मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने टीसीपी अध्यादेश 2014 वापिस लेने पर प्रदेश सरकार का धन्यावाद किया है। समिति ने गांव के लोगों को बिजली पानी के लिए पंचायत को अधिकार देने के
निर्णय का भी स्वागत किया है। संघर्ष समिति की आपात बैठक रविवार को आयोजित की गई। बैठक में सरकार के टीसीपी अध्यादेश 2014 को वापिस लेने के फैसले पर चर्चा की गई। समिति के संयोजक उत्तम चंद
सैनी, प्रधान अमर चंद वर्मा, महासचिव चंद्रमणी वर्मा, मीडिया प्रभारी, समीर कश्यप, सलाहकार हितेन्द्र शर्मा, हरमीत सिंह बिट्टु और संगठन सचिव प्रदीप परमार ने संयुक्त ब्यान में सरकार के निर्णय का स्वागत
करते हुए टीसीपी अध्यादेश 2014 निरस्त करने पर धन्यावाद किया है। उन्होने कहा कि सरकार के निर्णय से छोटे व मझौले परिवारों को राहत को उममीद बंधी है। समिति ने मांग की है कि सरकार छोटे व मझौले
रकवे वाले परिवारों को मकान तथा व्यवसायिक परिसरों के लिए 100 फीसदी डैविएशन भी कम से कम शुल्कों पर नियमित करने के लिए अध्यादेश लाए। उन्होने कहा कि समिति ने समय समय पर सरकार तथा टीसीपी विभाग के निदेशक को टीसीपी अधिनियम 2014 के बारे में जनता की ओर से प्राप्त हुई आपतियों और सुझावों को प्रेषित किया था। उन्होने कहा कि यह अधिनियम जनता की भावनाओं और क्षमताओं के अनुरूप नहीं था। क्योंकि अध्यादेश में निर्धारित शुल्क बहुत ज्यादा था। इस शुल्क को छोटे और मध्यम परिवार अदा नहीं कर सकते थे। जिसके कारण वह नियमितीकरण की प्रक्रिया का लाभ नहीं उठा सकते थे। वहीं पर ग्रामीण क्षेत्रों को भी टीसीपी के तहत लाने से गांववासियों के मकान बनाने और उन्हे नियमित करने के लिए शहरवासियों की तरह धक्के खाने पडने थे। गांवों में अनुमति के लिए पंचायत को अधिकार देने के निर्णय से गांव वासियों को राहत मिली है। उन्होने कहा कि अध्यादेश के जनविरोधी होने के कारण समिति ने इसे निरस्त करने की मांग की थी। समिति की मांग है कि नियमितीकरण की प्रक्रिया सरल, कम शुल्क वाली और पारदर्शी होनी चाहिए। जिससे भ्रष्टाचार पर नकेल लगाई जा सके।
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