांच की मांग भी की है। कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष के इस प्रवास के दौरान सिरमौर कांग्रेस में एकजुटता भी देखने को मिली, जिसमें तमाम विधायकों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समर्थक भी नजर आए।
नाहन: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने पार्टी की सरकार बनते ही मौजूदा सरकार के जनविरोधी फैसलों की जांच करवाने के बाद उचित कार्रवाई करने की बात कही है। आज शाम नाहन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार से लोगों का मोह भंग हो चुका है। लिहाजा भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मौजूदा सरकार के समक्ष भ्रष्टाचार के कई मामले उजाकर किए लेकिन सरकार ने इन मामलों पर आंखे मूंद रखी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को विकास के मसलों पर सरकार का साथ देने में कोई आपति नहीं है लेकिन सरकार को भी चाहिए कि केंद्र से मिल रही धन राशी पर कम से कम केंद्र सरकार को धन्यवाद प्रस्ताव तो भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि वह पार्टी को केवल सता में वापिस लाने की कोशिष कर रहे हैं साथ ही कहा कि वो मुख्यमंत्री पद के वो दावेदार नहीं है। कौल सिंह ठाकुर ने सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में अफीम की खेती की पैरवी करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मसले को काफी लंबे समय से उठाती रही है। उन्होंने कहा कि साठ के दषक तक क्षेत्र में अफीम की खेती पर प्रतिबंध नहीं था। सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र में अफीम की खेती की वकालत कर रहे शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद वीरेंद्र कष्यप के सूर से कांग्रेस ने भी सूर मिला लिए है साथ ही कांग्रेस की सरकार की सत्ता वापसी भाजपा के जनविरोधी फैसलों की जांच के बाद उचित कार्रवाई का एलान भी किया है। इसके अलावा कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने के आरोप प्रदेष की भाजपा सरकार पर लगाए है। हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि गुणवत्ता युक्त अफीम की खेती पर कांग्रेस को कोई ऐतराज नहीं है क्योंकि इससे गिरिपार क्षेत्र के किसानों को आर्थिक संपत्ता मिलेगी। इस बारे वीरेंद्र कष्यप की वकालत के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि अफीम की खेती पर से प्रतिबंध हटाए जाने की मांग कांग्रेस काफी समय से कर रही है। लेकिन अंर्तराष्ट्रीय दबाव की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि छोटे से पहाडी राज्य में 18 से अधिक विष्वविद्यालयों को मंजूरी प्रदान की गई है जो व्यवहारिक नहीं है। प्रदेष में कांग्रेस सरकार काबिज होते ही इस कानून का संषोधन किया जाएगा। कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष ने पांवटा साहिब के तिरहे हत्याकांड में प्रषासन व सरकार की लापरवाही का आरोप भी लगाया है साथ ही इस घटना की हिमाचल प्रदेष हाई कोर्ट के न्यायाधीष से न्यायिक जांच की मांग भी की है। कांग्रेस के प्रदेषाध्यक्ष के इस प्रवास के दौरान सिरमौर कांग्रेस में एकजुटता भी देखने को मिली, जिसमें तमाम विधायकों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समर्थक भी नजर आए।
Kerosene supply cut due to lack of demand: RTI
Mandi, May 6
The five gram panchayats of Khani, Thatta, Boong, Jahal Gaad and Khalwahan in Bali Chowki sub-tehsil are facing an acute shortage of kerosene as the State Food and Civil Supplies Corporation has stopped its supply to the area over the months.
According to Sant Ram, an RTI activist, who had sought RTI information on the supply of kerosene to these panchayats, the corporation claimed that there was no demand of kerosene from these panchayats over the months. Hence, they did not supplied kerosene there.
However, Thata gram panchayat passed a resolution recently over the non-supply of kerosene in the panchayat and demanded that kerosene be supply to them.
Sant Ram charged that kerosene meant for these panchayats was being black-marketed by local agents under the nose of the corporation.
“We have met the Mandi ADC today and demanded supplies be restored and guilty be brought to book,” he added.
MLA summoned for running hotel without licence
Mandi, May 6
Chief Judicial Magistrate, Mandi, DR Thakur has summoned Anil Sharma, Mandi Sadar Congress MLA, to appear in the court on June 24 in connection with the running of his hotel without a PFA licence.
He was released on a bail of Rs 5,000 and summoned to appear in the court on June 24.
He was also summoned by Judicial Magistrate Praveen Chauhan to appear in the court in connection with two other cases of food adulteration registered under the Prevention of Adulteration of Food (PAF) Act against his hotel in the town.
In two similar cases of food adulteration booked against him in 2008, Chauhan had summoned him to appear in the court on June 24.
Mandi Food Inspector LD Thakur said they found that Anil Sharma was running his hotel without the mandatory PFA licence.
The food inspector said they had taken the samples of red grape wine and chicken masala and sent these to the composite testing laboratory at Kandaghat in 2008. The report confirmed that red wine was adulterated and misbranded. The chicken masala was also adulterated, he added.
Anil said, “It was a motivated case as I was not informed by the manager about this and have changed the entire management now. The sample of red grape wine was taken from a sealed bottle and not an open bottle and the colour in the masala chicken was more”.
दो चरस तस्करों को 3-3 साल का कठोर कारावास
Thursday, 5 May 2011
जिला भर की अदालतों में भारी संख्या में तबादलों से कर्मियों में हडकंप मचा
मुख्य न्यायधीश ने उपायुक्त सहित 9 अधिकारियों से जवाब तलब किया
ण विकास विभाग, प्रधान सचिन गृह विभाग, जिला पुलिस अधीक्षक मंडी, एस डी एम सरकाघाट, बीडीओ धर्मपुर ,ग्राम पंचायत डरवाड के प्रधान और सचिव भी शामिल हैं। आर टी आई बयुरो के सदसय सथानिय पंचायत निवासी भूपेन्द्र सिंह दवारा दायर की गई याचिका में उच्च न्यायलय ने उकत अधिकारियों को सममन जारी करके 27 मई को इस मामले में अपना-2 जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। भूपेन्द्र सिंह ने अपने अधिवकता दिगविजय सिंह और जितेन्द्र राणा के माध्यम से पंचायत के करीब 70 विकास कार्योंं की 15 शिकायतों पर कोई कार्यवाही न करने पर अधिकारियों के खिलाफ यह याचिका दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उपायुकत ने उनके पास गई शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की। जबकि परियोजना अधिकारी डीआरडीए ,एसडीएम सरकाघाट और बीडीओ धर्मपुर ने निर्धारित समय पर छानबीन नहीं की और न ही रिर्पोट तैयार की गई। याचिका में जिला पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाया गया है कि उन्होने समयबध ढंग से काम न करते हुए 28 अगसत 2010 को दर्ज हुई प्राथमिकी में अभी तक चालान पेश नहीं किया है। आर टी आई एकटिविसट भूपेन्द्र सिंह ने मार्च 2010 में जब पंचायत से संबंधित सूचनाएं एकत्र की तो इनसे खुलासा हुआ कि पिछले 10 सालों से निर्माणाधीन एक बावडी के निर्माण में फर्जी मिसत्री दिखा कर सरकारी पैसे का गबन किया गया है। इस मामले की एफ आई आर 6 महीने के बाद दर्ज हुई। इसके बाद करीब 15 शिकायतें प्रशासन को दी गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिसके चलते मजबूरन आरटीआई कार्यकर्ता को अदालत का दरवाजा खटखटाना पडा।
Wednesday, 4 May 2011
मिलावट के मामले में विधायक को मिली जमानत
मुख्य न्यायधीश ने दिए निर्देश
Tuesday, 3 May 2011
उपभोक्ता की राशी ब्याज सहित लौटाने के आदेश
Monday, 2 May 2011
बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायधीश कुरियन जोसेफ को ज्ञापन सौंपा
उपभोक्ता के पक्ष में 6,20,059 रूपये की राशी ब्याज सहित अदा करने के आदेश
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